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मुंबई: महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections 2019) के बाद सरकार बनाने को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच जारी रस्‍साकशी के बीच मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की. वहां से लौटने के बाद फडणवीस आज बीजेपी के कोर नेताओं से मुलाकात करेंगे. इसी बैठक में महाराष्ट्र में बनने वाली सरकार पर बात होगी. इसके साथ ही कब शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से मिला जाए ये भी तय किए जाने की उम्मीद है.
बैठक के बाद कौन सबसे पहले शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से मिलने जाएगा और उसके पास राज्य में सरकार बनाने को लेकर क्या फॉर्मूला होगा, इस पर भी तैयारी की जाएगी. वैसे शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे आज सुबह दस बजे नादेड़ के दौरे पर जा रहे हैं. वहां पर बेमौसम बारिश के कारण खराब हुई फसलों का जायजा लेंगे और किसानों से बात करेंगे.
इसी तरह विपक्षी खेमे में सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद आज एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार अपनी पार्टी के नेताओं के साथ बैठक करेंगे. एनसीपी की सहयोगी कांग्रेस पार्टी के नेताओं की भी बैठक हो सकती है. बताया जा रहा है कि इस बैठक में राज्य में बगैर बीजेपी के बनने वाली सरकार पर विचार मंथन होगा.
शिवसेना ने लगाया पोस्‍टर
इस बीच महाराष्ट्र चुनाव के बाद पूरे राज्य में सभी के मन में मुख्यमंत्री पद को लेकर सवाल उठ रहे हैं. भाजपा की और से देवेंद्र फडणवीस का नाम जाहिर किया गया है और शिवसेना की ओर से उनके युवा नेता आदित्य ठाकरे का. इसी को लेकर पूरा विवाद खड़ा नजर आ रहा है. दोनों ही पार्टियों के पक्षकारों की तरफ से आरोप-प्रत्‍यारोप का सिलसिला दो हफ्तों से चल रहा है. इस बार शिवसेना ने मानों ठान लिया है कि मुख्यमंत्री कोई शिवसैनिक ही होगा. शिवसेना की ओर से देर रात पोस्टर लगाए गए हैं जिसमें आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की गई है. पोस्टर लगाने से पहले सेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे भी उद्धव ठाकरे से मिलने मातोश्री पहुंचे थे. क्या पोस्टर और मुलाकात द्वारा शिवसेना अपने 50 -50 के फॉर्मूले को लेकर बीजेपी को झुका पाएगी? यह देखने वाली बात होगी.

नई दिल्ली। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने आज यहां कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की और महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति पर विचार विमर्श किया लेकिन वहां सरकार बनाने को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले।
पवार ने यहां श्रीमती गांधी से मुलाकात के बाद संवाददाताओँ से कहा कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष को राज्य की राजनीतिक स्थिति की जानकारी दी। हालांकि उन्होंने इसका ब्यौरा नहीं दिया और कहा कि यह तय किया गया है कि इस प्रकार की मुलाकात फिर से हो। बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ए के एंटनी भी मौजूद थे ।
पवार ने शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने की लग रही अटकलों को खारिज किया और कहा कि हमारे पास न तो संख्या है और न ही शिवसेना के साथ सरकार बनाने को लेकर कोई बात हुई है । उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच जो चल रहा है उस पर उनकी नजर बनी हुई है। उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि वह नहीं चाहते हैं कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो लेकिन जिन्हें जनता ने बहुमत दिया है उन्हें सरकार बनाने का काम करना चाहिए । पवार ने साफ कर दिया कि उनका मुख्यमंत्री बनने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा कि 288 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को विपक्ष में बैठने का जनादेंश मिला है । राकांपा को 56 सीटें मिली है और उसकी सहयोगी कांग्रेस को 44 सीटें मिली है।
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महाराष्ट्र में सियासत का ऊंट किस करवट बैठेगा, इसकी तस्वीर सोमवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की मुलाकात के बाद संभवत: साफ हो जाएगी। सूबे में शिवसेना और भाजपा के बीच जारी तनातनी ने अचानक पवार को किंगमेकर बना दिया है।शिवसेना और एनसीपी के बीच नए सिरे से पक रही सियासी खिचड़ी से भाजपा खेमा पहली बार चिंतित हुआ है। दरअसल चर्चा है कि शिवसेना ने एनसीपी के समक्ष मिलकर सरकार बनाने और सरकार का नेतृत्व करने का भी प्रस्ताव दिया है। हालांकि भाजपा को भरोसा है कि पवार अंत समय में शिवसेना को गच्चा देंगे।

