ईश्वर दुबे
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नई दिल्ली। राफेल डील मामले में लगाई गई पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है और कोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज कर दी है। कोर्ट ने इस मामले में अपने पिछले फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि इस मामले में कोईं भी जांच या एफआईआर दर्ज करने की जरूरत है। कोर्ट के इस फैसले को केंद्र सरकार के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है वहीं याचिका दायर करने वालों को बड़ा झटका लगा है। दूसरी तरफ सर्वोच्च न्यायालय ने राहुल गांधी की माफी भी कबूल कर ली है। कोर्ट ने कहा है कि उनका बयान दुर्भाग्यपूर्ण था। कोर्ट ने राहुल के खिलाफ दायर केस को बंद कर दिया और उन्हें कहा कि राहुल भविष्य में संभलकर रहें।
मोदी सरकार को इस मामले में दिसंबर 2018 में शीर्ष कोर्ट से क्लीन चिट मिली थी। इसके बाद पुनर्विचार सुप्रीम कोर्ट में ही पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी। इन्हीं याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुनाया है। यह याचिकाएं पूर्व केंद्रीय मंत्रियों अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण द्वारा लगाई गई थीं।
बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे है। इसके पहले वह इस महत्वपूर्ण फैसले को सुनाएंगे। इसके पूर्व जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय बेंच अयोध्या जमीन विवाद र 9 नवंबर को ऐतिहासिक फैसला दे चुकी है। शीर्ष कोर्ट में पुनर्विचार याचिका यह कहते हुए दाखिल की गई थी कि यह फैसला सरकार के गलत दावों के आधार पर दिया गया था।
मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान साल 2015 में फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमानों की खरीदी की डील की थी। विपक्ष ने इस डील में भ्रष्टाचार होने के गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में PIL दाखिल की गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2018 में फैसला देते हुए मोदी सरकार की इस डील को क्लीन चिट दे दी थी।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने राफेल मामले के साथ ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ दायर की गई अवमानना याचिका पर भी आज अपना फैसला सुनाया। लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी के विवादित नारे 'चौकीदार चोर है' के बाद यह याचिका दायर की गई थी। भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने राहुल गांधी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में यह अवमानना याचिका लगाई थी। कोर्ट ने राहुल को माफी देते हुए लेखी द्वारा दायर केस खत्म कर दिया।
बता दें कि अवमानना याचिका के बाद राहुल गांधी ने शीर्ष कोर्ट में बिना शर्त माफी मांगी थी। इसके पूर्व विवादित बयान देते वक्त राहुल गांधी ने राफेल से जुड़े शीर्ष कोर्ट के आदेश को पीएम मोदी के खिलाफ लगाए गए 'चौकीदार चोर है' के स्लोगन से भी जोड़ा था।
वॉशिंगटन. भारत और अमेरिका के बीच दूसरे चरण की 2+2 वार्ता 18 दिसंबर को होगी। एक भारतीय अधिकारी ने बुधवार को बताया कि बातचीत में अमेरिका के विदेश और रक्षा मंत्री शामिल होंगे। दोनों देशों के बीच रणनीति और सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा होगी। हालांकि, अधिकारी ने यह भी कहा कि कार्यक्रम को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है।
2+2 डायलॉग की पहले स्तर की बैठक सितंबर 2018 में नई दिल्ली में हुई थी। यह वार्ता क्षेत्रीय समुद्री विवादों के शांतिपूर्ण समाधान को कायम रखने, बाजार आधारित अर्थव्यवस्था-गुड गवर्नेंस को बढ़ावा देने, मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता का समर्थन करने और बाहरी आर्थिक दबाव को रोकने की जरूरतों पर केंद्रित थी। इस बातचीत में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो, रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस और भारत से दिवंगत पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण शामिल थीं।
अमेरिकी दूतावास ने अपने बयान में कहा कि भारत और अमेरिका के बीच 2+2 वार्ता की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा साझा रूप से की गई थी। इसका उद्देश्य रणनीतिक साझेदारी, उनके राजनयिक और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर आपसी तालमेल को बढ़ावा देना था।
