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लखनऊ। कड़क छवि और ईमानदार चेहरा समझी जाने वाली आइएएस अधिकारी बी.चंद्रकला का क्या एक चेहरा और भी है,जिसमें उन्होंने कई राज छिपा रखे हैं। यह सवाल इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा उनके लखनऊ आवास पर छापा मारने के आदेश के बाद लोग एक−दूसरे से पूछ रहे हैं। आज सीबीआई की एक टीम ने लखनऊ में उनके आवास पर छापा मारा तो ब्यूरोके्रसी में हड़कम्प मच गया। छापे के समय चंद्रकला अपने आवास में नहीं थीं। बी. चंद्रकला मई 2018 में अपने मूल कॉडर यानी उत्तर प्रदेश लौटी थीं। बी. चंद्रकला मूलरूप से तेलंगाना के करीबमनगर की रहने वाली हैं और वो 2008 बैच की यूपी कैडर की आईएएस अधिकारी हैं। साल 2014 में उनका एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जब वो बुलंदशहर की डीएम थीं। उस वीडियो ने सोशल मीडिया पर सनसनी मचा दी थी।

2008 बैच की आइएएस अफसर बी चंद्रकला लखनऊ में हैवलॉक रोड पर सफायर अपार्टमेंट के फ्लैट में  सीबीआइ की टीम ने हमीरपुर में उनके जिलाधिकारी रहते करोड़ों के खनन घोटाले के सिलसिले में  छापा मारा है। कहा जा रहा है सीबीआई ने घर से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए हैं। गौरतलब हो अखिलेश सरकार में चन्द्रकला हमीरपुर जिलाधिकारी के पद पर तैनात थी। आरोप है कि इस चन्द्रकला ने जुलाई 2012 के बाद हमीरपुर जिले में 50 मौरंग के खनन के पट्टे किए थे। ई−टेंडर के जरिए मौरंग के पट्टों पर स्वीकृति देने का प्रावधान था लेकिन बी. चन्द्रकला ने सारे प्रावधानों की अनदेखी की थी। वर्ष 2015 में अवैध रूप से जारी मौरंग खनन को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर 2015 को हमीरपुर में जारी सभी 60 मौरंग खनन के पट्टे अवैध घोषित करते हुए रद कर दिए थे। सीबीआई ने खनन घोटाले मामले में बी चंद्रकला का घर खंगाला।

सीबीआइ ने खनन घोटाले के मामले में लखनऊ, कानपुर, हमीरपुर, जालौन, नोएडा और दिल्ली में 12 पर छापा मारा है। सीबीआइ ने जालौन के उरई में बालू घाट संचालकों के प्रतिष्ठानों पर छापा मारा है। इसके साथ ही सीबीआइ ने आज ही हमीरपुर में मौरंग के दो बड़े व्यवसायियों के घरों में छापा मारा। हमीरपुर में एमएलसी रमेश मिश्रा और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संजीव दीक्षित के घरों में छापेमारी की गई है। इनसे सीबीआई बंद कमरे में पूछताछ कर रही है। मौरंग व्यवसायी के घरों में अलमारियों के ताले तोडने के साथ सीबीआइ सोफा व बेड को खोलकर तलाशी ली जा रही है। सीबीआई की 15 सदस्यीय टीम यहां पर कार्यवाही में जुटी है। दोनों ही व्यवसायी सपा सरकार में बडे पैमाने पर अवैध खनन में लिप्त थे।

नयी दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाला मामले में गिरफ्तार कथित बिचौलिया क्रिश्चियन मिशेल को शनिवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। मिशेल को विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार के समक्ष पेश किया गया। प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन मामले में अपनी जांच के सिलसिले में उसकी न्यायिक हिरासत मांगी।

