राजनीति

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दिल्ली विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों के नामांकन की आज आखिरी तारीख है। आगामी आठ फरवरी को मतदान होना है और 11 फरवरी को नतीजे आएंगे। भाजपा, कांग्रेस और आप, तीनों पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। आज दोपहर तीन बजे तक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत तीनों पार्टियों के उम्मीदवार पर्चा भरेंगे।
नई दिल्ली सीट से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भाजपा ने सुनील यादव को मैदान में उतारा है। सियासी गलियारे में चर्चा है कि भाजपा ने यहां एक तरीके से केजरीवाल को वाक्ओवर दे दिया है। अब खबर है कि भाजपा यहां से प्रत्याशी बदल सकती है। सूत्रों के मुताबिक नई दिल्ली सीट से घोषित उम्मीदवार सुनील यादव को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने घर बुलाया है। बता दें कि आज दिल्ली में नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन है।
कांग्रेस ने जारी की आखिरी लिस्ट
कांग्रेस ने चुनाव को लेकर अपने पांच उम्मीदवारों की आखिरी लिस्ट जारी कर दी है। इसमें ओखला विधानसभा सीट से परवेज हाशमी, बिजवासन से प्रवीण राणा, महरौली से मोहिंदर चौधरी, मादीपुर से जयप्रकाश पवार और विकास पुरी से मुकेश शर्मा को टिकट दिया गया है।
 

नागपुर। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने महाराष्ट्र सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि योजनाओं के लिए पैसे की कमी नहीं है लेकिन फैसले लेने में जो हिम्मत चाहिए, सरकार में वो नहीं है। उन्होंने योजनाओं पर काम न होने के लिए सरकार की मानसिकता और नकारात्मक एटिट्यूड को जिम्मेदार ठहराया। बता दें कि गडकरी नागपुर में विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में एक समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने अपने लक्ष्यों की ओर इशारा करते हुए कहा कि पिछले पांच साल में उन्होंने 17 लाख करोड़ रुपये के काम करवाए हैं और इस साल वह पांच लाख करोड़ रुपये तक पहुंचना चाहते हैं। गडकरी ने आगे कहा, मैं आपको सच बताता हूं, पैसे की कोई कमी नहीं है। जो कुछ कमी है वो सरकार में काम करने वाली मानसिकता की है, जो निगेटिव एटीट्यूड है उसकी है।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि सरकार में जो निर्णय लेने की हिम्मत चाहिए, वो नहीं है। उन्होंने कहा, परसो मैं एक हाइएस्ट फोरम की मीटिंग में था। वहां वो (आईएएस अधिकारी) कह रहे थे कि ये शुरू करेंगे-वो शुरू करेंगे, तो मैंने उनको कहा कि आप क्यों शुरू करेंगे? आपकी अगर शुरू करने की ताकत होती तो आप आईएएस ऑफिसर बनके यहां नौकरी क्यों करते?

मुंबई । स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर को लेकर  महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस गठबंधन सरकार में दरार पड़ती दिख रही है। सावरकर को भारत रत्न दिए जाने के मुद्दे पर शिवसेना सांसद संजय राउत और कांग्रेस के नेताओं के बीच पिछले कुछ हफ्तों से लगातार जारी बयानबाजियों के खाई बढ़ती जा रही है। दोनों दलों के बीच अंतिम बयानबाजी में जहां कांग्रेस ने 'वीर सावरकर' की आलोचना को दोहराते हुए उन्हें भारत रत्न दिए जाने का विरोध किया था। वहीं, शिवसेना के राउत ने कहा था कि सावरकर को भारत रत्न देने का विरोध करने वालों को उसी जेल में भेज देना चाहिए, जहां सावरकर को अंग्रेजों ने रखा था ताकि उनके संघर्षों का एहसास हो सके। पिछले सप्ताह में यह दूसरी बार है कि राउत ने अपने बयान से विवाद को जन्म दिया हो। कुछ दिन पहले ही राउत ने कहा था कि पूर्व पीएम इंदिरा गांधी मुंबई में अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला से मिलने आती थीं। इस बयान के बाद कांग्रेस की ओर से कई नेताओं ने संजय राउत को आड़े हाथ लिया, जिसके बाद राउत को अपना बयान वापस लेना पड़ा। कांग्रेसी खेमे से तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली।
कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे ने फोन कर शिवसेना से गठबंधन के तहत कॉमन मिनिमम प्रोग्राम को फॉलो करने की बात की। खड़गे ने कहा, 'ऐसे बयान गठबंधन के लिए सही नहीं हैं। हमें ऐसी भाषा नहीं बोलनी चाहिए, जिससे मतभेद बढ़े। सरकार चलाने के लिए कॉमन मिनिमम प्रोग्राम होता है, जिसे पुरानी बातों के बजाय फॉलो करना चाहिए। अगर हम पुरानी बातें ही करेंगे तो कई सारी चीजें सामने आएंगी।' कांग्रेस और शिवसेना के एक धड़े का भले ही यह मानना हो कि ऐसी बयानबाजियों से कांग्रेस-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन पर असर नहीं पड़ेगा। लेकिन असल में इससे दोनों पार्टियां असहज नजर आ रही हैं। हालांकि राउत के बयान से खुद को दूर करने वालों में युवा सेना के अध्यक्ष तथा कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे भी शामिल हैं। आदित्य ने राउत के बयान को उनका निजी मत करार देते हुए कहा कि इतिहास में नहीं पहुंचना चाहिए। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि ऐसे विवादित मुद्दों पर 'सोच-समझकर शांति' बरत लेनी चाहिए।