मुंबई. महाराष्ट्र में सियासी उठापठक के बीच गुरुवार को शिवसेना सांसद संजय राउत ने एक बार फिर भाजपा पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ 50-50 फॉर्मूले पर बात हुई थी। उद्धव ठाकरे और अमित शाह के बीच यह बात जिस कमरे में हुई थी, वह सामान्य कमरा नहीं है। वह पूज्य बालासाहेब ठाकरे का कमरा है, जिसे हम मंदिर मानते हैं। हम बालासाहेब की कसम खाते हैं। हम झूठ नहीं बोल रहे।
उन्होंने यह भी कहा कि शिवसेना प्राण जाए, पर वचन न जाए वाले सिद्धांत की पार्टी है। यह महाराष्ट्र के सम्मान की बात है। ये वही कमरा है, जहां से बालासाहेब नरेंद्र मोदी को आशीर्वाद दिया करते थे। यह वही कमरा है जहां से विश्व में कोई भी नेता आता है तो चाहता है कि उस कमरे में बालासाहेब का नमन करे।
इससे पहले बुधवार को न्यूज एजेंसी को दिए एक इंटरव्यू में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि महाराष्ट्र में चुनाव के पहले और चुनाव के समय मैंने सौ बार कहा था, नरेंद्र मोदी जी ने कई बार कहा था कि अगर गठबंधन की सरकार बनती है तो हमारे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ही होंगे। तब किसी ने कोई विरोध दर्ज नहीं कराया था। अब वे (शिवसेना) नई मांगें लेकर आ रहे हैं और यह हमें स्वीकार नहीं है। हमने विश्वासघात नहीं किया है।
शिवसेना विधायकों ने रिजॉर्ट छोड़ा
इस बीच, बुधवार देर रात शिवसेना विधायकों ने रिजॉर्ट छोड़ दिया। शिवसेना विधायक कई दिनों से मलाड स्थित रिसॉर्ट में थे। बताया जा रहा है कि उद्धव ने सभी विधायकों को अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में जाने का निर्देश दिया। इससे पहले न्यूनतम साझा कार्यक्रम को लेकर राकांपा और कांग्रेस नेताओं के बीच देर रात तक बैठक हुई।
देर रात तक हुई राकांपा-कांग्रेस की बैठक
न्यूनतम साझा कार्यक्रम को लेकर मुंबई में राकांपा और कांग्रेस के बीच देर रात बैठक जारी रही। इस बैठक में कांग्रेस की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण, मानिकराव ठाकरे, बालासाहेब थोराट और विजय वादेत्तिवार शामिल हुए। वहीं, राकांपा की ओर से जयंत पाटिल, अजित पवार, छगन भुजबल, धनंजय मुंडे और नवाब मलिक शामिल हुए। ये कमेटी सरकार में पोर्टफोलियो समेत विभिन्न मुद्दों पर सहमती बनाने का प्रयास करेगी। कमेटी में शामिल कांग्रेस नेताओं से शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने भी मुलाकात की।
पवार ने कहा- अजित ने जानबूझकर बारामती जाने की बात कही
इससे पहले राकांपा नेता अजित पवार के एक बयान से खलबली मच गई थी। बुधवार दोपहर अजित ने कह दिया कि कांग्रेस के साथ होने वाली बैठक रद्द हो गई। मैं बारामती जा रहा हूं। ऐसे में सियासी गलियारे में खबर उड़ गई कि राकांपा अब शिवसेना को समर्थन नहीं देगी। हालांकि, इसके आधे घंटे बाद ही राकांपा प्रमुख शरद पवार ने इन सभी अटकलों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा-'अजीत पवार यदि कोई बात मजाकिया लहजे में भी कहते हैं, तो भी तुम्हारी (मीडिया) गाड़ियां उनके पीछे लग जाती हैं। इसकी वजह से उनकी प्राइवेसी नहीं रहती है। इसी वजह से उन्होंने जानबूझकर बारामती जाने की बात कही।' इस बात की पुष्टि करने के लिए बाद में राकांपा की ओर से मीटिंग का फोटो भी सार्वजनिक किया गया।
चंडीगढ़. हरियाणा की 14वीं विधानसभा का पहला मंत्रिमंडल विस्तार गुरुवार को होगा। राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य सभी मंत्रियों को शपथ दिलाएंगे। इस दौरान 10 विधायक मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। इनमें भाजपा के 8, जजपा का 1 और 1 निर्दलीय विधायक हो सकता है। विधानसभा चुनाव में 40 सीटें जीतने वाली भाजपा ने 10 सीट वाली जजपा और 7 निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई है।
मंगलवार को 5 निर्दलीय विधायकों ने दिल्ली में अकेले बैठक कर भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी थीं। बुधवार को निर्दलीय विधायकों ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिलने का समय भी मांगा था। इससे पहले ही सीएम मनोहर लाल खट्टर ने इन विधायकों को डिनर का न्योता भिजवा दिया। बुधवार शाम को डिनर पर निर्दलीय विधायकों से चर्चा की गई। सभी 5 विधायक चुनाव से पहले भाजपा में थे। टिकट नहीं मिलने पर बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़े और जीते।
ये हैं संभावित नाम
भाजपा: अनिल विज, कंवरपाल गुर्जर, बनवारी लाल, मूलचंद शर्मा, ओमप्रकाश यादव, जेपी दलाल, संदीप सिंह, कमलेश ढांडा
(कोई उलटफेर हुआ तो दीपक मंगला, महिपाल ढांडा, सीमा त्रिखा, रामकुमार कश्यप को भी जगह मिल सकती है)
जजपा: अनूप धानक
