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खदान से पानी निकालने के लिए कर्मचारी 100 हॉर्स पावर की मशीन का इंतजार कर रहे हैं।
मेघालय की खदान के अंदर पानी भरने से फंसे बच्चे, राहुल का आरोप- उपकरणों की कमी के चलते बचाव का काम बाधित
मेघालय के अफसर ने कहा- रेस्क्यू के लिए हमारे पास पर्याप्त बल नहीं
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पुल पर फोटो खिंचवाना छोड़कर मेघालय की खदान में फंसे 15 नाबालिगों को बचाना चाहिए। मेघालय की कोयला खदान में पानी भरने से 13 दिसंबर से कई बच्चे फंसे हुए हैं।
Óबच्चे जीवन के लिए संघर्ष कर रहेÓ
राहुल ने ट्वीट किया, 15 नाबालिग पानी से भरी खदान में जिंदगी के लिए दो हफ्ते से संघर्ष कर रहे हैं। वहीं, प्रधानमंत्री बोगीबील पुल पर फोटो खिंचा रहे हैं। उनकी सरकार ने बचाव के लिए हाईप्रेशर पंप्स देने से इनकार कर दिया है। मैं पीएम से अपील करता हूं कि नाबालिगों को बचाएं।
राहुल ने रिपोट्र्स का हवाला देते हुए यह भी कहा कि उपकरणों की कमी के चलते 15 बच्चों को बचाने का काम बाधित हो रहा है। खदान में अचानक से लाइतीन नदी के पानी घुसने के चलते बच्चे उसमें फंसे हुए हैं।
उधर, मेघालय के एक गृह विभाग के वरिष्ठ अफसर ने बताया कि खदान ईस्ट जैंतिया हिल जिले में स्थित है, वहां पुलिस फोर्स को भेजा गया है। हमारे पास इस समस्या से निपटने के लिए पर्याप्त बल नहीं है।
मोदी ने कल किया था पुल का उद्घाटन
मोदी ने मंगलवार को असम के डिब्रूगढ़ में देश के सबसे लंबे रेल-रोड पुल बोगीबील का उद्घाटन किया था। यह ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तर और दक्षिण तट को जोड़ेगा। पुल की लंबाई 4.94 किमी है। पुल से मिलिट्री टैंक गुजर सकते हैं। जरूरत पडऩे पर लड़ाकू विमान भी पुल पर लैंड कर सकते हैं। मोदी ने कहा, यहां कुछ लोग ऐसे होंगे,जो 16 साल पहले भी यहां आए होंगे, जब अटलजी ने इसका शिलान्यास किया था। दुर्भाग्यवश 2004 में सरकार जाने के बाद कई प्रोजेक्टों की तरह यह भी अटक गया। अटलजी की सरकार को दोबारा मौका मिलता तो यह ब्रिज 2007-08 में ही बन जाता। 2014 में सरकार बनने के बाद हमने सारी बाधाओं को दूर किया और गति दी।ÓÓ

