ईश्वर दुबे
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Bhilai
नई दिल्ली। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक 10 नवंबर को बुलाई गई है। सोनिया गांधी की अध्यक्षता में होने वाली बैठक के एजेंडे को तय किया जा रहा है। बैठक में मोदी सरकार को आर्थिक मोर्चे पर घेरने के साथ ही अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले, असम में लागू किए गए एनआरसी और समान नागरिक संहिता जैसे संवेदनशील मुद्दों पर पार्टी नेता राय रखेंगे।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस अभी से विवादित मुद्दों पर नेताओं से रायशुमारी कर अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहती है ताकि बाद में अलग-अलग सुर न सुनाई दें। एनआरसी को लेकर पार्टी ने एक कमेटी का भी गठन किया है जो पूर्वोत्तर राज्यों में लोगों का पक्ष जानकर अपनी रिपोर्ट देगी। पार्टी भाजपा के किसी एजेंडे में न उलझकर अपना पक्ष रखना चाहती है। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस किस तरह प्रतिक्रिया जताए, पार्टी सीडब्ल्यूसी की बैठक में इस पर भी विचार-विमर्श करना चाहती है। साथ ही बैठक में पार्टी संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर भी रणनीति तय करेगी। कांग्रेस संसद के अंदर और बाहर सरकार को घेरने के लिए विभिन्न मुद्दों को किस तरह उठाया जाए और विपक्षी पार्टियों को भी उसमें कैसे शामिल किया जाए, इसे भी तय करेगी।
राम जन्मभूमि विवाद पर अपना स्टैंड साफ करेगी कांग्रेस
अयोध्या पर फैसले से पहले रविवार को कांग्रेस कार्यकारी समिति, पार्टी की बैठक कर राम जन्मभूमि विवाद पर अपना स्टैंड साफ करेगी। कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने कहा कि पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था अपनी रणनीति को मजबूत करेगी और दशकों पुराने विवाद पर अपने रुख को स्पष्ट करेगी ताकि फैसले के बाद उसके नेता एक स्वर में बोलें। विश्व हिंदू परिषद के एक शीर्ष पदाधिकारी ने बुधवार को कहा कि अयोध्या विवाद के मुकदमे में उच्चतम न्यायालय के संभावित फैसले के मद्देनजर लोगों से हर स्थिति में संयम बरतने की अपील की जा रही है। उन्होंने हालांकि उम्मीद जतायी कि इस मामले में बरसों से चल रही मुकदमेबाजी का अंतिम परिणाम बहुसंख्यक समुदाय के पक्ष में आयेगा। गौरतलब है कि हिंदू समुदाय का एक बड़ा हिस्सा ये मानता है कि मुगल बादशाह बाबर ने 16वीं सदी में राम का मंदिर तुड़वाकर बाबरी मस्जिद बनवाया था। ऐसे में 1992 में कुछ कारसेवकों ने मिलकर बाबरी मस्जिद को तोड़कर तबाह कर दिया। इसके बाद से आजतक ये मामला अदालत में है कि दरअसल ये भूमि किस समुदाय की है।
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम के 13 दिन बाद भी राज्य में नई सरकार के गठन को लेकर असमंजस बरकरार है। भाजपा और शिवसेना में जहां सीएम पद को लेकर पेंच फंसा है, वहीं कांग्रेस-एनसीपी सावधानीपूर्वक अपनी चालें चल रहे हैं। प्रदेश भाजपा की कोर कमेटी की बुधवार की बैठक में तय हुआ कि मुख्यमंत्री का पद शिवसेना के साथ साझा नहीं किया जाएगा।प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल और सुधीर मुनगंटीवार बृहस्पतिवार को राज्यपाल से मुलाकात करेंगे। इस बीच शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बृहस्पतिवार को ही अपने निवास मातोश्री पर पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई है। इसमें कोई अहम निर्णय लिया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार, उद्धव एनसीपी-कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाने की संभावनाओं की लाभ-हानि पर विधायकों से चर्चा करना चाहते हैं।
इस बीच सत्ता की एक चाबी अपने पास होने के बावजूद एनसीपी अपने पत्ते नहीं खोल रही है, जबकि कांग्रेस में आलाकमान के इनकार के बावजूद एक धड़ा चाहता है कि शिवसेना को समर्थन देकर उसकी सरकार बनवाई जाए। कांग्रेस नेता हुसैन दलवाई ने बुधवार को शिवसेना भवन में जाकर संजय राउत से मुलाकात की और बाहर आकर मीडिया से कहा कि अब भाजपा की सरकार किसी भी हाल में नहीं बनेगी। भाजपा से कहीं बेहतर शिवसेना है और भाजपा तथा शिवसेना के हिंदुत्व में भी फर्क है।
भाजपा के शीर्ष नेताओं ने कहा, राज्य के नेता ही सुलझाएं मामला