महाराष्ट्र की सियासत में शिवसेना और भाजपा के बीच जारी शह और मात के खेल में पवार की भूमिका बेहद अहम हो गई है। चर्चा है कि भाजपा से नाराज शिवसेना ने पवार के समक्ष एनसीपी की अगुवाई में सरकार बनाने का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव पर विचार करने से पूर्व एनसीपी चाहती है कि शिवसेना सार्वजनिक तौर पर भाजपा से संबंध तोड़ने की घोषणा करे। शिवसेना के इस प्रस्ताव के बाद एनसीपी ने पूरे मामले में कांग्रेस से बातचीत का मन बनाया है। इसी कड़ी में सोमवार को पवार और सोनिया की अहम मुलाकात होने वाली है।
भाजपा के माथे पर उभरी शिकन

भाजपा के रणनीतिकारों का कहना है कि यह ठीक है कि शिवेसना, राकांपा और कांग्रेस के साथ आने पर इनकी संयुक्त सीटों की संख्या बहुमत से बहुत ज्यादा होगी। इसके बावजूद पार्टी शिवसेना की तीखी बयानबाजी, राकांपा नेताओं से मुलाकात को फिलहाल दबाव की राजनीति ही मान रही है। पार्टी को लगता है कि संबंधों में कड़वाहट बढ़ने के बाजवूद शिवसेना राकांपा-कांग्रेस से हाथ मिलाने का फैसला नहीं करेगी।
मुख्यमंत्री पद को लेकर है गतिरोध

24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद से दोनों गठबंधन साझीदारों के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर गतिरोध बना हुआ है। इस चुनाव में 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना ने 56 और भाजपा ने 105 सीटों पर जीत दर्ज की। राज्य की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल नौ नवंबर को खत्म हो जाएगा।
 
 
आज शाह से दिल्ली में मिलेंगे फडणवीस

महाराष्ट्र में सरकार के गठन पर खींचतान के बीच भाजपा और शिवसेना ने कवायद तेज कर दी है। सोमवार का दिन सियासी हलचलों से भरा रहेगा, क्योंकि शिवसेना नेताओं के महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिलने का कार्यक्रम है। वहीं देवेंद्र फडणवीस भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात करेंगे।

सूत्रों के मुताबिक शिवसेना इस गतिरोध को अब और लंबा खींचने के मूड में नहीं है। इसलिए वह चाहती है कि भाजपा आलाकमान चुप्पी तोड़े और अपनी बात साफ करे। इसलिए वह राज्यपाल से मुलाकात कर सबसे बड़े दल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने को कहेगी। सूत्रों का कहना है कि एक-दो दिन में गतिरोध समाप्त हो सकता है। वहीं शिवसेना सांसद संजय राउत ने एनसीपी नेता अजीत पवार को टेक्स्ट मैसेज करके राज्यपाल के पास दावा पुख्ता करने की तैयारी की है।

इससे पहले अपनी बात पर अड़ी शिवसेना ने कहा कि वह भाजपा से केवल मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर ही बात करेगी। संजय राउत ने कहा कि गतिरोध बना हुआ है और सरकार के गठन को लेकर अभी कोई बातचीत नहीं हुई है। राउत ने दावा किया कि शिवसेना के पास 170 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है। आंकड़ा 175 भी हो सकता है। पार्टी के मुखपत्र में राउत ने भाजपा को चुनौती देते हुए कहा कि वह राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करके दिखाए। अगर शिवसेना के साथ गठबंधन नहीं होता तो भाजपा को 75 से अधिक सीटें नहीं मिलतीं।
 