भाजपा महासचिव ने कहा- हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह सुनवाई करेगा
रविशंकर प्रसाद ने कहा- सबरीमाला-समलैंगिकता पर जल्द फैसला आ सकता है तो राम मंदिर पर क्यों नहीं
उन्होंने कहा- बाबर का संविधान में जिक्र नहीं, हमें उनकी इबादत नहीं करनी चाहिए
नई दिल्ली। भाजपा महासचिव राम माधव ने बुधवार को कहा कि राम मंदिर पर अध्यादेश का विकल्प हमेशा खुला है। उन्होंने कहा कि अभी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। अदालत ने इसकी सुनवाई के लिए 4 जनवरी तय की है। हमें आशा है कि अदालत इस मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह सुनवाई करेगा और जल्द फैसला सुनाएगा। अगर ऐसा नहीं होता है, तो हम दूसरा रास्ता अपनाएंगे। इससे पहले केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी सुप्रीम कोर्ट से राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह करने की मांग की।
Óसबरीमाला पर फैसला जल्द आ सकता है तो राम मंदिर पर क्यों नहीं?Ó रविशंकर प्रसाद मंगलवार को अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद की 15वीं नेशनल कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब सबरीमाला मामले में जल्द फैसला आ सकता है, तो सालों से अटके इस मामले में क्यों नहीं?
प्रसाद ने कहा कि मैं कानून मंत्री के नाते नहीं, बल्कि एक आम नागरिक के तौर पर सुप्रीम कोर्ट से मामले पर जल्द फैसला देने की अपील करता हूं। कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह, इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस एआर मसूदी भी मौजूद थे।
उन्होंने कहा, इस मामले में इतने सबूत हैं कि अच्छी बात हो सकती है। लेकिन लोग मेरे पास आते हैं और पूछते हैं कि समलैंगिकता पर 6 महीने में, सबरीमाला पर 5-6 महीने में, अर्बन नक्सल पर 2 महीने में फैसला हो जाता है। हमारे रामलला का विवाद 70 सालों से कोर्ट में अटका है। 10 साल से सुप्रीम कोर्ट के पास है, इसमें सुनवाई क्यों नहीं होती?ÓÓ
कानून मंत्री ने कहा , 'Óहम बाबर को क्यों पूजें, उसकी इबादत नहीं होनी चाहिए।ÓÓ उन्होंने संविधान की प्रति को दिखाते हुए कहा कि इसमें राम, कृष्ण और अकबर का भी जिक्र है, लेकिन बाबर का नहीं। उन्होंने कहा कि भारत में इस तरह की बात कर दो तो नया विवाद खड़ा हो जाता है।
अयोध्या विवाद पर 4 जनवरी को होनी है सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट अयोध्या में राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर 4 जनवरी को सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में 3 जजों की बेंच इस मामले में सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर में इस मामले से जुड़ी याचिकाओं पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया था।

पुणे (महाराष्ट्र)। तीन हिंदी भाषी राज्यों में हाल में भाजपा की हार के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को कहा कि ‘‘नेतृत्व’’ को ‘‘हार और विफलताओं’’ की भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। साफगोई के लिये चर्चित भाजपा नेता ने कहा कि सफलता की तरह कोई विफलता की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता।  

गडकरी ने कहा, ‘‘सफलता के कई दावेदार होते हैं लेकिन विफलता में कोई साथ नहीं होता। सफलता का श्रेय लेने के लिये लोगों में होड़ रहती है लेकिन विफलता को कोई स्वीकार नहीं करना चाहता, सब दूसरे की तरफ उंगली दिखाने लगते हैं।’’ 
 
वह यहां पुणे जिला शहरी सहकारी बैंक असोसिएशन लिमिटेड द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। 

अहमदाबाद : अयोध्या में राम मंदिर बनाने की रणनीति पर चर्चा के लिए अहमदाबाद में एक अहम बैठक हुई है. बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के अलावा कुछ हिंदू संत भी मौजूद थे. बैठक में शाह ने संघ प्रमुख और हिंदू नेताओं को भरोसा दिया कि अयोध्या में मंदिर का निर्माण होगा. बताया जाता है कि अमित शाह और भागवत ने बंद कमरे में डेढ़ घंटे तक गुफ्तगू की.

अहमदाबाद से 210 किलोमीटर दूर स्थित राजकोट में शुक्रवार को हुई बैठक में शामिल कुछ नेताओं ने मीडिया को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल पर मंदिर निर्माण को लेकर आगे के रास्तों पर चर्चा हुई.

उन्होंने बताया कि अहमदाबाद से 210 किलोमीटर दूर राजकोट में दो दिवसीय हिंदू आचार्य सभा की बैठक में मौजूद भागवत और संतों ने स्पष्ट रूप से विचार व्यक्त किया कि मई, 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यकाल पूरा होने से पहले मंदिर का निर्माण शुरू हो जाना चाहिए.

