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लखनऊ । यूपी चुनाव के लिए भाजपा ने 91 प्रत्याशियों की एक और सूची जारी कर दी। इसके साथ ही भाजपा के 294 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा हो गई है। नई लिस्ट के बाद यह बात साफ हो गई है कि भाजपा किसी तरह का रिस्क लेने के मूड में नहीं है। स्वामी प्रसाद मौर्य समेत तीन मंत्रियों और कई विधायकों के पाला बदलने का असर भी नई लिस्ट में साफ दिख रहा है। पार्टी ने अपने पुराने मंत्रियों पर भरोसा जताया है। सभी को टिकट दिये हैं। विधायकों को भी बदलने से परहेज किया गया है। एक दो ही विधायकों को बदला गया है। नए चेहरों में सबसे प्रमुख नाम सीएम योगी के मीडिया सलाहकार शलभमणि त्रिपाठी का है। शलभ को देवरिया से टिकट दिया गया है। लखनऊ और वाराणसी की सीटों की लिस्ट अभी नहीं आई है लेकिन अयोध्या से प्रत्याशी घोषित हो गया है। वहां से वेद प्रकाश गुप्ता को प्रत्याशी बनाया गया है। जिन मंत्रियों को इस लिस्ट में स्थान मिला है उनमें इलाहाबाद पश्चिम से मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह, इलाहाबाद दक्षिण से मंत्री नंद कुमार नंदी, इटवा से मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी को टिकट दिया गया है। पथरदेवा से मंत्री सूर्य प्रताप शाही, बलिया की फेफना से मंत्री उपेंद्र तिवारी, जौनपुर से मंत्री गिरीश चंद्र यादव को दोबारा मैदान में उतारा गया है। मंत्री सुरेश पासी को जगदीशपुर सुरक्षित, मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह मोती को पट्टी, पूर्व मंत्री अनुपमा जायसवाल को बहराइच, मंत्री रमापति शास्त्री को मनकापुर से टिकट दिया गया है। इसके अलावा मंत्री जय प्रताप सिंह को बंसी, जयप्रकाश निषाद को रुद्रपुर से टिकट मिला है। गोसाईगंज से आरती तिवारी, बीकापुर से अमित सिंह, रुदौली से रामचंद्र यादव व मिल्कीपुर से बाबा गोरखनाथ को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने अयोध्या जनपद में गठबंधन को तरजीह नहीं दी है। बीकापुर से निषाद पार्टी से बबलू सिंह टिकट की मांग कर रहे थे। राज्यमंत्री श्रीराम चौहान की सीट बदल दी गई है। अब वह धनघटा की जगह खजनी विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे। इसके अलावा एक दिन पहले ही कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए प्रियंका गांधी के सलाहकार टीम के सदस्य और पूर्व सांसद राकेश सचान को भोगनीपुर से टिकट दिया गया है। भारतीय जनता पार्टी ने बाराबंकी के हैदरगढ़ से विधायक बैजनाथ रावत का टिकट काट दिया है। उनकी जगह पर दिनेश रावत को उतारा है। इसके साथ ही तीन लोगों को दोबारा मौका मिला है। पार्टी ने बाराबंकी सदर और हैदरगढ़ से नया प्रत्याशी उतारा है। रामनगर से शरद अवस्थी, कुर्सी से साकेन्द्र प्रताप वर्मा, दरियाबाद से सतीश शर्मा, सदर से अरविंद मौर्य, हैदरगढ़ से दिनेश रावत और जैदपुर से अमरीश रावत को प्रत्याशी बनाया है।

 

राहुल ने कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी चाहती है, अगर कार्यकर्ता चाहते हैं और अगर पंजाब चाहता है तो फिर हम मुख्यमंत्री का निर्णय आपके लिए ले लेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने कार्यकर्ताओं से सलाह मशविरा करने के बाद यह फैसला करेंगे। बाकी (नेता) एक टीम के तौर पर काम करेंगे।’ जो सही व्यक्ति होगा वो पंजाब को आगे ले जाएगा।

 

पंजाब में कांग्रेस सीएम चेहरे का ऐलान करेगी लेकिन खुशी से नहीं बल्कि मजबूरी में वो भी इसलिए क्योंकि राहुल गांधी के सामने ही सिद्ध और चन्नी ने अपनी-अपनी दावेदारी ठोक दी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को यहां कहा कि उनकी पार्टी पंजाब विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के चेहरे के साथ उतरेगी और पार्टी कार्यकर्ताओं से परामर्श करने के बाद जल्द ही इस बारे में फैसला किया जाएगा। 