जेपी नड्डा को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का नया अध्यक्ष चुन लिया गया है. पार्टी के राष्ट्रीय चुनाव अधिकारी राधामोहन सिंह ने जेपी नड्डा के अध्यक्ष चुने जाने की घोषणा की. राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर सोमवार को नामांकन दाखिल किए गए थे. नामांकन दाखिल करने का आखिरी समय आज 12.30 बजे तक था. जेपी नड्डा को छोड़कर किसी और ने नामांकन नहीं भरा और 2:30 बजे तक नाम वापसी का आखिरी समय था.
जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं और RSS के जरिए पार्टी में जमीनी स्तर पर काम करते आए हैं. नड्डा बीजेपी के 11वें राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं. वो तीन साल तक इस पद पर रहेंगे. इस दौरान दिल्ली के बाद बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु समेत कई बड़े राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं, जो उनके लिए बड़ी चुनौती होगी.
पिछले साल खत्म हुआ था शाह का कार्यकाल
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का कार्यकाल पिछले साल खत्म हो गया था, लेकिन लोकसभा चुनाव को देखते हुए उनके कार्यकाल को बढ़ाया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ नड्डा के नजदीकी  रिश्ते रहे हैं. मोदी जब हिमाचल के प्रभारी हुआ करते थे तब से दोनों के बीच अच्छे समीकरण रहे हैं. दोनों अशोक रोड स्थित बीजेपी मुख्यालय में बने आउट हाउस में रहते थे. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय भी संभाला.
कई राज्यों के चुनाव प्रभारी रहे नड्डा
अपने राजनीतिक करियर में जेपी नड्डा जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, केरल, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के प्रभारी और चुनाव प्रभारी रहे. बीजेपी में उनका कद लगातार बढ़ता रहा. उन्हें बीजेपी की निर्णय लेने वाली सबसे बड़ी संस्था बीजेपी संसदीय बोर्ड का सदस्य बनाया गया. यही नहीं, वे बीजेपी के केंद्रीय इलेक्शन कमेटी के सदस्य भी बने.अमित शाह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में नड्डा को यूपी का जिम्मा सौंपा यहां पर उन्होंने गुजरात बीजेपी के नेता गोवर्धन झड़पिया के साथ काम किया और पार्टी को 50 फीसदी से ज्यादा वोट और 64 सीटें दिलाईं.

अगर शाहीन बाग में चल रहे धरने का समर्थन करने वाला हर शख्स और हर दल सवालों के घेरे में है। संविधान बचाने के नाम पर उस कानून का हिंसक विरोध जिसे संविधान संशोधन द्वारा खुद संसद ने ही बहुमत से पारित किया हो क्या संविधान सम्मत है ?