फडनवीस और उद्धव वर्षा प्रभावित इलाकों के दौरे पर

सरकार के गठन में हो रही देरी के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे वर्षा से प्रभावित इलाकों का दौरा करने चले गए हैं। फडनवीस रविवार को अकोला और ठाकरे औरंगाबाद जिले में पहुंच और बेमौसम हुई बरसात के चलते किसानों को हुए नुकसान का जायजा लिया। औरंगाबाद में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि आने वाले दिनों में पता चल जाएगा कि शिवसेना सत्ता में आती है या नहीं।  
राउत ने अजीत पवार को किया मैसेज

शिवसेना और राकांपा के मिल कर सरकार बनाने की चर्चाओं के बीच राकांपा नेता अजीत पवार को शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने मैसेज भेजा है। हालांकि यह संदेश औपचारिक है और इसमें लिखा है नमस्कार मी संजय राउत, जय महाराष्ट्र। पवार ने कहा कि इसका आशय है कि मुझे उन्हें फोन करना चाहिए। मैं फोन करके देखता हूं। शिवसेना के 170 विधायकों के समर्थन के दावे पर उन्होंने कहा कि वह इस आंकड़े के बारे में नहीं जानते। ।

शिवसेना के वर्तमान प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बालासाहेब ठाकरे के सिद्धांतों को तिलांजलि देते हुये अपने बेटे आदित्य ठाकरे को चुनाव लड़वा कर विधायक बनवा चुके हैं। उनका अगला प्रयास पुत्र आदित्य ठाकरे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री बनवाना है।

शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे शिवसेना के एकछत्र नेता थे तथा पूरी पार्टी को अपनी मुट्ठी में रखते थे। मगर उन्होंने कभी अपने परिवार के किसी सदस्य को चुनाव नहीं लड़ने दिया था। उनके इन्हीं विचारों की बदौलत शिवसेना महाराष्ट्र में तेजी से एक प्रमुख राजनीतिक दल के रूप में उभरी व 1995 से 1999 तक प्रदेश में शिवसेना के मनोहर जोशी व नारायण राणे मुख्यमंत्री बने। लेकिन अब शिव सेना का चेहरा, चाल व चरित्र बदल चुका है।
 
शिवसेना के वर्तमान प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बालासाहेब ठाकरे के सिद्धांतों को तिलांजलि देते हुये अपने बेटे आदित्य ठाकरे को चुनाव लड़वा कर विधायक बनवा चुके हैं। उनका अगला प्रयास पुत्र आदित्य ठाकरे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री बनवाना है। वर्तमान समय में उद्धव ठाकरे पुत्र मोह में धृतराष्ट्र बने हुए हैं। उनके राजहठ के चलते महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन नहीं हो पा रहा है। उद्धव ठाकरे अपने पुत्र आदित्य ठाकरे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाने का सपना देख रहे हैं। इस कारण महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर गतिरोध चल रहा है। चूंकि विधानसभा चुनाव से पूर्व महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी व शिवसेना ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को ही अगले मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश किया गया था। विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद भारतीय जनता पार्टी को 122 के स्थान पर 105 सीटें व शिवसेना को 63 के स्थान पर 56 सीटें मिली हैं।

चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को कम सीटें मिलते ही शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। उन्होंने मांग की है कि महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी व शिवसेना का ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री रहे। जबकि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का कहना है कि चुनाव पूर्व सीटों के बंटवारे के समय मुख्यमंत्री के पद के बंटवारे को लेकर कोई समझौता नहीं किया गया था। भारतीय जनता पार्टी को उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे को महाराष्ट्र का उपमुख्यमंत्री बनाने में कोई दिक्कत नहीं है।
 
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 148 सीटों पर तथा उनके सहयोगी अन्य छोटे दलों ने 16 सीटों पर चुनाव लड़ा थ। जबकि शिवसेना ने 124 सीटें सीटों पर चुनाव लड़ा था। चुनाव परिणाम की दृष्टि से देखें तो भारतीय जनता पार्टी का चुनाव परिणाम शिवसेना से बहुत अधिक बेहतर रहा है। इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत का रेशा 64 प्रतिशत रहा वहीं शिवसेना के जीत का रेशा 45 प्रतिशत ही रहा है। इस तरह देखें तो भारतीय जनता पार्टी की स्थिति शिवसेना से कहीं अधिक सुदृढ़ नजर आती है। विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पिछली बार की तुलना में 2.06 प्रतिशत वोट कम मिले वहीं शिवसेना को 2014 की तुलना में 2.94 प्रतिशत वोट कम मिले हैं।
 
