ईश्वर दुबे
संपादक - न्यूज़ क्रिएशन
+91 98278-13148
newscreation2017@gmail.com
Shop No f188 first floor akash ganga press complex
Bhilai
नई दिल्ली। गर्मी के मौसम में कई बार हमारा पेट खराब हो जाता है और हम डॉक्टर के पास पहुंच जाते हैं पर कुछ घरेलू इलाज से भी आप पेट का संक्रमण ठीक कर सकते हैं। पेट में संक्रमण के कई कारण हो सकते हैं जैसे खाना या पानी ठीक न होना या हाथ साफ नहीं होने से खाने के जरिये संक्रमण पेट तक पहुंच जाना। इससे इमें उल्टी, दस्त , कमजोरी होना, होना और कभी-कभी बुखार होने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। अगर आप भी इस प्रकार की समस्या से परेशान हैं तो राहत पाने के लिए अपनाएं ये घरेलू उपाय।
अदरक
पेट की गड़बड़ी में अक्सर अदरक का इस्तेमाल काफी कारगर होता है। इसमें एंटीफंगल और एंटी-बैक्टीरियल तत्व पाए जाते हैं, जो पेट दर्द में राहत देता है। एक चम्मच अदरक पाउडर को दूध में मिलाकर पीने से आराम मिलता है।
दही
पेट दर्द में दही का इस्तेमाल काफी फायदेमंद रहता है। दही में मौजूद बैक्टीरिया संतुलन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जिससे पेट जल्दी ठीक होता है। साथ ही ये पेट को ठंडा भी रखता है।
सेब का सिरका
पेट दर्द में सेब के सिरके का घरेलू उपाय भी काफी कारगर साबित होता है। सेब के सिरके में पेक्टिन की पर्याप्त मात्रा होती है जिससे पेट दर्द और मरोड़ में राहत मिलती है। इसका अम्लीय गुण खराब पेट के संक्रमण को ठीक करने में भी कारगर है। एक चम्मच सिरके को एक गिलास पानी में मिलाकर पीने से जल्दी आराम होता है।
केला
अगर आप बार-बार हो रहे मोशन से परेशान हो चुके हैं तो केले का इस्तेमाल आपको राहत देगा। इसमें मौजूद पेक्टिन पेट को बांधने का काम करता है। इसमें मौजूद पोटैशियम की उच्च मात्रा भी शरीर के लिए फायदेमंद होती है।
पुदीना
पुदीना एक बेहद हेल्दी हर्ब है। सदियों से इसका इस्तेमाल पेट से जुड़ी समस्याओं के समाधान में किया जाता रहा है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स पाचन क्रिया को सुधारने में भी सहायक होता है।
नई दिल्ली। तेज गर्मी में राहत के लिए एयर कंडिशनर का सहारा लेते हैं। हम दिनभर एयर कंडिशनर वाले ऑफिस में रहते हैं और रात में भी एसी में सोते हैं। उमस भरी गर्मी में आपको राहत भले मिल जाती हो पर क्या आप जानते हैं एसी आपकी सेहत को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
नहीं मिलती ताजी हवा
एसी रूम में हम सारे दरवाजे खिड़की बंद रखने होते हैं ताकि कमरा ठंडा हो सके। ऐसे में कहीं से भी ताजा हवा नहीं पहुंचती जो कि सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है। ताजी हवा की कमी से हर वक्त थकान लगती रहती है। एसी की डक्ट अगर साफ नहीं है तो आपको सांस से जुड़ी समस्याएं और फेफड़ों का संक्रमण भी हो सकता है।
बहुत ठंडा वातावरण
कई बार हम सो रहे होते हैं तो तापमान काफी ठंडा हो जाता है। जागते वक्त तो हम इसको मेनटेन कर सकते हैं लेकिन सोते वक्त कई बार यह हमारे शरीर के सहने की क्षमता से भी कम हो जाता है। ठंडक की वजह से सिरदर्द और पीठ दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। जरूरत से ज्यादा ठंड से जोड़ों में दर्द की समस्या होती है और धीरे-धीरे यह गठिया में तब्दील हो सकती है।
रूखापन
एयर कंडिशनर हवा से नमी को सोख लेते हैं इतना ही नहीं ये हमारी त्वचा और बालों की नमी भी अवशोषित करते हैं जिससे त्वचा और बाल ड्राई हो जाते हैं। आपकी त्वचा में झुर्रियां जल्दी पड़ सकती हैं साथ ही त्वचा से जुड़ी और भी समस्याएं हो सकती हैं।