सीएए को कानून बने एक माह से ऊपर हो चुका है लेकिन विपक्ष द्वारा इसका विरोध अनवरत जारी है। बल्कि गुजरते समय के साथ विपक्ष का यह विरोध "विरोध" की सीमाओं को लांघ कर हताशा और निराशा से होता हुआ अब विद्रोह का रूप अख्तियार कर चुका है। शाहीन बाग का धरना इसी बात का उदाहरण है। अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए ये दल किस हद तक जा सकते हैं यह धरना इस बात का भी प्रमाण है। दरअसल नोएडा और दिल्ली को जोड़ने वाली इस सड़क पर लगभग एक महीने से चल रहे धरने के कारण लाखों लोग परेशान हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी सड़क पर इस प्रकार से धरने पर बैठे हैं कि लोगों के लिए वहाँ से पैदल निकलना भी दूभर है। लोग अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज पा रहे, स्थानीय लोगों का व्यापार ठप्प हो गया है, रास्ता बंद हो जाने के कारण आधे घंटे की दूरी तीन चार घंटों में तय हो रही है जिससे नौकरी पेशा लोगों का अपने कार्यस्थल तक पहुंचने में असाधारण समय बर्बाद हो रहा है। जाहिर है इससे गाड़ियों में ईंधन की खपत भी बढ़ गई है जो निश्चित ही पहले से प्रदूषित दिल्ली की हवा में और जहर घोलेगी।
 
जो राजनैतिक दल इस धरने को खुलकर अपना समर्थन दे रहे हैं और इन आंदोलनरत लोगों के जोश को बरकरार रखने के लिए यहाँ बारी बारी से अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि हवा का यह ज़हर कहीं देश की फ़िज़ाओं में भी ना घुल जाए। क्योंकि हाल ही में बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख ने एक वीडियो साझा किया है जिसमें एक युवक यह कह रहा है कि यहाँ पर महिलाओं को धरने में बैठने के पांच सौ से लेकर सात सौ रुपये तक दिए जा रहे हैं। यह महिलाएं शिफ्ट में काम कर रही हैं और एक निश्चित संख्या में अपनी मौजूदगी सुनिश्चित रखती हैं। इतना ही नहीं उस युवक का यह भी कहना है कि वहाँ की दुकानों के किराए भी मकान मालिकों द्वारा माफ कर दिए गए हैं। इस वीडियो की सत्यता की जांच गंभीरता से की जानी चाहिए क्योंकि अगर इस युवक द्वारा कही गई बातों में जरा भी सच्चाई है तो निश्चित ही विपक्ष की भूमिका संदेह के घेरे में है। क्योंकि सवाल तो बहुत उठ रहे हैं कि इतने दिनों तक जो लोग धरने पर बैठे हैं इन लोगों का खर्चा कैसे चल रहा है। जो खाना पीना धरना स्थल पर उपलब्ध कराया जा रहा है वो कहाँ से आ रहा है। यह जानना भी रोचक होगा कि इस वीडियो के वायरल होते ही यह खबर भी आई कि सिख समुदाय ने धरना स्थल पर लंगर की व्यवस्था शुरू कर दी है। यह इत्तेफाक है या सुनियोजित रणनीति का हिस्सा यह तो जांच का विषय है।

दरअसल विपक्ष आज बेबस है क्योंकि उसके हाथों से चीज़ें फिसलती जा रही हैं। जिस तेजी और सरलता से मौजूदा सरकार इस देश के सालों पुराने उलझे हुए मुद्दे, जिन पर बात करना भी विवादों को आमंत्रित करता था, सुलझाती जा रही है, विपक्ष खुद को मुद्दाविहीन पा रहा है। और तो और वर्तमान सरकार की कूटनीति के चलते संसद में विपक्ष की राजनीति भी नहीं चल पा रही जिससे वो खुद को अस्तित्व विहीन भी पा रहा है शायद इसलिए अब वो अपनी राजनीति सड़कों पर ले आया है। खेद का विषय है कि अपनी राजनीति चमकाने के लिए अभी तक विपक्ष आम आदमी और छात्रों का सहारा लेता था लेकिन अब वो महिलाओं को मोहरा बना रहा है। जी हाँ इस देश की मुस्लिम महिलाएँ और बच्चे अब विपक्ष का नया हथियार हैं क्योंकि शाहीन बाग का मोर्चा महिलाओं के ही हाथ में है।
 