भाजपा आलाकमान राज्य में सत्ता की उलझन सुलझाने में कोई भूमिका निभाता नहीं दिख रहा है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में बैठे नेताओं ने राज्य भाजपा के नेताओं से कहा है कि वे शिवसेना से सत्ता के बंटवारे को अपने स्तर पर ही सुलझाएं लेकिन इतना साफ है कि शिवसेना को मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं दी जाएगी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ही होंगे। अगर बात नहीं बनी तो अंत में अमित शाह की एंट्री होगी अथवा राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की जाएगी।
राज्यपाल की सिफारिश के बिना नहीं लगेगा राष्ट्रपति शासन : सुभाष कश्यप
संविधान विशेषज्ञ सुभाश कश्यप का कहना है कि नौ नवंबर तक नई सरकार न बनने पर राष्ट्रपति शासन लगे जरूरी नहीं। जब तक राज्यपाल को राष्ट्रपति शासन की जरूरत महसूस न हो, यह नहीं लग सकता।
महाराष्ट्र में विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने का वक्त नजदीक आते ही मुंबई में सियासी हलचल बढ़ गई है। भाजपा से सीएम पद छीनने पर अड़ी शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने बुधवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की। हालांकि पवार ने कांग्रेस के बाहरी समर्थन से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना की सरकार बनाने की कवायद में शामिल होने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा और शिवसेना को जल्द से जल्द सरकार का गठन करना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि एनसीपी और कांग्रेस राज्य में जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभाएंगे।
राउत से मुलाकात के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवसेना के साथ सरकार बनाने के सवाल पर पवार ने कहा कि सवाल कहां उठता है? भाजपा और शिवसेना 25 साल से गठबंधन में हैं और वे आज नहीं तो कल एक साथ फिर आएंगे। यदि हमारे पास पर्याप्त संख्या होती तो हम किसी के लिए इंतजार नहीं करते। कांग्रेस और एनसीपी ने 100 का आंकड़ा भी पार नहीं किया...हम जिम्मेदार विपक्ष के तौर पर काम करेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा और शिवसेना को सरकार बनाने के लिए बहुमत मिला है, ऐसे में उन्हें जल्द से जल्द सरकार बनानी चाहिए और राज्य में सांविधानिक संकट की स्थिति नहीं आने देनी चाहिए। शिवसेना को समर्थन देने को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से चर्चा पर एनसीपी प्रमुख ने कहा कि कांग्रेस और एनसीपी ने गठबंधन के तौर पर चुनाव लड़ा। हम राजनीतिक स्थिति के बारे में सभी फैसले आम सहमति से लेना चाहते हैं। हमें कांग्रेस के फैसले के बारे में पता नहीं है।
उन्होंने खुद के मुख्यमंत्री बनने की अटकलों को भी खारिज किया। उन्होंने कहा कि वह चार बार सीएम रह चुके हैं और अब उन्हें इसे लेकर कोई रुचि नहीं है। कांग्रेस नेता अहमद पटेल की केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के साथ दिल्ली में मुलाकात पर उन्होंने कहा कि यह सड़क निर्माण के बारे में रही होगी।
राउत के साथ संसद में उठाए जाने वाले मुद्दों पर हुई बात
पवार ने कहा कि शिवसेना नेता संजय राउत के साथ मुलाकात में 18 नवंबर से शुरू होने वाले संसद सत्र के दौरान राज्यसभा में संयुक्त रूप से उठाए जाने वाले मुद्दों पर बात हुई।
एनसीपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी चाहती है कि शिवसेना के साथ किसी भी तरह के समझौते से पहले उद्धव ठाकरे केंद्र सरकार में अपने इकलौते मंत्री अरविंद सावंत का पहले इस्तीफा दिलवाएं। इससे पहले पार्टी ने मंगलवार को साफ कहा था कि राज्य में उसी स्थिति में कोई वैकल्पिक गठबंधन बन सकता है जब शिवसेना पहले भाजपा से अपना गठजोड़ तोड़ने का एलान करे।
अहमद पटेल की गडकरी से मुलाकात से लगे कई कयास
कांग्रेस के कोषाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद अहमद पटेल की बुधवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात के बाद महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे। हालांकि बाद में खुद पटेल इस मुलाकात को लेकर सफाई दी। उन्होंने कहा कि यह मुलाकात महाराष्ट्र या राजनीति को लेकर नहीं थी। यह मुलाकात गुजरात में सड़क और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के मुद्दे पर थी।
न कोई नया प्रस्ताव मिला न ही भेजा गया : राउत