पंजाब शब्द के अंदर हमारा चिन्ह पंजा भी

 राहुल गांधी ने कहा कि ये सिर्फ एक राजनीतिक पार्टी नहीं है। ये एक विचारधारा है। ये वो विचारधारा है जिसने अंग्रेजों को हराकर इस देश को बनाया है। इस विचारधारा में हम सब एक हैं। जैसे कि कहा जाता है कि पंजाब पांच नदियों का राज्य है। मगर अगर आप उसे गहराई से देखें तो पांच नदियां एक नदी से आती है। फिर वो पांच नदियां समुद्र में मिल जाती है। आज मैं सोच रहा था और फिर नोटिस किया कि पंजाब शब्द के अंदर हमारा चिन्ह 'पंजा' वो भी है।

सीएम  चेहरे को लेकर ये कहा

राहुल ने कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी चाहती है, अगर कार्यकर्ता चाहते हैं और अगर पंजाब चाहता है तो फिर हम मुख्यमंत्री का निर्णय आपके लिए ले लेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने कार्यकर्ताओं से सलाह मशविरा करने के बाद यह फैसला करेंगे। बाकी (नेता) एक टीम के तौर पर काम करेंगे।’ जो सही व्यक्ति होगा वो पंजाब को आगे ले जाएगा। दूसरा व्यक्ति और सब लोग मिलकर एक टीम जैसे लड़ाई लड़ेंगे। 

पद एक और उम्मीदवार दो

पिछले कुछ हफ्तों में, चन्नी और सिद्धू दोनों ने पार्टी से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किये जाने की इच्छा का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संकेत दिया है। अपने भाषण में सिद्धू ने कहा कि लोग स्पष्टता चाहते हैं कि एजेंडा और रोडमैप को कौन लागू करेगा, जिस पर चन्नी ने बाद में कहा कि वह कभी किसी पद के पीछे नहीं भागे हैं और जिनके नाम की घोषणा की जाएगी, वह पूरे दिल से फैसले का समर्थन करेंगे। राज्य के कर्ज का जिक्र करते हुए सिद्धू ने कहा कि लोग जानना चाहते हैं कौन उन्हें इससे बाहर निकालेगा, इसे कैसे किया जाएगा और यहां क्या एजेडा तथा रोडमैप है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि वह ‘दर्शनी घोड़ा’ (शोपीस) नहीं बनना चाहते हैं। बाद में चन्नी ने कहा, ‘‘मैं हाथ जोड़ कर कहता हूं कि हम पंजाबी हैं, हम राज्य का कल्याण चाहते हैं।  

रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा कि वह (भाजपा) पश्चिम उत्तर प्रदेश को जाट लैंड कहते हैं, हरियाणा को वे क्या मानते हैं? वह बस ध्रुवीकरण पैदा करना चाहते हैं। जातिगत आधार पर ध्रुवीकरण हो, धार्मिक आधार पर उन्माद फैले यह उनकी रणनीति है। मुझे वह खुश करके क्या हासिल कर रहे हैं।

 

नयी दिल्ली। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत गर्माती जा रही है और राजनीतिक दल नए-नए समीकरण बनाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। इसी बीच राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) प्रमुख जयंत चौधरी ने सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि भाजपा सिर्फ और सिर्फ ध्रुवीकरण पैदा करना चाहती है और वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश को जाट लैंड कहते हैं, ऐसे में हरियाणा को वो क्या मानते हैं ? 

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा कि वह (भाजपा) पश्चिम उत्तर प्रदेश को जाट लैंड कहते हैं, हरियाणा को वे क्या मानते हैं? वह बस ध्रुवीकरण पैदा करना चाहते हैं। जातिगत आधार पर ध्रुवीकरण हो, धार्मिक आधार पर उन्माद फैले यह उनकी रणनीति है। मुझे वह खुश करके क्या हासिल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे मुद्दों पर ध्यान दीजिए, किसानों के साथ न्याय कीजिए। लखीमपुर की घटना अभी ताज़ी है, मंत्री अभी भी मंत्री बने बैठे हैं। किसानों को गिरफ़्तार किया जा रहा है, मुकदमे वापस नहीं लिए गए। इन मामलों पर वह जवाब दें।

