राजनीति

राजनीति (6705)

कोलकाता. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) पर 17 जनवरी को केंद्र सरकार की बैठक में शामिल नहीं होंगी। उन्होंने बुधवार को एक रैली में कहा कि मैं और मेरी सरकार का कोई प्रतिनिधि इस मीटिंग के लिए दिल्ली नहीं जाएगा। ममता ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को चुनौती देते हुए कहा कि वे केंद्र के निर्देशों पर तृणमूल सरकार गिराकर दिखाएं। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कोलकाता दौरे पर ममता ने उनसे एनपीआर, सीएए और एनआरसी पर दोबारा विचार करने की मांग की थी।

मुख्यमंत्री ममता ने कहा, ‘‘कोलकाता में केंद्र सरकार के एक नुमाइंदा (राज्यपाल जगदीप धनखड़) हैं। बैठक में नहीं जाने पर वे बंगाल सरकार को बर्खास्त करने की बात भी कह सकते हैं। उन्हें जो करना है करें, मैं इस पर ध्यान नहीं देती। लेकिन मैं बंगाल में नागरिकता कानून (सीएए), एनआरसी और एनपीआर लागू नहीं होने दूंगी।’’

‘कांग्रेस और वाम दल बंगाल में अफवाह फैला रहे’

ममता ने एनपीआर को लेकर कांग्रेस और वाम दलों पर अफवाह फैलाने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री बोलीं- दोनों दल कह रहे हैं कि बंगाल में इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह पूरी तरह से झूठ है। हमने एनपीआर अपडेशन पर पिछले महीने ही रोक लगा दी थी। मैं शुरुआत से ही इसके खिलाफ हूं। लोगों को भरोसा दिलाती हूं कि राज्य में ऐसे कानूनों को लागू नहीं होने दूंगी, जिससे लोगों के अधिकार प्रभावित हों।

सीएए पर कांग्रेस की बैठक में भी शामिल नहीं हुई थीं

तृणमूल सुप्रीमो ने सीएए पर कांग्रेस की बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 13 जनवरी को दिल्ली में विपक्षी दलों की मीटिंग बुलाई थी। उन्होंने बंद के दौरान बंगाल में हुई हिंसा के लिए कांग्रेस और वाम दलों को जिम्मेदार ठहराया था। ममता ने कहा था कि बंद के दौरान जैसी हरकतें हुईं, इसी वजह से मैंने कांग्रेस की बैठक में नहीं जाने का फैसला किया।

नई दिल्ली. विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) समिट के लिए आठों सदस्य देशों के प्रमुखों को न्योता भेजा जाएगा। इसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी शामिल हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि हम सबको बुलाएंगे। आगे क्या होगा, यह इस समय मेरे लिए बता पाना मुश्किल है। एससीओ समिट इस साल के अंत में भारत में होनी है।

पिछले दो साल से पुलवामा हमला, सर्जिकल स्ट्राइक और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव बरकरार है।

4 ऑब्जर्वर और अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों को भी न्योता देंगे
रवीश कुमार ने कहा- यह अब सभी की जानकारी में है कि भारत इस साल होने वाली एससीओ समिट की मेजबानी करेगा। प्रधानमंत्री के स्तर पर इस मुद्दे पर बैठक की जा चुकी है। इस दौरान विभिन्न आर्थिक मसलों को लेकर एससीओ प्रोग्राम पर चर्चा की गई। स्थापित प्रक्रिया के तहत एससीओ के 8 सदस्य देशों, चार ऑब्जर्वर और अन्य अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों को न्योता भेजा जाएगा।

2017 में एससीओ का पूर्णकालिक सदस्य बना भारत
भारत और पाकिस्तान को एससीओ के पूर्णकालिक सदस्यों के तौर पर एससीओ में 2017 में शामिल किया गया था। इसके बाद भारत में होने वाली पहली 8 सदस्यीय उच्चस्तरीय बैठक है। भारत और पाकिस्तान के अलावा एससीओ के सदस्य देशों में चीन, कजाखस्तान, रूस, ताजकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं।

अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने के बाद तनाव बढ़ा

5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए को निष्प्रभावी कर दिया था। इसके बाद पाकिस्तान सरकार ने भारत के साथ व्यापारिक और राजनयिक रिश्तों को बेहद कमजोर कर दिया था। इसके बाद भारत-पाकिस्तान की जम्मू-कश्मीर सीमा पर तनाव बढ़ गया था। भारतीय सेना ने सीमा पर सैन्य बल भी बढ़ा दिया था।