आजाद: रणजीत सिंह
जजपा और भाजपा के बीच विभाग बंटवारे को लेकर सहमति बनी
मंगलवार सुबह मुख्यमंत्री आवास पर खट्टर और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने करीब डेढ़ घंटे तक मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर मंथन किया। बताया कि दोनों के बीच विभागों को लेकर भी बातचीत हुई है। जजपा ने करीब 10-12 विभाग मांगे हैं, इनमें कुछ बड़े विभाग भी हैं। दोनों पार्टियों में विभागों के बंटवारे को लेकर पेंच फंसा था। इसे अब सुलझा लिया गया है। जजपा को राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, आबकारी एवं कराधान, पंचायत और विकास, उद्योग और वाणिज्य, पीडब्ल्यूडी, खाद्य और उपभोक्ता मामले, श्रम और रोजगार, सिविल एविएशन, पुरातत्व और संग्रहालय, पुनर्वास और समेकन विभाग मिल सकते हैं।
भाजपा के पास रहेंगे ये अहम विभाग
गृह, वित्त, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, नगर निकाय, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, जन स्वास्थ्य, ट्रांसपोर्ट जैसे बड़े विभाग रहेंगे।
मुझे गर्व है कि मैं उन 133 करोड़ लोगों में से एक हूं जिन्होंने दुनिया के देशों के सामने सांप्रदायिक सौहार्द की जो मिसाल पेश की है विश्व के इतिहास में ऐसी मिसाल मिलना लगभग दुर्लभ है। मेरा उद्देश्य कहीं भी देश की सर्वोच्च अदालत के फैसले की विवेचना करना नही है। देश की सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश सहित पांच न्यायाधीशों ने जिस तरह से एकमत होकर फैसला दिया है और फैसले का युक्तियुक्त विश्लेषण किया है वह विश्लेषकों के लिए अलग मुद्दा हो सकता है। पर जिस तरह से सैंकड़ों सालों के विवादास्पद मामले के निर्णय आने के बाद देशवासियों ने सांप्रदायिक सौहार्द का परिचय दिया है वह काबिले तारीफ है। यही कारण है कि न्याय के प्रति देशवासियों को आज भी पूरा विश्वास रहा है। हमारे देश में पंच परमेश्वरों को सम्माननीय माना जाता रहा है। उनके निर्णयों को बिना ना नुकर के स्वीकारा जाता रहा है। यह माना जाता रहा है कि न्याय की कुर्सी पर बैठने वाला व्यक्ति सभी विवादों से परे होता है। दरअसल राममंदिर−बाबरी मस्जिद विवाद पर देश में राजनीतिक भूचाल का लंबा इतिहास रहा हैं। कारसेवा और उसके बाद देशभर में सांप्रदायिक दंगों का लंबा सिलसिला हम झेल चुके हैं। विवाद का सर्वमान्य हल निकालने के भी हर संभव प्रयास किए गए। दशकों तक राजनीतिक सहित सभी संभावित मंचों पर समाधान के प्रयास किए गए पर सभी प्रयास विफल रहे। स्थिति यहाँ तक हो गई कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम को लेकर पक्ष विपक्ष में गंभीर राजनीतिक विवाद छिड़ गया। आए दिन इस पर बवाल होने लगे। देश की गंगा−जमुनी संस्कृति पर आए दिन ग्रहण लगने लगा पर देश के प्रबुद्ध और आम लोगों ने इस गंगा-जमुनी संस्कृति को संजोए रखने के हर संभव प्रयास जारी रखे।
इतिहास में 9 नववंर का दिन याद किए जाने के कई कारण हो सकते हैं चाहे इस दिन 491 साल पुराने राम मंदिर विवाद का फैसला देश की सर्वोच्च अदालत ने सुनाया, या इस दिन राममंदिर शिलान्यास हुआ था, या इस दिन बर्लिन की दीवार तोड़ कर दोनों जर्मनी एक हो गए, या करतारपुरा कॉरिडोर खोला गया या 9 नवंबर 2019 को महाकवि कालिदास की जयंती रही या ऐसे अनेक कारण 9 नवंबर को याद किए जाने के देश दुनिया में हो सकते हैं। पर दुनिया के देशों में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्म स्थान अयोध्या पर आए फैसले से कहीं अधिक जिस तरह हिन्दुस्तान के देशवासियों ने संवेदनशीलता, मर्यादा, धीर गंभीरता और परस्पर सामन्जस्य और सौहार्द की मिसाल पेश की है वह अद्वितीय होने के साथ ही ना भूतो ना भविष्यति वाली मिसाल बन गई है। दुनिया के देशों के सामने मर्यादा व सौहार्द का जिस तरह का उदाहरण हिन्दुस्तान के 133 करोड़ देशवासियों ने रखा है ऐसी मिसाल दुनिया के इतिहास में मिलना संभवतः असंभव है। इसीलिए इसे ना भूतो ना भविष्यति मिसाल कहना अतिश्योक्ति नहीं माना जा सकता।
देखा जाए तो 9 नवंबर का दिन इसलिए भी याद किया जाएगा कि मर्यादा पुरुषोत्तम के देश भारत के लोग अपनी मर्यादा, अपनी सीमा को समझते हैं। देशवासियों ने चाहे वे हिन्दु हों या मुस्लिम, सिख हों या ईसाई सबने समुद्र-सी गंभीरता, धरती जैसी सहनशीलता, आकाश-सी असीमता का परिचय दिया। देश दुनिया द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के फैसलें के बाद होने वाली प्रतिक्रिया को लेकर गंभीर चिंता थी। यहीं नहीं लाख संभावनाओं को देखते हुए कानून व्यवस्था से लेकर सभी संभावित स्थितियों के लिए तैयार रहने की व्यवस्था चाक चौबंद की गई पर देशवासियों ने जिस तरह की प्रतिक्रिया दी वह अपने आप में गंभीर और सनातनी सौहार्द से परिपूर्ण रही।