 

भाजपा ने दिया था ऑफर

भाजपा की नईयां को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार लगाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभालते हुए बुधवार को जयंत चौधरी को साथ आने का न्योता दिया था। हालांकि जयंत चौधरी ने इस ऑफर को ठुकराते हुए भाजपा को कृषि आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों की याद दिलाई। जयंत चौधरी ने एक ट्वीट में कहा था कि न्योता मुझे नहीं, उन 700+ किसान परिवारों को दो जिनके घर आपने उजाड़ दिए!! दरअसल, अमित शाह ने कहा था कि जयंत चौधरी गलत घर में चले गए हैं। लेकिन भाजपा के दरवाजे उनके लिए खुले हैं।

उन्होंने कहा था कि यह बात तय है कि चुनाव बाद भाजपा की सरकार बनेगी। जयंत चौधरी ने एक अलग रास्ता चुना है। जाट समाज के लोग उनसे बात करेंगे, उन्हें समझाएंगे। चुनाव के बाद संभवनाएं हमेशा खुली रहती हैं। हमारा दरवाजा आपके लिए खुला है।

गौरतलब है कि जयंत चौधरी ने अखिलेश यादव के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरने का निर्णय लिया था। इसके तहत उन्होंने गठबंधन उम्मीदवारों का भी ऐलान कर दिया है। उत्तर प्रदेश में सात चरणों में मतदान होना है। पहले चरण में 10 फरवरी को 11 जिलों की 58 सीटों पर मतदान होगा। इसमें शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, हापुड़, बुलंदशहर जिले प्रमुख हैं। जबकि दूसरे चरण में 14 फरवरी को 9 जिलों की 55 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। इन दोनों चरणों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अधिकांश सीटें कवर हो जाएंगी।

मणिपुर प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष एन लोकेन ने कहा कांग्रेस भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल (सेक्यूलर) और फॉरवर्ड ब्लॉक के साथ मिलकर आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर काम करेगी।

 

कांग्रेस ने मणिपुर चुनाव में बंगाल की तर्ज पर लेफ्ट के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया है। मणिपुर में अगले महीने विधानसभा चुनाव है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने लेफ्ट सहित पांच राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन किया है। गठबंधन के नाम की जल्द ही घोषणा की जाएगी। इस गठबंधन के नाम और न्यूनतम साझा कार्यक्रम की घोषणा जल्द ही की जाएगी। पिछले साल असम चुनावों के दौरान कांग्रेस ने 10 पार्टियों का महागठबंधन बनाया था, इसे महाजोत कहा था। मणिपुर प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष एन लोकेन ने कहा कांग्रेस भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल (सेक्यूलर) और फॉरवर्ड ब्लॉक के साथ मिलकर आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर काम करेगी। 

कांग्रेस ने कहा कि भाजपा को हराने के लिए पार्टियों ने एक साझा लक्ष्य के साथ हाथ मिलाया है। कांग्रेस विधायक दल के नेता ओ इबोबी ने कांग्रेस भवन में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि गठबंधन ने काकचिंग सीट को छोड़कर शेष 59 विधानसभा सीटों पर साझा उम्मीदवारों को खड़ा करने का फैसला किया है।

बंगाल चुनाव में भी था गठबंधन

साल 2021 के बंगाल चुनाव में भी कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी का गठबंधन था। हालांकि इस चुनाव में गठबंधन को एक भी सीट नहीं प्राप्त हुई थी। कांग्रेस और सीपीआई दोनों को 0 सीटें प्राप्त हुई थी। बता दें कि 2017 के मणिपुर विधानसभा चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने 2 सीटों पर चुनाव हुआ था। फॉरवर्ड ब्लॉक ने भी 2 सीटों पर चुनाव लड़ा था। तीनों को मिलाकर 1% वोट भी नहीं मिला था।  

 

  

कांग्रेस उम्मीदवार एवं मौजूदा विधायक दलवीर सिंह गोल्डी छात्र राजनीति में सक्रिय रहे हैं और 2005-06 में ‘पंजाब यूनिवर्सिटी कैंपस स्टूडेंट काउंसिल’ के अध्यक्ष थे। गोल्डी ने एक साक्षात्कार में ‘पीटीआई-भाषा’ को अपने निर्वाचन क्षेत्र में अपने द्वारा किए गए कई कार्यों के बारे में विस्तार से बताया।

