ईश्वर दुबे
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Bhilai
नई दिल्ली | सीमा पर तनाव कम होने के साथ चीन चाहता है कि भारत परस्पर व्यापार सामान्य करने पर भी बात करे। चीन को सीमा पर तनाव के दौरान भारत द्वारा आर्थिक मोर्चे पर उठाए गए कदमों से आपत्ति है। पड़ोसी मुल्क चाहता है कि भारत सरकार उन कदमों की समीक्षा करे, जिससे चीनी कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ा है। हालांकि भारत सरकार व्यापार मसले पर चीन को ठोस आश्वासन देने की स्थिति में नहीं है।
चीन की शर्त पर बात संभव नहीं
सूत्रों का कहना है कि व्यापार के मसले पर भारत सरकार पूरी नीति की समीक्षा कर रही है। इसलिए चीन की शर्त पर बातचीत शायद अब संभव नहीं होगी। भारत का पूरा फोकस अपना व्यापार घाटा कम करने और आत्मनिर्भरता बढ़ाने पर होगा। कूटनीतिक स्तर पर माना जा रहा है कि पोस्ट कोविड दुनिया में भारत व्यापार जगत में चीन के प्रति भरोसे की कमी से पैदा हुई रिक्तता को भरने के लिए बड़े कदम उठाएगा।
चीन विरोधी माहौल को भुनाएंगे
सूत्रों ने कहा, जिस तरह से व्यापार मोर्चे पर चीन विरोधी माहौल है, भारत उसे नहीं भुना पाता है तो एक बड़ा मौका हाथ से निकल जाएगा। चीन से बाहर निकलने वाली कंपनियों को भारतीय राज्यों में जगह देने के अलावा भारत आसियान आरसीईपी में भी अपनी र्शतों पर आगे बढ़ने का माहौल बनाने का प्रयास करेगा। अमेरिका के साथ भी भारत का व्यापार पहले की तुलना में काफी बढ़ेगा।
मकड़जाल में नहीं फंसेगा भारत
सूत्रों ने कहा कि भारत आर्थिक मोर्चे पर अपने हितों को ध्यान में रखकर ही कोई कदम उठाएगा। कूटनीतिक स्तर पर एक बात स्पष्ट है कि भारत चीन के व्यापारिक मकड़जाल में अब नहीं उलझेगा। आर्थिक स्तर पर चीन को चुनौती देने वाले कई कदम आने वाले दिनों में देखने को मिल सकते हैं।
बाजार पर नजर
सूत्रों का कहना है कि कोविड संकट के दौरान चीन जिस तरह घिरा है उससे कम्युनिस्ट सरकार भारी दबाव में है। अमेरिका से व्यापार युद्ध के बीच भारत में चीन की कंपनियों के उत्पाद को लेकर प्रतिकूल माहौल है। ऑस्ट्रेलिया, जापान सहित कई देश चीन की गिरफ्त से निकलने की योजना में भारत के बाजार पर निगाह जमाए हुए हैं।
रेशम आयात कम किया जाएगा
मनरेगा से गांवों का विकास और मजदूरों को रोजगार देने में जुटी उत्तर प्रदेश सरकार अब मनरेगा योजना से राज्य में रेशम का उत्पादन बढ़ाने का काम करने जा रही है। मनरेगा कंवर्जेंस के तहत इस मद में 50 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। चीन से रेशम के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। गौरतलब है कि वाराणसी में बनने वाली बनारसी साड़ी के लिए भारी मात्रा में चीन से रेशम का आयात किया जाता है।
नई दिल्ली । वर्ष 2019-20 का गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर लगभग 22 हजार करोड़ रुपया बकाया है। ऐसे में सरकार किसानों को राहत देने के लिए एक अहम कदम उठाने जा रही है। जानकारी के मुताबिक सरकार जल्द ही चीनी का एमएसपी बढ़ा सकती है। सरकार चीनी की कीमतों में करीब 2 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बढ़ोतरी कर सकती है। सचिवों की एक कमेटी में चीनी की कीमत 2 रुपए बढ़ाने को मंजूरी भी मिल चुकी है। माना जा रहा है कि इस फैसले से शुगर मिलों का कैश फ्लो बढ़ जाएगा और कंपनियां आसानी से किसानों का भुगतान कर सकती हैं। पिछले ही हफ्ते सचिवों के एक ग्रुप ने चीनी