राजनीति

राजनीति (6705)

नई दिल्ली: महाराष्ट्र (Maharashtra) में नई सरकार के गठन को लेकर मुंबई से दिल्ली तक सियासी हलचल तेज हो गई हैं. शिवसेना (Shiv Sena) और एनसीपी (NCP) के बीच नई सरकार के बनते समीरकरणों में कांग्रेस (Congress) की भूमिका क्या होगी, इस पर चर्चा करने के लिए दिल्ली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक होगी.
कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक दिल्ली में पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के निवास पर होगी. बैठक में महाराष्ट्र के ताजा राजनीतिक हालात पर चर्चा की जाएगी. वहीं दूसरी तरफ शरद पवार ने मुंबई में पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई है. इस बैठक में भी महाराष्ट्र की नई सरकार के गठन पर चर्चा होगी.
इससे पहले कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से महाराष्ट्र में सरकार गठन पर कांग्रेस की भूमिका के बार में जब पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'आज सुबह 10 बजे एक बैठक है। हम हाईकमान के निर्देश के मुताबिक आगे बढ़ेंगे। लेकिन हमारा अपना फैसला और लोगों का फैसला यही है कि हम विपक्ष में बैठें, यही वर्तमान स्थिति है.'

एनडीए का साथ भी छोड़ेगी शिवसेना
इससे पहले सोमवार सुबह एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम में शिवसेना के कोटे से केंद्र में मंत्री अरविंद सांवत (Arvind Sawant) ने मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है. सावंत ने खुद ट्वीट कर अपने इस्तीफे की जानकारी दी. अरविंद सावंत ने कहा, चुनाव लोकसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे और सत्ता के बंटवारे को लेकर एक फार्मूला तय हुआ था. यह फार्मूला दोनों को स्वीकार था.अब इस फार्मूले से इनकार कर शिवसेना को झूठलाने की कोशिश  की जा रही है.  सावंत ने कहा, 'शिवसेना सच्चाई की पार्टी है. ऐसे झूठे वातावरण में दिल्ली की सरकार में भी आखिर क्यों रहना?'

नई दिल्ली। श्रीराम मंदिर का मुद्दा 1989 के लोकसभा चुनावों के बाद से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चुनावी घोषणा पत्र का एक हिस्सा रहा है। उस समय हालांकि भाजपा ने विवादित स्थल पर मंदिर निर्माण के बारे में नहीं कहा था। उस समय भाजपा के घोषणा पत्र में कहा गया था, 1948 में भारत सरकार द्वारा निर्मित सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर अयोध्या में राम जन्म मंदिर के पुनर्निर्माण की अनुमति नहीं दी गई तो गंभीर रूप से तनाव बढ़ेगा और इससे सामाजिक सौहार्द्र बिगड़ेगा।
इसके बाद 1991 में अगले चुनाव में भगवा पार्टी ने कहा कि उसका यह दृढ़ विश्वास है कि भगवान राम के जन्मस्थान पर राम मंदिर का निर्माण हमारी सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय स्वाभिमान का प्रतीक है। दिसंबर 1992 में हिंदुओं की भीड़ ने बाबरी मस्जिद को गिरा दिया और जल्द ही यहां भगवान राम को समर्पित एक भव्य मंदिर को बनाने का संकल्प लिया। 1996 में, जिस साल भाजपा को पहली बार केवल 13 दिनों के लिए सत्ता मिली थी, उस समय भी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में अयोध्या में एक शानदार राम मंदिर का निर्माण करने का वादा किया। 1998 में जब भाजपा ने आखिरकार अपनी गठबंधन सरकार बनाई तो उसने एक भव्य श्री राम मंदिर बनाने का अपना वादा दोहराया, जहां पहले से ही एक अस्थायी मंदिर मौजूद था। पार्टी ने साथ ही यह भी कहा कि भाजपा इस मसले को खत्म करने के लिए सभी सहमति, कानूनी और संवैधानिक साधनों का पता लगाएगी।
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 महाराष्ट्र में सरकार नहीं बनाएगी भाजपा : पाटिल
मुंबई। भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने में असमर्थता व्यक्त की है। भाजपा के प्रदेश प्रभारी चंद्रकांत पाटिल ने रविवार को पत्रकारों से कहा इस समय हम सरकार नहीं बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर शिव सेना चाहे तो वह महाराष्ट्र में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(राकांपा) के साथ मिलकर सरकार बना सकती है।
उन्होंने कहा भाजपा और शिव सेना ने महागठबंधन के बैनर तले एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था लेकिन शिव सेना हमारे साथ नहीं आना चाहती है और उसने जनादेश के साथ विश्वासघात किया है। हमने पहले ही राज्यपाल को बता दिया है कि हम सरकार नहीं बना सकते हैं। अगर शिव सेना कांग्रेस और राकांपा के साथ मिलकर सरकार बनाना चाहती है तो हमारी तरफ से उन्हें शुभकामनाएं।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने के लिए अपनी इच्छा और क्षमता से अवगत कराने को कहा था। बीजेपी ने 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में 105 सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि शिवसेना को 56 सीटों पर जीत हासिल हुई है। दोनों को मिलाकर 161 सीटें हैं जो जरूरी बहुमत के आंकड़े 145 से बहुत ज्यादा है, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर खींतचान की वजह से अब तक सरकार का गठन नहीं हुआ है।
वहीं शिवसेना के संजय राउत ने कहा, पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आज स्पष्ट कहा कि मुख्यमंत्री शिवसेना का होगा। अगर उद्धव ने ऐसा कहा है, तो इसका मतलब है कि किसी भी कीमत पर शिवसेना से सीएम होगा।
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धैर्यपूर्वक इस दीर्घ मंथन को चलाकर सत्य व न्याय को उजागर करने वाले इस फैसले का न केवल स्वागत होना चाहिए बल्कि इसके माध्यम से समाज एवं राष्ट्र में साम्प्रदायिक सौहार्द एवं सद्भावना का वातावरण निर्मित किया जाना चाहिए।