मिशेल को हाल में ही दुबई से प्रत्यर्पित किया गया था। उसे 22 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था और यहां की एक अदालत ने घोटाले में धन शोधन के आरोपों को लेकर उसे सात दिन के लिए जांच एजेंसी की हिरासत में भेज दिया था। मिशेल को इससे पहले इससे संबंधित सीबीआई के मामले में तिहाड़ जेल में रखा गया था।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बहुप्रतीक्षित गठबंधन के लिये दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व ने ‘सैद्धांतिक सहमति‘ कर दी है और गठजोड़ का एलान बहुत जल्द होगा। सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने ‘भाषा‘ को बताया कि आगामी लोकसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर ‘सैद्धांतिक सहमति‘ बन चुकी है और उम्मीद है कि इस गठजोड़ की औपचारिक घोषणा जल्द होगी। सम्भावना है कि इसी महीने इसका एलान हो जाएगा। उन्होंने बताया कि गठबंधन को लेकर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है। कल भी दोनों नेताओं के बीच दिल्ली में मुलाकात हुई थी।

इस सवाल पर कि दोनों दलों के बीच उत्तर प्रदेश में सीटों के बंटवारे को लेकर क्या सहमति बनी है, सपा प्रवक्ता ने इसकी कोई जानकारी होने से इनकार किया लेकिन इतना कहा कि कुछ छोटे दलों को भी गठबंधन में शामिल करने के लिये बात हो रही है। उन्होंने स्वीकार किया कि गठबंधन में शामिल करने के लिये पश्चिमी उत्तर प्रदेश में असर रखने वाले राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) से भी बातचीत हो रही है। कांग्रेस को गठबंधन में शामिल किये जाने की सम्भावना पर चैधरी ने कहा कि इसका निर्णय तो अखिलेश और मायावती ही लेंगे। बहरहाल, कांग्रेस के शीर्ष नेताओं राहुल गांधी और सोनिया गांधी के लिये क्रमशः अमेठी और रायबरेली सीटें छोड़ी जाएंगी।

मालूम हो कि सपा और बसपा के बीच गठबंधन के बीज पिछले साल गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव के दौरान ही पड़ गये थे। इन दोनों सीटों पर बसपा ने सपा प्रत्याशियों को समर्थन दिया था और दोनों ही जगह उन्हें कामयाबी मिली थी। उसके बाद कैराना लोकसभा उपचुनाव में रालोद उम्मीदवार तबस्सुम हसन ने सपा के प्रत्यक्ष और बसपा के परोक्ष सहयोग से जीत हासिल की थी। सपा और बसपा को भरोसा है कि दोनों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से वे उत्तर प्रदेश में भाजपा को परास्त कर सकती हैं। वैसे, तो पिछले साल हुए उपचुनावों के नतीजों से संकेत मिले थे कि सपा और बसपा उत्तर प्रदेश में गठबंधन करके चुनाव लड़ेंगी, मगर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव खासतौर पर इस गठबंधन के लिये इच्छुक लगे।

अखिलेश अक्सर अपने सम्बोधनों में बसपा के प्रति नरम रुख दिखाते रहे हैं। वह तो यहां तक कह चुके हैं कि अगर जरूरत पड़ी तो वह बसपा के लिये दो कदम पीछे हटने को भी तैयार हैं। उन्होंने हाल में गठबंधन के बारे में कहा था कि यह लोगों और विचारों का संगम होगा। वर्ष 2014 में ‘मोदी लहर‘ के बीच हुए लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा का वोट प्रतिशत 22.35 था और उसे पांच सीटों पर ही कामयाबी मिली थी, जबकि बसपा 19.77 फीसद वोट हासिल करने के बावजूद एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। यादव-मुस्लिम समीकरण पर काफी हद तक निर्भर रहने वाली सपा और दलितों में जनाधार रखने वाली बसपा के गठबंधन के परिणाम को लेकर तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे हैं।