करें ये उपाय
आप ऑफिस का एसी तो बंद नहीं कर सकते लेकिन खुद को इसका आदी न बनाएं। घर पर एसी कम से कम चलाएं और तापमान सामान्य रखें। एसी में बैठते हैं तो त्वचा पर बार-बार मॉइश्चराइजर लगाते रहें।
दूध पीना हमारी सेहत के लिए कितना फायदेमंद है, यह सभी जानते हैं। हर व्यक्ति को प्रतिदिन एक ग्लास दूध पीना चाहिए। यह हमारे शरीर में पोषक तत्व की कमी को पूरा करता है। दूध में कैल्शियम, प्रोटीन, आयोडीन, पोटैशियम, फॉस्फॉरस और विटमिन बी 12 जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। जो हमें कई रोगों से बचाते हैं।
दूध के फायदे तो आप जान गए पर अब आपको यह जानना है कि आखिर दूध पीना कैसे चाहिए ठंडा या फिर गर्म। कुछ लोगों को गर्म दूध पसंद आता है जिसमें वो हल्दी पाउडर या फिर अपनी मनपसंद चीजें मिक्स करके पीते हैं। तो वहीं कुछ लोगों को ठंडा दूध पसंद आता है। ठंडा करने के लिए वह दूध को कुछ देर तक फ्रिज में रखकर पीते हैं।
कुछ लोगों को ठंडा दूध पीना इसलिए पसंद आता है क्योंकि यह प्रोसेसिंग के दौरान लो-लेवल से गुजरता है। इसमें भरपूर मात्रा में इलेक्ट्रोलाइट्स पाए जाते हैं जो आपको पूरे दिन चार्ज रखता है। अगर आपको ठंडा दूध पीना पसंद है तो आप इसका सेवन सिर्फ सुबह के समय करें। रात को ठंड़ा दूध पीना आपको नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे आपको नींद आने में दिक्कत हो सकती है।
कुछ लोग ठंडा दूध का इस्तेमाल इसलिए करते हैं क्योंकि वह अपने वजन को कम करना चाहते हैं हालांकि सर्दी के मौसम में ठंडे दूध का सेवन बिल्कुल न करें। खांसी और फ्लू संक्रमण न का खतरा हो सकता है।
सर्दी के मौसम में गर्म दूध पीना ही सही रहता है। इसके अलावा अगर आप दूध में किसी तरह का प्रोटीन पाउडर या फिर हल्दी को मिक्स करना चाहते हैं तो ऐसे में गर्म दूध का ही इस्तेमाल करना चाहिए। ठंडे दूध में इन सब चीजों को मिलना थोड़ा मुश्किल होता है। साथ ही गर्म दूध बच्चों और बूढ़ों के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
गर्मी में पर्याप्त पानी पीयें, आम दिनों में दिन भर में दस से 12 गिलास पानी का सेवन करना चाहिये जबकि गर्मी में यह मात्रा जरुरत के अनुसार और बढ़ा दें। इसका कारण है कि गर्मी के मौसम में शरीर की पानी की जरूरत काफी हद तक बढ़ जाती है। इस मौसम में पसीने के रूप में काफी सारा पानी बाहर निकल जाता है। अगर इस मौसम में आप पर्याप्त पानी नहीं पीयेंगे तो इससे आपको डिहाइडेशन(निर्जलीकरण) की समस्या का सामना करना पड़ता है। इससे आपको कमजोरी, चक्कर आने और आंखों के सामने अंधेरा छा जाने जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
होममेड ओआरएस
डिहाइडेशन की समस्या से निजात पाने के लिए ओआरएस सबसे बेहतर उपाय है। अगर आप चाहें तो घर पर भी इसे तैयार कर सकते हैं। इसे बनाने के लिए आप आधा चम्मच नमक में छह चम्मच चीनी और चार कप पानी मिलाएं। अब आप इसे आराम से मिलाएं ताकि चीनी और नमक अच्छी तरह घुल जाए। इस ओआरएस का सेवन आप दिन में कई बार करें।
केले का सेवन करें
डिहाइडेशन होने का एक मुख्य कारण शरीर में पोटेशियम की कमी भी होती है। वहीं केले में पोटेशियम उच्च मात्रा में पाया जाता है। इस तरह आप दिन में दो केले अवश्य खायें। इससे आपको निर्जलीकरण से आराम तो होगा ही, साथ ही डिहाइडेशन होने की संभावना भी काफी हद तक कम हो जाएगी।
दही