की कीमत बढ़ाने को लेकर अपनी सहमति दे दी है। ये सुझाव देश के बड़े चीनी उत्पादक राज्यों की ओर से भी आया था। अब इस पर होने वाले आखिरी फैसले का इंतजार है। हालांकि नीति आयोग ने इस फैसले पर अपनी असहमति जताई है। चीनी उत्पादन वर्ष की गणना हर साल 1 अक्टूबर से अगले साल 30 सितंबर तक की जाती है। सरकारी अधिकारियों की मानें तो इस फैसले से किसानों को मदद मिले, ऐसे कदम उठाए जाएंगे। स्टेट एडवाइज्ड प्राइस के अनुसार चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का करीब 22 हजार 79 करोड़ रुपये बकाया है। वहीं केंद्र सरकार के फेयर एंड रेम्युनेरेटिव प्राइस के अनुसार बकाया 17 हजार 683 करोड़ रुपए है।
नई दिल्ली । भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने फोर्थ डाइमेन्शन सोल्यूशंस (एफडीएसएल) के प्रबंध निदेशक अमलेन्दु मुखर्जी को रिको इंडिया लिमिटेड के शेयर के सिलसिले में भेदिया कारोबार मामले में 2.3 करोड़ रुपए से अधिक लौटाने को कहा है। मुखर्जी को 45 दिनों के भीतर 12 प्रतिशत ब्याज के साथ राशि का भुगतान करना है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक आदेश में कहा कि इसके अलावा मुखर्जी पर प्रतिभूति बाजार में कारोबार को लेकर सात का प्रतिबंध लगाया गया है। सेबी ने अगस्त 2014 और नवंबर 2015 के बीच रिको इंडिया के शेयर की जांच की। जांच के दौरान पाया गया कि मुखर्जी के पास कीमत संबंधी कुछ संवेदनशील अप्रकाशित सूचना थी। उसने फोर्थ डाइमेन्शन सोल्यूशंस की तरफ से अधिकृत व्यक्ति के रूप में रिको के शेयर की बिक्री और खरीद आर्डर में गड़बडी की और गलत तरीके से पैसा बनाया। उसके पास वित्त वर्ष 2012-13 के वित्तीय ब्योरे की जानकारी थी जो सार्वजनिक नहीं हुई थी।
नई दिल्ली । इटली की सुपर स्पोर्ट्स कार कंपनी लैंबॉर्गिनी को भरोसा है कि वह अपनी मजबूत ऑर्डर बुक के जरिये भारत में कोरोना वायरस की वजह से इस साल बिक्री में आने वाली गिरावट की भरपाई कर पाएगी। कंपनी ने लॉकडाउन में ढील के बाद परिचालन शुरू कर दिया है। इस महीने से कंपनी ने वाहनों की आपूर्ति भी शुरू कर दी है। लैंबॉर्गिनी इंडिया के प्रमुख शरद अग्रवाल ने कहा कि अभी नए ऑर्डर अधिक नहीं मिल रहे हैं, लेकिन ऑर्डर रद्द भी नहीं हो रहे हैं। हालांकि कुछ लोगों ने स्वास्थ्य संकट की वजह से डिलिवरी में देरी करने को कहा है। अग्रवाल ने कहा कि अब भी हमारे पास उरस के काफी ऑर्डर हैं। इस साल की शुरुआत में हमने नई इवो आरडब्ल्यूडी भी उतारी है। इससे साल भर के लिए हमारा ऑर्डर बैंक तैयार हो चुका है। इस वजह से चालू साल में हम अच्छी बिक्री दर्ज कर सकेंगे। कंपनी ने पिछले साल भारतीय बाजार में 2.5 करोड़ रुपए से अधिक कीमत के 52 सुपर लक्जरी वाहन बेचे थे। हालांकि कंपनी मानना है कि इस साल उसकी बिक्री पिछले साल की तुलना में कम रहेगी। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से हमारी बिक्री पिछले साल के समान नहीं रहेगी। लेकिन ऑर्डर बुक की वजह से इसमें अधिक गिरावट नहीं आएगी। सबसे अच्छी बात यह है कि हमारे पास जो भी ऑर्डर हैं, उन्हें रद्द नहीं किया जा रहा है। कोरोना वायरस की वजह से इटली में कंपनी का कारखाना 13 मार्च से 25 अप्रैल तक बंद रहा। इस वजह से डिलिवरी में देरी हो रही है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही कुछ मामलों में ग्राहकों ने डिलिवरी एक-माह देरी से करने को कहा है।