बैठक में हिस्सा लेने वाले आचार्य सतगिरि महाराज ने कहा, ‘मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गयी. एक रास्ता विधिक रास्ता है. नेता अपना काम कर रहे हैं. संतों ने कहा कि वे राममंदिर निर्माण को जितना जल्दी संभव हो आगे बढ़ाना चाहते हैं.’ राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले सतगिरि महाराज ने कहा, ‘मैं उम्मीद करता हूं कि वे दो-तीन महीने में कुछ करेंगे.’

सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि मालिकाना हक विवाद पर जनवरी में सुनवाई की उम्मीद है. यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा को मंदिर का निर्माण वर्ष 2019 से पहले शुरू करने का एक अल्टीमेटम दिया गया, सतगिरि ने ना में जवाब दिया. सतगिरि ने कहा, ‘मोहनजी ने अपनी इच्छा व्यक्त की कि राममंदिर का निर्माण 2019 चुनाव से पहले शुरू होना चाहिए, लेकिन कोई अल्टीमेटम नहीं दिया गया.’

एक अन्य संत ने कहा कि शाह ने बैठक में विधिक मामले की जानकारी साझा की और सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले की सुनवाई जनवरी में लिये जाने की संभावना के बारे में बात की. संत ने कहा, ‘शाह ने हमें भरोसा दिया कि मंदिर का निर्माण उसी स्थल (अयोध्या में वहीं जो कि विवादों में है) पर होगा.’ एक तीसरे संत ने धैर्य रखने की बात की और कहा, ‘वे (आरएसएस और भाजपा) जो भी जरूरी है, करेंगे (मंदिर निर्माण के लिए).’

आरएसएस प्रवक्ता विजय ठाकुर ने कहा कि हिंदू आचार्य सभा का आयोजन प्रत्येक दो वर्ष पर होता है, जिसमें हिंदू समाज से संबंधित सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षणिक मुद्दों पर चर्चा होती है. हिंदू सभा में भागवत और शाह के अलावा राम माधव और सुब्रमण्यम स्वामी जैसे नेताओं ने भी हिस्सा लिया. स्वामी ने कहा कि दलीलें हिंदुओं के पक्ष में हैं कि उन्हें राम मंदिर के लिए जमीन मिल जायेगी, लेकिन सवाल यह है कि सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई कब करेगा.

उन्होंने कहा, ‘(पूर्व प्रधानमंत्री) नरसिंह राव ने कहा था कि यदि यह साबित हो जाता है कि उसी स्थान पर एक मंदिर था, तो हम जमीन हिंदुओं को दे देंगे, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने भी यह साबित किया है.’ उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला दिया है कि नमाज के लिए मस्जिद जरूरी हिस्सा नहीं है, जो कि कहीं भी की जा सकती है. सभी चीजें और दलीलें हमारे पक्ष में है.’ उन्होंने कहा, ‘अब देखना है कि सुनवाई कब होती है और फैसला कब आता है.’

बैठक राजकोट में अर्ष विद्या मंदिर में हुई, जिसमें करीब 100 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. आरएसएस सहित हिंदू संगठनों ने पिछले कुछ महीनों में मंदिर निर्माण जल्द करने को लेकर अपनी मांग तेज कर दी है और भागवत सहित कई इसके लिए कानून बनाने पर जोर दे रहे हैं.

हिंदू आचार्य सभा में पहुंचे अविचलदासजी महाराज ने कहा कि धर्म सभा में आचार्य सम्मेलन, कुंभ के लिए आमंत्रण और राम मंदिर के बारे में बात हुई है. राममंदिर पर अध्यादेश के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस सभा में इस तरह की कोई बात नहीं हुई.