अगर आपको उल्टी या दस्त के कारण शरीर में डिहाइडेशन हुआ है तो आप दही का सेवन करें। इससे आपको इलेक्टोलाइटस तो मिलेंगे ही, साथ ही यह आपके पाचन तंत्र को भी आराम पहुंचाएगा। इसलिए दिन में कई बार खाएं। आप चाहें तो उबले हुए चावलों में भी दही व हल्का सा नमक मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं।
छाछ आएगी काम
छाछ एक प्राकृतिक प्रोबायोटिक होने के साथ−साथ पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे खनिज तत्वों से युक्त है। गर्मी में जब आपके शरीर से पसीना निकलता है तो उससे पानी ही नहीं निकलता, बल्कि इससे शरीर के खनिज तत्व भी बाहर निकल जाते हैं। वहीं अगर आप छाछ का सेवन करते हैं तो इससे वह सभी खनिज बॉडी में रिस्टोर होते हैं। इसके सेवन के लिए आप एक कप छाछ में आधा चम्मच डाई अदरक मिक्स करें। अब आप इस रिफ्रेशिंग डिंक का सेवन करें।
फलों व सब्जियों का सेवन
निर्जलीकरण होने पर शरीर में पानी के साथ−साथ मिनरल्स को रिस्टोर करने का आसान तरीका है कि आप उन फलों व सब्जियों का सेवन अधिकाधिक करें, जिनमें पानी की मात्रा अधिक हो। इस तरह के फलों व सब्जियों से आपके शरीर में पानी का स्तर तो बनता है ही, साथ ही इससे आपको नमक, खनिज, शुगर व अन्य पोषक तत्व प्राप्त होते हैं।
गरमी के इस मौसम में गन्ने का रस एक बेहतरीन पेय पदार्थ है। बस इसमें साफ सफाई का ध्यान रखना जरुरी है। यह हमे ताजगी और गरमी से राहत देने के साथ ही ताकत भी देता है। इसके अलावा यह मानसिक तनाव को को भी कम करता है। गन्ना खाने से तनाव कम होने के साथ ही अच्छी नींद भी आती है। भारतीय शोधकर्ताओं का दावा है कि गन्ने और अन्य प्राकृतिक उत्पादों में पाए जाने वाला एक सक्रिय तत्व तनाव को खत्म करता है और अच्छी नींद का वाहक होता है। शोध के मुताबिक अधिकांश नींद की गोलियां तनाव पर असर नहीं करतीं और उनके साइडइफेक्ट भी होते हैं। वहीं दूसरी तरफ शोधकर्ताओं ने पाया कि ऑक्टाकोसोनॉल तनाव को कम कर देता है और नींद के लिए भी सामान्य स्थिति बनाता है। वैसे तो ऑक्टाकोसोनॉल पदार्थ विभिन्न दैनिक खाद्य पदार्थों जैसे कि गन्ना, चावल की भूसी, गेहूं के बीज का तेल, मधुमक्खी के मोम आदि में प्रचुर मात्रा में मौजूद रहता है। शोध में पाया गया है कि खून के प्लाज्मा में कोर्टिकोस्टेरोन का स्तर बढ़ने से तनाव उत्पन्न होता है। ऑक्टाकोसैनल एक यौगिक पदार्थ है, जो गन्ने के रस में पाया जाता है, अत: गन्ना खाने वाले को तनाव से राहत मिलती है और तनाव के कारण अनिंद्रा की स्थिति से भी राहत मिल जाती है।
अभी तक आपने आम के पत्तों को धार्मिक अनुष्ठानों में इस्तेमाल करते हुए बहुतायत में तो देखा होगा, लेकिन शायद आपको यह नहीं मालूम होगा कि यही पत्ते अनेक बीमारियों से हमें निजात दिला सकते हैं। दरअसल आम के पत्ते अनेक पोषक तत्वों से परिपूर्ण होते हैं।
वैसे भी आम को तो फलों का राजा ही कहा गया है। गर्मियों के मौसम में आने वाली आम की बहार से संपूर्ण समाज सराबोर होता है, ऐसे में यहां आपको बताते चलें कि उसी आम के पत्ते भी आपके लिए कम फायदेमंद नहीं होते हैं। आयुर्वेदिक औषधीय में इसका विशेष महत्व है और बताया जाता है कि मोतियाबिंद, तनाव कम करने, मोटापा घटाने और कैंसर जैसे घातक रोगों से छुटकारा दिलाने की भी ताकत होती है इसमें। आम के फल के साथ ही साथ इसके पत्ते का इस्तेमाल भी फायदेमंद हैं। आम के पत्ते में काफी मात्रा में मैगीफेरिन, गैलिन एसिड तथा पॉलीफिनॉल्स जैसे तत्व होते हैं। इस कारण