हमारे देश के लोकतंत्र की यह भी खूबी दुनिया के देशों के सामने आई कि इस संवेदनशील मुद्दे पर किसी राजनीतिक दल ने किसी तरह की उत्तेजक या नकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की। राजनीतिक दलों, विशेषज्ञों, गैरसरकारी संगठनों, सांप्रदायिक तत्वों, धर्म गुरुओं आदि ने देश के सौहार्द को पहली वरीयता दी और इसी का परिणाम यह रहा कि देश में फैसले के बाद जो संभावित संभावनाएं आंकलित की जा रही थीं वो सब निराधार साबित हुईं। सही भी है अपनी बात रखने के लिए अनेक विकल्प हैं। न्यायालय के निर्णय की स्वीकार्यता, न्यायालय से समीक्षा का आग्रह, आपसी संवाद और इसी तरह के विकल्प होने के चलते संयम रखना परिपक्वता की पहचान है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि सर्वोच्च अदालत के फैसले की संभाव्यता को देखते हुए केन्द्र व उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित देश में विभिन्न दलों द्वारा शासित प्रदेशों की सरकारों ने शांति और व्यवस्था बनाए रखने के सराहनीय कदम उठाए और यही कारण रहा कि देश में कहीं भी सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने का समाचार नहीं आया। हाँ, ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर यदि टीवी चैनलों द्वारा उत्तेजक या सनसनीखेज बनाने के प्रयास किए जाते हैं तो यह अपने आप में गंभीर है। मेरा मानना है कि ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर टीवी चैनलों को भी पैनल डिस्कशन रखने की पंरपरा को तोड़ना होगा। साफ कारण है कि जो भी डिस्कशन में आएगा उसकी मानसिकता से आप कैसे पहले से संतुष्ट हो सकते हैं। एक जरा-सी उत्तेजकता के दुष्परिणामों को भी समझना होगा। जब हम यह जानते हैं कि यह संवेदनशील और सांप्रदायिकता से जुड़े मुद्दे हैं तो ऐसे विषय में सामान्य पत्रकारिता धर्म निभाते हुए वाद−विवाद या आलोचना प्रतिलोचना से बचने के प्रयास किए जाने चाहिए। क्योंकि यह हमें नहीं भूलना चाहिए कि मीडिया का भी देश और देशवासियों के प्रति दायित्व होता है और यह अच्छी बात है कि मीडिया ने अपनी जिम्मेदारी को समझा है पर कभी-कभी टीआरपी के चक्कर में या अतिउत्साह या दूसरे की देखादेखी डिस्कशन आदि के नकारात्मक प्रभाव से नकारा नहीं जा सकता। बल्कि ऐसे मामलों में तथ्यात्मक न्यूज तक सीमित रहा जाए तो अधिक उचित होता है। खैर देशवासियों ने जिस तरह के सौहार्द का परिचय दिया है वह निश्चित रूप से राम रहीम और गंगा-जमुनी संस्कृति का देश और देशवासी ही दे सकते हैं।
-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा
मुंबई महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राजनीति और तेज हो गई है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ओर से अब नारायण राणे ने मोर्चा संभाल लिया है. उन्होंने कहा कि सरकार हम ही बनाएंगे और जब भी राज्यपाल के पास जाएंगे 145 के आंकड़े के साथ ही जाएंगे. महाराष्ट्र के पूर्व सीएम ने कहा कि बीजेपी की सरकार बनाने के लिए मैं पूरी कोशिश करूंगा. सरकार बनाने के लिए जो करना होगा वो करेंगे. उन्होंने शिवसेना पर भी जमकर हमला बोला. नारायण राणे ने कहा शिवसेना ने गठबंधन धर्म नहीं निभाया. उसे बेवकूफ बनाया जा रहा है. बीजेपी नेता ने कहा कि साम, दंड, भेद शिवसेना ने ही सिखाया है. नारायण राणे 145 विधायकों की बात तो कर रहे हैं, लेकिन वो ये विधायक कहां से लाएंगे इसकी जानकारी उन्हें ही होगी. क्योंकि बीजेपी के पास 105 विधायक हैं और ऐसे में उसे 40 और विधायकों की जरूरत होगी. हालांकि बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार ने नारायण राणे के बयान को उनकी व्यक्तिगत राय करार दी. मुनगंटीवार ने स्पष्ट किया कि सरकार के गठन की जिम्मेदारी दिए जाने के संबंध में नारायण राणे का बयान उनकी व्यक्तिगत राय है.
नारायण राणे की एंट्री के साथ ही उनके बेटे नितेश राणे ने ट्वीट किया है. उन्होंने अपने पिता की तस्वीर को ट्वीट करते हुए उसका कैप्शन दिया है कि अब आएगा मजा...
उद्धव ठाकरे ने क्या कहा
नारायण राणे के बयान से पहले उनकी पूर्व पार्टी यानी शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी सरकार बनाने का दावा किया. उन्होंने कहा कि हम अभी भी सरकार बना सकते हैं. हमें थोड़ा वक्त चाहिए. एनसीपी कांग्रेस से बात चल रही है. हमने राज्यपाल से सरकार बनाने की इच्छा जताई थी. राज्यपाल ने हमें समय नहीं दिया. शिवसेना को समय की जरूरत है.