महाराष्ट्र के चुनावी इतिहास को देखें तो भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन करने के बाद ही शिवसेना ने राजनीति में लंबी छलांग लगाई है 1989 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2019 के विधानसभा चुनाव तक शिवसेना ने प्रदेश के 288 विधानसभा सीटों में 1995 में सर्वाधिक 73 सीटें जीती थीं वह भी भाजपा के साथ गठबंधन करने से। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के विधानसभा चुनाव में अपने दम पर 122 सीटें जीत कर शिवसेना को बहुत पीछे छोड़ दिया था। भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन होने से पूर्व शिवसेना का राजनीतिक स्कोर शून्य था। जबकि महाराष्ट्र में भाजपा व उसके पूर्ववर्ती जनसंघ हर चुनाव में सीटें जीतता रहा था।
 
1989 के लोकसभा चुनाव में पहली बार भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना का गठबंधन हुआ और उस चुनाव में शिवसेना ने पहली बार लोकसभा की एक सीट पर जीत दर्ज की थी। उसके बाद 1991 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना ने 4 सीटें जीतीं, 1996 में 15 सीट, 1998 में 6 सीट, 1999 में 15 सीट, 2004 में 12 सीट, 2009 में 11 सीट, 2014 में 18 सीट व 2019 के लोकसभा चुनाव में भी 18 सीटें जीती थीं।
इसी तरह 1972 में शिवसेना विधानसभा की 1 सीट जीतने में कामयाब रही थी लेकिन उसके बाद उसने कोई सीट नहीं जीती थी। 1989 में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना का गठबंधन होने के बाद 1990 के विधानसभा चुनाव में पहली बार शिवसेना ने 183 सीटों पर चुनाव लड़ कर 52 सीट व 15 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। 1995 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने 169 सीटों पर चुनाव लड़ कर 73 सीट व 16.39 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। 1999 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने 169 सीटों पर चुनाव लड़ कर 69 सीट व 17.33 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। 2004 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने 163 सीटों पर चुनाव लड़कर 62 सीट व 19.97 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। 2009 के विधानसभा चुनाव में 160 सीटों पर चुनाव लड़कर 45 सीट व 16.26 प्रतिशत वोट हासिल किए थे।

2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना का गठबंधन टूट गया था। 2014 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने 286 सीटों पर चुनाव लड़ा था व 63 सीटों पर जीत हासिल की थी। 2014 में शिवसेना को 19.35 प्रतिशत वोट मिले थे। विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा शिवसेना ने फिर से गठबंधन करके पांच साल सरकार चलाई थी। 2019 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा। शिवसेना ने 124 सीटों पर चुनाव लड़कर 56 सीटें व 16.41 प्रतिशत वोट हासिल किए हैं।
 
2019 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा मगर दोनों दलों की सीटें कम हुयी हैं। भारतीय जनता पार्टी 122 से घटकर 105 सीटों पर आ गई। उसके वोटों में भी 2.06 प्रतिशत की कमी आई है। वहीं शिवसेना 63 सीटों से घटकर 56 सीटों पर आ गई, उसके वोटों में भी 2.94 प्रतिशत की कमी आई है।
 
2014 की तुलना में इस बार भारतीय जनता पार्टी की 17 सीटें कम आने से शिवसेना भारतीय जनता पार्टी से सत्ता का मोलभाव करने पर उतारू हो गई है। चुनाव से पूर्व जहां सभी जनसभाओं में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री मानकर चुनाव लड़ा जा रहा था वहीं अब शिवसेना के तेवर तीखे हो गए हैं। शिवसेना के नेताओं ने सत्ता में बराबर की हिस्सेदारी व मुख्यमंत्री पद के बंटवारे की मांग सामने रखकर भारतीय जनता पार्टी के सामने एक नई समस्या खड़ी कर दी है। रही सही कसर शिवसेना का मुखपत्र माना जाने वाला समाचार-पत्र सामना पूरी कर रहा है। सामना रोजाना कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की बजाय भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ आग उगल रहा है जिससे दोनों दलों के संबंधों में तल्खी आ रही है। ऊपर से शिवसेना के कई नेता भी भड़काने वाले बयान दे रहे हैं।
 