फिलहाल लखनऊ और नोएडा में कुछ दाण्डिक ताकतों का प्रयोग अब डीएम की जगह पुलिस कमिश्नर करेंगे। वे दंगा, बलवा या शान्ति भंग की मैदानी स्थिति में धारा 144 के लिए डीएम के मोहताज नहीं होंगे। धारा 151, 107, 116, 109, 110 के तहत अपराधियों की जमानत लेंगे।

 

नोएडा और लखनऊ में आरम्भ की गई पुलिस आयुक्त प्रणाली के बहाने देश के आईपीएस संवर्ग के समक्ष पुलिस की जनोन्मुखी छवि बनाने की चुनौती भी है। भारत में परम्परागत और स्वाभाविक प्रशासक कही जाने वाली आईएएस बिरादरी के इस मिथक को भी तोड़ने का सुनहरा अवसर है कि वही एकमात्र प्रशासक वर्ग है। लोगों के बीच भय और कतिपय डरावने धरातल पर खड़ी भारत की पुलिस भी प्रशासन में सक्षमता और संवेदनशीलता के साथ नागरिकों के लिए उपलब्ध है। इस तथ्य को साबित करने की जवाबदेही भी उन आईपीएस अफसरों के कंधों पर है जो मामूली अंकों से आईएएस नहीं बन पाते हैं। बेहतर होगा नोएडा और लखनऊ के पुलिस कमिश्नर ऐसी मिसाल प्रस्तुत करें कि भारत में पुलिस की डरावनी और कतिपय संगठित गुंडों की छवि पर पूर्ण विराम लग जाए।
 
 
यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की इस बात के लिए सराहना की जाना चाहिए कि उन्होंने भारतीय शासन तंत्र के सबसे ताकतवर दबाव को दरकिनार कर लखनऊ और नोएडा जैसे महानगरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू कर दी है। देश के इन दो महत्वपूर्ण शहरों में अब पुलिस कमिश्नर होंगे इससे पहले 15 राज्यों के 71 शहरों में यह सिस्टम काम कर रहा है। इसलिये कहा जा सकता है कि इस निर्णय में नया क्या है ? असल में पुलिस कमिश्नर प्रणाली भारत में सबसे ताकतवर कही जाने वाले आईएएस बिरादरी के परम्परागत और सामन्ती प्रभुत्व को चुनौती देने वाली प्रशासनिक प्रक्रिया है। पूरी दुनिया में भारत की आईएएस बिरादरी को सबसे ताकतवर, जड़ और परम्परागत माना जाता है। आजाद "भारत में शासन और राजनीति" का अनुभव इस मान्यता को स्वयंसिद्ध करता है। वस्तुतः यह सामान्य धारणा है कि आईएएस ही भारत को चलाते हैं। ऐसे में योगी आदित्यनाथ योगी ने मुख्यमंत्री के रूप में इस लॉबी के अधिकारों को सीमित करने और उन्हें आईपीएस संवर्ग में हस्तांतरित कर बिरली राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया है। इस प्रणाली को रोकने के लिए आईएएस लॉबी हर राज्य में समवेत होकर सक्रिय हो जाती है।
 
इसी उत्तर प्रदेश में 40 साल पहले 1979 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रामनरेश यादव ने कानपुर शहर के लिए पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की थी लेकिन तबके पुलिस कमिश्नर को कानपुर पहुँचते ही वापस बुला लिया गया था क्योंकि मुख्यमंत्री पर लखनऊ में आईएएस लॉबी ने इतना दबाव बना दिया था कि उन्हें मजबूर होकर कमिश्नर नियुक्त किये गए श्री त्रिपाठी को फ़ोन लगाकर ज्वाइनिंग से पहले ही वापस बुलाना पड़ा।  मायावती को अफ़सरशाही के विरुद्ध सख्त मिजाज सीएम गिना जाता है लेकिन वह भी इस मामले में निर्णय नहीं कर सकीं। अखिलेश यादव ने अपने कार्यकाल के अंतिम दौर में इस आशय के प्रस्ताव को आगे बढ़ाने की कोशिशें की थी। लेकिन वह भी सफल नहीं हुए। ऐसे में यूपी के मौजूदा सीएम ने इस बड़े नीतिगत निर्णय को अमल में लाकर निःसंदेह आईएएस लॉबी को हद में समेटने का काम किया है। असल में अभी तक का अनुभव भी इस मामले में आईएएस की असीम ताकत और मनमर्जी की तस्दीक करते हैं। मप्र के ताकतवर सीएम रहे दिग्विजय सिंह ने 14 मई 2001 को प्रदेश के दो बड़े शहर इंदौर और भोपाल में  पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की घोषणा की लेकिन वह ढाई साल तक इसे लागू नहीं कर पाए और 2003 में सत्ता से बाहर हो गए।
 