वरिष्ठ शिवसेना नेता संजय राउत ने बुधवार को एक बार फिर दावा किया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा और उनकी पार्टी के बीच मुख्यमंत्री पद साझा करने पर सहमति बनी थी। अपने पुराने सहयोगी दल के साथ टकराव के बीच उन्होंने कहा कि सरकार गठन के लिए भाजपा की ओर से न तो कोई नया प्रस्ताव मिला और न ही हमारी ओर से कोई प्रस्ताव भेजा गया है। राज्य के किसान और नौकरीपेशा वर्ग शिवसेना का सीएम चाहते हैं। सरकार न बनने पर राष्ट्रपति शासन लगने की संभावना पर उन्होंने कहा कि इसके लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे। एनसीपी के मुख्यमंत्री पद साझा करने पर सहमत होने संबंधी सवाल को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि हम इस पर बात करेंगे।
झारखंड में बीजेपी के खिलाफ बनने वाले महागठबंधन में शिबू सोरेन की पार्टी जेएमएम बड़ी भूमिका में रहने वाली है. राज्य में अब तक महागठबंधन की तस्वीर साफ नहीं हुई है, लेकिन जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी राज्य में कम से कम 45 सीटों पर चुनाव जरूर लड़ेगी.
विधानसभा चुनाव को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि उनकी पार्टी कम से कम 45 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. बाकी सीटें महागठबंधन के सहयोगियों को दी जाएगी. उन्होंने कहा कि वे पहले भी कह चुके हैं कि उनकी पार्टी बहुमत के आकंड़ों से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. सोरेन ने दावा किया कि गुरुवार से शुक्रवार तक गठबंधन की तस्वीर साफ हो जाएगी. उन्होंने कहा कि 8 नवंबर को उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की जाएगी. हेमंत सोरेन ने कहा कि कांग्रेस और राजद से लगातार बातचीत चल रही है. जेवीएम को महागठबंधन में शामिल करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि बाबूलाल मरांडी ने उन्हें मिलने का समय ही नहीं दिया. बता दें कि हेमंत सोरेन कुछ ही दिन पहले रांची में लालू यादव से मिले थे.
बीजेपी जल्द ही झारखंड में अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करने वाली है . संभवत: 8 नवंबर की शाम तक बीजेपी संसदीय बोर्ड अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर देगी. झारखंड में पांच चरणों में चुनाव होने हैं, लेकिन सभी उम्मीदवारों की घोषणा एक साथ करेगी. पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि झारखंड में बीजेपी अपने सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी. बुधवार को राजधानी रांची में प्रदेश चुनाव समिति की अहम बैठक हुई. इस दौरान हर सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा हुई.
पटना वैसे तो लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) से जुड़े फैसले पिछले तीन-चार वर्षों से चिराग पासवान (Chirag Paswan) ही ले रहे थे, लेकिन मंगलवार को उन्हें विधिवत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष (National President) की कमान सौंप दी गई। अभी तक वे पार्टी के केंद्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष थे। इसके साथ ही अब एलजेपी में ऊपर से लेकर नीचे तक सब कुछ नया-नया है। एलजेपी के संस्थापक रहे व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) कहते हैैं कि पार्टी अब युवा हो गई है, इसलिए कमान युवाओं के हाथ में ही रहनी चाहिए।
मुख्य रूप से एलजेपी की जमीन बिहार में है। छह सांसद वाली पार्टी ने 15 दिनों पहले राज्य इकाई की कमान प्रिंस राज (Prince Raj) को सौंपी थी जो चिराग से भी कम उम्र के हैैं। चिराग की काबिलियत की प्रशंसा प्रधानमंत्री (Prime Minister) नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) भी कर चुके हैं। लेकिन अध्यक्ष बनने के बाद उनकी असली परीक्षा आगामी बिहार विधसानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) में होगी।
रामविलास का भरोसा चिराग में कुछ यूं है कि एलजेपी 2014 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हिस्सा नहीं थी। चिराग ने ही तय किया कि एलजेपी, एनडीए का हिस्सा बनेगी। तब अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही एलजेपी को छह सीटें मिल गईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चिराग पासवान की तारीफ कर चुके हैं। उन्होंने चिराग की तारीफ करते हुए कहा था कि सांसदों को उनकी ही तरह होमवर्क करके संसद में आना चाहिए।
चंडीगढ़ करतारपुर गलियारे के उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए पाकिस्तान जाने से पहले पंजाब में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के तस्वीरों वाले पोस्टर देखने को मिले हैं. इन पोस्टरों में एक तरफ इमरान खान और दूसरी तरफ सिद्धू की तस्वीर लगी है जिसको लेकर पंजाब में सियासत फिर से गरमा गई है.