हालांकि भारतीय जनता पार्टी की तरफ से अभी तक उकसाने वाला कोई बयान नहीं दिया गया है। भारतीय जनता पार्टी का कोई भी नेता ऐसा कोई बयान नहीं दे रहा है जिससे भविष्य में दोनों दोनों में गठबंधन की सरकार बनाने में कोई दिक्कत पैदा हो। अपने पुत्र को मुख्यमंत्री बनाने के लिए कट्टर हिंदूवादी छवि की राजनीति करने वाले शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे अजमेर की दरगाह में जाकर शीश नवा चुके हैं ताकि उसे मुस्लिम समाज में भी मान्यता मिल सके। शिवसेना नेता बार-बार भारतीय जनता पार्टी को धमकी दे रहे हैं कि यदि हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम धुर विरोधी विचारधारा वाली कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से भी हाथ मिला कर सरकार बना सकते हैं।
 
बहरहाल महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर हो रही देरी से असमंजस की स्थिति बनी हुई है। राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि शिवसेना पहले से अधिक व बड़े मंत्रालय लेने के चक्कर में पूरा खेल खेल रही है। सरकार तो आखिर उसको भाजपा के साथ ही बनानी पड़ेगी। अजमेर दरगाह जाने से शिवसेना कट्टर हिंदू वादी छवि से इतनी जल्दी मुक्त नहीं हो पायेगी। यदि कांग्रेस पार्टी शिवसेना से किसी तरह का गठबंधन करती है तो महाराष्ट्र में तो उसका वजूद मिटेगा ही साथ ही पूरे देश में उसकी सेक्युलर पार्टी वाली छवि को भी भारी नुकसान होगा। सत्ता को लेकर शिवसेना जिस तरह से नाटक कर रही है उससे प्रदेश के आम वोटरों में उसकी पहले वाली छवि को नुकसान हो रहा है। आज शिवसेना की छवि सत्ता लोलुप दल की बनती जा रही है, जिसका एक ही उद्देश्य होता है कि किसी भी तरह से सत्ता हासिल हो। शिवसेना को जल्दी ही निर्णय करके प्रदेश में नयी सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त करना चाहिये ताकि प्रदेश में विकास को रफ्तार मिल सके।
 
-रमेश सर्राफ धमोरा
 

कर्नाटक कांग्रेस कमेटी की ओर से कर्नाटक के राज्यपाल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन सौंपकर बीएस येदियुरप्पा सरकार को बर्खास्त करने की मांग की। इसी के साथ गृह मंत्री अमित शाह को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाने की मांग की गई है।  
बता दें कि बीएस येदियुरप्पा पहले एच डी कुमारस्वामी ने 23 मई 2018 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे लेकिन 23 जुलाई 2019 को विश्वास प्रस्ताव साबित न कर पाने के बाद उनकी सरकार गिर गई थी। 

उधर, कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा कि मीडिया में एक वीडियो क्लिप चलाया गया है जिसमें येदियुरप्पा कहते हुए नजर आ रहे हैं कि अमित शाह के निर्देश पर विधायकों को तोड़ा जा रहा है। उन्होंने मुंबई में मौजूद हर विधायक का भी जिक्र किया। इसी संबंध में हमने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा है। 

पश्चिम बंगाल में सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस कश्मीर घाटी में राज्य के मजदूरों की हत्या के विरोध में सोमवार को मोमबत्ती जुलूस निकालेगी। पार्टी इस दौरान उक्त  हत्याओं की निष्पक्ष जांच की भी मांग उठाएगी।
पिछले दिनों कश्मीर में उग्रवादियों ने सेब के बागानों में काम करने वाले मुर्शिदाबाज जिले के पांच मजदूरों की गोली मार कर हत्या कर दी थी।
तृणमूल कांग्रेस महासचिव और राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने शनिवार को यहां बताया कि मजदूरों की हत्या के विरोध में सोमवार को मोमबत्ती जुलूस निकाला जाएगा और पार्टी इस घटना की निष्पक्ष जांच की भी मांग उठाएगी। राज्य सरकार ने घाटी में फंसे बंगाल के 131 मजदूरों को वापस ले आने की कवायद शुरू कर दी है।