नई दिल्ली । सरकार ने देरी से जीएसटी रिटर्न दाखिल करने वालों के लिए राहत दी हे। अब ऐसे करदाताओं पर विलंब शुल्क का अधिक बोझ नहीं पड़ेगा। सरकार ने जुलाई, 2020 तक देरी से जमा होने वाले मासिक और तिमाही रिटर्न एवं जीएसटीआर-3बी से कर भुगतान पर अधिकतम 500 रुपए विलंब शुल्क तय कर दिया है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने कहा कि सरकार ने कर अवधि जुलाई 2017 से जुलाई 2020 के लिए जीएसटीआर-3बी में कर भुगतान पर अधिकतम विलंब शुल्क मात्र 500 रुपए तय कर दिया है। शर्त है कि ये जीएसटीआर-3बी रिटर्न 30 सितंबर, 2020 से पहले दाखिल होने चाहिए। सीबीआईसी ने बताया कि कर देनदारी नहीं होने पर कोई विलंब शुल्क नहीं लगेगा। अगर कोई कर देनदारी है तो वहां 30 सितंबर तक जीएसटीआर-3बी रिटर्न फाइल होने पर अधिकतम विलंब शुल्क 500 रुपए प्रति रिटर्न के हिसाब से लगेगा। यह फायदा सभी श्रेणी के कारोबारियों को मिलेगा।
नई दिल्ली । इस सप्ताह शेयर बाजारों की दिशा वैश्विक संकेतकों, कोविड-19 के रुख और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) जैसी बड़ी कंपनियों के पहली तिमाही के नतीजों से तय होगी। विश्लेषकों ने यह राय जताई है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा निवेशकों की निगाह रुपए के उतार-चढ़ाव और कच्चे तेल की कीमतों पर भी रहेगी। रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष-शोध अजित मिश्रा ने कहा कि बाजार भागीदारों की निगाह महत्वपूर्ण वृहद संकेतकों मसलन औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों, कोविड-19 से जुड़े घटनाक्रमों तथा मानसून की प्रगति पर रहेगी। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी टीसीएस के तिमाही नतीजे नौ जुलाई को आएंगे। वहीं औद्योगिक उत्पादन यानी आईआईपी के आंकड़े शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद आएंगे। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खुदरा अनुसंधान प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा है कि पहली तिमाही के नतीजों की शुरुआत नौ जुलाई को टीसीएस के साथ होगी। बीते सप्ताह शुक्रवार को घरेलू शेयर बाजारों में लगातार तीसरे दिन तेजी रही। इससे सेंसेक्स करीब चार माह के उच्चस्तर पर बंद हुआ। पिछले सप्ताह दुनिया के विभिन्न देशों के आर्थिक आंकड़े उम्मीद से बेहतर रहने और कोविड-19 के टीके को लेकर सकारात्मक खबरों से भारतीय शेयर बाजार मजबूती के रुख के साथ बंद हुए। सैमको सिक्योरिटीज एंड स्टॉकनोट के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जिमीत मोदी ने कहा कि भारतीय कंपनियों द्वारा पहली तिमाही के नतीजों की घोषणा शुरू होने से बाजार में एक निश्चित रुख दिखाई देगा। इससे जमीनी वास्तविकता का भी पता चलेगा। कोटक सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष पीसीजी अनुसंधान संजीव जरबादे ने कहा कि संक्रमण के मामलों में वृद्धि तथा भारत-चीन सीमा तनाव बढ़ने जैसे घटनाक्रमों से बाजार में जोखिम रहेगा।