अयोध्या में राजनीतिक रूप से अति संवेदनशील श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति यानी 5-0 से ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अदालत ने अपने फैसले में विवादित जगह को रामलला का बताया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए वैकल्पिक जमीन दी जाए। इस तरह 40 दिन की लगातार सुनवाई के बाद पांच सौ वर्षों से चले आ रहे इस विवाद से संबंधित सभी पहलुओं पर बारीकी से विचार हुआ एवं निर्णय लिया गया है। सभी पक्षों के द्वारा अपने-अपने दृष्टिकोण से रखे हुए तर्कों का मूल्यांकन हुआ। धैर्यपूर्वक इस दीर्घ मंथन को चलाकर सत्य व न्याय को उजागर करने वाले इस फैसले का न केवल स्वागत होना चाहिए बल्कि इसके माध्यम से समाज एवं राष्ट्र में साम्प्रदायिक सौहार्द एवं सद्भावना का वातावरण निर्मित किया जाना चाहिए।
 
इस ऐतिहासिक निर्णय को देते हुए पांच जजों की खण्डपीठ जिसमें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर ने जिस सूझबूझ, विवेक एवं सत्य एवं न्याय को जीवंतता प्रदान की है, उसे किसी भी रूप में जय-पराजय की दृष्टि से नहीं देखना चाहिये। सत्य व न्याय के मंथन से प्राप्त निष्कर्ष को भारत की राष्ट्रीय एकता, संपूर्ण समाज की एकात्मता व बंधुता के परिपोषण करने वाले निर्णय के रूप में देखना व उपयोग में लाना चाहिये।