कर्नाटक कांग्रेस कमेटी की ओर से कर्नाटक के राज्यपाल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन सौंपकर बीएस येदियुरप्पा सरकार को बर्खास्त करने की मांग की। इसी के साथ गृह मंत्री अमित शाह को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाने की मांग की गई है।  
बता दें कि बीएस येदियुरप्पा पहले एच डी कुमारस्वामी ने 23 मई 2018 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे लेकिन 23 जुलाई 2019 को विश्वास प्रस्ताव साबित न कर पाने के बाद उनकी सरकार गिर गई थी।
उधर, कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा कि मीडिया में एक वीडियो क्लिप चलाया गया है जिसमें येदियुरप्पा कहते हुए नजर आ रहे हैं कि अमित शाह के निर्देश पर विधायकों को तोड़ा जा रहा है। उन्होंने मुंबई में मौजूद हर विधायक का भी जिक्र किया। इसी संबंध में हमने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा है।

हैदराबाद. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद सबसे बड़ी पार्टी भाजपा और शिवसेना के बीच सरकार बनाने को लेकर तनातनी चल रही है। भाजपा पांच साल अपना मुख्यमंत्री चाहती है, जबकि शिवसेना 50-50 फॉर्मूले पर अड़ी है। इसी बीच एआईएमआईएम सांसद असद्दुदीन ओवैसी ने शनिवार को तंज कसते हुए कहा कि बाजार में नया 50-50 बिस्किट आया है। दूसरी ओर, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे ने शनिवार को राकांपा प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की।
महाराष्ट्र की कुल 288 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 105 और शिवसेना ने 56 सीटें जीती हैं। बहुमत के लिए 145 का आंकड़ा जरूरी है। राकांपा 54 सीटों के साथ तीसरे नंबर की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जबकि कांग्रेस को 44 सीटें हासिल हुई हैं।
इस चुनाव में एआईएमआईएम को दो सीटें मिलीं
ओवैसी ने कहा, ‘‘यह 50-50 क्या है, बाजार में यह सिर्फ नया बिस्किट है। आप 50-50 कितना करेंगे? मेरा कहना है कि आपको महाराष्ट्र की जनता ने चुना है, आप उनके लिए अच्छा काम कीजिए। यहां किसान अपनी समस्याओं को लेकर चिंतित हैं, लेकिन भाजपा-शिवसेना 50-50 कर रही है।’’ इस चुनाव में एमआईएमआईएम के डॉक्टर फारूक शाह धुले और मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल कास्मीमाले से चुनाव जीते हैं।
‘एआईएमआईएम किसी का समर्थन नहीं करेगी’
ओवैसी ने यह भी कहा, ‘‘मैं नहीं जानता कि महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस या कोई और मुख्यमंत्री बनेगा। यहां अभी म्यूजिकल चेयर घूम रही है। इतना साफ है कि एआईएमआईएम सरकार बनाने के लिए भाजपा या शिवसेना का समर्थन नहीं करेगी।’’