 

धुरी। पंजाब की धुरी सीट से कांग्रेस उम्मीदवार एवं मौजूदा विधायक दलवीर सिंह गोल्डी ने आम आदमी पार्टी (आप) के मुख्यमंत्री पद के चेहरे भगवंत मान को विकास कार्यों के मुद्दे पर खुली बहस की चुनौती देते हुए दावा किया कि लोगों से कहने के लिए मान के पास कुछ नहीं है। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने धुरी सीट से संगरूर के पूर्व विधायक प्रकाश चंद गर्ग को मैदान में उतारा है। धुरी, संगरूर संसदीय सीट के विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। मान संगरूर से दो बार के सांसद हैं। वहीं, गोल्डी (40) पिछले पांच वर्ष में धुरी निर्वाचन क्षेत्र में किए गए कई विकास कार्यों पर आश्रित हैं। गोल्डी ने कहा, ‘‘ हमने निर्वाचन क्षेत्र में कई विकास कार्य किए हैं और मैं पिछले पांच साल से क्षेत्र के लोगों की सेवा कर रहा हूं।’’ 

गोल्डी छात्र राजनीति में सक्रिय रहे हैं और 2005-06 में ‘पंजाब यूनिवर्सिटी कैंपस स्टूडेंट काउंसिल’ के अध्यक्ष थे। गोल्डी ने एक साक्षात्कार में ‘पीटीआई-भाषा’ को अपने निर्वाचन क्षेत्र में अपने द्वारा किए गए कई कार्यों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि 57 गांवों में वॉलीबॉल मैदान बनाए गए, जबकि 32 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण किया गया और उनकी मरम्मत की गई। जिला स्तर पर दमकल सेवा तथा ग्राम स्तर पर लघु दमकल सेवा की स्थापना की गई और नई सीवरेज प्रणाली तैयार की गई।

धुरी में मान से मुकाबले के सवाल पर गोल्डी ने कहा, ‘‘ मैं उन्हें एक कॉमेडियन के तौर पर देखता हूं, एक गंभीर राजनेता के रूप में नहीं।’’ गोल्डी ने कहा कि मान अपने भाषणों के दौरान लोगों को ‘‘मूर्ख’’ बनाने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार का बखान कर रहे हैं। ‘आप’ ने एक सर्वेक्षण करने के बाद मान को पंजाब में अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था। गोल्डी ने कहा, ‘‘ मान ने पंजाब के लिए किसी योजना की कभी कोई बात नहीं की।’’ उनका इशारा घटते भूमिगत जल स्तर की ओर था, क्योंकि धुरी ‘डार्क जोन’ में आता है, जिसके बारे में ‘आप’ उम्मीदवार ने कभी बात नहीं की है। कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार ने कहा, ‘‘ मान ने कभी खेल, शिक्षा और स्वास्थ्य प्रणाली के बारे में भी कोई बात नहीं की। मुझे नहीं लगता कि वह धुरी निर्वाचन क्षेत्र को लेकर गंभीर हैं। अगर वह हैं, तो उन्हें सांसद पद से इस्तीफा देकर धुरी से चुनाव लड़ना चाहिए।’’

गोल्डी ने कहा कि अगर उन्होंने राज्य के लोगों के लिए कुछ किया होता, तो उन्हें पंजाब के लोगों को ‘दिल्ली मॉडल’ के बारे में बताने की जरूरत नहीं पड़ती। गोल्डी ने कहा कि मान को 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के अलावा धुरी में कभी नहीं देखा गया। एक सांसद होने के नाते वह धुरी के लोगों के लिए कुछ कर सकते थे। गोल्डी ने मान को धूरी निर्वाचन क्षेत्र के लिए किए गए किसी भी विकास कार्य का लेखा-जोखा देने के लिए उनके साथ एक खुली बहस करने की चुनौती दी। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं उन्हें खुली बहस की चुनौती देता हूं। वह अपने पांच सर्वश्रेष्ठ विकास कार्य बताएं और मैं भी अपने पांच सर्वश्रेष्ठ विकास कार्य बताऊंगा।’’ 