सपा को विश्वास है कि बसपा के साथ उसका गठबंधन आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिये मुसीबत पैदा करेगा। वहीं, भाजपा का मानना है कि इस गठजोड़ से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शलभमणि त्रिपाठी का कहना है कि सपा और बसपा का गठबंधन नापाक और अवसरवादी गठजोड़ है। प्रदेश की जनता अब जाति की नहीं बल्कि विकास की सियासत को ही चाहती है और अगले लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा की गलतफहमी दूर हो जाएगी।

  • रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने राफेल पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब दिया
  • निर्मला सीतारमण ने दामों के सवाल पर कहा- संतरे की तुलना सेब से ना की जाए
  • राहुल ने कहा- 2 घंटे आपने भाषण दिया, लेकिन अनिल अंबानी पर नहीं बोलीं

नई दिल्ली. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में राफेल डील पर हुई चर्चा का जवाब दिया। उन्होंने विमानों की संख्या के बारे में वास्तविक स्थिति बताई और कीमत के बारे में खुलासा किया। निर्मला ने कहा, ‘‘इन्होंने (यूपीए सरकार ने) जब डील की थी, तब 18 विमान तैयार हालत में मिलने थे। बाकी 108 विमान 11 साल की अवधि में बनाए जाने थे। 2006 के बाद 2014 तक आप 18 जहाज भी हासिल नहीं कर सके? हमने डील में फ्लाईअवे विमानों की संख्या कम नहीं की। इसकी संख्या 18 से बढ़ाकर 36 की। हमें इस साल सितंबर में पहला और 2022 तक आखिरी राफेल मिल जाएगा। यूपीए के वक्त एक बेसिक राफेल की कीमत 737 करोड़ थी। हमें यह 9% कम रेट पर 670 करोड़ रुपए में मिलेगा। सेब की तुलना संतरे से ना करें।’’ उन्होंने कहा- बोफोर्स ने कांग्रेस को डुबो दिया था और राफेल मोदी सरकार को सत्ता वापस दिलाएगा।

 

 सीतारमण के जवाब पर संसद में राहुल ने कहा- जब सही दाम में 126 एयरक्राफ्ट मिल रहे थे, तब आपने केवल 36 ही क्यों खरीदे। आपने 2 घंटे जवाब दिया, लेकिन अनिल अंबानी पर नहीं बोलीं। यह नहीं बताया कि उन्हें कॉन्ट्रैक्ट किसने दिया?

 रक्षा मंत्री ने कहा- आपकी कभी जहाज खरीदने की मंशा नहीं थी

निर्मला ने कहा- आपने अगस्ता-वेस्टलैंड का ऑर्डर एचएएल को क्यों नहीं दिया? इसलिए क्योंकि एचएएल आपको कुछ और दे नहीं सकती थी? आपने यह जानते हुए भी राफेल डील को अटका दिया कि वायुसेना परेशानी झेल रही है। यहां रक्षा सौदे और सुरक्षा के लिए हुए सौदे में अंतर है। हम कोई रक्षा सौदा नहीं कर रहे हैं। यह सुरक्षा के लिए की गई डील है, क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। मैं यहां तथ्य रख रही हूं। मैं आरोप लगाती हूं कि इनकी मंशा जहाज खरीदने की थी ही नहीं। राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में होने के बावजूद इन्होंने इस डील को अटकाया।

 

हमने जहाज कम नहीं किए, बल्कि 18 फ्लाईअवे जहाजों को 36 तक पहुंचाया
निर्मला सीतारमण ने कहा- आपके 18 फ्लाईअवे जहाजों को हमने 36 तक पहुंचाया और बाकी जहाजों की खरीद के लिए भी हमने आरएफपी भेज दी है। जब भी कभी आपातकालीन खरीद की जाती है, तब यह केवल 2 स्क्वॉड्रन की होती है। 1982 में जब पाकिस्तान सोवियत यूनियन से एफ-16 खरीद रहा था, तब भारत सरकार ने फैसला किया था कि मिग-23 एमएफ की दो स्क्वॉड्रन लायक विमान खरीदे जाएंगे। 1985 में भी दो स्क्वॉड्रन बनाने लायक मिराज फ्रांस से खरीदे गए थे। 1987 में दो स्क्वॉड्रन लायक मिग-29 विमान सोवियत यूनियन से खरीदे गए थे। भारतीय वायुसेना आमतौर पर सरकार को यही सुझाव देती है कि दो स्क्वॉड्रन खरीदे जाएं, ताकि उनके लिए तत्काल व्यवस्था की जा सके।