9 नवम्बर, 2019 का दिन इतिहास में इस अनूठे, विलक्षण, साहसिक एवं न्यायपूर्ण फैसले के लिये याद किया जायेगा, सुप्रीम कोर्ट में आज जो कुछ घटित हुआ, उसके बाद राष्ट्रीय जीवन के हर क्षेत्र में जो उजाला उतर आया वह इतिहास के पृष्ठों को तो स्वर्णिम करेगा ही, भारत के भविष्य को भी लम्बे समय से चले आ रहे विवाद के धुंधलकों से मुक्ति देगा। धर्म और धर्म-निरपेक्षता इन शब्दों को हम क्या-क्या अर्थ देते रहे हैं? जबकि धर्म तो निर्मल तत्व है। लेकिन जब से धर्मनिरपेक्षता शब्द की परिभाषा हमारे कर्णधारों ने की है, तब से हर कोई कट्टर हो गया था। सभी कुछ जैसे बंट रहा था, टूट रहा था। बंटने और टूटने की जो प्रतिक्रिया हो रही थी, उसने राष्ट्र को हिला कर रख दिया था, उससे मुक्त होने का अवसर उपस्थित हुआ है, ऐसा लग रहा है एक नया सूरज उदित हुआ है। इससे भारतीयता एवं भारत की संस्कृति को नया जीवन मिला है। इस विवाद के समापन की दिशा में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुरूप परस्पर विवाद को समाप्त करने वाली पहल सरकार की ओर से शीघ्रतापूर्वक हो, अतीत की सभी बातों को भुलाकर हम सभी श्री रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण में साथ मिल-जुल कर अपने कर्तव्यों का निर्वाह करें, यह अपेक्षित है।
 
श्री राम का भव्य मंदिर उनकी जन्मभूमि में बने, यह आस्था एवं विश्वास से जुड़ा ऐसा संवेदनशील मसला था जिसे धर्म ईमामों ने अपनी गठरी में बन्द कर रखा था। जो मन्दिरों के घण्टे और मस्ज़िदों की अज़ान तथा खाड़कुओं एवं जंगजुओं की एके-47 में कैद रहा। जिसे धर्म के मठाधीशों, महंतों ने चादर बनाकर ओढ़ लिया। जिसको आधार बना कर सात दशकों से राजनीतिज्ञ वोट की राजनीति करते रहे, जो सबको तकलीफ दे रहा था, जिसने सबको रुलाया, अब सारे कटू-कड़वे घटनाक्रमों का पटापेक्ष जिस शालीन, संयम एवं सौहार्दपूर्ण स्थितियों में हुआ है, यह एक सुखद बदलाव है, एक नई भोर का अहसास है। शांति एवं सौहार्द की इन स्थितियों को सुदीर्घता प्रदान करने के लिये हमें सावधान रहना होगा, संयम का परिचय देना होगा। लेकिन यहां इससे भी महत्वपूर्ण वह नजरिया है, जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर पूरे समाज में अपनी जगह बनाता दिख रहा है। पूरा मसला काफी नाजुक और विवादास्पद रहा है, इसलिए यह डर इस मुकदमे से हमेशा जुड़ा रहा कि फैसला किसी एक पक्ष में जाने पर, दूसरे पक्ष की प्रतिक्रिया न जाने क्या होगी ? लेकिन पिछले कुछ दिनों से सभी ने यह कहना शुरू कर दिया है कि फैसला चाहे कुछ भी हो, वह उन्हें स्वीकार्य होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने सहयोगी संगठनों को यह निर्देश तक दिया था कि फैसला अगर उनके पक्ष में जाता है, तो खुशी मनाने का अतिरेक किसी भी तरह से दिखना नहीं चाहिए। बढ़-चढ़कर खुशी मनाना दूसरे पक्ष को आहत भी कर सकता है, लगभग ऐसे ही अनुशासन एवं संयम बरतने की बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहीं, यह एहसास बनना हमारी राजनीति का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है और इसी से भारत की संस्कृति को नया परिवेश मिल सकेगा।
 
एक परिपक्व समाज सिर्फ अपनी बाधाओं को दूर करने और लगातार आगे बढ़ते रहने का काम ही नहीं करता, बल्कि वह भावी खतरों से निपटने और समस्याओं को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए भी खुद को तैयार करता रहता है। भले ही ये खतरे और समस्याएं कहीं बाहर से आ रहे हों या खुद उसके भीतर के अंतर्विरोधों से उपज रहे हों। बाहरी खतरों को निपटाना एक तरह से आसान होता है, क्योंकि ये समाज को एकजुट करने का काम भी करते हैं। अपने अंतर्विरोधों से उपजे खतरों में जोखिम इस मायने में ज्यादा होता है कि ये कई तरह के ध्रुवीकरण की वजह बन सकते हैं। अयोध्या के मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने हमें वह मौका दिया है कि हम अपने समाज और लोकतंत्र की परिपक्वता की एक नई मिसाल दुनिया के सामने पेश कर सकें।