शिवसेना प्रमुख ने कहा कि हमारा सरकार बनाने का दावा अभी भी कायम है. बहुमत साबित करने के लिए 24 घंटे का वक्त कम है. उद्धव ठाकरे ने कहा कि बीजेपी ने सीएम का पद हमें देने का वादा नहीं निभाया. उन्होंने यह बताने की कोशिश की कि हम झूठे हैं. हिंदुत्व हमारी आइडियोलॉजी है. राम ने अपना वादा निभाया. हम राम मंदिर चाहते हैं. वे अपना वादा नहीं निभा रहे, यह हिंदुत्व नहीं है.
मुंबई. महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए 19 दिन तक उठापटक के बीच मंगलवार को राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। इसके बाद शिवसेना संख्याबल बताने के लिए भाजपा की तुलना में कम समय मिलने को लेकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। अदालत ने इस याचिका पर बुधवार सुबह 10.30 बजे तक मेंशनिंग के लिए कहा था। शिवसेना के वकील सुनील फर्नांडीज ने बताया कि हमने दायर याचिका पर सुनवाई की मांग नहीं की है। फिलहाल, राष्ट्रपति शासन को चुनौती देने पर भी फैसला नहीं हुआ है।
अपडेट्स
- राकांपा प्रमुख शरद पवार ने अपने 54 विधायकों के साथ मुंबई में बैठक की। इसके बाद अजित पवार ने कहा- हमारे विधायक चाहते हैं कि जल्द नई सरकार बने। मुझे लगता है कि नए साल से पहले महाराष्ट्र को नई सरकार मिल जाएगी।
- कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट और विश्वजीत कदम अस्पताल में भर्ती शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत से मिलने पहुंचे। कांग्रेस ने राकांपा के साथ न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार करने के लिए महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेताओं की कमेटी बनाई।
राकांपा-कांग्रेस स्थिति स्पष्ट होने पर शिवसेना से बात करेंगे
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन के बावजूद शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस सरकार बनाने के अपने दावे से पीछे नहीं हटी है। मंगलवार को कांग्रेस नेताओं और राकांपा प्रमुख शरद पवार के बीच मुंबई में एक अहम बैठक हुई। दोनों पार्टियों ने सरकार गठन पर कहा कि सभी बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट होने के बाद हम शिवसेना को समर्थन देने पर बात करेंगे।
उद्धव ठाकरे बोले- हमने भाजपा का साथ नहीं छोड़ा
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मंगलवार शाम को यह कहकर कि 'उनकी पार्टी ने भाजपा का साथ नहीं छोड़ा है' सभी को हैरान कर दिया। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि हमारी राकांपा-कांग्रेस के साथ बातचीत जारी है। उद्धव ने रांकांपा और कांग्रेस के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।
इस दौरान उनसे पूछा गया कि क्या भाजपा के साथ विकल्प पूरी तरह खत्म हो चुका है? उद्धव ने कहा- 'आप इतनी जल्दी में क्यों हैं? ये राजनीति है। राज्यपाल ने हमें 6 महीने का समय दिया है। अगर भाजपा-शिवसेना का रिश्ता खत्म हुआ होगा तो उन्होंने खत्म किया होगा। जो बात उस वक्त तय हुई थी उस पर अमल करो यही हमारी मांग है।'
सरकार के गठन पर उद्धव ने कहा, 'हम तीन पार्टी (शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस) साथ आना चाहते हैं, लेकिन हमें वक़्त नहीं दिया गया। हमने राज्यपाल से कहा था कि सरकार बनाने के लिए चर्चा की जरूरत है। हमने सिर्फ 48 घंटे मांगे थे लेकिन राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की और अब हमें 6 महीने का वक्त मिल गया।'
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कर्नाटक के 17 अयोग्य विधायकों की याचिका पर फैसला सुना दिया। कोर्ट ने पूर्व विधानसभा स्पीकर केआर रमेश कुमार के विधायकों को अयोग्य ठहराने के फैसले को सही बताया। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने स्पीकर के उस आदेश को गलत ठहराया, जिसमें उन्होंने विधायकों को कर्नाटक विधानसभा के पूरे कार्यकाल के लिए ही अयोग्य ठहरा दिया था। जस्टिस रमना की बेंच ने कहा कि विधायक 5 दिसंबर को होने वाला उपचुनाव लड़ सकते हैं। अगर वे जीतते हैं तो मंत्री भी बन सकते हैं। जस्टिस रमना ने यह भी कहा कि लोगों को स्थायी सरकार से वंचित नहीं किया जा सकता।
29 जुलाई को रमेश कुमार ने तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के फ्लोर टेस्ट के दौरान 17 बागी विधायकों को अयोग्य करार दिया था। ये सभी विधायक विश्वासमत के दौरान गैरहाजिर रहे, जिससे कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार गिर गई थी। इसके बाद राज्य में भाजपा की सरकार बनी।
5 दिसंबर को रिक्त सीटों पर उपचुनाव