 निर्मला ने राहुल से कहा- आपमें से कोई तो देश को गुमराह कर रहा है
 

  • निर्मला ने कहा- कांग्रेस का राफेल पर पूरा अभियान पूरी तरह से झूठ और गैरजिम्मेदार आरोपों पर आधारित था। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा था कि हम किसी राष्ट्र प्रमुख के साथ डिफेंस डील पर बात नहीं करेंगे, क्योंकि यह भारत का अंदरूनी मसला है। 
  • ‘‘28 जुलाई को संसद में राहुल गांधी जी ने कहा- मैंने फ्रांस के राष्ट्रपति से गुप्त समझौते के बारे में बात की थी। यानी कांग्रेस प्रवक्ता कुछ और कह रहे हैं और कांग्रेस अध्यक्ष अलग बात कर रहे हैं। दोनों में से कोई एक देश को भ्रमित कर रहा है।’’
  • ‘‘मैं और उदाहरण देती हूं- एक वरिष्ठ संसद सदस्य ने वायुसेना प्रमुख को झूठा कहा। किसी चीज की हद होती है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के बारे में भी बहुत कुछ कहा। बस ये कहने से रह गए कि सुप्रीम कोर्ट ने सब गलत किया। एक वरिष्ठ नेता पाकिस्तान गए और कह रहे हैं कि मोदी सरकार को हटाने के लिए हमें मदद कीजिए।’’
  • ‘‘29 जनवरी में जनआक्रोश रैली में कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा- यूपीए के समय एक राफेल 700 करोड़ रुपए का मिल रहा था। 28 जुलाई को संसद में यह कीमत 520 करोड़ रुपए बताई। 11 अगस्त को एक रैली में 514 करोड़ रुपए कहा। हैदराबाद में 526 करोड़ रुपए बताया। क्या इन्हें पता है कि ये किस बारे में बात कर रहे हैं?’’
  • ‘‘हमें 126 विमानों का बेसिक रेट 670 करोड़ रुपए का मिला, यह यूपीए के वक्त 737 करोड़ रुपए था। यानी हमारे वक्त बेसिक प्लेन 9% सस्ता मिला। अगर आपने 526 करोड़ में विमान का दाम तय किया था तो क्या 2011 से लेकर 2016 तक कीमत एक जैसी रहेगी? उसकी लागत नहीं बढ़ेगी? बेसिक एयरक्राफ्ट के दाम की बैटल रेडी एयरक्राफ्ट से तुलना नहीं की जा सकती।’’
  • ‘‘मोदी सरकार में रक्षा मंत्रालय बिना किसी दलाल के पिछले चार साल से चल रहा है। बोफोर्स के बारे में नहीं बोलूंगी, क्योंकि वह एक घोटाला है। भारत को बदलने के लिए राफेल मोदी सरकार को दोबारा सत्ता में लेकर आएगा।’’
  • "इस सदन में मुझे झूठी कहा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी को चोर कहा गया। ये शब्द सदन की कार्यवाही से बाहर किए जाने चाहिए। मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से हूं, प्रधानमंत्री बेहद गरीब परिवार से हैं। आप भले ही किसी खानदान से होंगे, लेकिन इससे आपको प्रधानमंत्री को चोर और मुझे झूठा कहने का अधिकार नहीं मिल जाता।"