मेरी दृष्टि में दुनिया में भारत जिस धर्म एवं धार्मिक सौहार्द के लिये पहचाना जाता है, आज उसी धर्म एवं सौहार्द को जीवंतता प्रदान करने एवं प्रतिष्ठित करने की चुनौती हमारे सामने है। क्योंकि धर्म जीवन है, धर्म स्वभाव है, धर्म सम्बल है, करुणा है, दया है, शांति है, अहिंसा है। पर धर्म को हमने कर्म-काण्ड बना दिया, धर्म को राजनीति बना दिया। धर्म वैयक्तिक है, धर्म को सामूहिक बना दिया। धर्म आंतरिक है, उसको प्रदर्शन बना दिया। धर्म मानवीय है, उसको जाति एवं सम्प्रदाय बना दिया। यह धर्म का कलयुगी रूपान्तरण न केवल घातक बल्कि हिंसक होता रहा है। आत्मार्थी तत्व को भौतिक, राजनैतिक, साम्प्रदायिक लाभ के लिए उपयोग कर रहे हैं। धर्म हिन्दू या मुसलमान नहीं। धर्म कौम नहीं। धर्म सहनशील है, आक्रामक नहीं है। वह तलवार नहीं, ढाल है। वहां सभी कुछ अहिंसा से सह लिया जाता है, लेकिन श्री राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद ने धर्म को विकृत कर दिया, संकीर्ण बना दिया। आज कोई ऐसा नहीं, जो धर्म की विराटता दिखा सके। सम्प्रदाय विहीन धर्म को जी कर बता सके। समस्या का समाधान दे सके, विकल्प दे सके। जो कबीर, रहीम, तुलसी, मीरा, रैदास बन सके। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हमें एक अवसर मिला है कि हम आपस में जुड़े, सौहार्द का वातावरण निर्मित करें। घृणा और खून की विरासत कभी किसी को कुछ नहीं देती।
 
भगवान महावीर, भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी ने हिंसा एवं घृणा का व्यापक विरोध किया था। वे सफल हुए, क्योंकि उन्होंने विकल्प दिया था। इस विराट समस्या का कोई भी धर्मगुरु, राजनेता, समाजसेवी विकल्प नहीं दे पाया, बहुत कीमत चुका चुके हैं, अब जब निर्णय हो चुका है जो उसकी क्रियान्विति का संकल्प जनता के दिलों से निकलना चाहिए। न्यायालय ने उसकी जमीन तैयार कर दी है। जैसा कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि हम सबके लिए पुरातत्व, धर्म और इतिहास जरूरी है लेकिन कानून सबसे ऊपर है। सभी धर्मों को समान नजर से देखना हमारा कर्तव्य है। देश के हर नागरिक के लिए सरकार का नजरिया भी यही होना चाहिए। श्रीराम की भक्ति हो या रहीम की भक्ति, हमें अपनी-अपनी आस्था का जीवन जीते हुए राष्ट्रीयता को बल देना होगा। राष्ट्र होगा, तभी हमें अपनी आस्थाओं को जीने का धरातल मिल सकेगा।
 