धर्मांतरण के मुद्दे पर भी हुई खुलकर बात

धर्म सभा में राम मंदिर के मुद्दे के अलावा धर्मांतरण के मुद्दे पर भी खुल कर चर्चा हुई. मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हारने के बाद भाजपा राम मंदिर के मुद्दे पर फूंक-फूंक कर रणनीति बनाने में लगी है, ताकि इसका फायदा 2019 के चुनाव में मिल पाये.

मुंबई : देश में सशक्त संविधान और कानून तो है पर लोगों में संवेदनशीलता की कमी के कारण यह सही तरीके से लागू नहीं हो पाता. उक्त बातें आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कही, वे नूतन गुलगुले फाउंडेशन के एक समारोह में लोगों को संबोधित कर रहे थे.

 उन्होंने कहा कि धर्म को केवल पुस्तकों में नहीं पढ़ा जाना चाहिए बल्कि इसे जीवन शैली में अपनाया जाना चाहिए और मनुष्यों को मनुष्यों की तरह ही व्यवहार करना चाहिए. यह फाउंडेशन दिव्यांग लोगों के कल्याण के लिए काम करता है. उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे पास सशक्त संविधान, कानून है लेकिन लोगों में संवेदनशीलता की कमी होने से वे प्रभावी तरीके से लागू नहीं हो पाते.'

पम्बा : सबरीमाला में प्रवेश को लेकर एक बार फिर तनाव की स्थिति बन गयी है. कारण है 11 महिलाओं द्वारा मंदिर में प्रवेश की अनुमति मांगना. तनाव तब उत्पन्न हुआ जब पम्बा में रविवार सुबह 50 वर्ष से कम आयु की 11 महिलाओं के एक समूह ने भगवान अयप्पा मंदिर में पहुंचने की कोशिश की. श्रद्धालुओं ने महिलाओं के इस कदम का विरोध किया. महिलाओं के समूह ने मंदिर परिसर से लगभग पांच किलोमीटर दूर पारंपरिक वन पथ के माध्यम से अयप्पा मंदिर पहुंचने की कोशिश की, लेकिन श्रद्धालुओं के विरोध की वजह से वे आगे नहीं बढ़ सकीं.

निषेधात्मक आदेश की अवहेलना करते हुए सैकड़ों श्रद्धालु यहां एकत्रित हुए और उन्होंने भगवान अयप्पा के भजन जोर-जोर से गाने शुरू कर दिए. चेन्नई के 'मानिथि' संगठन की ये महिलाएं लगातार विरोध के बाद सुबह पांच बजकर 20 मिनट से सड़क पर बैठीं हैं. पुलिस ने उनके आसपास घेरेबंदी कर दी है. इस समूह की संयोजक सेल्वी से पुलिस की बातचीत भी विफल रही क्योंकि उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वे दर्शन किए बिना नहीं लौटेंगी. सेल्वी ने पत्रकारों से कहा, ‘‘प्रदर्शन के मद्देनजर पुलिस हमें वापस जाने को कह रही है लेकिन हम दर्शन किए बिना नहीं जाएंगे. हम यहां तब तक इंतजार करेंगे जब तक हमें आगे नहीं जाने दिया जाता.'

गौरतलब है कि सबरीमाला मंदिर में 10-50 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर पारंपरिक रूप से लगी रोक के खिलाफ आदेश देते हुए उच्चतम न्यायालय ने 28 सितंबर को सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश और पूजा की अनुमति दे दी थी. तब से मंदिर में प्रवेश को लेकर कई बार प्रदर्शन हो चुके हैं. महिला का समूह केरल-तमिलनाडु सीमा पर इडुक्की-कम्बदु मार्ग से तड़के करीब साढ़े तीन बजे पम्बा पहुंचा था. स्थानीय टेलीविजन चैनलों के अनुसार उन्हें रास्ते में कई स्थानों पर विरोध का सामना करना पड़ा लेकिन वे पम्बा पहुंचने में कामयाब रहीं.