 हमने एचएएल को 1 लाख करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट दिए : निर्मला
निर्मला ने कहा- राहुल गांधी सदन के वरिष्ठ सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ बेंगलुरु में एचएएल गए थे। उसके सामने कहा था- राफेल आपका अधिकार है और आपको इसे बनाना चाहिए था। मैं कहना चाहती हूं कि मल्लिकार्जुन खड़गे जी उस स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य भी थे, जिसने डिफेंस से जुड़े कई मामलों को देखा था। स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट में कहा था- कमेटी इस बात से निराश है कि 3 दशकों बाद भी एचएएल वायुसेना की जरूरत के मुताबिक लड़ाकू विमान बनाने में सक्षम नहीं हो पाई। आपने 2005 से 2014 के बीच एचएएल के लिए कुछ नहीं किया। हमने 1 लाख करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट एचएएल को दिए, आपने तो सिर्फ घड़ियाली आंसू बहाए। जब राफेल कॉन्ट्रैक्ट हो रहा था, तब कहा गया कि एचएएल को यही जहाज बनाने में 2.7 गुना ज्यादा वक्त चाहिए। दैसो ने इस बात की गारंटी भी नहीं दी कि 108 विमानों को एचएएल प्रोड्यूस करे।

 ‘10 साल में पड़ोसी देशों ने कई बदलाव किए’

रक्षा मंत्री ने कहा- रक्षा सौदे देश की सुरक्षा से जुड़े मामले हैं। देश को यह समझना होगा कि रक्षा सौदे गोपनीय होते हैं। देश की सरहद पर संवेदनशील माहौल है। सरकार में जो भी है, उसे यह समझना होगा, जिम्मेदारी लेनी होगी। पिछले 10 साल में हमारे पड़ोसियों में क्या बदलाव हुए हैं? चीन के पास 400 लड़ाकू एयरक्राफ्ट हैं, इनमें फिफ्थ जनरेशन एयरक्राफ्ट हैं। पाकिस्तान ने अपनी लड़ाकू विमानों की क्षमता बढ़ाई है। हमारे पास क्या है? 2002 में हमारे पास 42 स्क्वॉड्रन थी। यह 2007 में घटकर 36 और 2015 में 32 स्क्वॉड्रन हो गईं। हमारे पड़ोसी अपनी क्षमता बढ़ा रहे थे, हमारी क्षमता इस दौरान घट रही थी।

लोकसभा स्पीकर ने राहुल से कहा- आप समझते तो हैं नहीं  चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन से पूछा- जब मैं सदन में बोल रहा था, तब आपने कहा था कि मैं किसी का नाम नहीं ले सकता हूं और आज रक्षा मंत्री मेरा नाम ले रही हैं। आप उन्हें तो मेरा नाम लेने दे रही हैं? 

  • इस पर स्पीकर ने कहा- आप समझते तो हैं नहीं। मैंने सदन में मौजूद व्यक्ति का नाम लेने से मना नहीं किया। आप यहां पर मौजूद हैं तो आपको भी मौका दिया जाएगा और आप तब कुछ कह सकते हैं। इनका भाषण खत्म होने के बाद मैं आपको बोलने का मौका दूंगी।

 

राहुल ने कहा- हमारे सवालों का जवाब देना चाहिए  

  • राहुल ने सदन में कहा, "मुझे आश्चर्य हुआ कि जो पैसा हिंदुस्तान की जनता का है उसके बारे में हिंदुस्तान की जनता को ही नहीं बताया जा रहा। मैं मिस्टर पर्रिकर पर आरोप नहीं लगा रहा हूं। मैं प्रधानमंत्री मोदीजी पर आरोप लगा रहा हूं, क्योंकि वे सीधे इसमें शामिल हैं।" 
  • "अनिल अंबानी को ऑफसेट पार्टनर का सबसे बड़ा कॉन्ट्रैक्ट मिला। आपने दो घंटे जवाब दिया, लेकिन एक बार भी अनिल अंबानी का नाम नहीं लिया। आपने नहीं बताया कि अनिल अंबानी को कॉन्ट्रैक्ट देने का फैसला किसने लिया?"
  •  "फ्रांसुआ ऑलेंद ने कहा कि यह फैसला प्रधानमंत्री जी ने किया। हमने सवाल किया, लेकिन आपने इसका जवाब नहीं दिया। जब आपको सही दाम पर 126 एयरक्राफ्ट मिल रहे थे तो आपने 36 क्यों खरीदे। 126 ही क्यों नहीं खरीदे?" 