28 फरवरी 2012 को फिर से मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कमिश्नर सिस्टम लागू करने का ऐलान किया लेकिन अपने इस दूसरे कार्यकाल में वह इसे आगे नहीं बढ़ा पाए। तीसरे कार्यकाल में जनवरी 2018 में भी शिवराज सिंह ने इंदौर, भोपाल में नए पुलिस कमिश्नर की नियुक्ति की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। लेकिन शिवराज सरकार प्रदेश में ताकतवर आईएएस लॉबी के आगे लगातार घुटने टेकती रही। बहुमत और राजनीतिक ताकत के मामले में दिग्विजय सिंह और शिवराज सिंह प्रदेश के चुनौती शून्य सीएम थे। लेकिन दोनों की सरकारें आईएएस प्रभुत्व और वर्चस्व के लिये जानी जाती रहीं। नतीजतन मुख्यमंत्रियों की घोषणाए आईएएस की ताकत के आगे दफ्तरी डस्टबिन में समाती रही। हरियाणा में हुड्डा और ओडिशा में नवीन पटनायक के समक्ष भी ऐसी ही परिस्थितियां निर्मित हुईं। समझा जा सकता है कि हमारे तंत्र में आईएएस की ताकत किस व्यापकता से निर्वाचित निकाय को ऑक्टोपशी शिकंजे में जकड़े हुए है।
 
फिलहाल लखनऊ और नोएडा में कुछ दाण्डिक ताकतों का प्रयोग अब डीएम की जगह पुलिस कमिश्नर करेंगे। वे दंगा, बलवा या शान्ति भंग की मैदानी स्थिति में धारा 144 के लिए डीएम के मोहताज नहीं होंगे। धारा 151, 107, 116, 109, 110 के तहत अपराधियों की जमानत लेंगे। आर्म्स एक्ट, आबकारी, बिल्डिंग परमिशन जैसे काम भी खुद करेंगे। अफवाह तंत्र के विरुद्ध इंटरनेट शट डाउन के लिए भी वे खुद सक्षम होंगे। नोएडा इस समय भारत की मिनी आर्थिक राजधानी के बराबर है वहाँ कानून व्यवस्था वाकई संवेदनशील विषय है।
 