समूह की सदस्य तिलकवती ने कहा, "मंदिर में दर्शन नहीं होने तक हम प्रदर्शन जारी रखेंगे. पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए हमें वापस जाने को कहा है. लेकिन हम वापस नहीं जाएंगे." केरल सरकार के उच्चतम न्यायालय के 28 सितम्बर को दिए आदेश को लागू करने के निर्णय के बाद से श्रद्धालुओं ने सबरीमला मंदिर के पास व्यापक स्तर पर प्रदर्शन किए हैं. पहले भी कुछ महिलाएं मंदिर पहुंचने का असफल प्रयास कर चुकी हैं.

नयी दिल्ली : भगवान हनुमान की जाति और धर्म बताने के बाद अब एक नया बयान सामने आया है. अब उत्तर प्रदेश सरकार के कैबनेट मंत्री और पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान ने हनुमान जी को खिलाड़ी बताने का काम किया है. चौहान ने कहा कि हनुमान जी कुश्ती लड़ते थे वो खिलाड़ी थे उनकी कोई जाति नहीं थी वो खिलाड़ी थे और मैं भी खिलाड़ी हूं... चौहान ने अमरोहा में पत्रकरों के सवालो का जवाब देते हुए ये बातें कही. यदि आपको याद हो तो योगी सरकार में मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने पिछले दिनों कहा था कि  मुझे लगता है कि हनुमान जी जाट थे.

यहां चर्चा कर दें कि सारा विवाद उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के उस बयान से शुरू हुआ था जिसमें उन्होंने में हनुमान जी को दलित बताया था. उन्होंने ने कहा था कि बजरंगबली एक ऐसे लोक देवता हैं जो स्वयं वनवासी हैं, गिर वासी हैं, दलित हैं और वंचित हैं.

हनुमान को बताया ‘मुसलमान'
उत्तर प्रदेश के भाजपा एमएलसी बुक्कल नवाब ने कुछ दिन पूर्व हुनमान जी को मुसलमान बताया था. उन्‍होंने कहा था हमारा मानना है कि हनुमान जी मुसलमान थे, इसलिए मुसलमानों के जो नाम होते हैं  - रहमान, रमजान वो करीब-करीब उन्हीं पर रखे जाते हैं.

आदिवासी थे हनुमान
नेशनल कमीशन ऑफ शेड्यूल ट्राइब के चेयरमैन नंद कुमार साय ने सीएम योगी के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि वनवासी हम भी हैं और इसलिए मैं बता दूं कि लोग यह समझते हैं कि राम की सेना में वानर, भालू, गिद्ध थे. इस पर शोध करेंगे तो पायेंगे हमारी जनजाति में है. उरांव जनजाति में तिग्गा वानर है. जिस समाज से मैं हूं वानर गोत्र है.कई लोगों का गोत्र गिद्ध है. आप मानेंगे कि जंगलों में हमारे लोग रहते थे और वही भगवान राम के साथ बड़ी लड़ाई में शामिल हुए थे.

बालेश्वर (ओडिशा) : भारत ने ओडिशा तट से रविवार को परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-4 का सफल परीक्षण किया. यह मिसाइल 4,000 किलोमीटर की दूरी तक का लक्ष्य भेदने में सक्षम है. यह परीक्षण सेना ने प्रायोगिक परीक्षण के रूप में किया.

रक्षा सूत्रों ने बताया कि सतह से सतह पर मार करने वाली इस सामरिक मिसाइल का परीक्षण डॉ अब्दुल कलाम द्वीप स्थित एकीकृत परीक्षण केंद्र (आईटीआर) के लॉन्च पैड संख्या-4 से सुबह करीब 8:35 बजे किया गया. परीक्षण को ‘‘पूर्ण सफल'' करार देते हुए उन्होंने कहा कि परीक्षण के दौरान मिशन के सभी उद्देश्य प्राप्त कर लिए गए. सभी रडार, ट्रैकिंग सिस्टम और रेंज स्टेशनों ने मिसाइल के उड़ान प्रदर्शन पर निगरानी रखी, जिसे एक मोबाइल लॉन्चर से दागा गया.