सिद्धू और इमरान की तस्वीरों वाले पोस्टर्स में दोनों को असली हीरो बताया गया है. पोस्टर्स के लगने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सिद्धू को पाकिस्तान का आईएसआई एजेंट करार दिया. हालांकि, तस्वीरों के तेजी से शेयर होने के बाद तुरंत इन्हें हटा दिया गया है.
इमरान खान का पोस्टर लगाना गलतः बीजेपी
बीजेपी प्रवक्ता राजेश हनी ने कहा कि अमृतसर में पाक प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ नवजोत सिंह सिद्धू के पोस्टर का लगना गलत है. करतारपुर गलियारे का क्रेडिट नवजोत सिंह सिद्धू को नहीं बल्कि केंद्र सरकार को जाता है.
राजेश हनी ने कहा कि पोस्टर में इमरान खान और नवजोत सिद्धू को हीरो बताया गया है. सिद्धू आईएसआई के एजेंट के तौर पर पहले भी काम करते थे और अब भी कर रहे हैं. सिद्धू देशद्रोही हैं और आईएसआई के हाथों खेलकर देश का माहौल खराब कर रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक वेरका के एक पार्षद मास्टर हरपाल सिंह ने ये पोस्टर लगाए हैं. उन्होंने कहा कि करतारपुर गलियारे के लिए प्रयास करने वाले दोनों नेताओं को बधाई देना चाहता हूं इसलिए ये पोस्टर लगवाए हैं. साथ ही हरपाल सिंह ने कहा कि बुधवार को और कई पोस्टर लगाए जाएंगे.
पाकिस्तान से आया निमंत्रण
इससे पहले पाकिस्तान से निमंत्रण स्वीकार करने के बाद पंजाब के पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने शनिवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से करतारपुर गलियारे के उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए सरकारी मंजूरी मांगी .
सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की 550वीं जयंती से तीन दिन पहले यह समारोह आयोजित होगा. पाकिस्तान की इमरान खान सरकार द्वारा 9 नवंबर को करतारपुर गलियारे (कॉरिडोर) के उद्घाटन में भाग लेने के लिए सिद्धू को आमंत्रित किया गया. क्रिकेटर से राजनेता बने सिद्धू ने पाकिस्तान का यह निमंत्रण स्वीकार कर लिया है.
पहले राजनीतिक मंजूरी जरूरी
भारत सरकार ने पहले ही कह रखा है कि पाकिस्तान सरकार द्वारा आमंत्रित किए गए सभी लोगों को पहले राजनीतिक मंजूरी लेनी होगी. इस आधार पर निमंत्रण मिलते ही सिद्धू ने शनिवार को पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और विदेशमंत्री एस जयशंकर से इस कार्यक्रम में भाग लेने की अनुमति मांग ली.
पाक प्रधानमंत्री इमरान खान के निर्देश पर सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के सीनेटर फैसल जावेद ने नवजोत सिंह सिद्धू से संपर्क किया और इस सप्ताह की शुरुआत में उन्हें इस समारोह के लिए आमंत्रित किया. इस पर सिद्धू ने कहा कि दुनियाभर से सिख समुदाय अपने आध्यात्मिक गुरु नानक देव से जुड़े पवित्र मंदिर के दर्शन के लिए उत्सुक हैं.
पिछले साल अगस्त में नवजोत सिंह सिद्धू ने इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में भी शिरकत की थी, जिसकी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने काफी आलोचना की थी.
नागपुर महाराष्ट्र में सियासी घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है. शिवसेना और बीजेपी अपने-अपने जिद पर अड़े हैं, इसी का नतीजा है कि अभी तक राज्य में सरकार का गठन नहीं हो सका है. कांग्रेस-एनसीपी मौके को भांपने में जुटे हैं और अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं. ऐसे में महाराष्ट्र के सियासी मुकाबले में क्लाइमेक्स बना हुआ है.