कांग्रेस उम्मीदवार अपने निर्वाचन क्षेत्र में ‘‘धुरी मेरी मिट्टी, धुरी मेरा परिवार’’ चुनाव अभियान चला रहे हैं और घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं। उनका कहना है कि वह धुरी से ताल्लुक रखते हैं, जबकि ‘आप’ और शिअद के उम्मीदवार ‘‘बाहरी’’ हैं। गोल्डी ने 2017 विधानभा चुनाव में ‘आप’ उम्मीदवार जसवीर सिंह को 2,811 मतों से मात देकर, जीत दर्ज की थी। धुरी मुख्य रूप से एक ग्रामीण क्षेत्र है, जिसमें 74 गांव शामिल हैं। यहां 77,000 महिलाओं सहित 1.63 लाख मतदाता हैं।

लखनऊ । 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के भीतर मची अंतर्कलह के बाद अखिलेश और शिवपाल यादव के रास्ते अलग-अलग हो गए थे। इतना ही नहीं, दोनों के रिश्तो में इतनी कड़वाहट थी कि इनकी मुलाकात भी नहीं होती थी। अखिलेश और समाजवादी पार्टी से अलग होने के बाद शिवपाल ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का गठन किया। 2019 के लोकसभा चुनाव में शिवपाल की पार्टी ने कुछ खास हासिल नहीं किया।2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर शिवपाल और अखिलेश के बीच मुलाकातों का दौर शुरू हुआ। दोनों ने गठबंधन भी किया।
सूत्र दावा कर रहे हैं कि अखिलेश यादव से शिवपाल ने 100 से ज्यादा सीटों की मांग की थी। हालांकि, अखिलेश ने अब तक शिवपाल यादव को सिर्फ उनकी ही सीट पर एक टिकट दिया है। वह सीट है यशवंत नगर। सबसे बड़ा सवाल यही है कि 100 सीटों का दम भरने वाले शिवपाल आखिर एक सीट पर ही कैसे मान गए? इसकारण है कि वह अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए भी अबूझ पहेली बने हुए हैं। शिवपाल यादव खुलकर कुछ भी नहीं बोल पा रहे हैं। इतना ही नहीं, दवा यह भी किया जा रहा है कि शिवपाल यशवंत नगर से अपनी नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी के ही सिंबल पर चुनाव लड़ने वाले है। समाजवादी पार्टी की सूची में शिवपाल यादव का भी नाम आ चुका है।
शिवपाल फिर से अपने भतीजे अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने की बात कहते दिख रहे हैं। शिवपाल ने अखिलेश यादव को अपना नया नेता भी मान लिया है। शिवपाल यादव लगातार यह भी कह रहे हैं कि परिवारिक एकता के लिए वह किसी भी समर्पण को देने के लिए तैयार हैं। बताया जा रहा है कि यही कारण है जिसके चलते शिवपाल ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। बीच में अटकले इस तरह की भी थी कि शिवपाल कहीं भाजप में नहीं जा रहे हैं। भाजपा और शिवपाल दोनों एक दूसरे की तारीफ भी करते दिखाई दे रहे थे।

 

नई दिल्ली। आरआरबी एनटीपीसी रिजल्ट के विरोध में  देशभर में होने जा रहे रेल रोको आंदोलन को कांग्रेस ने खुलकर अपना समर्थन दे दिया है।कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत इसकी घोषणा कर कहा कि 28 तारीख को रेल रोको आंदोलन आयोजित होगा है, हम आंदोलन को समर्थन देते हैं।हालांकि पार्टी की तरफ से अपील की गई है कि यह आंदोलन शांतिपूर्ण होना चाहिए।पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि मैं यह अपील करते हुए करना चाहती हूं, कि 28 तारीख को रेल रोको आंदोलन आयोजित किया गया है, हम इसका समर्थन करते हैं।शांतिपूर्ण ढंग से अभियान, आंदोलन करना होगा।
उन्‍होंने कहा कि जैसा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि ये गांधी का देश है। सत्‍य और अहिंसा से चलता है।शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन होगा, तब सरकार को घुटने टेकना पड़ेगा। इसका सबसे बड़ा उदाहरण किसान आंदोलन है। किसी भी अभियान, आंदोलन में लेशमात्र भी हिंसा की जगह नहीं है।उन्‍होंने कहा कि हम सरकार से कहना चाहते हैं, कि बड़े-बड़े वादे करने के बाद उन्‍हें पूरा ना करके आप वादाखिलाफी देश के साथ ही नहीं, देश के युवाओं के साथ भी कर रहे हैं।युवाओं को सिर्फ और सिर्फ रोजगार चाहिए।उनके रोजगार को छोड़कर आप हर बात करने को तैयार हैं।
दरअसल, आरआरबी एनटीपीसी रिजल्ट को लेकर बिहार में जारी बवाल के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है।माना जा रहा है कि आरआरबी एनटीपीसी रिजल्ट के विरोध में गोरखपुर में बड़ा रेल आंदोलन करने की तैयारी है।28 जनवरी को छात्र गोरखपुर रेलवे स्टेशन को हाइजैक करने की तैयारी में हैं।छात्रों का दावा है कि कांग्रेस के शीर्ष नेता इस बड़ा आंदोलन बनाने की तैयारी में हैं।पटना में बुधवार को हुई स्टूडेंट्स स्टिरिंग कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया है कि 28 जनवरी को देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा।