शुगर, अस्थमा और अनेक प्रकार के रोगों में आम के पत्ते का प्रयोग काफी लाभदायक होता है। इसके अतिरिक्त श्वांस संबंधी समस्या में भी आम के पत्ते काफी लाभकारी होते हैं। अस्थमा होने पर आम की पत्तियों का काढ़ा बनाकर पिलाया जाए तो काफी लाभ मिलता है। चूंकि आम के पत्ते में एंटी डाइबिटीक गुण होता है अत: यह शुगर को कंट्रोल करने में भी लाभदायक हो सकता है। इसके लिए जरुरी है कि आम के पत्तों को सुखाया जाए और उसका पाउडर बनाकर नियमित सेवन करें इससे शुगर कंट्रोल रहने में मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त ब्लडप्रेशर में भी आम के पत्तों को पानी में उबालकर उस पाने से स्नान करना चाहिए। इससे ब्लड प्रेशर से छुटकारा भी मिलता है। आम के पत्ते पथरी से निजाद दिलाने में भी काफी लाभदायक होते हैं। इन पत्तों का पाउडर बनाकर रोजाना सेवन करने से जल्द ही पथरी निकल जाती है। आम की ताजा नर्म पत्तियां रोज सुबह खाली पेट खाने से ट्यूमर भी खत्म हो जाता है। इस प्रकार आम के पत्ते अनेक प्रकार से औषधीय इस्तेमाल में लिए जा सकते हैं।
होम्योपथी में भी किडनी और फेफड़ों का प्रभावी इलाज होता है। होम्योपथी में किडनी रोग के लिए बहुत सारी दवाएं हैं, जो रोगी के शारीरिक और मानसिक लक्षण देख कर दी जाती हैं। किडनी रोग एक गंभीर रोग है, जिसमें सही समय पर इलाज नहीं मिलने पर रोगी की मृत्यु तक हो सकती है। किडनी की बीमारी में डायलिसिस से पहले होम्योपथी से भी उपचार संभव है। किडनी की बीमारी से बचने के लिए नियमित रूप से पानी पीने और खानपान पर ध्यान देने की जरूरत होती है। किडनी के अलावा फेफड़ों की बीमारी का भी होम्थोपथी में बेहतर इलाज उपलब्ध है। विशेषज्ञों ने क्लासिकल होम्योपथी से फेफड़े और गुर्दों की विभिन्न बीमारियों के इलाज के बारे में बताया। साथ ही कहा कि होम्योपथी विभिन्न हृदय रोगों में भी कारगर है। होम्थोपथी सुरक्षित और प्राकृतिक है। इसमें किसी प्रकार की लत की भी कोई संभावना नहीं है। हृदय रोगों की रोकथाम और दिल के दौरे के बाद रोगियों का प्रबंधन करने में भी होम्थोपथी कारगर है। साथ ही होम्योपथी की दवाएं दिल के दौरे के विभिन्न कारणों जैसे कलेस्ट्रॉल में वृद्धि और उच्च रक्तचाप को रोकती है।
वहीं यदि कोई मरीज ऐलोपैथिक दवाएं लेने के साथ होम्योपथी का उपचार कर रहा है तो इस बारे में डॉक्टरों को जरूर बताना चाहिए। चिकित्सक की सलाह के बिना ऐलोपैथिक दवाएं लेना बंद न करें। न ही होम्योपथी की दवाएं साथ में लें। मेजर हार्ट अटैक में होम्योपथी की दवाएं कारगर नहीं हैं। यदि दिल का दौरा पड़ चुका है तो ऐलोपैथिक दवाओं के साथ इलाज करना चाहिए।
कोरोना के प्रकोप से बचे रहने के लिए आज हर कोई सावधानी बरतने के साथ अपनी इम्यूनिटी मजबूत बनाए रखने पर भी जोर दे रहा है। इम्यूनिटी को स्ट्रांग बनाए रखने के लिए खाए जाने वाले पौष्टिक भोजन की बात हो या काढ़े की, अदरक का इस्तेमाल दोनों ही चीजों में किया जाता है। अदरक न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाता है बल्कि इसका नियमित सेवन व्यक्ति को कई तरह के संक्रमण से भी दूर रखने में मदद करता है। लेकिन ऐसा तभी होता है जब बाजार से खरीदी जाने वाली अदरक असली होती है। जी हां आप बाजार से जो अदरक खरीदते हैं, जरूरी नहीं वो असली ही हो। नकली अदरक एक प्रकार की पहाड़ी जड़ होती है, जिसकी पहचान कर पाना मुश्किल होता है। आइए जानते हैं कैसे इन टिप्स की मदद से आप बड़ी आसानी से पहचान पाएंगे असली और नकली अदरक के बीच का फर्क।