नई दिल्ली । शाओमी, ओपो, वीवो और रीयलमी जैसी चीनी कंपनियों के हजारों करोड़ रुपयों के स्मार्टफोन का उतपादन काफी प्रभावित हुआ है। इसकी वजह ये है कि चीन से आने वाले इनके कॉम्पोनेंट नहीं पहुंच पा रहे हैं, क्योंकि बंदरगाहों पर इस समय सख्त चेकिंग हो रही है और सप्लाई घट गई है। वहीं दूसरी ओर कोरोना सेफ्टी प्रोटोकॉल्स की वजह से लेबर की कमी ने स्थिति को और खराब कर दिया है। इसकी वजह से इन स्मार्टफोन का उत्पादन कोरोना से पहले की तुलना में करीब 30-40 फीसदी तक घट गया है। कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार इस समय चीनी कंपनियां मांग को पूरा नहीं कर पा रही हैं। कंपनियां अथॉरिटीज से बात कर रही हैं और कोशिश हो रही है कि बंदरगाहों पर फंसा सामान वहां से निकल कर कंपनियों तक पहुंच सके। एक टॉप चीनी कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इन दिनों उनका अधिकतर समय सामान की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए इधर-उधर घूमने में ही निकल रहा है और वह कंपनी ऑपरेशन पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। बंदरगाहों पर फंसा सामान धीरे-धीरे निकल रहा है, लेकिन स्थिति अभी भी चिंताजनक ही है। अधिकारी का कहना है कि आज की इस परिस्थिति में कारोबार करना बहुत ही मुश्किल है जब हमें ये भी नहीं पता कि आने वाले दिनों में सप्लाई मिल पाएगी या नहीं।
नई दिल्ली । कोरोना काल में वैसे ही आम आदमी का जीना दूभर हो गया है, ऐसे में टमाटर के भाव आसमान में पहुंच गए हैं। कुछ दिन पहले ही 10-15 रुपए किलो बिकने वाला टमाटर 70-90 रुपए किलो तक चला गया है। यही नहीं अन्य हरी सब्जियां और आलू भी उसी के पीछे-पीछे चलना शुरू कर दिया है। नवीन सब्जी मंडी, सहिबाबाद में टमाटर के एक आढ़ती का कहना है कि पहले टमाटर गुजरात खूब आता था। बरसात शुरू होने से वहां से आवक कम हो गई है। ऐसे में शिमला से आने वाले टमाटर के भरोसे हैं। शिमला वाला टमाटर भी कम ही आ रहा है। साथ ही डीजल महंगा होने से भाड़ा भी बढ़ गया है। इसलिए अच्छा टमाटर का थोक रेट ही 50 रुपए से ज्यादा हो गया है। ऐसे में खुदरा में तो कीमत और बढ़ेगी ही। पिछले सप्ताह जो आलू 20 रुपए किलो मिल रहा था वह 30 रुपए किलो हो गया है। इस समय भिंडी का दाम 30 से 40 रुपए किलो, शिमला मिर्च 60 से 80 रुपए किलो, फ्रेंच बीन 60 से 80 रुपए, फूल गोभी 40 से 60 रुपए किलो मिल रहा है। 10 रुपए किलो मिलने वाला तोरी भी अब 20 से 30 रुपए किलो हो गया है। बैगन भी 30 रुपए किलो, कद्दू 20 रुपए किलो बिकने लगा है। सब्जी दुकानदारों का कहना है कि बरसात शुरू होने से हरी सब्जी की खेती पर नुकसान पहुंचा है। इसलिए आवक कम हो गई है।
बेंगलुरु । ई-कामर्स कंपनी अमेजन ने कहा कि उसने देश में अपने 50 से अधिक आपूर्ति केंद्रों में पैकिंग के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर दिया है। अमेजन ने एक बयान में कहा कि कंपनी ने सितंबर 2019 में वादा किया था कि वह इस साल जून तक इस लक्ष्य को हासिल कर लेगी। कंपनी ने इस साल की शुरुआत में 100 प्रतिशत प्लास्टिक मुक्त कागज का टेप पेश किया था। बयान में कहा गया कि अमेजन के आपूर्ति केंद्रों से निकलने वाली अन्य सभी प्लास्टिक पैकिंग सामग्री पूरी तरह पुनर्चक्रण योग्य है।
नई दिल्ली. होंडा मोटरसाइकल्स एंड स्कूटर्स इंडिया जल्द बीएस6 कम्प्लायंट होंडा ग्राजिया लाने की तैयारी में है। कंपनी ने बीएस6 कम्प्लायंट होंडा ग्राजिया 125 स्कूटर का टीजर जारी किया है। अप्रैल में बीएस6 लागू होने के बाद होंडा ने इस स्कूटर को वेबसाइट से हटा दिया था। अब कंपनी नए अवतार में ला रही है। बीएस6 कम्प्लायंट होंडा ग्राजिया अपडेटेड इंजन, नए लुक और ज्यादा फीचर्स के साथ बाजार में आएगी। टीजर से साफ हुआ है कि होंडा ने बीएस6 ग्राजिया स्कूटर की डिजाइन में बदलाव किए हैं, जो इस ज्यादा शार्प लुक देते हैं। स्कूटर की एलईडी हेडलाइट यूनिट स्लीक