मंगलवार देर शाम नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में सीएम देवेंद्र फडणवीस ने संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की. इस दौरान कार्यकारी प्रमुख भैयाजी जोशी व अन्य पदाधिकारी भी मौजूद रहे. इससे पहले देवेंद्र फडणवीस ने सरकार पर सस्पेंस के बीच मुंबई में अपने आवास पर बीजेपी कोर कमेटी की आपात बैठक बुलाई थी.
शिवसेना से कोई प्रस्ताव नहीं आया
भाजपा महाराष्ट्र अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा, 'हमें अब तक सरकार के गठन पर शिवसेना से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है. हम इंतजार कर रहे हैं और हमारे दरवाजे उनके लिए 24 घंटे खुले हैं. हम जल्द से जल्द 'महा-यति' की नई सरकार बनाएंगे.'
उन्होंने दोहराया कि निवर्तमान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में शिवसेना और अन्य सहयोगी दलों के साथ भाजपा की अगुवाई वाली सरकार ही शपथ लेगी. पाटिल मंगलवार की दोपहर भाजपा राज्य कोर कमेटी की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे. यह बैठक फडणवीस की अध्यक्षता में हुई, जिसमें कई मंत्रियों और अन्य शीर्ष नेताओं ने भाग लिया.
बीजेपी-शिवसेना ने एक साथ लड़ा था विधानसभा चुनाव
बता दें कि बीजेपी और शिवसेना ने एक साथ महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव लड़ा था. 24 अक्टूबर को आए नतीजों में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल सका और बीजेपी 105 सीटों पर सिमट गई, जबकि शिवसेना 56 सीटें जीतने में कामयाब रही. दोनों दलों के पास सरकार बनाने के लिए पर्याप्त विधायक हैं, लेकिन दोनों ही दल 50-50 फॉर्मूले को अपने-अपने हिसाब से आगे रख रहे हैं और सत्ता में भागीदारी को लेकर चल रही खींचतान के चलते अब तक सरकार का गठन नहीं हो पाया है.
नई दिल्ली सांस्कृतिक मंत्रालय ने नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी (एनएमएमएल) सोसाइटी का पुनर्गठन किया. नेहरू म्यूजियम सोसाइटी से कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, करण सिंह और जयराम रमेश को बाहर का रास्ता दिखाया गया है. कांग्रेस नेताओं की जगह बीजेपी नेता अनिर्बन गांगुली, गीतकार प्रसून जोशी और पत्रकार रजत शर्मा को जगह मिली. इस सोसाइटी के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं.
नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की याद में बनाया गया था. इस सोसायटी के उपाध्यक्ष राजनाथ सिंह हैं, जबकि गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर सोसाइटी के सदस्य हैं.
5 नवंबर को संस्कृति मंत्रालय से जारी हुए नोटिफिकेशन के बाद इस मसले पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) के बीच जमकर सियासत हो सकती है.
किसके पास है कौन सी जिम्मेदारी?
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद नेहरू मेमोरियल और म्यूजियम लाइब्रेरी सोसाइटी के अध्यक्ष हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस सोसायटी के उपाध्यक्ष हैं जबकि प्रकाश जावड़ेकर निर्मला सीतारमण इसमें सदस्य हैं. हालिया सालों में बीजेपी लगातार अलग-अलग मसलों को लेकर नेहरू और उनकी विरासत पर न सिर्फ सवाल उठाती रही है बल्कि हमलावर भी रही है.
वहीं नेहरू मेमोरियल से कांग्रेस के ही सदस्यों को बाहर किए जाने पर अब बवाल भी हो सकता है. फिलहाल राजनीति और भारत से भले ही कांग्रेस को बीजेपी मुक्त ना कर पाई हो लेकिन कांग्रेस के सबसे बड़े नेताओं में से एक पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की विरासत से बीजेपी ने कांग्रेस को मुक्त कर ही दिया है.
दिल्ली मध्य प्रदेश (madhya pradesh) के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (ex cm shivraj singh chauhan) का मानना है कि बीजेपी विधायक प्रह्लाद लोधी (prahlad lodhi) की सदस्यता शून्य करने का फैसला जल्दबाजी में लिया गया है. उन्होंने आऱोप लगाया कि एक दल को फायदा पहुंचाने के लिए यह कदम उठाया गया है. फैसला आने से पहले ही विधानसभा अध्यक्ष ने अपना फैसला सुना दिया.