नयी दिल्ली। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने गुरुवार को कहा कि उसका मानना है कि पत्रकारों को स्वस्थ और सभ्य आलोचना से किसी छूट का दावा नहीं करना चाहिए लेकिन साथ ही उन पर किसी तरह का ठप्पा लगाना उनकी गरिमा कम करने और उन्हें धमकाने के ‘पसंदीदा हथकंडे’ के तौर पर सामने आया है। गिल्ड ने एक बयान में कहा, ‘हमने देखा कि हमारे नेता इसका कुछ समय से इस्तेमाल कर रहे हैं। हाल फिलहाल में भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ आप के नेताओं ने पत्रकारों के लिए प्रेस्टीच्यूट , खबरों के कारोबारी, बाजारू और दलाल जैसे अपमानजनक शब्दों का स्पष्ट तौर पर इस्तेमाल किया।’

उसने इस सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साक्षात्कार लेने वाले पत्रकार की आलोचना के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्दों पर भी चिंता जताई। गिल्ड की कार्यकारी समिति के सदस्यों के बीच व्यापक बहस के बाद यह बयान जारी किया गया। कुछ सदस्यों ने ऐसे बयान जारी करने का विरोध करते हुए कहा कि गांधी की टिप्पणी अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला या खतरे की तरह नहीं है।

गुरदासपुर। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने बृहस्पतिवार को मांग की कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े मामलों में जोड़ा जाना चाहिए। पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि गवाहों की गवाही ने साफ कर दिया है कि दंगों के लिए राजीव गांधी ‘जिम्मेदार’ थे।

उन्होंने यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘राजीव गांधी का नाम 1984 दंगों से संबंधित दर्ज मामलों में जोड़ा जाना चाहिए। राजीव का नाम सभी पुरस्कारों और संस्थानों से हटाया जाना चाहिए।’ बादल ने दावा किया कि हालिया घटनाक्रम और गवाहों की गवाही ने साफ किया है कि राजीव गांधी 1984 दंगों के लिए जिम्मेदार हैं। कांग्रेस दंगों में उसके नेतृत्व की भूमिका से हमेशा इंकार करती रही है।

तिरूवनंतपुरम। दक्षिणपंथी संगठनों की धमकियों को नजरअंदाज करते हुए सबरीमाला मंदिर में पूजा अर्चना करके इतिहास रचने वालीं रजस्वला वाली उम्र की दो महिलाओं बिंदू और कनकादुर्गा ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह किसी के एजेंडे का हिस्सा नहीं हैं। करीब 40 साल की उम्र की महिलाओं ने इन आरोपों को ‘बेबुनियाद’ करार दिया कि वे पुलिस और सरकार के हाथों में खेल रही हैं।

उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य सबरीमाला मंदिर में दर्शन करना था और उन्होंने इस लक्ष्य को भक्तों की ओर से किसी दिक्कत का सामना किये बगैर हासिल कर लिया। कनकादुर्गा ने कहा, ‘सबरीमला जाने वाले सभी श्रद्धालुओं ने बहुत सहयोग किया। हमें अन्य भक्तों से कोई दिक्कत नहीं हुई। हम मंदिर से सुरक्षित उतर आए।’ ‘मनोरमा’ चैनल को दिये साक्षात्कार में कनकादुर्गा ने कहा, ‘सबरीमाला जाना मेरा अपना फैसला था।’