दिख रही है। फ्रंट ऐप्रन पर कंपनी के डिओ स्कूटर की तरह इसपर भी एलईडी डीआरएल दिए गए हैं। शार्प लाइन और एज के साथ हैंडलबार काउल को भी थोड़ा नया रूप दिया गया है। साइड के बॉडी पैनल्स शार्प दिखते हैं और स्कूटर के टेल सेक्शन और ब्रेक-लाइट असेंबली की डिजाइन में भी बदलाव हुए हैं। बीएस6 होंडा ग्राजिया में एक बड़ा बदलाव इसके इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर में देखने को मिलेगा। अपडेटेड स्कूटर में नया ट्विन-पॉड डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर दिया गया है। ऊपर वाले बड़े डिस्प्ले में स्पीडोमीटर और टैकोमीटर हैं, जबकि नीचे वाली दूसरी स्क्रीन में क्लॉक, फ्यूल गेज और ट्रिप मीटर जैसी जानकारी मिलेगी।
बीएस6 ग्राजिया में बीएस6 एक्टिवा 125 वाला इंजन मिलेगा। 124 सीसी का यह इंजन 6500 आरपीएम पर 8.1एचपी की पावर और 5000 आरपीएम पर 10.3एनएम टॉर्क जेनरेट करता है। इंजन सीवीटी गियरबॉक्स से लैस है। होंडा के अन्य बीएस6 स्कूटर की तरह इसमें भी साइलेंट स्टार्ट टेक्नॉलजी और इंजन किल स्विच जैसे फीचर्स होगा। अपडेटेड ग्राजिया को जून के आखिर या जुलाई की शुरुआत में लांच किए जाने की उम्मीद है।
-रेडमी नोट 9 प्रो मेक्स और रेडमी 8ए डॅयूल है स्मार्टफोन
नई दिल्ली। पडोसी देश चीन की स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी रेडमी ने अपने दो पॉप्युलर स्मार्टफोन्स- रेडमी नोट 9 प्रो मेक्स और रेडमी 8ए डॅयूल की कीमतों को एक बार फिर से बढ़ा दिया है। कंपनी ने रेडमी नोट 9 प्रो मैक्स की कीमत को दूसरी बार और रेडमी 8ए ड्यूल की कीमत को तीसरी बार बढ़ाया है। रेडमी नोट 9 प्रो मैक्स को कंपनी ने 500 रुपये और रेडमी 8ए ड्यूल को 300 रुपये महंगा किया है। इस प्राइस हाइक के बाद रेडमी नोट 9 प्रो की कीमत लॉन्च प्राइस से 2 हजार रुपये महंगी हो गई है। वहीं, रेडमी 8ए ड्यूल की ऑरिजनल कीमत में 1300 रुपये का इजाफा हुआ है। कीमत में बढ़ोतरी के बाद रेडमी नोट 9 प्रो मैक्स के 6जीबी रैम+64 जीबी स्टोरेज वेरियंट की कीमत 16,999 रुपये हो गई है। वहीं, इसके 6जीबी रैम+128जीबी स्टोरेज वेरियंट को खरीदने के लिए आपको अब 18,499 रुपये देने होंगे। दोनों वेरियंट की कीमत में 500 रुपये की बढ़त हुई है। फोन के टॉप-एंड वेरियंट यानी कि 8जीबी रैम+128जीबी की कीमत में कोई बदलाव नहीं हुआ है और यह अभी भी 19,999 रुपये की कीमत में उपलब्ध है। रेडमी 8ए ड्यूल की बात करें तो इसके 3जीबी रैम+32जीबी स्टोरेज वेरियंट की कीमत 300 रुपये बढ़कर 8,299 रुपये हो गई है। फटॉग्रफी के लिए फोन में क्वॉड रियर कैमरा सेटअप मिल जाता है। इसमें 64 मेगापिक्सल के प्राइमरी लेंस के साथ एक 8 मेगापिक्सल का अल्ट्रा-वाइड ऐंगल लेंस, 5 मेगापिक्सल का मैक्रो सेंसर और एक 2 मेगापिक्सल का डेप्थ सेंसर दिया गया है। सेल्फी के लिए फोन में 32 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा मौजूद है। फोन 5,020 एमएएच की बैटरी से लैस है और यह 33 वॉट की फास्ट चार्जिंग को सपॉर्ट करता है। फोन के 2जीबी रैम+32जीबी स्टोरेज वेरियंट की कीमत में कोई बदलाव नहीं किया गया है। 8जीबी तक के रैम और स्नैपड्रैगन 720जी प्रोसेसर के साथ आने वाले इस फोन में 6.67 इंच का फुल एचडी+ आइपीएस डिस्प्ले दिया गया है।