अयोग्य करार दिए गए 17 विधायकों में से 15 सीटों पर 5 दिसंबर को चुनाव होना है। पहले इन 15 सीटों पर 21 अक्टूबर को चुनाव होना था, लेकिन विधायकों को अयोग्य करार देने से जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित था। इसके चलते चुनाव आयोग ने मतदान की तारीखों को 5 दिसंबर तक टाल दिया था।
अयोग्य घोषित विधायकों में 14 कांग्रेस और 3 जदयू के
अयोग्य घोषित विधायकों ने 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। जिन विधायकों को अयोग्य घोषित किया गया है, उनमें कांग्रेस के प्रताप गौडा पाटिल, बीसी पाटिल, शिवराम हैब्बर, एसटी सोमशेखर, ब्यराति बासवराज, आनंद सिंह, आर रोशन बेग, मुनिरत्ना, के सुधाकर, एमटीबी नागराज, श्रीमंत पाटिल, रमेश जार्किहोली, महेश कुमाताहल्ली और आर शंकर शामिल हैं। वहीं जेडीएस से एएच विश्वनाथ, गोपालैया और नारायण गौड़ा का नाम भी सूची में शामिल है।
कर्नाटक में सीटों का गणित
कर्नाटक में कुल 224 सीटें हैं। 17 विधायकों को अयोग्य ठहराने के बाद विधानसभा सीटें 207 रह गईं। इस लिहाज से बहुमत के लिए 104 सीटों की जरूरत थी। भाजपा (105) ने एक निर्दलीय के समर्थन से सरकार बना ली।
15 सीटों पर 5 दिसंबर को उपचुनाव कराए जाएंगे। दो सीटों मस्की और राजराजेश्वरी नगर पर कर्नाटक हाईकोर्ट में मामला लंबित है, लिहाजा यहां चुनाव नहीं होंगे। 15 सीटों पर चुनाव होने के बाद विधानसभा में 222 सीटें हो जाएंगी। उस स्थिति में बहुमत का आंकड़ा 111 हो जाएगा। भाजपा को सत्ता में बने रहने के लिए कम से कम 6 सीटों की जरूरत होगी।
नई दिल्ली। कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र में सरकार गठन के सभी विकल्प अपनाए बिना राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करके जल्दबाजी दिखाई। वहीं सोमवार को राज्य में गैर-भाजपा सरकार बनाने की कोशिशों में नाकाम रही शिवसेना ने कहा कि अगर राष्ट्रपति शासन लगता है, तो उसे चुनौती दी जा सकती है। इससे पहले राज्यपाल ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को सरकार गठन को लेकर मंगलवार रात साढ़े आठ बजे तक का समय दिया था। हालांकि इससे पहले ही उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने से जुड़ी रिपोर्ट भेज दी।
कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने यहां पत्रकारों से कहा, मैं इस कार्रवाई की निंदा करता हूं, जो सभी विकल्प अपनाए बिना जल्दबाजी में की गई। यह राज्यपाल की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है। इससे यह सवाल भी उठता है कि क्या राज्यपाल दबाव में काम कर रहे हैं। कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता विजय वदेत्तीवार ने कहा राष्ट्रपति शासन सरकार गठन की राह में रोड़ा नहीं बनेगा। उन्होंने कहा, जब तीनों दलों (कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना) ने यह दर्शा दिया था कि उनके पास 144 से अधिक विधायकों का समर्थन है तो राज्यपाल को हमें सरकार गठन का न्योता देना चाहिये था। कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भी इस तरह के विचार साझा करते हुए कहा, एक बार हमारे पास समर्थन के पत्र आ जाएं, तो राष्ट्रपति शासन हटा दिया जा सकता है। कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि राज्यपाल को हमारी पार्टी को सरकार बनाने की इच्छा और क्षमता दिखाने के लिए आमंत्रित करना चाहिए था। हालांकि शिवसेना के विधान पार्षद अनिल परब नेकहा कि अगर राष्ट्रपति शासन लगाया गया तो उसे चुनौती दी जा सकती है।
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नई दिल्ली. यहां की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को कांग्रेस नेता व लोकसभा सांसद शशि थरूर के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दिए विवादित बयान के मामले में जमानती वारंट जारी किया है। थरूर पर आरोप है कि वे मानहानि मामले में कोर्ट में पेश नहीं हुए। थरूर ने 28 अक्टूबर 2018 को बंगलौर साहित्य महोत्सव के दौरान कहा था कि मोदी शिवलिंग पर बैठे बिच्छू के समान हैं।
आप उसे अपने हाथ से हटा भी नहीं सकते और न ही चप्पल से मार सकते हैं। कोर्ट ने भाजपा नेता राजीव बब्बर की शिकायत के बाद थरूर के खिलाफ वारंट जारी किया। कोर्ट ने अब थरूर को 27 नवंबर को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा है। थरूर पर पांच हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। बब्बर द्वारा की गई शिकायत में कहा गया है कि मैं भगवान शिव का भक्त हूं।आरोपी ने करोड़ों शिव भक्तों की भावनाओं को नजरअंदाज करते हुए यह बयान दिया जो भारत तथा देश से बाहर सभी शिव भक्तों की भावनाओं को आहत करता है। मानहानि से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और धारा 500 के तहत यह शिकायत दायर की गई थी।