पहाड़ी जड़ व अदरक के बीच का बड़ा अंतर-
अदरक और पहाड़ी जड़ दिखने में बिल्कुल एक जैसी लगती हैं। बावजूद इसके दोनों में एक बड़ा फर्क होता है। अगर आप अदरक को अपनी नाक के पास लाते हैं तो आपको उसकी बहुत तेज व तीखी खुशबू आती है, जो कि असली अदरक की पहचान होती है। वहीं नकली अदरक में खुशबू नहीं आती है। असली अदरक को आप थोड़ा सा चखकर भी देख सकते हैं। इसका स्वाद आपको बता देगा कि यह असली है या नकली।
अदरक के छिलके से करें पहचान-
अदरक खरीदने से पहले उसके छिलके उतारकर जरूर देखें। असली अदरक में नाखून चुभाने से उसका छिलका तुरंत उतर जाएगा और आपके हाथों में उसकी तीखी खुशबू रह जाएगी। लेकिन अगर अदरक का छिलका बहुत कठोर होता है तो आप उसे खरीदने से बचें क्योंकि वह अदरक नहीं है।
साफ अदरक से भी रहें दूर-
यदि आप मिट्टी लगी हुई अदरक की जगह साफ अदरक खरीदना ज्यादा पसंद करती हैं तो अपनी इस आदत को बदल डालें। यह आपकी सेहत को नुकसान पहुंचाने के लिए एक जाल भी हो सकता है। दरअसल, आजकल दुकानदार अदरक को साफ करने के लिए एक प्रकार के एसिड का प्रयोग करते हैं। ऐसी अदरक एसिड से धुली होने के कारण दिखने में अधिक साफ नजर आती है। लेकिन यह साफ अदरक आपकी सेहत को बड़ा नुकसान भी पहुंचा सकती हैं।
महामारी बन चुके कोरोनावायरस नाम के संक्रमण से निजात पाने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक और डॉक्टर लगे हुए हैं। बावजूद इसके अभी तक कोविड-19 से पूरी तरह निजात पाने में किसी भी देश को सफलता नहीं मिल पाई है। इस वायरस से संक्रमित लाखों लोग अपनी जान गवां चुके हैं। ऐसे में इस जानलेवा वायरस से बचाव और लोगों को इस वायरस के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से डी डी न्यूज पर आए डॉक्टरों ने आम लोगों को कुछ एहतियात बरतने की सलाह दी है। आइए जानते हैं क्या हैं वो एहतियात और कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर कैसे करें खुद को होम क्वारंटाइन।
डॉक्टर सरीन के अनुसार अगर आप किसी भी कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं या आपके भीतर कोविड के ये मामूली लक्षण जैसे बुखार, नाक बहना, जुकाम, गले में खराश, सिर दर्द, बदन टूटना, उल्टी, डायरिया, त्वचा पर चकत्ते, स्वाद, गंध का न आना और आंख लाल होना आदि जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं तो सबसे पहले तुरंत खुद को होम क्वारंटाइन कर लें।
-दूसरा, कोरोना से बचाव के लिए जरूरी तीनों चीजों हाथों को अच्छे से धोना, चेहरे पर मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
-लक्षण दिखते ही सबसे पहले अपने घर के नजदीकी हेल्थ सेंटर पर जाकर अपना कोरोना टेस्ट जरूर करवाएं, कोरोना की रिपोर्ट मिलने तक खुद को घर के दूसरे लोगों से अलग ही रखें।
- समय-समय पर अपना ऑक्सीजन लेवल भी चेक करते रहें। अगर आपका ऑक्सीजन लेवल 94 या उससे ऊपर रहता है तो आप घर पर खुद को होम क्वारंटाइन कर सकते हैं। ऐसी अवस्था में आपको अस्पताल जाने की जरूरत नहीं होती है। ध्यान रखें लक्षण दिखने के शुरूआती 4-5 दिन किसी तरह का कोई ब्लड टेस्ट करवाने की जरूरत नहीं है।
कौन होते हैं हाई रिस्क पेशेंट-
-ऐसे लोग जिनकी उम्र 60 से ऊपर होती है।
- ऐसे लोग जो पहले से ही हार्ट, किड़नी, कैंसर या फिर गुर्दे के किसी रोग से पीड़ित हैं और किसी तरह की कोई थेरेपी ले रहे हैं। ऐसे लोगों में गंभीर रोग से पीड़ित होने की संभावना बनी रहती है।
सलाह-