नई दिल्ली. इजरायली कंपनी के स्पाइवेर की मदद से वॉट्सऐप यूजर्स की जासूसी के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच आरोपों का दौर जारी है। शनिवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सरकार पर निशाना साधा। वहीं, भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्‌डा ने यूपीए सरकार के दौरान मंत्रियों और सैन्य अधिकारियों की जासूसी को लेकर विपक्ष पर सवाल उठाए।
वॉट्सऐप ने गुरुवार को इजरायली स्पाइवेयर की मदद से दुनियाभर में करीब 1400 वॉट्सऐप यूजर्स के फोन की जासूसी होने की पुष्टि की थी। सरकार ने मामला सामने आने के बाद कंपनी से रिपोर्ट मांगी थी।
सोनिया ने कहा, ‘‘मोदी सरकार द्वारा इजरायली पेगसस स्पाइवेयर के माध्यम से सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और नेताओं की जासूसी की गई। ये गतिविधियां न सिर्फ अवैध और असंवैधानिक हैं, बल्कि शर्मनाक हैं। इससे पहले राहुल गांधी और रणदीप सुरजेवाला ने भी भारतीय वॉट्सऐप यूजर्स की जासूसी के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया था।
नड्डा ने कहा- सरकार रुख स्पष्ट कर चुकी है
सोनिया के आरोप पर नड्‌डा ने कहा, ‘‘सरकार इस मामले पर पहले ही अपना रुख स्पष्ट कर चुकी है। शायद सोनिया गांधी राष्ट्र को इस बारे में बता पाती कि यूपीए सरकार के दौरान 10 जनपथ में किसने प्रणब मुखर्जी के मंत्री कार्यकाल और जनरल वीके सिंह के सेना प्रमुख रहने के दौरान उनकी जासूसी करने की अनुमति दी थी।’’
मेरा फोन टैप हुआ, इसके सबूत हैं: ममता
प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘ये तथ्य है कि इजरायल की एनएसओ कंपनी ने सरकार को मशीन की आपूर्ति की थी। मेरा फोन भी टैप हुआ था। मैं इसके बारे में जानती हूं और इसके सबूत भी मेरे पास हैं। सरकार इजरायल की कंपनी का इस्तेमाल नेताओं, मीडिया के लोगों, वकीलों, जजों, आईएस, आईपीएस अधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर नजर रखने के लिए कर रही है। ये गलत है।''
''पहले वॉट्सऐप सुरक्षित था। अब आपका लैंडलाइन, मोबाइल फोन और वॉट्सऐप मैसेज, कुछ भी सुरक्षित नहीं है। जासूसी की जा रही है। अब हमारे मैसेज रिकार्ड किए जा रहे हैं। ऐसे में हमारी सरकार अधिकारियों को कैसे निर्देश दे पाएगी। मैं प्रधानमंत्री से अनुरोध करती हूं कि वह इस मुद्दे पर ध्यान दें।''

नई दिल्ली. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को प्रदूषण के मसले पर चिट्ठी लिखी है। इसमें उन्होंने कहा है कि दिल्ली के प्रदूषण से पूरे भारत के सम्मान पर असर पड़ता है। इसलिए जावड़ेकर जी को इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए। केजरीवाल ने कहा कि इस मौसम में वायु प्रदूषण सिर्फ दिल्ली की नहीं, बल्कि उत्तर भारत की समस्या है।इसलिए हमें पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए साथ आकर मजबूत और समयानुसार योजनाएं बनानी चाहिए।
केजरीवाल ने चिट्ठी में कहा, “दिल्ली में प्रदूषण के उच्च स्तर से सिर्फ नागरिकों को ही स्वास्थ्य की परेशानी नहीं होती, बल्कि इससे भारत का दौरा करने वाले सम्मानितों की नजर में भी देश की साख गिरती है। हाल ही में जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल आधिकारिक दौरे पर दिल्ली आईं। मैं सोच रहा हूं कि प्रदूषण के इतने भारी स्तर को देखकर उनके मन में भारत की क्या तस्वीर बनी होगी। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों की मास्क पहनकर खेलने की तस्वीरें भारत की खराब छवि पेश करती हैं।
सिसोदिया का आरोप- जावड़ेकर ने प्रदूषण पर 3 बैठकें रद्द कीं
इससे पहले दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर पर राज्य के पर्यावरण मंत्रियों के साथ तीन बैठकें रद्द करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि या तो उनके पास समय नहीं है या वे राजधानी की खराब वायु गुणवत्ता को प्राथमिकता नहीं देते हैं।
खट्टर ने कहा- प्रदूषण पर घटिया राजनीति कर रहे लोग
इससे पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी पराली जलाने की समस्या के निदान के लिए जावड़ेकर को पत्र लिखा। उन्होंने एनसीआर में फैले प्रदूषण को गंभीर परेशानी बताते हुए दिल्ली और पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने की मांग की। उन्होंने इशारों में केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग प्रदूषण पर घटिया राजनीति कर रहे हैं।
केजरीवाल इससे पहले स्कूली बच्चों को प्रदूषण पर रोकथाम लगाने के लिए पंजाब और हरियाण के मुख्यमंत्रियों को चिट्‌ठी लिखने की अपील कर चुके हैं। जावड़ेकर ने इसका राजनीतिकरण करने और उन्हें विलेन के तौर पेश करने का आरोप लगाया था।

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