प्रयागराज । उत्तरप्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले बाहुबली अतीक अहमद को लेकर बड़ी खबर है। जेल में बंद अतीक अहमद विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगा।बताया जा रहा है, कि बाहुबली विधायक अतीक अहमद के परिवार का कोई सदस्य भी चुनाव नहीं लड़ेगा।बाहुबली अतीक अहमद पांच बार का विधायक और फूलपुर सीट से सांसद रह चुका है और अभी अहमदाबाद की जेल में बंद है।बाहुबली अतीक अहमद के परिवार ने ही पुष्टि की है कि अतीक अहमद और परिवार का कोई भी सदस्य इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगा।फिलहाल, अतीक अहमद और उसका पूरा परिवार इन दिनों असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम में शामिल है।इससे पहले प्रयागराज की पश्चिमी सीट के साथ ही कानपुर की कैंट, मेरठ सदर और कौशांबी की सिराथू सीट से अतीक अहमद के चुनाव लड़ने की चर्चा थी।
बताया गया है कि अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन चुनाव में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का प्रचार करेंगी।अतीक का परिवार एआईएमआईएम के साथ ही बाबू सिंह कुशवाहा की पार्टी व अन्य सहयोगी दलों के लिए भी प्रचार करेगा। परिवार का कहना हैं कि मौजूदा हालात के मद्देनजर परिवार ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है।सूत्रों का कहना हैं कि अतीक और उसके परिवार ने पहले बड़ी पार्टियों से चुनाव लड़ने की संभावनाएं तलाशी थीं, मगर कहीं से भी टिकट की संभावना नहीं बनी।इसके बाद किसी बड़ी पार्टी में बात नहीं बनने पर चुनाव से दूरी बनाने का फैसला किया।बाहुबली अतीक अहमद इन दिनों गुजरात की अहमदाबाद जेल में बंद है।

 