खुद को दूसरों से अलग रखें, कोविड नियमों का पालन करें, कोविड लक्षणों पर नजर रखें, लक्षण दिखने पर तुरंत टेस्ट करवाएं, अगर आप हाई रिस्क वाले लोगों की श्रेणी में आते हैं तो लक्षण दिखते ही तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लें। इसके अलावा विटामिन सी, विटामिन डी, जिंक जैसी दवाएं भी कोरोना से उभरने में मदद कर सकती हैं, लेकिन इन दवाओं का इस्तेमाल अपने डॉक्टर से पूछे बिना बिल्कुल न करें।
आइसोलेशन में रखें इन बातों का ध्यान-
-डॉक्टर की सलाह लें।
-अपने डॉक्टर का नंबर साथ रखें।
-भाप, नमक वाले पानी से गरारे करते रहे।
-डॉक्टर की सलाह से दवा लेते रहें।
-कोविड के इलाज के प्रोटोकॉल का पालन करें।
-हल्के लक्षण के अनुसार घर पर ही डॉक्टर की निगरानी में इलाज शुरू कर दें।
-स्वयं खुद का इलाज ना करें। डॉक्टरी परामर्श जरूरी है।
-लक्षण के अनुसार बुखार, उल्टी, डायरिया आदि का इलाज करें।
-बुखार रोकने के लिए पैरासिटामोल लें।
-डॉक्टर की सलाह से विटामिन सी, विटामिन डी, जिंक आदि दवा ले सकते हैं।
-खूब पानी और तरल पदार्थ लें।
कब ऑक्सीजन लेवल जांचना है बेहद जरूरी-
डॉक्टर मृदुल कुमार के अनुसार, जिन लोगों को छाती में ज्यादा कन्जेस्चन महसूस हो रही हो, खांसी अधिक हो, तेज बुखार से पीड़ित हैं तो उनका ऑक्सीजन लेवल जांचना बेहद जरूरी हो जाता है। इसके अलावा दवा लेने के बाद जब आपका बुखार कम हो जाए तब भी अपना ऑक्सीजन लेवल जांचें। कोशिश करें कि कुछ देर चलने के बाद और चलने से पहले अपना ऑक्सीजन लेवल चेक करें।
कैसा मास्क है उपयोगी-
डॉक्टर अनूप के अनुसार, अगर व्यक्ति चेहरे पर दो कपड़े के मास्क पहन लेता है तो वो हवा में फैले वायरस के कीटाणुओं से वह पूरी तरह सुरक्षित है। हाल ही में हुई एक रिसर्च में एक बात सामने आई है कि 5 माइक्रोन से छोटे वायरस के कण एरोसोल के रूप में हवा में बने रहते हैं। इनसे बचने के लिए मास्क की एक लेयर काफी नहीं है। इससे बचाव के लिए मास्क की डबल लेयर का होना जरूरी है। यही वजह है कि सर्जिकल मास्क के ऊपर कपड़े का मास्क पहनने की सलाह दी जा रही है। सर्जिकल मास्क डिस्पोज़बल होने की वजह से बार-बार नहीं धोए जा सकते हैं लेकिन कपड़े का मास्क यूज करने के बाद धोकर दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सकता है। यही वजह है कि चेहरे पर पहने गए दो कपड़े के मासक आपको वायरस से बचाने में सक्ष्म माने जा रहे हैं।
अक्सर महिलाएं पारिवारिक जिम्मदारियॉं निभाने के दौरान अपनी दिनचर्या का ख्याल नहीं रख पातीं। जिससे उम्र बढ़ने के साथ ही उनका स्वास्थ्य खराब होने लगता है। इन आसन उपायों को अपनाकर आप अपने आपको दिनभर तरोताजा रख सकती हैं।
समय पर नाश्ते करें
सुबह का नाश्ता समय से कर लेना चाहिए। अगर नाश्ते के समय में कुछ देर-सबेर हो जाती है, तो भी नाश्ता जरूर करें. कोशिश करें कि कोई भी अनाज से बनी चीज का नाश्ता कर लें। अधिकतर महिलाएं सोचती हैं कि यदि नाश्ता न करें, तो उनका वजन कम हो जाएगा, लेकिन ये केवल भ्रम है। वहीं, कुछ महिलाएं कुछ भी बासी खाना खाकर पेट भर लेती हैं, ऐसी महिलाओं को सलाह है कि वह चाय या कॉफी का सेवन कम से कम करें और कुछ ताजा नाश्ता जैसे- सूजी का चीला, दलिया, पोहा, उपमा या आदि का सेवन करें।
एक फल भी खायें
कामकाज के दौरान एक से दो फल पूरे दिन में जरुर लें। इससे आपकी त्वचा में निखार आएगा, साथ ही आपके शरीर में सोडियम व पोटेशियम की मात्रा भी संतुलित रहेगी। यह आपके शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करेगा। गृहणियां इसके अतिरिक्त नींबू पानी भी दिन में एक बार ले सकती हैं।