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महाराष्ट्र में सरकार बनाने और शिवसेना को समर्थन देने के सवाल पर कांग्रेस ने सोमवार सुबह से शाम तक मैराथन बैठकें कर विचार मंथन किया लेकिन देर शाम चार लाइन का एक बयान जारी कर कहा कि पार्टी ने अभी कोई फैसला नहीं लिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एनसीपी नेता शरद पवार से इस संबंध में और बातचीत करेंगी। पार्टी ने अभी तक ये साफ नहीं किया है कि वे शिवसेना को समर्थन देने जा रही है या नहीं देगी।महाराष्ट्र के प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि कांग्रेस में अभी समर्थन पर विचार जारी है फैसला नहीं लिया है। महाराष्ट्र के पूर्व सीएम पृथ्वीराज च्वाहण ने कहा शिवसेना को समर्थन की चिट्ठी जारी के करने के संबंध में कहा कि अभी तो एनसीपी की ओर से भी कोई पत्र नहीं दिया गया है।
दूसरी ओर महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे ने बताया कि एनसीपी से मंगलवार को मुंबई में बातचीत की जाएगी। कांग्रेस का प्रतिनिधि मंडल एनसीपी से बातचीत के लिए मुंबई जाएगा।
महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस ने सुबह कार्यसमिति की बैठक बुलाई। दिल्ली में मौजूद करीब 28 नेता बैठक में शामिल हुए। बैठक में कई नेताओं की राय थी कि महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी को समर्थन देना चाहिए। जबकि वरिष्ठ नेता एके.एंटनी और महासचिव केसी.वेणुगोपाल कतई इस पक्ष में नहीं थे।
दरअसल केरल से आने वाले दोनों वरिष्ठ नेता शिवसेना के साथ जाने पर भविष्य के नुकसान को देख रहे हैं। कुछ नेताओं का तर्क था कि अभी कुछ राज्यों में चुनाव होने हैं कांग्रेस ने हमेशा शिवसेना से दूरी रखी है ऐसे में साथ जाने का नुकसान न उठाना पड़े। कुछ नेताओं की राय थी कि हमें न सिर्फ समर्थन देना चाहिए बल्कि सरकार में भी शामिल होना चाहिए।
समर्थन पर सर्वसम्मति न बनते देख बैठक में तय हुआ कि महाराष्ट्र के नेताओं और जीतकर आए विधायकों की राय भी जान लेनी चाहिए। इस पर एके.एंटनी ने कहा कि हमें अपना फैसला विधायकों पर थोपना नहीं चाहिए।
शाम को चार बजे एक बार फिर महाराष्ट्र के नेता सोनिया के आवास दस जनपथ पर जुटे। इसी बीच महाराष्ट्र से शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के करीबी मिलिंद नारवेकर भी दिल्ली पहुंचे और उन्होंने अहमद पटेल से उनके आवास पर मुलाकात की। उनके साथ शिवसेना नेता अरविंद सांवत भी मौजूद थे। दरअसल पहले संजय राउत को दिल्ली आकर कांग्रेस नेताओं से मिलना था लेकिन वे अचानक बीमार हो गए।
दस जनपथ में शाम की बैठक में महाराष्ट्र से जुड़े सुशील कुमार शिंदे, बाला साहेब थोराट, गुजरात के प्रभारी महाराष्ट्र के नेता राजीव साटव,राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडेय, पूर्व सीएम अशोक च्वाहण, हिमाचल की प्रभारी रजनी पाटिल, माणिकराव ठाकरे पृथ्वी राज च्वाहण बैठक में शामिल हुए। जबकि अहमद पटेल, एके.एंटनी, केसी.वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक भी पहुंचे।
करीब तीन घंटे के मंथन के दौरान सोनिया गांधी ने राजस्थान में मौजूद पार्टी के विधायकों से टेलीफोन पर बातचीत कर उनके विचार जाने। बताते हैं कि 44 विधायकों में करीब 37 ने पहले ही नेतृत्व को लिखकर दिया कि है हमें भाजपा को दूर रखने के लिए सरकार में शामिल होना चाहिए। सोनिया से बातचीत में भी विधायकों ने पार्टी नेतृत्व से न सिर्फ वैकल्पिक सरकार को समर्थन की बल्कि उसमें शामिल होने की मंशा भी जताई है।
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा है कि देश में बढ़ते कौशल से अगले 10 से 15 सालाें में भारत सात हजार खरब रुपये की अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा। पीएम नरेंद्र मोदी ने 2024 तक भारत को साढे़ तीन हजार खरब रुपये की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य पहले ही तय कर लिया है। ‘डिफेंस-कनेक्ट’ कार्यक्रम में राजनाथ ने कहा, पीएम मोदी ने जो लक्ष्य तय किया है मुझे लगता है कि जैसा कौशल हमारे देश में आ रहा है हम दस से 15 सालों में सात हजार खरब रुपये की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। पिछले महीने राजनाथ सिंह ने निजी सेक्टर को रक्षा उद्योग में आगे आने का निमंत्रण दिया था।
22वें इंडिया इंटरनेशनल सिक्योरिटी एक्सपो 2019 में उद्योगों के प्रमुखों को संबोधित करते हुए राजनाथ ने कहा, अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने के सरकार के लक्ष्य में रक्षा क्षेत्र बड़ी और अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा, हमारा लक्ष्य विश्व स्तरीय घरेलू रक्षा उद्योग विकसित करना है जो पूरी तरह आत्म निर्भर हो ताकि रक्षा उपकरणों के आयात पर निर्भरता कम हो सके।