लखनऊ । यूपी विधानसभा चुनाव को सियासी दांवपेंच के बीच पार्टियों में नेताओं के दलबदल के साथ ही गठबंधनों के बनने-बिगड़ने को लेकर संभावनाओं और आशंकाओं का दौर भी अभी थमा नहीं है। भाजपा सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा के नई दिल्ली स्थित आवास पर पंचायत और ज़िला स्तर के क़रीब 200 प्रभावी जाट नेताओं की बैठक हुई थी। इसी दिन भाजपा की ओर से राष्‍ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी को ऑफर दिया गया था। गुरुवार को जयंत चौधरी ने इस न्‍योते को ठुकराते हुए तमाम संभावनाओं पर विराम लगा दिया। उन्‍होंने कहा, 'मैं कोई चवन्‍नी नहीं जो पलट जाऊं।'
जयंत चौधरी ने कहा कि एक खबर चल रही है कि दिल्‍ली में एक बहुत बड़ी बैठक हुई। ये लोग कहां गए थे जब लखीमपुर में किसानों को कुचला गया, रौंदा गया। पशु के ऊपर भी कोई इस तरह से गाड़ी, इंसानियत रखने वाला, कोई भी इंसान इस तरह की वारदात नहीं करेगा। आज भी वे लोग मंत्री बने बैठे हैं। ये लोग कहां थे जो आज मुझसे-आपसे उम्‍मीद कर रहे हैं। मैं कोई चवन्‍नी हूं जो पलट जाऊंगा। ये हमारे मान-सम्‍मान की बात है। ये फैसले मैं अकेले नहीं लेता। बहुत सोच विचार कर हमने ये फैसला लिया है।
उत्तर प्रदेश की जनता की जो मूल समस्‍याएं हैं उनका हल कैसे निकाला जाए। आज जो सरकारें हैं वो सुनती नहीं। उत्तर प्रदेश की 11 समस्‍याएं हैं, उनका हल निकलना चाहिए। हम सत्‍ता में आज जाएंगे तो प्रयास करेंगे ईमानदारी से लेकिन मुझे ये अहंकार नहीं है कि मैं कह दूं कि सारी समस्‍याएं सुलझ जाएंगी। बहुत बड़ी-बड़ी चुनौतियां हैं। हम ईमानदारी से प्रयास करेंगे।
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जाट समुदाय से एक बार फिर समर्थन हासिल करने की कोशिश में जुटी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कल समाजवादी पार्टी (सपा) गठबंधन में शामिल राष्ट्रीय लोकदल को साथ आने का ऑफर दे दिया था। बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने कहा था कि जयंत चौधरी गलत रास्ते पर चले गए हैं और बीजेपी ने उनके लिए अपने दरवाजे अब भी खुले रखे हैं। वहीं, जयंत चौधरी ने कल ही बीजेपी के ऑफर को ठुकराते हुए कहा था कि उनकी बजाय बीजेपी को उन 700 किसान परिवारों का न्योता देना चाहिए, जिनके घर उजड़ गए। गुरुवार को उन्‍होंने एक बार फिर बीजेपी के इस ऑफर पर अपनी बात रखी।
भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने कहा था, 'यह तय है कि बीजेपी की सरकार बनेगी। जयंत चौधरी ने गलत रास्ता चुना है। यहां के समाज के लोग उनसे बात करेंगे समझाएंगे, इलेक्शन के बाद संभावनाएं खुली रहती है, हमारा दरवाजा आपके लिए खुला है और किसी संभावना से मना नहीं किया जा सकता है।' क्या जयंत उनके संपर्क में हैं इसके जवाब में बीजेपी सांसद ने कहा, 'चुनाव के बाद देखेंगे क्या संभावना बनती है। हम तो चाहते थे कि हमारे घर में आएं, लेकिन उन्होंने कोई दूसरा घर चुना है।' यह पूछे जाने पर कि क्या अभी देर नहीं हुई है तो प्रवेश ने नहीं में जवाब दिया।

 

देहरादून| उत्तराखंड भाजपा और कांग्रेस में प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद असंतोष थमने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार को भाजपा के दो विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इसमें टिहरी और रुद्रपुर के विधायक शामिल हैं। टिहरी से विधायक धन सिंह नेगी ने गुरुवार को कांग्रेस ज्वाइन कर ली है। वहीं रुद्रपुर से टिकट कटने से नाराज विधायक राजकुमार ठुकराल ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है।उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को इस्तीफा भेज दिया है। उन्होंने इस्तीफे में लिखा है कि षड़यंत्र के चलते उनका टिकट कटवा दिया गया है। उन्होंने कहा है कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। बुधवार को भाजपा की सूची जारी हुई थी, जिसमें सिटिंग विधायक राजकुमार ठुकराल का टिकट कट गया था। रुद्रपुर सीट पर भाजपा जिला अध्यक्ष शिव अरोरा पर भरोसा जताते हुए पार्टी ने उनका टिकट फाइनल किया है। टिकट की घोषणा होने के बाद से विधायक राजकुमार ठुकराल का फोन भी स्विच ऑफ हो गया। रुद्रपुर में भाजपा जिला अध्यक्ष शिव अरोरा व सिटिंग विधायक राजकुमार ठुकराल के बीच टिकट को लेकर खींचतान चल रही थी। दोनों ही नेता लंबे समय तक दिल्ली पहुंचकर टिकट के लिए प्रयासरत थे। गुरुवार को कांग्रेस में शामिल हुए धन सिंह नेगी ने भाजपा के टिहरी प्रत्याशी और पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय पर संगीन आरोप लगाया है। धन सिंह का आरोप है कि किशोर ने टिहरी सीट का टिकट करोड़ों रुपए में खरीदा है। वहीं किशोर उपाध्याय को कांग्रेस ने बुधवार को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था। जिसके बाद वह गुरुवार को भाजपा में शामिल हो गए और पार्टी ने उन्हें टिहरी सीट पर प्रत्याशी घोषित किया।

 

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