अगर शाहीन बाग का धरना वाकई में प्रायोजित है तो इस धरने का समर्थन करने वाला हर शख्स और हर दल सवालों के घेरे में है। संविधान बचाने के नाम पर उस कानून का हिंसक विरोध जिसे संविधान संशोधन द्वारा खुद संसद ने ही बहुमत से पारित किया हो क्या संविधान सम्मत है ? जो लड़ाई आप संसद में हार गए उसे महिलाओं और बच्चों को मोहरा बनाकर सड़क पर लाकर जीतने की कोशिश करना किस संविधान में लिखा है ? लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनी हुई सरकार के काम में बाधा उत्पन्न करना लोकतंत्र की किस परिभाषा में लिखा है ? संसद द्वारा बनाए गए कानून का अनुपालन हर राज्य का कर्तव्य है, अनुच्छेद 245 से 255 संविधान में उल्लिखित होने के बावजूद विभिन्न राज्यों में विपक्ष की सरकारों का इसे लागू नहीं करना या फिर केरल सरकार का इसके खिलाफ न्यायालय में ही चले जाना क्या संविधान का सम्मान है ? जो लोग महीने भर तक रास्ता रोकना अपना संवैधानिक अधिकार मानते हैं उनका उन लोगों के संवैधानिक अधिकारों के विषय में क्या कहना है जो लोग उनके इस धरने से परेशान हो रहे हैं ? अपने अधिकारों की रक्षा करने में दूसरों के अधिकारों का हनन करना किस संविधान में लिखा है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न उन मुस्लिम महिलाओं से जो धरने पर बैठी हैं। आज जिस कांग्रेस के मणिशंकर अय्यर, शशि थरूर जैसे नेताओं का भाषण उनमें जोश भर रहा है उसी कांग्रेस की सरकार ने शाहबानो के हक में आए न्यायालय के फैसले को संसद में उलट कर शाहबानो ही नहीं हर मुस्लिम महिला के जीवन में अंधेरा कर दिया था। यह दुर्भाग्यजनक ही है कि वर्तमान सरकार की नीतियों के कारण तीन तलाक से छुटकारा पाने वाले समुदाय की महिलाएँ उस विपक्ष के साथ खड़ी हैं जो एक राजनैतिक दल के नाते आज तक उन्हें केवल वोटबैंक समझ कर उनका उपयोग करता रहा और आज भी कर रहा है।

चूंकि 2016 के बाद अपने परिसर में विभिन्न देशविरोधी गतिविधियों के सार्वजनिक होने के चलते जेएनयू अब बेनकाब हो चुका है और वहाँ का छात्र आंदोलन राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में प्रभाव छोड़ने के बजाए खुद ही विवादों में आ जाता है। इसलिए विपक्ष ने अब महिलाओं को अपना मोहरा बनाया है। क्योंकि मोदी सरकार की नीतियों ने वोटबैंक की राजनीति पर जबरदस्त प्रहार किया है और जो थोड़ी बहुत मुस्लिम दलित का वोटबैंक बचा भी है तो उसमें कंपीटिशन बहुत हो गया है क्योंकि भाजपा को छोड़ लगभग समूचा विपक्ष ही उसे साधने में लगा है। इसलिए उसने विश्व इतिहास पर नज़र डाली और महिला आंदोलन की कुंजी खोजी जिसका इस्तेमाल वो सबरीमाला मंदिर के संदर्भ में भी कर चुका था। यह अब मुस्लिम महिलाओं के सोचने का विषय है कि वे किसी दल के राजनैतिक हथियार के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहती हैं जिसका केवल देश विरोध में उपयोग किया जाता है या फिर इस देश के उस जागरूक नागरिक के रूप में जो देश निर्माण में अपना योगदान देता है और जो केवल सम्मान का पात्र होता है।
 
-डॉ. नीलम महेंद्र
(लेखिका वरिष्ठ स्तंभकार हैं।)