कमोबेश लखनऊ भी देश का सबसे प्राचीन और संवेदनशील शहर है। भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 कानून व्यवस्था के कुछ मामलों को विनियमित करने की शक्तियां डीएम को देता है जो कि पहले आईसीएस हुआ करते थर और अब आइएएस होते हैं। आईएएस अफसर अपनी दाण्डिक शक्तियों को एसडीएम के पास प्रत्यायोजित करते हैं। इसलिये जिलाबदर, गैंगस्टर जैसे मामलों में पुलिस की भूमिका नगण्य रहती है। इसे जिला बदर की कारवाई से समझा जा सकता है। किसी कुख्यात अपराधी का आतंक जब थाना क्षेत्र से निकल कर विस्तारित होने लगता है तब पुलिस ऐसे अपराधियों के विरुद्ध जिला बदर की कारवाई प्रस्तावित कर डीएम/कलेक्टर को भेजती है।
डीएम ऐसे प्रकरणों को अपने यहां दर्ज कर बाकायदा सुनवाई और पक्ष समर्थन की प्रक्रिया अपना कर एसपी के प्रस्ताव पर निर्णय करते हैं। अक्सर देखा गया है कि डीएम राजनीतिक या अन्य दबाव में आकर इन प्रकरणों को लंबे समय तक लटकाए रखते हैं। पुलिस कमिश्नर प्रणाली में यह अधिकार कलेक्टर्स से छिन जाते हैं और कमिश्नर जिला बदर और गैंगस्टर एक्ट में सीधे निर्णय करने लगते हैं। जिला बदर अपराधी नियत समयावधि तक न केवल गृह जिले बल्कि उसके सभी सीमावर्ती जिलों में नहीं रह सकता है। कमिश्नर कार्यक्षेत्र में ऑर्म्स लाइसेंस भी कलेक्टर नहीं कमिश्नर देते हैं अभी जिलों के एसपी कलेक्टर को अपनी सिफारिश भेजते हैं कि फलां व्यक्ति को हथियार लाइसेंस दिया जाए या नहीं। धरना प्रदर्शन के दौरान कानून और सुरक्षा व्यवस्था बनाने का काम पुलिस के जिम्मे रहता है लेकिन इनकी अनुमतियाँ संबंधित एसडीएम जारी करते हैं। कमिश्नर प्रणाली में यह अधिकार भी राजस्व अफसरों से छीन लिया जाता है। बड़े शहरों में यातायात को निर्बाध बनाने के लिए पुलिस को बड़ी मशक्कत करनी होती है अक्सर अतिक्रमणकारियों के आगे पुलिस लाचार नजर आती है। कमिश्नर सिस्टम के चलते नगर निगम प्रशासन को न्यायिक आदेश जारी करने के अधिकार पुलिस को मिल जाते हैं। पुलिस कमिश्नर जमीनों और अतिक्रमण के मामलों में भी पटवारियों या दूसरे मैदानी राजस्व कर्मियों को एक्जीक्यूटिव मैजिस्ट्रेट की तरह आदेश जारी करते हैं। जाहिर है यह आईएएस अफसरों की ताकत में आईपीएस की सेंधमारी है। इस सबके बावजूद यह भी ध्यान रखना होगा कि पुलिस और आम आदमी के रिश्ते आज भी भरोसे के नहीं भय के धरातल पर हैं। ऐसा न हो कि कमिश्नर सिस्टम इस भय को और बड़ा कर दे।
 
-डॉ. अजय खेमरिया

अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल के बशीरहाट में कांग्रेस की एक जनसभा में बोल रहे थे। इस दौरान अधीर रंजन ने कहा कि बीजेपी वाले उनका परिचय पाकिस्तानी के तौर पर करवाते हैं, आज मैं कहना चाहता हूं कि हां मैं, पाकिस्तानी हूं।

नागरिकता संशोधन कानू और एनआरसी के मुद्दे पर देशभर में धमासान मचा है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच इसको लेकर जुबानी जंग भी जारी है। अक्सर अपने बयानों से चर्चित रहने वाले लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी ने एक बार फिर से विवादित बयान दे दिया है। अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मैं पाकिस्तानी हूं, जो करना है कर लो।


दरअसल, चौधरी पश्चिम बंगाल के बशीरहाट में कांग्रेस की एक जनसभा में बोल रहे थे। इस दौरान अधीर रंजन ने कहा कि बीजेपी वाले उनका परिचय पाकिस्तानी के तौर पर करवाते हैं, आज मैं कहना चाहता हूं कि हां मैं, पाकिस्तानी हूं। इसके बाद कांग्रेस सांसद ने मोदी-शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि यहां पर हां को हां बोलना खतरे से खाली नहीं है। दिल्ली में बैठे लोग जो कहेंगे हमें मान लेना होगा, वर्ना हम देशद्रोही बन जाएंगे। ये देश नरेंद्र मोदी, अमित शाह के बाप का नहीं है।

प्रकाश जावड़ेकर ने निर्भया के दोषियों को फांसी के मामले में केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देश को झकझोरने वाले निर्भया केस के आरोपी आज तक फांसी पर नहीं लटके, इसका एकमात्र कारण दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार की लापरवाही है।

दिल्ली में विधानसभा चुनाव 8 फरवरी को हैं और ऐसे में तमाम दलों की ओर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पत्रकार वार्ता कर आज कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर जमकर निशाना साधा है। सिख दंगों पर आई रिपोर्ट पर कांग्रेस के आड़े हाथों लेते हुए जावड़ेकर ने कहा कि न्यायमूर्ति ढींगरा आयोग ने आज अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने खुलासा किया है कि 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए कांग्रेस ने कभी कोई नेतृत्व नहीं किया। इस रिपोर्ट में 2-3 बातें सामने आईं हैं। रिपोर्ट में मुख्य निष्कर्ष ये है कि इस नरसंहार की सही जांच हुई ही नहीं। जिसमें करीब 3,000 सिखों को जिंदा जलाया गया, घरों को लूटा गया, जलाया गया और तब के प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इसका समर्थन किया था। रिपोर्ट में एक उदाहरण देते हुए कहा है कि सुल्तानपुर में दंगों से संबंधित करीब 500 घटनाएं हुईं। इसमें सैकड़ों लोग मारे गए, घर जलाए गए, लूटपाट हुई। लेकिन 500 घटनाओं की सिर्फ एक ही एफआईआर हुई और एक एफआईआर की जांच के लिए सिर्फ एक ही कर्मचारी लगाया गया। उस समय के प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी ने हिंसा का समर्थन करते हुए कहा था कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती ही है।