बीजेपी विधायक प्रह्लाद लोधी की सदस्यता ख़त्म करने का मामला गर्माया हुआ है. बीजेपी इसे लेकर आक्रोशित है. दिल्ली दौरे पर आए पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी विधान सभा अध्यक्ष के फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, विधानसभा अध्यक्ष किसी दल के नहीं होते हैं. वो निष्पक्ष होते हैं. प्रह्लाद लोधी की सदस्यता ख़त्म करने का फैसला जल्दबाज़ी में लिया गया. ऐसा सिर्फ एक दल को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया.
विधानसभा अध्यक्ष पर हमला करते हुए शिवराज सिंह ने कहा सदस्यता रिक्त करने का अधिकार भी उन्हें नहीं है. यह अधिकार चुनाव आयोग की अनुमति से राज्यपाल को है. इसलिए सदस्यता शून्य करना गैरकानूनी है.शिवराज सिंह चौहान ने कहा लोधी इस मुद्दे को लेकर हाई कोर्ट गए हैं. लड़ाई आगे भी जारी रहेगी. भाजपा हर स्तर पर फैसले का विरोध करेगी.मंगलवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भोपाल में राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाक़ात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा था.
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान मंगलवार को अचानक दिल्ली आए. उन्हें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बुलवाया था.शाह से मुलाकात के बारे में शिवराज सिंह ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.
रांची. झारखंड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार के सितंबर में आम आदमी पार्टी में शामिल होने के बाद सियासी समीकरण पर असर पड़ने की बात राजनीतिक पंडितों ने कही थी। समीकरण बदले या नहीं, लेकिन पार्टी में जान जरूर आ गई है। वो राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं, लेकिन चुनावी जोड़-घटाव पर उनकी नजर झारखंड में गड़ी हुई है। इधर उनके आने से कार्यकर्ताओं में उत्साह है।
यही कारण है कि राज्य के 40 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी प्रत्याशी उतारने के मूड में है। उम्मीदवार चुनने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। विधानसभाओं से संभावित उम्मीदवार बूथ स्तरीय कमेटी बनाकर कार्यकर्ताओं की लिस्ट चुनाव अभियान समिति को भेज रहे हैं। समिति इसे वेरीफाई कर रही है। अलग-अलग विधानसभाओं में संभावित प्रत्याशी लगातार विधानसभा सम्मेलन कर रहे हैं। जानकार की मानें तो करीब 30 सीटों पर पार्टी अपना उम्मीदवार निश्चित उतारेगी।
राष्ट्रीय संगठन संयुक्त सचिव अंकुश नारंग के साथ राष्ट्रीय संयोजक व दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और राष्ट्रीय पॉलिटीकल अफेयर्स कमेटी ने भी झारखंड में चुनाव लड़ने पर सहमति जता दी है। उम्मीदवारों के चयन के लिए राष्ट्रीय संगठन प्रभारी सह झारखंड प्रभारी दुर्गेश पाठक की ओर से प्रदेश उपाध्यक्ष प्रेम कुमार के नेतृत्व में बनी नौ सदस्यीय चुनाव अभियान समिति संचालित है
अमृतसर. कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने करतारपुर कॉरिडोर के लिए नवजोत सिंह सिद्धू और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को असली हीरो बताया। अमृतसर नगर निगम के पार्षद हरपाल सिंह वेरका ने मंगलवार को सिद्धू और इमरान के साथ में होर्डिंग भी लगाए। इस पर प्रदेश भाजपा प्रवक्ता राजेश हनी ने कहा कि होर्डिंग से साबित होता है कि सिद्धू भारत में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंट हैं।
गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व को लेकर लगाए गए सिद्धू और इमरान के होर्डिंग्स को कुछ ही घंटों में उतार लिया गया। होर्डिंग में लिखा था, ‘‘करतारपुर रास्ता खुलवाने वाले असली हीरो नवजोत सिंह सिद्धू’, हम पंजाबी छाती ठोक कर कहते हैं कि करतारपुर रास्ता खुलवाने का सारा श्रेय सिद्धू और इमरान को जाता है, क्योंकि हम लोग अहसान फरामोश नहीं हैं।’’
पाकिस्तान ने भारत में पहला निमंत्रण सिद्धू को दिया
इमरान ने सिद्धू को भारत में पहला निमंत्रण कार्ड दिया है। भारत स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के माध्यम से मिले कार्ड पर नंबर 001 लिखा है। सिद्धू ने 9 नवंबर को करतारपुर जाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार से अनुमति मांगी थी। पंजाब सरकार ने उनको अनुमति दे दी है।