नई दिल्ली/देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भेंट कर वर्ष 2021 में हरिद्वार में होने वाले महाकुम्भ की तैयारियों की जानकारी दी। कुम्भ मेले के कुशल प्रबन्धन के लिए जनवरी 2021 से अप्रैल 2021 के मध्य चलने वाले महाकुम्भ के सफल संचालन हेतु लगभग एक हजार करोड़ रूपए से अधिक के कार्य किये जायेंगे। मुख्यमंत्री ने राज्य के सीमित संसाधनों को देखते हुए केन्द्र सरकार से आर्थिक सहयोग का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में हरिद्वार में आयोजित कुम्भ मेले में देश-विदेश से 8 करोड़ श्रद्धालु आए थे। 2021 में होने जा रहे कुम्भ मेले में 15 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की सम्भावना है। इतनी बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए वृहद स्तर पर स्थाई व अस्थाई सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। कुम्भ क्षेत्र का विस्तार किया जा रहा है। अवस्थापना संबंधी कार्यों जैसे सड़क, विद्युत, पेयजल आपूर्ति, कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने, चिकित्सा सुविधा, स्वच्छता व कूड़ा निस्तारण, आवासीय व पार्किंग व्यवस्था व कुम्भ मेला क्षेत्र के विस्तार का काम किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ भेंट के दौरान मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने केदारनाथ पुनर्निर्माण के कार्यों की जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि केदारनाथ का निर्माण कार्य मिशन मोड पर किया जाए। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने प्रधानमंत्री को जानकारी दी कि बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री एवं उनके निकटवर्ती प्रमुख मंदिरों के लिए राज्य में देवस्थानम बोर्ड बनाया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सीमांत क्षेत्र के गांवों में आजीविका एवं बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना शुरू की जा रही है। इसके लिए उन्होंने केन्द्र सरकार से विशेष पैकेज दिए जाने का अनुरोध किया। प्रदेश के सीमान्त क्षेत्रों से पलायन रोकने के लिए राज्य सरकार हर सम्भव प्रयास कर रही है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अप्रैल 2020 में होने वाले ‘वैलनेस समिट’ के शुभारम्भ के लिए अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 305 वैलनेस सेंटर का कार्य पूर्ण हो चुका है। सभी 462 वैलनेस सेंटर मार्च 2020 तक पूर्ण कर लिये जायेंगे। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि देश का सबसे बड़ा मोटर केबल पुल डोबरा चांटी  का कार्य पूर्ण हो चुका है। इस पुल के लोकार्पण के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री से भेंट के दौरान मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि नमामि गंगे के तहत सीवरेज ट्रीटमेंट प्रोजक्ट एवं अन्य स्वीकृत कार्य नवम्बर 2020 तक पूर्ण हो जायेंगे। श्रम सुधार की दिशा में राज्य सरकार द्वारा अनेक प्रयास किये गये हैं। राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों पर संतोष व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रदेश में वित्तीय संसाधन बढ़ाने के लिए जीएसटी कलेक्शन की दिशा में विशेष प्रयास किये जायें। मुख्यमंत्री रावत ने प्रधानमंत्री को जानकारी दी कि उत्तराखण्ड में इंवेस्टर्स समिट 2018 के बाद अभी तक 19 हजार करोड़ रूपए के निवेश की ग्राउडिंग हो चुकी है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 300 मेगावाट की लखवाड़ विद्युत परियोजना की भारत सरकार से मंजूरी हेतु अनुरोध किया, साथ ही यमुना की अविरलता एवं प्रवाह के सम्बन्ध में भी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रधानमंत्री को बताया कि नीति आयोग द्वारा वर्ष 2019 में दी गयी गवर्नेंस इंडेक्स में उत्तराखण्ड को अच्छी रैंकिंग मिली है। कामर्स एवं इंडस्ट्री के क्षेत्र में उत्तराखण्ड को हिमालयी राज्यों में प्रथम व देश में 9 वीं रैंक मिली है, मानव संसाधन विकास में हिमालयी राज्यों में द्वितीय एवं देश में 6वीं रैंक मिली है। पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर में हिमालयी राज्यों में प्रथम एवं देश में 10वीं रैंक मिली है, ईकॉनामिक गवर्नेंस में हिमालयी राज्यों में प्रथम एवं देश में द्वितीय रैंक मिली है, जबकि नीति आयोग की समग्र रैंकिंग में उत्तराखण्ड को हिमालयी राज्यों में द्वितीय एवं देश में 10वां स्थान मिला है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री श्री मोदी को ऑल वेदर रोड एवं ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन की कार्य प्रगति की जानकारी भी दी, जिस पर प्रधानमंत्री ने संतोष व्यक्त किया।