इसके साथ ही जावड़ेकर ने निर्भया के दोषियों को फांसी के मामले में केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देश को झकझोरने वाले निर्भया केस के आरोपी आज तक फांसी पर नहीं लटके, इसका एकमात्र कारण दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार की लापरवाही है। उच्चतम न्यायालय ने उनकी अपील 2017 में ही खारिज कर दी थी और उन्हें फांसी की सजा दी थी। लेकिन एक प्रक्रिया के तहत तिहाड़ जेल प्रशासन दोषियों को एक नोटिस देता है कि अब आपको कोई दया याचिका या अपील दाख़िल करनी है तो कर लो, अन्यथा फांसी हो जाएगी। संजय राउत के इंदिरा गांधी और डान करीम लाला की मुलाकात वाले बयान पर जावड़ेकर ने कहा कि रोज-रोज ऐसे खुलासे होते रहेंगे। ये अवसरवादी गठबंधन है।

राउत ने हालांकि आज गुरुवार को अपने बयान को वापस ले लिया था। राउत ने कहा, अगर किसी को लगता है कि मेरे बयान से इंदिरा गांधी की छवि को नुकसान पहुंचा या किसी की भावनाएं आहत हुईं, तो मैं उसे वापस लेता हूं।

मुम्बई। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गैंगस्टर करीम लाला से मुलाकात की शिवसेना नेता संजय राउत की टिप्पणी को लेकर उठे विवाद के बीच महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस को ‘‘मुम्बई के अंडरवर्ल्ड से पैसा मिलता था?’’ भाजपा नेता देवेन्द्र फडणवीस ने यह सवाल भी किया कि क्या (उस समय) यह राज्य में ‘‘राजनीति के अपराधीकरण’’ की शुरुआत थी और क्या कांग्रेस ने मुम्बई में हमला करने वालों का ‘‘ साथ ’’ दिया था। भाजपा नेता ने कांग्रेस नेतृत्व से राउत के बयान पर सफाई मांगते हुए कहा कि उनकी पार्टी ऐसे ‘‘आरोपों’’ पर चुप क्यों है। उन्होंने कहा, ‘‘ संजय राउत ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बारे में एक बड़ा खुलासा किया। वह मुम्बई क्यों आती थी और क्या कांग्रेस को मुम्बई के अंडरवर्ल्ड से पैसा मिलता था? क्या यह राज्य में राजनीति के अपराधीकरण की शुरुआत थी?’’
 
पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी पूछा कि क्या उन दिनों कांग्रेस को चुनाव जीतने के लिए बाहुबल की जरूरत थी?  फडणवीस ने राउत को यह कहते हुए उद्धृत किया कि अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा शकील और दाऊद इब्राहिम तय करते थे कि ‘‘ पुलिस आयुक्त कौन होगा, साथ ही  मंत्रालय  (राज्य सचिवालय) में नियुक्ति भी..।’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, शीर्ष नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को इन सवालों के जवाब देने चाहिए। फडणवीस ने कहा, ‘‘ उनकी शीर्ष नेता पर ऐसे आरोप लगने के बाद भी कांग्रेस के नेतागण क्यों चुप है।’’ राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता ने पूछा, ‘‘ क्या कांग्रेस ने मुम्बई हमलों का समर्थन किया? कांग्रेस इस पर सफाई क्यों नहीं दे रही?’’