-ललित गर्ग
 

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने अयोध्या फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आज आस्था और विश्वास का सम्मान किया है। अयोध्या भूमि विवाद पर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस से बात करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है, हम राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में हैं। इस फैसले ने न केवल मंदिर के निर्माण के लिए दरवाजे खोले, बल्कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने वाली बीजेपी और अन्य लोगों के लिए दरवाजे भी बंद कर दिए।
सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या निर्णय का सम्मान करते हुए सोनिया गांधी के नेतृत्व में आज कांग्रेस वर्किंग समिति ने अपनी बैठक में श्री राम मंदिर निर्माण और अयोध्या के निर्णय को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया है। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि हिंदुओं को दे दी और सरकार से सुन्नी वक्फ बोर्ड को एक वैकल्पिक जमीन देने को कहा। सर्वसम्मत के फैसले में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने केंद्र को तीन महीने के अंदर एक ट्रस्ट बनाने का निर्देश दिया है, जो अयोध्या में विवादित स्थल पर मंदिर का निर्माण करेगा।
अरविंद केजरीवाल ने किया स्वागत
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और लोगों से शांति और सौहार्द बनाए रखने का आग्रह किया। केजरीवाल ने ट्वीट किया, ष्सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट की पांचों जजों की पीठ ने एकमत से अपना निर्णय दिया। हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। कई दशकों के विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया। वर्षो पुराना विवाद आज खत्म हुआ। मेरी सभी लोगों से अपील है कि शांति एवं सौहार्द बनाए रखें।
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नयी दिल्ली। गांधी परिवार की सुरक्षा में तैनात विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) को हटाए जाने के केंद्र सरकार के फैसले से क्षुब्ध कांग्रेस ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री पर श्कुटिल व प्रतिशोध की राजनीति करने का आरोप लगाया। सूत्रों का कहना है कि पार्टी इस मुद्दे को अदालत में ले जा सकती है। पार्टी नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ष्हम देखेंगे कि इस पर क्या किया जा सकता है।
कांग्रेस का कहना है कि एसपीजी सुरक्षा हटाए जाने की अफवाह एक माह पहले फैलाई गई थी। इस पर संज्ञान लेते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कैबिनेट सचिव सचिव राजीव गौबा को 4 नवंबर को पत्र लिखा था। पूर्व प्रधानमंत्री ने पत्र में कहा था कि एसपीजी सुरक्षा हटाए जाने जैसी सुरक्षा संबंधी संवेदनशील जानकारी दैनिक अखबारों व टेलीविजन सहित मीडिया को लीक किया जाना सरकार के तहत सुरक्षा में सीधा सेंधमारी है। पत्र में वर्ष 1992 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले पर न्यायमूर्ति जे.एस.वर्मा की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गांधी को अल कायदा, खालिस्तानी आतंकी संगठनों और नक्सलियों से धमकी मिली है। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि मोदी सरकार ने एसपीजी को विदेश दौरों के दौरान गांधी परिवार के साथ रहने की सलाह दी थी और अब यू-टर्न ले लिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा आरोप लगा रही है कि गांधी परिवार एसपीजी का प्रोटोकॉल तोड़ता रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री मोदी खुद खुली कार में घूमकर प्रोटोकॉल तोड़ते रहे हैं।
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मुंबई। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शनिवार को महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए सबसे बड़े दल भारतीय जनता पार्टी के नेता देवेंद्र फडणवीस से सरकार बनाने के लिए अपनी पार्टी की इच्छा और क्षमता के संबंध में जानकारी देने के लिए कहा। राज्य में चुनाव परिणाम आने के 15 दिन बीतने के बावजूद सरकार बनाने के लिए कोई एक दल या दलों का गठबंधन आगे नहीं आया है।
राजभवन की ओर से आज जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार राज्यपाल ने सरकार के गठन की संभावना का पता लगाने का निर्णय लिया है और सबसे बड़ी पार्टी के निर्वाचित सदस्यों के नेता देवेन्द्र फडणवीस से पूछा कि भाजपा, सरकार बनाने के लिए अपनी इच्छा और क्षमता के बारे में जानकारी दे।
इससे पहले शिवसेना ने दावा किया था कि लोकसभा चुनावों से पहले दोनों गठबंधन सहयोगियों ने अगले कार्यकाल में ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की साझेदारी का फैसला किया था। इस्तीफा देने के बाद शिवसेना के दावों को खारिज करते हुए फडणवीस ने जोर देकर कहा था कि मेरी मौजूदगी में दोनों दलों द्वारा मुख्यमंत्री पद की साझेदारी को लेकर कोई समझौता नहीं किया गया था। फडणवीस ने दावा किया था कि उन्होंने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से गतिरोध तोडऩे के लिए फोन पर बात करने की कोशिश की लेकिन, उद्धव जी ने मेरा फोन नहीं उठाया।
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नई दिल्ली दशकों पुराने अयोध्या मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस फैसले के तहत विवादित भूमि रामलला के मंदिर के लिए हिंदू समुदाय को सौंप दी गई है जबकि मुस्लिम समुदाय को अलग से 5 एकड़ जमीन दी जाएगी जिसपर मस्जिद का निर्माण किया जा सकेगा। बता दें कि इस फैसले के बाद जहां एक तरफ कई राजनीतक प्रतिक्रियाएं तेज हुई हैं वहीं अब पीएम नरेंद्र मोदी भी इसको लेकर देश को संबोधित कर रहे हैं।
 गौरतलब है कि इस फैसले के पहले पीएम मोदी कई ट्वीट के जरिए लोगों से शांति की अपील की थी और कहा था कि फैसले को हार या जीत के रूप में न देखा जाए। वहीं फैसला आने के बाद भी पीएम ने कुछ ट्वीट किए थे।
-आज सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे महत्वपूर्ण मामले पर फैसला सुनाया है, जिसके पीछे सैकड़ों वर्षों का दीर्घकालीन इतिहास है। पूरे देश की इच्छा थी कि इस मामले की अदालत में रोज सुनवाई हो, जो हुई और आज निर्णय आ चुका है। दशकों तक चली न्याय प्रकिया का अब समापन हो गया है।
-प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की तरफ से ट्वीट कर बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शाम 6 बजे देश को संबोधित करेंगे।