कई राज्यों के नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर विरोध के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा है कि कोई भी राज्य इसे लागू करने से इनकार नहीं कर सकता। ऐसा करना संविधान के खिलाफ होगा।
केरल, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने सीएए के अलावा राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीकरण (एनपीआर) का विरोध किया है। केरल सरकार ने तो सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया है।
मगर पूर्व कानून एवं न्याय मंत्री व जाने-माने वकील कपिल सिब्बल ने दो टूक कह दिया कि राज्यों के पास इसे लागू नहीं करने का अधिकार नहीं है। केरल साहित्य उत्सव के दौरान सिब्बल ने कहा, 'जब सीएए पारित हो चुका है तो कोई भी राज्य यह नहीं कह सकता कि मैं उसे लागू नहीं करूंगा। यह संभव नहीं है और असंवैधानिक है।' उन्होंने आगे कहा, 'आप उसका विरोध कर सकते हैं। विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं। केंद्र सरकार से कानून वापस लेने की मांग कर सकते हैं। मगर संवैधानिक रूप से यह नहीं कह सकते कि राज्य इसे लागू नहीं करेंगे। ऐसा करने से ज्यादा समस्याएं पैदा होंगी।'
कपिल सिब्बल ने कहा कि राज्यों का कहना है कि वे राज्य के अधिकारियों को भारत संघ के साथ सहयोग नहीं करने देंगे। आखिर वे ऐसा कैसा करेंगे? उन्होंने कहा, 'एनआरसी, एनपीआर पर आधारित है और एनपीआर को स्थानीय रजिस्ट्रार लागू करेंगे। अब गणना जिस समुदाय में होनी है वहां से स्थानीय रजिस्ट्रार नियुक्त किए जाने हैं और वे राज्य स्तर के अधिकारी होंगे।'
सिब्बल ने कहा कि व्यावहारिक तौर पर ऐसा कैसे संभव है, यह उन्हें नहीं पता लेकिन संवैधानिक रूप से किसी राज्य सरकार द्वारा यह कहना बहुत कठिन है कि वह संसद द्वारा पारित कानून लागू नहीं करेगी।
सीएए के विरोध में राष्ट्रव्यापी आंदोलन को कपिल सिब्बल ने नेता और भारत के लोगों के बीच लड़ाई करार दिया। उन्होंने कहा कि भगवान का शुक्र है कि देश के 'छात्र, गरीब और मध्य वर्ग' आंदोलन को आगे ले जा रहे हैं न कि कोई राजनीतिक दल।

कांग्रेस के दो बड़े नेताओं ने CAA पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के बयान का समर्थन किया है. आरिफ मोहम्मद खान ने कहा था कि नागरिकता का मुद्दा केंद्र के अधीन आता है और CAA को लागू करने के अलावा राज्य सरकारों के पास कोई चारा नहीं है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल, जयराम रमेश ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के इस विचार से सहमति जताई है.
कपिल सिब्बल ने शनिवार को कहा था कि संसद से पारित हो चुके नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने से कोई भी राज्य किसी भी तरह से इनकार नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि अगर कोई राज्य ऐसा करता है तो असंवैधानिक होगा. अब पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने भी ऐसा ही बयान दिया है. इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि जो राज्य ये कह रहे हैं कि वे अपने प्रदेश में CAA लागू नहीं करेंगे, अदालत में उनका ये तर्क टिक पाएगा या नहीं इस बारे में वे सौ फीसदी इत्मीनान नहीं है.
CAA के खिलाफ दो राज्य पास कर चुके हैं प्रस्ताव
बता दें कि CAA के खिलाफ दो राज्य प्रस्ताव कर चुके हैं. केरल की लेफ्ट सरकार ने 31 दिसंबर को विधानसभा में एक प्रस्ताव पास कर इस कानून को वापस लेने की मांग की है और अपने राज्य में इसे नहीं लागू करने का फैसला किया है. केरल सरकार इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी गई है.
17 जनवरी को पंजाब की कांग्रेस सरकार ने भी विधानसभा में प्रस्ताव किया और इस कानून को वापस लेने की मांग की. इसी के साथ ही पंजाब CAA के खिलाफ प्रस्ताव पास करने वाला दूसरा राज्य बन गया. विधानसभा में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि उनकी सरकार भेदभाव करने वाले कानून को राज्य में लागू नहीं करेगी.   
पहले सिब्बल, अब जयराम रमेश
केरल के कोझिकोड में पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने CAA से जुड़ी कानूनी बारिकियों को समझाते हुए कहा कि जब CAA संसद से पारित हो चुका है तो कोई भी राज्य सरकार यह नहीं कह सकती है कि वो उसे लागू नहीं करेगा. यह संभव नहीं है और असंवैधानिक है. आप CAA का विरोध कर सकते हैं, विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और केंद्र से कानून वापस लेने की मांग कर सकते हैं. लेकिन संवैधानिक रूप से यह कहना कि इसे लागू नहीं किया जाएगा, समस्याएं पैदा कर सकता है.
जयराम रमेश ने भी ऐसा ही बयान देते हुए कहा कि उन्हें नहीं लगता कि जो राज्य CAA को अपने यहां लागू नहीं करने की बात कह रहे हैं वो न्यायिक प्रक्रिया का सामना कर पाएंगे. उन्होंने कहा, "मैं उतना निश्चित नहीं हूं कि जो राज्य सरकारें ये कह रही है कि वे ये कानून लागू नहीं करेंगे उनका पक्ष कोर्ट में कितना सुना जाएगा, मुझे पता है कि केरल सरकार ने एक प्रस्ताव पास किया है, लेकिन ये एक राजनीतिक प्रस्ताव है ये न्यायिक प्रक्रिया का कितना सामना कर पाएगा इस बारे में मैं 100 फीसदी सुनिश्चित नहीं हूं."
आगे उन्होंने कहा कि CAA संविधान की कुछ धाराओं का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है. संवैधानिक रूप से यह बहुत स्पष्ट है लेकिन राज्य की एक विधानसभा ये प्रस्ताव पास करे कि वो CAA लागू नहीं करेगी संवैधानिक मानकों पर खरा उतरेगी या नहीं, इसके बारे में वे इत्मीनान नहीं हैं." बता दें कि कांग्रेस CAA का लगातार विरोध कर रही है और इसे संविधान का उल्लंघन बता रही है.
 