गौरतलब है कि पुणे में लोकमत मीडिया समूह के एक कार्यक्रम के दौरान दिए एक साक्षात्कार में राउत ने दावा किया था, ‘‘ जब (अंडरवर्ल्ड डॉन) हाजी मस्तान मंत्रालय आए थे, तो पूरा सचिवालय उन्हें देखने नीचे आ गया था। इंदिरा गांधी पायधुनी (दक्षिण मुम्बई) में करीम लाला से मिला करती थीं।’’ राउत ने हालांकि आज गुरुवार को अपने बयान को वापस ले लिया था। राउत ने कहा, ‘‘अगर किसी को लगता है कि मेरे बयान से इंदिरा गांधी की छवि को नुकसान पहुंचा या किसी की भावनाएं आहत हुईं, तो मैं उसे वापस लेता हूं।’’

शाह ने आरोप लगाया कि जिन लोगों ने कुछ साल पहले जेएनयू में भारत विरोधी नारे लगाए थे उन्हें नरेंद्र मोदी ने जेल भेज दिया लेकिन केजरीवाल ने मुकदमा शुरू करने से इनकार कर दिया। शाह ने सभी अफवाहों पर विराम लगाते हुए कहा कि बिहार में अगला विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वैशाली जिले में संशोधित नागरिकता कानून के समर्थन में एक रैली में कहा कि सीएए को बिहार में बहुत ही अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। शाह ने बिहार में एक रैली में कहा कि राहुल गांधी और लालू प्रसाद लोगों को गुमराह करना बंद करें, सीएए की वजह से किसी की नागरिकता नहीं छीनी जा रही है। शाह ने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों ने सीएए विरोधी दंगे करवाए, जिसकी वजह से भाजपा को उनके नापाक इरादों के बारे में लोगों को बताने के लिए देशभर में रैलियां करनी पड़ीं।
शाह ने आरोप लगाया कि जिन लोगों ने कुछ साल पहले जेएनयू में भारत विरोधी नारे लगाए थे उन्हें नरेंद्र मोदी ने जेल भेज दिया लेकिन केजरीवाल ने मुकदमा शुरू करने से इनकार कर दिया। शाह ने सभी अफवाहों पर विराम लगाते हुए कहा कि बिहार में अगला विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सीएए का मकसद उन लोगों की मदद करना है जिनकी आंखों के सामने उनकी महिलाओं से बलात्कार किया गया, उनकी संपत्तियां छीन ली गई और उनके पूजा स्थलों को अपवित्र किया गया जिसके बाद वह भारत आए। शाह ने कहा कि वह लालू और ममता दीदी से पूछना चाहते हैं कि मटुआ और नामशुद्रों ने उनके साथ क्या गलत किया कि वे इन लोगों को नागरिकता देने का विरोध कर रहे हैं।

अपने बयानों से अक्सर चर्चा में रहने वाले शिवसेना सांसद संजय राउत ने बुधवार को दावा किया पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला से मुंबई में मिलती थीं। राउत ने अपने दावे में कहा कि इंदिरा गांधी करीम लाला से दक्षिणी मुंबई के पायधोनी में मुलाकात करती थीं।

 

मुंबई में एक मीडिया समूह के कार्यक्रम के दौरान उन्होंने यह दावा किया। इस मामले पर कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा कि वह राउत के बयान को देखने के बाद ही कोई प्रतिक्रिया देंगे। मालूम हो कि राउत की पार्टी राज्य में एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन की सरकार चला रही है। 

राउत ने कहा कि साठ से अस्सी के दशक की शुरुआत तक मुंबई के अंडरवर्ल्ड में करीम लाला, मस्तान मिर्जा उर्फ हाजी मस्तान और वर्दराजन मुदालायर तीन डॉन हुआ करते थे। वे तय करते थे कि मुंबई पुलिस का कमिश्नर कौन होगा और कौन राज्य सचिवालय में बैठेगा। जब हाजी मस्तान मंत्रालय आता तो पूरा सचिवालय उसे देखने के लिए काम छोड़कर नीचे चला आता था। 

राउत ने मुंबई में अंडरवर्ल्ड के दिनों को याद करते हुए कहा एक समय मुंबई में अंडरवर्ल्ड का राज हुआ करता था, आज यहां अंडरवर्ल्ड जैसा कुछ नहीं है। दाऊद इब्राहिम, छोटा शकील और शरद शेट्टी जैसे गैंगस्टर महानगर और आसपास के क्षेत्रों पर नियंत्रण रखते थे।

बाद में सब देश छोड़कर फरार हो गए। एक समय पत्रकार रहे राउत ने दावा किया कि उन्होंने दाऊद इब्राहिम जैसे कई गैंगस्टरों की फोटों भी ली थी इसके साथ ही एक बार उन्होंने एक गैंगस्टर को फटकार भी लगाई थी। 