नई दिल्ली । अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इससे देश का सामाजिक ताना बाना और मजबूत होगा। उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में विवादित स्थल राम जन्मभूमि पर मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हुए केन्द्र सरकार को निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ भूमि आवंटित की जाएं। राजनाथ ने ट्वीट किया, उच्चतम न्यायालय का यह फैसला ऐतिहासिक है। इस फैसले से भारत का सामाजिक ताना-बाना और मजबूत होगा।राजनाथ ने कहा, ‘‘मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि इस फैसले को समभाव और उदारता से लिया जाये। मैं लोगों से ऐतिहासिक फैसले के बाद शांति और सद्भाव बनाये रखने की अपील भी करता हूं।

पाकिस्तान की शकरगढ़ तहसील में स्थित यह है करतारपुर का गुरुद्वारा. यहां गुरु नानक देव जी ने आखिरी 18 साल गुजारे थे. आज गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर यहां इतिहास बनने जा रहा है. 72 साल बाद आज करतारपुर कॉरिडोर खुलेगा. भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान में पीएम इमरान खान इसका उद्‌घाटन करेंगे.
अभी तक करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के दर्शन भारतीय श्रद्धालु सीमा पर लगी कंटीली बाड़ से ही दूरबीन के जरिए करते थे. लेकिन अब श्रद्धालु करतारपुर गुरुद्वारा जाकर दर्शन कर सकेंगे. पहले जत्थे में भारत से 470 श्रद्धालु जाएंगे.
बताया जाता है कि करतारपुर आने से पहले गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के 14 साल सुलतानपुर लोधी में गुजारे. 24 साल में उन्होंने 26 हजार किमी की पैदल यात्रा की फिर परिवार सहित वो रावी नदी के किनारे स्थित करतारपुर साहिब आ बसे थे.
भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद 53 साल तक यानी 2000 तक गुरुद्वारा साहिब बंद रहा. ऐसा कहा जाता है कि ग्रामीण यहां मवेशी पालने लगे थे. इसके बाद 1998 में पहली बार वाजपेयी सरकार ने पाकिस्तान के साथ करतारपुर कॉरिडोर को लेकर बातचीत की.
हालांकि, उस वक्त भी करतारपुर कॉरिडोर पर कोई पुख्ता कदम नहीं उठा. अब 21 साल बाद करतारपुर श्रद्धालुओं के लिए खुलेगा. जानकारों का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच यह सद्‌भाव का 5वां बड़ा कदम है.
इससे पहले दोनों देश 1960 में सिंधु जल संधि, 1976 में समझौता एक्सप्रेस, 1999 में मैत्री बस और 2003 में सीजफायर संधि जैसे बड़े कदम उठा चुके हैं.

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