दिल्ली 8 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 54 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। इसमें कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए दो विधायकों को टिकट दिया है। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पोते आदर्श शास्त्री हैं जिन्हें कांग्रेस ने द्वारका से टिकट दिया है। आपको बता दें कि आदर्श शास्त्री ने 2015 के चुनाव में 59.08 फीसदी वोट पाकर जीते थे। वहीं आप की विधायक अलका लांबा को चांदनी चौक से टिकट दिया है। कांग्रेस ने पहली लिस्ट में 10 महिलाओं को टिकट दिया है।
13 हारे हुए उम्मीदवारों पर फिर लगाया दांव
2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 70 में से 67 सीटें जीती थीं। वहीं बीजेपी को तीन सीटों पर जीत हासिल हुई थी और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल पाया था। विधानसभा चुनाव के लिए जारी पहली लिस्ट में कांग्रेस ने 13 ऐसे उम्मीदवारों को दोबारा टिकट दिया है जो पिछले विधानसभा चुनाव में हार गए थे। इसमें वीर सिंह धिंगान, राजेश लिलोटिया, अरविंद सिंह लवली और हारून यूसुफ जैसे नाम शामिल हैं।
कांग्रेस का दोबारा थामने वालों को मिला टिकट
कांग्रेस ने तीन ऐसे नेताओं को भी टिकट दिया है जो कांग्रेस छोड़कर दूसरी पार्टी में गए थे और दोबारा पार्टी में लौटे हैं। इसमें बीजेपी गई कृष्णा तीरथ, आप में गई अलका लांबा और बीजेपी में गए अरविंदर सिंह लवली को टिकट दिया है।
पत्नी और बेटियों को मिला
इतना ही नहीं कांग्रेस ने कई नेताओं की पत्नी और बेटियों को भी टिकट दिया है जिसमें दिल्ली कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के चेयरमैन कीर्ति आजाद की पत्नी पूनम आजाद को संगम विहार से टिकट दिया है। सुभाष चोपड़ा की बेटी शिवानी चोपड़ा को कालकाजी, मॉडल टाउन से पूर्व विधायक रहे कुंवर करण सिंह की बेटी आकांक्षा ओला को भी उम्मीदवार बनाया है।
यहां जानिए किसे कहां से मिला टिकट:-
1- नरेला सीट-  सिद्धार्थ कुंडु
2- तिमारपुर सीट-  अमर लता सांगवान
3- आदर्श नगर सीट-  मुकेश गोयल
4- बादली सीट- देवेंद्र यादव
5- रिठाला सीट-  प्रदीप कुमार पांडेय
6- बवाना सीट- सुरेंद्र कुमार
7- मुंडका सीट- डॉ नरेश कुमार
8- सुल्तानपुर मजरा सीट- जय किशन
9- नांगलोई जट सीट- मंदीप सिंह
10- मंगोलपुरी सीट- राजेश लिलोतिया
11- रोहिणी सीट- सुमेष गुप्ता
12- शालिमारबाग सीट-  जेएस नयोल
13- शकुर बस्ती सीट- देवराज अरोड़ा
14- त्रिनगर सीट- कमल कांत शर्मा
15- वजीरपुर सीट- हरि कृष्ण जिंदल
16- मॉडल टाउन सीट- अकांक्षा ओला
17- सदर बाजार सीट- सतबीर शर्मा
18-चांदनी चौक सीट- अलका लांबा
19- मटिया महल सीट- मिर्जा जावेद अली
20- बल्लिमारन सीट- हारून युसूफ
21- करोल बाग सीट- गौरव धनक
22- पटेल नगर सीट- कृष्णा तिरथ
23-मोती नगर सीट- रमेश कुमार पोपली
24- राजौरी गार्डन सीट- अमनदीप सिंह सुदान
25- हरि नगर सीट- सुरेदर सेठी
26- जनकपुरी सीट- राधिका खेड़ा
27- द्वारका सीट- आदर्शन शास्त्री
28- मटियाला सीट- सुमेष शोकीन
29- नजफगढ़ सीट- साहिब सिंह यादव
30- दिल्ली कैंट सीट- संदीप तंवर
31- जंगपुरा सीट- तलविंदर सिंह मारवाह
32- कस्तूरबा नगर सीट- अभिषेक दत्त
33- मालवीय नगर सीट- नीतू शर्मा
34- आरके पुरम सीट- प्रियंका सिंह
35- छत्तरपुर सीट- सतीश लोहिया
36- देवली सीट- अरविंदर सिंह
37- अंबेडकर नगर सीट- यदुराज चौधरी
38- संगम विहार सीट- पूनम आजाद
39- ग्रेटर कैलाश सीट- सुखबीर सिंह पवार
40- कालकाजी सीट- शिवानी चौपड़ा
41- तुगलकाबाद सीट- शुबम शर्मा
42- त्रिलोकपुरी सीट- विजय कुमार
43- पटपड़गंज सीट- लक्ष्मण रावत
44- लक्ष्मी नगर सीट- हरिदत्त शर्मा
45-विश्वास नगर सीट- गुरुचरन सिंह राजू
46-कृष्णा नगर सीट- डॉ अशोक कुमार वालिया
47- गांधी नगर सीट- अरविंदर सिंह लवली
48- शाहदरा सीट- नरेंद्र नाथ
49- सीमापुरी सीट- वीर सिंह
50- रोहतास नगर सीट- विपिन शर्मा
51- सीलमपुर सीट- मतीन अहमद
52- बाबरपुर सीट- अनविक्ष त्रिपाठी
53- गोकलपुर सीट- डॉ एसपी सिंह
54- मुस्तफाबाद सीट- अली मेहंदी