बाजार में बने मैदे के बने आहार कम से कम खायें । इनको खाने से हमारी हड्डियां कमजोर होती हैं। इस प्रकार का आहार बोन्स से कैल्शियम सोख लेता है! इन चीजों के खाने से कई और भी बीमारियां होने की संभावना रहती है! इस प्रकार के आहार से वजन भी बढ़ जाता है! शरीर में रक्तवसा बढ़ जाता है, जिससे रक्त गाढ़ा होने लगता है और हृदयाघात की संभावना बढ़ जाती है! इस प्रकार के आहार हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को नष्ट कर देते हैं।
पानी का पर्याप्त सेवन करें
वहीं पूरे दिन में ढाई से तीन लीटर पानी का सेवन अवश्य करना चाहिए। साथ ही यह ध्यान रहे कि एकसाथ ज्यादा मात्रा में पानी पीना भी हमारे शरीर के लिए नुकसानदेह हो सकता है। थोड़ी-थोड़ी देर में तीन-चार घूंट पानी गिलास से पीते रहना चाहिए। एक बार में 200 या 250 मिली लीटर पानी पी सकते हैं। साथ ही ज्यादा ठंडा पानी पीने से परहेज करना चाहिए। जिन महिलाओं को लो ब्लड प्रेशर की शिकायत रहती है, वो दिन में दो बार पानी में नमक और चीनी (शिकंजी की तरह) मिला कर पी सकती हैं। इससे आपके शरीर में पानी की कमी नहीं होगी।
सौंफ न सिर्फ माउथ फ्रैशनर है,बल्कि यह शरीर को कई गंभीर बीमारियों से दूर रखने में हमारी मदद करती है। सौंफ का सेवन आंखों के लिए फायदेमंद है। एक चम्मच सौंफ का प्रतिदिन सेवन आपकी आंखों की रोशनी के लिए लाभादायक हो सकता है। सौंफ के बीज में विटामिन ए होता है, जो आंखों की रोशनी के लिए महत्वपूर्ण है वहीं सौंफ का नियमित सेवन करने से वजन भी कम कर सकते हैं। सौंफ फाइबर से भरपूर मात्रा में होती है। सौंफ का सेवन शरीर के मेटाबॉलिज्म के बढ़ाने में सहायक होती है। अगर आप भी वजन कम करना चाहते हैं तो आप सौंफ का सेवन करना प्रारंभ कर दीजिए। आई जानते हैं सौंफ में क्या क्या पाया जाता है और कैसे सेवन किया जाता है।
सौंफ में विटामिन सी के अलावा कैल्शियम, सोडियम, फॉस्फोरस, आयरन और पोटेशियम जैसे तत्व होते हैं। यही वजह है कि इसे खनिजों का समूह कहा जाता है। सौंफ के बीज हाई ब्लड प्रेशर रोगियों के लिए काफी लाभकारी माने जाते हैं। इतना ही नहीं सौंफ शरीर के खून को साफ करने में मदद करती है।
रात्रि के समय सोने के एक घंटा पहले एक गिलास दूध में एक चम्मच सौंफ के बीज डालकर सौंफ का सेवन किया जाए तो बहुत लाभकारी होगा।
दैनिक जीवन में हम आहार के रूप जिन चीजों का सेवन करते है, उनमें से कई में औषधीय गुण होते हैं, जिनका उल्लेख हमारी प्राचीन स्वास्थ्य पद्धति आयुर्वेद में भी मिलता है। ऐसी ही एक औषधि है आमलकी रसायन, जिसमें मुख्य घटक द्रव्य आंवला होता है। आंवला युक्त होने के कारण ही इस औषधि का नाम आमलकी रसायन रखा गया है। इस औषधि को रसायन इसलिए कहा गया है, क्योंकि इस औषधि का सेवन करने से व्यक्ति निरोगी बना रहता है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहटी ने अपने एक अध्ययन में पाया कि आमलकी रसायन हृदय में उच्च रक्तचाप से प्रेरित संरचनात्मक और कार्यात्मक परिवर्तनों को कम करता है।
आईआईटी गुवाहटी के प्रोफेसर रामकृष्णन और प्रोफेसर करथा ने पाया है कि आमलकी रसायन के लंबे समय तक सेवन से हृदय की मांसपेशियों का मोटा होना कम होता है और हृदय की कार्यक्षमता में सुधार होता है।
वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन को, छोटे जानवरों, जीन-अभिव्यक्ति और प्रोटिओमिक्स विश्लेषण, सूचना विज्ञान उपकरण और सिस्टम मेडिसिन की तकनीकों में नियोजित किया, जिनका उपयोग एलोपैथिक दवाओं के विकास में किया जाता है।