दाऊद से मुलाकात 

इस दौरान राउत ने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि मैंने 1993 मुंबई सीरियल धमाके में प्रमुख आरोपी दाऊद इब्राहिम से भी मुलाकात की थी और उसे लताड़ लगाई थी। उन्होंने कहा कि एक वक्त था जब दाऊद इब्राहिम, छोटा शकील, शरद शेट्टी तय करते थे कि मुंबई का पुलिस कमिश्नर कौन होगा, कौन मंत्रालय में बैठेगा। इंदिरा गांधी करीम लाला से मुलाकात करती थीं। हमने उस वक्त का अंडरवर्ल्ड देखा है। अब तो बस चिल्लर रह गया है। 

श्रीनगर। केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर के लिए चलाई जा रही तमाम योजनाओं और कार्यक्रमों को आम लोगों के बीच पहुंचाने के लिए सरकार के 36 मंत्री केंद्र शासित प्रदेश का दौरा करने जा रहे हैं। केंद्र के 36 मंत्री 18 से 25 जनवरी के बीच जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग इलाकों का दौरा करेंगे और यहां स्थितियों का जायजा लेंगे। इसके अलावा यह सभी मंत्री राज्य के अलग-अलग हिस्सों में जाकर लोगों से मुलाकात करेंगे और उन्हें केंद्र की योजनाओं की जानकारी देंगे।  जानकारी के अनुसार, केंद्र के मंत्री जम्मू-कश्मीर में लोगों को उन कार्यक्रमों और अभियानों की जानकारी देंगे, जिन्हें केंद्र ने 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 के अंत के बाद प्रदेश में शुरू किया है। इसके अलावा केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में लागू होने वाली तमाम योजनाओं की जानकारी भी आम लोगों तक पहुंचाई जाएगी। केंद्रीय मंत्रियों के इस दौरे को लेकर गृह राज्य मंत्री जी.किशन रेड्डी ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम को चि_ी लिखी है।
51 दौरे जम्मू और 8 दौरे कश्मीर में
शुरुआती कार्यक्रम के अनुसार, केंद्रीय मंत्रियों के 51 दौरे जम्मू डिविजन और 8 दौरे कश्मीर में होंगे। केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी 19 जनवरी को कटड़ा और रियासी इलाकों में जाएंगी। इसी दिन रेलमंत्री पीयूष गोयल श्रीनगर का दौरा करेंगे। इसके बाद 20 जनवरी को मंत्री जनरल वीके सिंह उधमपुर जाएंगे और 21 जनवरी को किरेन रिजिजू जम्मू के पास सीमांत इलाके सुचेतगढ़ की यात्रा करेंगे। इन सभी के अलावा केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, रमेश पोखरियाल निशंक, जितेंद्र सिंह समेत कई अन्य नेता भी राज्य के दौरे पर आएंगे।

नई दिल्ली ,दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के साथ उत्तर प्रदेश और बिहार के प्रमुख नेता भी ताकत झोकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करीब 24 सभाएं करेंगे। दिल्ली के बाहर के नेताओं में सबसे बड़ा नाम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का है।

योगी आदित्यनाथ के लगभग 12 सभाएं करने की संभावना है। बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी कई जनसभाओं को संबोधित करेंगे। दिल्ली में बिहार, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से आकर बसे मतदाताओं की बड़ी संख्या को देखते हुए भाजपा इन राज्यों के प्रमुख नेताओं को संपर्क से लेकर प्रचार तक में उपयोग कर रही है। इन तीनों राज्यों के कई कार्यकर्ता पहले ही दिल्ली आ चुके हैं। ये कार्यकर्ता दिल्ली के स्थानीय नेतृत्व के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

उत्तर भारत के साथ भाजपा के दक्षिण भारत के कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश व तेलंगाना के नेता भी चुनाव प्रचार में रहेंगे। दिल्ली में इन राज्यों के भी काफी मतदाता हैं। अन्य राज्यों के लगभग 12 प्रमुख नेता भी चुनाव प्रचार व चुनाव संपर्क करेंगे।

दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) के मुफ्त बिजली, पानी व डीटीसी में महिलाओं को मुफ्त यात्रा के बाद बदले माहौल में भाजपा घर-घर संपर्क व विभिन्न राज्यों के नेताओं के जरिये मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रही है। पिछली बार की करारी हार के बाद पार्टी ज्यादा सतर्क है।

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