2200 सिख श्रद्धालुओं का पहला जत्था पाकिस्तान पहुंचा
9 नवंबर को करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन होगा। इससे पहले ही 2200 सिख श्रद्धालुओं का जत्था पाकिस्तान के पंजाब प्रांत पहुंच गया। उधर, पाकिस्तान सरकार ने कॉरिडोर के उद्घाटन से पहले 5 नवंबर को डाक टिकट और थीम वीडियो सॉन्ग जारी किया। 8 रुपए मूल्य के डाक टिकट पर ननकाना साहिब गुरुद्वारे की तस्वीर है।
मेरठ. दिल्ली-एनसीआर में फैले वायु प्रदूषण पर भाजपा नेता विनीत अग्रवाल शारदा का बयान आया है। उन्होंने कहा है कि इसके पीछे पाकिस्तान और चीन का हाथ हो सकता है। विनीत अग्रवाल का कहना है कि खेतों में जल रही पराली से वायु प्रदूषण पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
भाजपा नेता विनीत अग्रवाल शारदा ने मंगलवार को न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि ये जो जहरीली हवा आ रही है, जहरीली गैस आई है, हो सकता है कि बगल के मुल्क ने छोड़ दी हो, जो हमसे घबराए हुए हैं। मुझे लगता पाकिस्तान या चीन हमसे घबराए हुए हैं।
इस दौरान उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल कह रहे हैं कि पराली जलाने से नुकसान हो रहा है, उद्योगों से नुकसान हो रहा है। किसान और व्यापारी को इतना प्रभावित मत कीजिए, दोनों देश की रीढ़ हैं, इनके टूटने से देश चल नहीं पाएगा।
मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति के लिए अगले 48 घंटे बेहद अहम हैं. शिवसेना (Shiv sena) सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी (BJP) की तरफ से संवाद पूरी तरह बंद हैं. अगले 48 घंटे और इंतजार किया जाएगा अन्यथा प्लान बी को अमल में लाने पर काम शुरू किया जाएगा. शिवसेना प्लान B के तहत एनसीपी सरकार में शामिल होगी और कांग्रेस का बाहर से समर्थन मिलेगा.
इतना ही नहीं, अगर शिवसेना, बीजेपी से अलग होकर सरकार बनाएगी, तो उसी वक्त केंद्र में मंत्री अरविंद सावंत को तत्काल इस्तीफा देने के लिए कहेगी. शिवसेना केंद्र में बीजेपी से समर्थन भी वापस ले सकती है. शिवसेना आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार है.
शिवसेना सांसद संजय राउत ने मंगलवार को जोर देकर कहा कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री शिवसेना से ही होगा. उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि पार्टी वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में सच्चाई, न्याय और अधिकारों के लिए लड़ रही है. राउत ने आत्मविश्वास के साथ कहा, "राज्य के ऊपर लगा ग्रहण जल्द हट जाएगा और नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह जल्द होगा."
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने का निर्णय महाराष्ट्र में ही लिया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी की दखलंदाजी को खारिज कर दिया. राउत ने कहा कि ठाकरे भी राज्य में स्थाई सरकार चाहते हैं. उन्होंने कहा कि बहुत जल्द शिवसेना की अगुआई में नई सरकार शपथ लेगी. सरकार जनादेश के अनुसार बनेगी और यह प्रदेश की राजनीति को बदल देगी.
एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से मिलने के बारे में पूछने पर राउत ने कहा, "हां, मैंने उनसे मुलाकात की और बात की. क्या यह अपराध है? वह एक सम्माननीय राष्ट्रीय नेता हैं, उनसे किसी मुद्दे पर चर्चा करने में क्या गलत है? उनसे बात करनी भी चाहिए. हम जानते हैं कि सभी उनके संपर्क में हैं."
उधर, सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी इंतज़ार करो और देखो की रणनीति पर काम करेगी. पार्टी को उम्मीद है कि आठ नवंबर से पहले गतिरोध सुलझ जाएगा. पार्टी ने शिवसेना से बातचीत के लिए दरवाजे खुले छोड़ रखे हैं. बीजेपी के पास निर्दलीय व छोटी पार्टियों के विधायकों को मिलाकर 121 विधायक हैं. बीजेपी अल्पमत की सरकार नहीं बनाएगी. 50-50 फ़ार्मूले (50-50 Formula) पर बीजेपी सहमत नहीं है. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी मंत्रालय बांटने के लिए तैयार है. उपमुख्यमंत्री पद भी शिवसेना को देने को तैयार है.