बुधवार तक हरियाणा का मंत्रिमंडल तैयार हो जाएगा और उसी दिन राजभवन में मंत्रियों के शपथग्रहण समारोह भी आयोजित होने की प्रबल संभावनाएं हैं। जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों में उलझा हरियाणा के मंत्रिमंडल में टीम मनोहर-टू के साथी कौन-कौन होंगे, गृहमंत्री अमित शाह से मुख्यमंत्री मनोहर लाल की मुलाकात के बाद यह भी तय हो चुका है, पत्ते बुधवार को खुल जाएंगे। सूत्रों के अनुसार इस बार कुल 14 मंत्रियों में से अब भाजपा के 8, जजपा के 4 और 2 निर्दलीय विधायक मंत्री बनेंगे। जबकि भाजपा अपने सहयोगी जजपा को सिर्फ 3 मंत्री देना चाहती थी, लेकिन जजपा आखिर तक 2 कैबिनेट और 2 राज्यमंत्री दिए जाने की मांग पर अड़ी रही। इस बाबत उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की अमित शाह से भी बातचीत हुई और उन्होंने शाह से जजपा को चार मंत्री देने की बात कही। सूत्र बताते हैं कि भाजपा अब जजपा को 4 मंत्री देने को तैयार हो गई है।
दूसरी ओर, सूत्र बताते हैं विभिन्न जिलों, जातियों और क्षेत्रों को साधकर इस बार नई गठबंधन सरकार का मंत्रिमंडल तैयार किया गया है। जातीय समीकरणों के लिहाज से इस बार दो महिलाओं को भी मंत्री बनाया जा सकता है। यह दोनों महिला मंत्री भाजपा की हो सकती हैं, क्योंकि सूत्रों की माने तो जजपा ने फिलहाल नैना चौटाला को इस बार मंत्रिमंडल से बाहर ही रखने का निर्णय लिया है। भाजपा की ओर से महिला मंत्रियों के दावेदारों में दो बार की विधायक सीमा त्रिखा व कमलेश ढांडा और निर्मला रानी शामिल है।
इसके अलावा मंत्रियों के दावेदारों में भाजपा के खाते से विधायक अनिल विज, कंवरपाल गुर्जर, सुभाष सुधा, हरविंद्र कल्याण, डा. कमल गुप्ता, डा. अभय सिंह यादव, डा. बनवारी लाल, रणबीर गंगवा, डा. कृष्ण मिड्डा, रामकुमार कश्यप, मूलचंद शर्मा व महिपाल ढांडा की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। उधर, जजपा की ओर से विधायक ईश्वर सिंह, देवेंद्र सिंह बबली, अनुप धानक व रामकुमार गौतम का नाम आगे हैं, लेकिन विधायक रामकरण काला भी जजपा से मंत्रीपद मांग रहे हैं। इसी तरह निर्दलीयों में रणधीर सिंह चौटाला, बलराज कुंडू व रणधीर गोलन में से दो का मंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है।
मुंबई. राकांपा नेता अजित पवार ने मंगलवार को कहा कि हमने (राकांपा और कांग्रेस) साथ-साथ चुनाव लड़ा है, इसलिए सरकार बनने का फैसला हम अकेले फैसला नहीं ले सकते। कल 10 बजे से शाम 7 बजे तक हम उनके पत्र की राह देखते रहे, लेकिन शाम तक वह नहीं मिला। हमारा अकेले पत्र देना ठीक नहीं था। हमारे पास कुल 98 विधायक हैं। इस बीच लीलावती अस्पताल में भर्ती शिवसेना सांसद संजय राउत से शरद पवार ने मुलाकात की।
महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर 18 दिनों से चल रही उठापठक के बीच राज्यपाल ने अब तीसरे बड़े दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को सरकार बनाने का न्योता दिया है। इसके लिए राकांपा को आज रात 8.30 बजे तक का समय मिला है।
‘कांग्रेस नेताओं के साथ मीटिंग कर उन्हें बता देंगे’
इससे पहले शरद पवार अपने विधायकों के साथ मीटिंग करेंगे। अजित ने कहा, ‘‘पवार साहब को अहमद पटेल ने फोन कर दिल्ली बुलाया था। लेकिन हमारे विधायक यहां है और पवार साहब का दिल्ली जाना मुश्किल है। इसलिए हमने यहां चर्चा का मन बनाया है। कांग्रेस और राकांपा ने साथ चुनाव लड़ा है इसलिए हम एक-दूसरे पर आरोप नहीं लगा सकते। उन्होंने (कांग्रेस) हमें मैसेज दिया था कि हम यहां (महाराष्ट्र के कांग्रेस नेताओं के साथ) बैठक कर उन्हें बता दें। आज शाम को राकांपा और कांग्रेस नेताओं की मुंबई में बैठक होगी।’’
राष्ट्रपति शासन के सवाल पर अजित ने कहा- अगर हम एक साथ चर्चा कर रहे हैं, तो आगे किसी चीज का कोई सवाल ही नहीं उठता। इस बीच, शरद पवार ने मंगलवार को लीलावती अस्पताल में भर्ती शिवसेना नेता संजय राउत से मुलाकात की। पवार ने राकांपा और कांग्रेस नेताओं की मुलाकात पर कहा कि इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं।
शिवसेना को ज्यादा समय देने से राज्यपाल का इनकार
इससे पहले सोमवार शाम शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात के दौरान सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए दो दिन का समय मांगा था, जिसे राज्यपाल ने देने से मना कर दिया। अब राज्यपाल ने राकांपा को सरकार बनाने का न्याोता दिया है।