प्रोफेसर रामकृष्णन ने कहा है कि आयुर्वेदिक दवाओं का लंबे समय से प्रयोग हो रहा है, पर मॉडर्न मेडिसिन के लोग साइंटिफिक तथ्यों जैसे कि ड्रग की प्रभावशीलता और सुरक्षा के आधार को ही मानक मानते हैं। आयुर्वेदिक दवा शरीर को पूर्ण तौर पर सही करती है। हमने मॉडर्न मेडिसिन की टूल और तकनीक से इसे सच साबित किया है।
मीठे खाद्य पदार्थ हर किसी को पसंद आते हैं और अगर उनसे स्वास्थ्य को फायदा हो तो मीठे की क्रेविंग दूर करने के लिए इसका सहारा ले सकते हैं। गुड़ भी ऐसा ही है जो स्वास्थ्य फायदों से लबरेज है। सर्दियों में इसके सेवन से तो सभी परिचित हैं, परंतु गर्मियों में भी गुड़ खाना उतना ही लाभकारी सिद्ध होता है। गुड़ में कई विटामिन्स और मिनरल्स होते हैं जो इम्युनिटी को बढ़ाने में मददगार हैं। सर्दी-जुकाम का खतरा कम कर ये शरीर के तापमान को भी ठीक रखता है।
गर्मियों में गुड़ खाने के फायदे –
एसिडिटी: गुड़ में मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो आंत को मजबूती प्रदान करता है। इससे खाना आसानी से पच जाता है। ऐसे में जिन लोगों को पाचन संबंधी या अपच जैसी दिक्कतें हैं, उन्हें रोज भोजन के बाद गुड़ खाने की आदत बना लेनी चाहिए।
कब्ज: गुड़ में कई डाइजेस्टिव एंजाइम्स पाए जाते हैं जो खाने को पचाने में मददगार हैं। मल त्यागने में जिन लोगों को परेशानी होती है, उन्हें इसका सेवन करना चाहिए। साथ ही, गुड़ को प्राकृतिक डाइ-यूरेटिक भी कहा जाता है। ऐसे में भोजन के बाद गुड़ खाना अत्यंत लाभकारी होगा।
वजन घटाने में होता है सहायक : प्रात्: काल गुड़ का एक टुकड़ा खाने से दिन भर लोगों में एनर्जी का संचार होता है। साथ ही इसमें प्रोटीन भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि रोज सुबह खाली पेट गुड़-चना खाने से वजन घटाना आसान होता है। रोजाना गुड़-चना खाने से शरीर का मेटाबॉलिक रेट बढ़ जाता है। इससे वजन तेजी से कम होने लगता है। जो लोग पेट के आसपास अतिरिक्त फैट कम करने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें गुड़ का सेवन करना चाहिए।
गुड़ को आयरन का बेहतरीन स्रोत माना जाता है, नियमित रूप से इसे खाने से शरीर में आयरन की मात्रा और हीमोग्लोबिन बढ़ता है। एनीमिया से पीड़ित लोगों के लिए इसे खाना उपयोगी उपाय हो सकता है।
व्रत के दौरान डायबिटीज के मरीज ऐसी चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए,जिसमें स्टार्च की मात्रा अधिक हो। डायबिटीज के मरीज नवरात्रि के व्रत में इन बातों का ध्यान रखें तो, उनकी सेहत सेहत को नुकसान नहीं होगा।
हिंदु धर्म में नवरात्रि पर मां दुर्गा की पूजा और नौ दिन के व्रत का बहुत महत्व होता है। व्रत का धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ वैज्ञानिक महत्व भी। व्रत करने से हमारे शरीर को कई तरह से फायदे पहुंचते हैं। डायबिटीज के मरीजों के लिए व्रत-उपवास करना आसान नहीं है। शुगर के मरीजों को भूखा रहना और उपवास के दौरान तली-भुनी चीजें खाना दोनों ही नुकसानदायक है।
उपवास रखना यूं तो विज्ञान की दृष्टि में भी काफी अच्छा माना जाता है। परंतु यदि आप डायबिटीज के मरीज हैं तो आपको नवरात्रि में व्रत रखते समय खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। सेहत का ख्याल ना रख पाने के कारण इस दौरान डायबिटीज के मरीजों में इंसुलिन का स्तर बिगड़ सकता है।