पटना। भाजपा के बागी नेता और सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए उनसे ‘वास्तविक पत्रकारों’ से ‘सीधे’ और ‘बिना तैयारी के’ सवालों का सामना करने को कहा। सिन्हा ने सवाल किया कि उन्होंने अपने कार्यकाल में एक भी संवाददाता सम्मेलन क्यों नहीं किया। कई ट्वीट करके सिन्हा ने मोदी के हालिया साक्षात्कार को ‘पूर्वनियोजित, अच्छे से तैयार, अच्छे से शोध और रिहर्सल’ वाला करार दिया।

पटना साहिब से सांसद ने मोदी का कहीं नाम नहीं लिया लेकिन उनके ट्वीट परोक्ष रूप से प्रधानमंत्री पर निशाना साधने वाले हैं। सिन्हा ने कहा, ‘क्या यह सीधे और बिना तैयारी के सवालों का जवाब देकर एक क्षमतावान और सक्षम नेता के रूप में अपनी छवि बनाने का सही समय नहीं है? हमें पता है कि आप उनका सामना नहीं करना चाहते लेकिन कम से कम कद्दावर नेता यशवंत सिन्हा और चर्चित पत्रकार अरुण शौरी के सवालों का जवाब देने का साहस दिखाइए।’

नयी दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने पार्टी की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष पद से शुक्रवार को स्वास्थ्य संबंधी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया। पार्टी सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली में पार्टी मामलों के प्रभारी पी. सी. चाको और माकन के बीच बृहस्पतिवार को बैठक हुई थी। गांधी ने माकन का इस्तीफा मंजूर कर लिया है।

2015 विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद करीब चार साल पहले 54 वर्षीय माकन को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। माकन ने बाद में ट्विटर के जरिए भी अपने इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने ट्वीट किया, ‘2015 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद, दिल्ली इकाई के अध्यक्ष के रूप में मुझे कांग्रेस कार्यकर्ताओं, पार्टी को कवर करने वाले मीडिया और हमारे नेता राहुल गांधी जी का बहुत स्नेह मिला। इन मुश्किल घड़ियों में यह आसान नहीं था। आप सभी को धन्यवाद।’

नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में दायर अपीलों पर शुक्रवार को एक बार फिर मामला टल गया। बता दें कि 10 जनवरी को कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगा। यह मामला प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध था। मुख्य न्यायधीश ने 60 सेकण्ड में अपना फैसला सुनाया और इस मामले में आज कोई भी बहस नहीं हुई।

 

इस मामले में प्रधान न्यायधीश ने कहा कि तीन जजों की संविधान पीठ राम मंदिर पर सुनवाई करेगी। हालांकि इस विषय पर बाकी की जानकारी 10 जनवरी को मिलेगी।

 

इस पीठ द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई के लिये तीन सदस्यीय न्यायाधीशों की पीठ गठित किये जाने की उम्मीद है। उच्च न्यायालय ने इस विवाद में दायर चार दीवानी वाद पर अपने फैसले में 2.77 एकड़ भूमि का सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच समान रूप से बंटवारा करने का आदेश दिया था।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 29 अक्टूबर को कहा था कि यह मामला जनवरी के प्रथम सप्ताह में उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होगा जो इसकी सुनवाई का कार्यक्रम निर्धारित करेगी। बाद में अखिल भारत हिन्दू महासभा ने एक अर्जी दायर कर सुनवाई की तारीख पहले करने का अनुरोध किया था परंतु न्यायालय ने ऐसा करने से इंकार कर दिया था। न्यायालय ने कहा था कि 29 अक्टूबर को ही इस मामले की सुनवाई के बारे में आदेश पारित किया जा चुका है। हिन्दू महासभा इस मामले में मूल वादकारियों में से एक एम सिद्दीक के वारिसों द्वारा दायर अपील में एक प्रतिवादी है।

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