हैदराबाद . ऑल इंडिया मजलिस-ए-मुस्लमिन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बाबरी मस्जिद का ताला खोलने का आदेश दिया था। जिसका कि शाहबानो मामले से कोई लेना-देना नहीं था।
ओवैसी ने पत्रकारों से कहा, 'फैसले के बाद 15 मिनटों के बाद कानून का उल्लंघन किया गया। बाद में राजीव गांधी ने वहां से अपना चुनावी अभियान शुरू कर दिया। पांच मिनट की सुनवाई में 25 पेजों का आदेश जारी किया गया। ताले खोलने का शाह बानो ममाले से कोई लेना-देना नहीं था।'
उन्होंने आगे कहा, 'माधव गोडबोले ने जो भी कहा है वह सच है। उन्होंने हमारे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बारे में जो कहा है वह ऐतिहासित तथ्य है। उनके आदेश पर ताला खोला गया था और उस समय वहां कांग्रेस की सरकार थी।' इससे पहले पूर्व केंद्रीय गृह सचिव माधव गोडबोले ने कहा कि अगर राजीव गांधी ने कार्रवाई की होती तो बाबरी मस्जिद-राम मंदिर विवाद का हल हो सकता था।
गोडबोले ने दावा करते हुए सोमवार को कहा कि साल 1992 में बाबरी मस्जिद को ढहाए जाने से पहले ही तत्कालीन केंद्र सरकार केंद्रीय सुरक्षा बलों को अयोध्या भेजकर इसे रोक सकती थी। यहां तक कि उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन भी लगाया जा सकता था क्योंकि तत्कालीन राज्य सरकार के केंद्र सरकार के साथ सहयोग करने पर संशय था।
उन्होंने कहा कि इसके लिए हमने एक बड़ी व्यापक योजना बनाई थी, क्योंकि राज्य सरकार के केंद्र सरकार के साथ सहयोग करने की संभावना नहीं के बराबर थी। हालांकि तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को संदेह था कि ऐसी किसी स्थिति में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए संविधान के तहत उनके पास शक्तियां हैं।
माधव गोडबोले ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री रहते हुए राजीव गांधी ने कार्रवाई की होती तो मसले का समाधान निकल सकता था। क्योंकि दोनों ही तरफ की राजनीतिक स्थिति मजबूत नहीं थी, ऐसे में कुछ हिस्सा लेकर या देकर सर्वमान्य हल निकाला जा सकता था।
कोलकाता. भारतीय जनता पार्टी के पश्चिम बंगाल के अध्यक्ष दिलीप घोष ने एक बार फिर गोमांस खाने वालों पर हमला बोला है। बंगाल अध्यक्ष ने कहा कि गाय के साथ जो जैसा करेगा, उसके साथ वैसा ही बर्ताव किया जाएगा। जो बुद्धजीवी सड़कों पर गोमांस खा रहे हैं, मैं उनसे कहना चाहूंगा कि वे कुत्ते का मांस भी खाए।
बर्धमान में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए घोष ने कहा कि कुछ बुद्धजीवी सड़कों पर गोमांस खाते हैं, मैं उनसे कहता हूं कि वे कुत्ते का भी मांस खाएं, इससे उनका स्वास्थय ठीक रहेगा, वो भी जानवर खाने चाहें खा सकते हैं। लेकिन सड़कों पर क्यों? अगर खाना ही है तो अपने घरों में खाएं।
बंगाल अध्यक्ष ने कहा कि गाय हमारी मां है, हम उसका दूध पीकर जिंदा रहते है, तो इस तरह अगर कोई भी मेरी मां के साथ बुरा व्यवहार करेगा, तो मैं उनके साथ वैसा ही व्यवहार करूंगा जैसा उनके साथ किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि भारत की पवित्र भूमि पर गाय को मारना और उसके मांस को खाना अपराध हैं।
हमारी देश की गाय के दूध में सोना, विदेशी गाय हमारी आंटी: दिलीप घोष
घोष ने आगे कहा कि भारतीय नस्ल की गायों एक विशेष विशेषता है कि इसके दूध में सोना मिला होता है और इसीलिए उनके दूध का रंग थोड़ा पीला होता है। भारतीय गायों में एक नाड़ी होती है जो धूप की मदद से सोना उत्पन्न करने में मदद करती है। हमें इन गायों की रक्षा करनी होगी।