अग्नि-4 मिसाइल का यह सातवां परीक्षण था. इससे पहले भारतीय सेना की सामरिक बल कमान (एसएफसी) द्वारा इसी स्थान से दो जनवरी 2018 को इसका सफल परीक्षण किया गया था.

चेन्नई : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 लोकसभा चुनाव के लिए बनाए गए महागठबंधन पर रविवार को करारा प्रहार किया है. उन्होंने महागठबंधन पर हमला करते हुए इसे विभिन्न राजनीतिक पार्टियों का ‘‘निजी अस्तित्व'' बचाने के लिए किया गया ‘‘नापाक गठबंधन'' करार दिया. मोदी ने तमिलनाडु में चेन्नई मध्य, चेन्नई उत्तर, मदुरई, तिरुचिरापल्ली और तिरूवल्लुर निर्वाचन क्षेत्रों के भाजपा के बूथ कार्यकर्ताओं से वीडियो संबोधन के जरिए कहा कि लोग ‘‘धनाढ्य वंशों के एक बेतुके गठबंधन'' को देखेंगे.

प्रधानमंत्री ने कहा कि महागठबंधन के प्रमुख घटक तेलुगू देशम पार्टी का गठन कांग्रेस की ज्यादती के खिलाफ दिवंगत मुख्यमंत्री एनटी रामाराव ने किया था लेकिन अब पार्टी कांग्रेस से हाथ मिलाने का इच्छुक है। मोदी ने कहा कि महागठबंधन में कुछ पार्टियों ने समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया से प्रेरित होने का दावा किया है लेकिन वे (लोहिया ने) स्वयं कांग्रेस की विचाराधारा के खिलाफ थे.

उन्होंने कहा, ‘‘आज कई लोग महागठबंधन की बात कर रहे हैं. गठबंधन निजी अस्तित्व को बचाने के लिए है और विचारधारा-आधारित समर्थन नहीं है. गठबंधन सत्ता के लिए है, जनता के लिए नहीं. यह गठबंधन व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के लिए है, लोगों की आकांक्षाओं के लिए नहीं.''


मोदी ने कहा कि गठबंधन के कई दलों और नेताओं का कहना है कि वह लोहिया से प्रेरित हैं ‘‘जो स्वयं कांग्रेस विरोधी थे.'' मोदी ने किसी का प्रत्यक्ष तौर पर जिक्र किए बिना कहा कि गठबंधन के कई नेताओं को आपातकाल के दौरान गिरफ्तार तथा प्रताड़ित किया गया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के ‘‘पारिस्थितिकी तंत्र'' से किसी को नहीं बख्शा. उन्होंने दिवंगत मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन की अन्नाद्रमुक सरकार की 1980 में की गई बर्खास्तगी का भी हवाला दिया, जबकि रामचंद्रन को लोगों का समर्थन प्राप्त था.

महागठबंधन 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों द्वारा बनाया गया गठबंधन हैं.

रांची : पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में तीन राज्य में शानदार प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस पार्टी का झंडा झारखंड में भी लहरा रहा है. राहुल के नेतृत्व में 2019 के आम चुनावों से पहले तीन राज्यों से शुरू हुआ ‘विजय रथ’ झारखंड में भी आगे बढ़ा. कोलेबिरा उपचुनाव में कांग्रेस के नमन विक्सल कोंगारी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार बसंत सोरेंग को 9658 मतों से हरा दिया. एनोस एक्का की पत्नी मेनोन एक्का, जिन्हें जीत का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, चौथे स्थान पर खिसक गयीं. 20 राउंड की मतगणना में कभी भी वह रेस में नहीं रहीं. वहीं, कोंगारी ने पहले राउंड से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के बसंत सोरेंग पर बढ़त बनाये रखी, जो अंत तक कायम रही.