नई दिल्ली,कभी आम आदमी पार्टी (आप) सरकार में दिल्ली के मंत्री और सीएम अरविंद केजरीवाल के करीबी रहे कपिल मिश्रा इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं। बीजेपी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन्हें मॉडल टाउन से टिकट दिया है। 2017 में अचानक मंत्री पद से हटाए जाने के बाद बागी हुए कपिल मिश्रा अरविंद केजरीवाल के खिलाफ हमलावर रहे हैं। टीवी से ट्वीटर तक वह केजरीवाल सरकार को घेरते रहे और पिछले साल अगस्त में बीजेपी में शामिल हो गए।

कपिल मिश्रा ने 2015 विधानसभा चुनाव में वह करावल नगर से आप की टिकट पर जीते थे और बीजेपी के मोहन सिंह बिष्ट को 44 हजार से अधिक वोटों से हराया था। उधर, टिकट मिलने पर कपिल ने बीजेपी का आभार जताया। उन्होंने ट्वीट किया, 'मॉडल टाउन से प्रत्याशी बनाए जाने पर प्रकाश जावड़ेकर जी, मनोज तिवारी जी हृदय से आभार। मॉडल टाउन के देव दुर्लभ कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर मॉडल टाउन की सीट मोदी जी को जिताकर देंगे।'


आप सरकार में जल संसाधन मंत्री रहे कपिल को उस वक्त पद से हटा दिया गया था जब उन्होंने सीएम अरविंद केजरीवाल और मंत्री सत्येंद्र जैन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। इसके बाद उन्होंने आप सरकार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए थे। इसके बाद उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया था। उन्होंने केजरीवाल पर 400 करोड़ रुपये के कथित टैंकर घोटाले की जांच में देरी के आरोप लगाए थे। उधर, दल-बदल विरोधी कानून के तहत 2 अगस्त 2019 को कपिल को विधानसभा से निष्कासित कर दिया गया था। इसके बाद 17 अगस्त को बीजेपी जॉइन कर ली थी।

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