शिबू सोरेन से दगाबाजी

लोकसभा चुनाव 2019 में महागठबंधन की तैयारी कर रही कांग्रेस को उस वक्त तगड़ा झटका लगा था, जब झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सुप्रीमो शिबू सोरेन ने एनोस की पत्नी मेनोन को समर्थन का एलान कर दिया. कांग्रेस से विचार-विमर्श के बगैर मेनोन को झामुमो का समर्थन और गुरुजी का आशीर्वाद दोनों मिल गया. कोलेबिरा उपचुनाव में जब कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी, तो यह अटकलें लगने लगीं कि झारखंड में भाजपा के खिलाफ महागठबंधन बनने से पहले ही बिगड़ गया. लेकिन, सच्चाई कुछ और ही थी.

 
 

तहखाने की रिपोर्ट बताती है कि झामुमो और शिबू सोरेन ने एनोस एक्का को सबक सिखाने के लिए उनकी पत्नी को समर्थन देने की चाल चली थी. दरअसल, वर्ष 2009 में गुरुजी के मंत्रिमंडल में रहते हुए एनोस एक्का ने उनकी पीठ में छुरा घोंपा था. अपने ही मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के खिलाफ तमाड़ में एनोस एक्का ने गोपाल दास पातर उर्फ राजा पीटर को उतार दिया था. शिबू सोरेन इस उपचुनाव में हार गये थे. उन्हें इस्तीफा तो देना ही पड़ा था, काफी किरकिरी भी झेलनी पड़ी थी.

इसका बदला झामुमो ने एनोस एक्का से ले लिया है. मेनोन को गुरुजी ने आशीर्वाद के साथ समर्थन तो दे दिया, लेकिन पार्टी का कोई बड़ा नेता वहां प्रचार करने नहीं गया. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अंतिम क्षण में प्रचार की औपचारिकता पूरी करने भर के लिए कोलेबिरा गये. दूसरी तरफ, पार्टी के नेता पौलुस सुरीन दूसरी पार्टी के प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करते रहे, लेकिन हेमंत या गुरुजी ने उन्हें कभी रोका नहीं.

एक्का का जेल में होना

वर्ष 2005 से कोलेबिरा विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले एनोस एक्का का जेल में होना उनकी पार्टी की हार की एक वजह रही. पारा शिक्षक की हत्या के मामले में एनोस एक्का के जेल जाने के बाद उनकी सीट पर उपचुनाव की घोषणा हुई थी. एनोस की पत्नी मेनोन एक्का पहली बार चुनाव लड़ रही थीं. रणनीति बनाने में वह भाजपा और कांग्रेस से कमजोर साबित हुईं और चुनाव हार गयीं.

एनोस और मेनोन एक्का का भ्रष्टाचार

लगातार तीन बार कोलेबिरा से चुनाव जीत चुके एनोस एक्का पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. उनके साथ उनकी पत्नी मेनोन एक्का भी उन्हीं आरोपों में घिरी हुई हैं. कई जगहों पर उनकी संपत्ति को प्रवर्तन निदेशालय ने अटैच कर दिया है. लोगों में इसका भी गलत संदेश गया और झारखंड पार्टी को हार का सामना करना पड़ा.

कांग्रेस की ठोस रणनीति

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के समर्थन के बावजूद मेनोन एक्का हार गयीं, तो इसकी सबसे बड़ी वजह कांग्रेस की ठोस रणनीति रही. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अजय कुमार के नेतृत्व में पार्टी ने चुनाव जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया. अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए महागठबंधन के सहयोगी दलों के नेताओं की फौज कोलेबिरा में उतार दी.

दूसरी तरफ, भाजपा की सहयोगी पार्टी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) ने भाजपा से दूरी बनाये रखी. इस तरह कोलेबिरा में भाजपा पूरी तरह अलग-थलग पड़ गयी और उसके प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा.

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