नई दिल्ली| चीन के विरुद्ध आर्थिक तालाबन्दी को और कारगर बनाने के लिए सरकार ने उद्योग जगत से चीनी आयातित सामानों की सूची मांगी है। सरकारी सूत्रों ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि चीन से आयात होने वाले गैर-जरूरी सामान की पहचान करने और उसकी जगह देसी सामान को प्रोत्साहन करने के लिए यह कदम उठाया गया है।सूत्रों ने बताया कि चीनी सामान की निर्भरता कम करने के लिए उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स, खिलौने, प्लास्टिक, फर्नीचर आदि से जुड़े व्यापर संघ के साथ बैठक की है। डीपीआईआईटी ने उद्योग संघों से इन क्षेत्रों में आयात होने वाली चीनी सामानों की विस्तृत सूची सोमवार तक देने को कहा है। एक सूत्र ने बताया कि सरकारी कंपनियो में चीनी सामानों और ठेके पर पाबंदी लगाने के बाद अब सरकार ने निजी कंपनियों की ओर रुख किया है। सरकार की तैयारी अब निजी कंपनियों में भी चीनी सामानों की बिक्री रोकने की है।
मुहिम में राज्यों को साथ लेने की योजना
केंद्र सरकार की चीनी उत्पादों के खिलाफ मुहिम तेज करने में राज्य सरकारों को भी साथ लेने की योजना है। केंद्र सरकार जल्द ही राज्यों को अपने खरीद अनुबंधों में संशोधन करने के लिए कह सकता है। नए अनुबंध में यह सुनिश्चित करने की कोशिश होगी कि स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं को तरजीह मिले और चीनी कंपनियों को प्रवेश न मिले। केंद्र सरकार ने हाल ही में 200 करोड़ रुपये तक के ठेके में सिर्फ देसी कंपनियों के लिए आरक्षित कर दिया है। केंद्र की योजना है कि राज्य सरकारें भी अपनी खरीद में इस नियम को अपनाएं।
घरेलू उद्योगों को तत्काल राहत मिलेगी
एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी से आयात होने वाले सामानों में ऑटो कम्पोनेंट 20 फीसदी, इलेक्ट्रॉनिक सामान 70 फीसदी तक, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स का 45 फीसदी , एपीआई का 70 फीसदी और चमड़े के सामान में 40 फीसदी हिस्सेदारी है। इनके साथ खिलौने, प्लास्टिक, फर्नीचर आदि सामानों में बड़ी हिस्सेदारी है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन पर रोक लगाने से घरेलू उद्योगों को तत्काल राहत मिलेगी। इससे देश में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
लंबी रणनीति बनाना आवश्यक
देश को आत्मनिर्भर बनाने और चीनी सामानों पर निर्भरता खत्म को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि इसके लिए लंबी रणनीति बनानी होगी। एकदम से चीनी उत्पादों का बहिष्कार संभव नहीं है। यह हमारे देश और हमारी अर्थव्यवस्था के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है। भारत को इसके लिए दीर्घकालिक रणनीति को बनाना होगा। ऐसा कर चीनी सामानों का आयात भी कम होगा और देसी सामानों की मांग भी बढ़ेगी।
कुल आयात में चीन की 14 फीसदी हिस्सेदारी
भारत के कुल आयात में चीन की हिस्सेदारी 14 फीसदी है। अप्रैल 2019 से फरवरी 2020 के बीच चीन से भारत के लिए 62.4 अरख डॉलर ( 4.7 लाख करोड़ रुपये) की वस्तुओं का आयात हुआ है। वहीं, भारत से चीन के लिए 15.5 बिलियन डॉलर (1.1 लाख करोड़ रुपये) की वस्तुओं का निर्यात किया।
मुंबई । लोकप्रिय एसयूवी वाहन बनाने वाली महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी ने अब बढ़ती मांग को देखते हुए एंबुलेंस के क्षेत्र में कदम रखा है। कंपनी ने कोविड-19 के मद्देनजर बीएस-6 उत्सर्जन मानकों पर खरी उतरने वाली एंबुलेंस ‘सुप्रो’ के दो मॉडल पेश किए हैं। कंपनी ने मंगलवार को एक बयान में कहा उसने सुप्रो वैन के प्लेटफॉर्म पर इसे विकसित किया है। इसकी कीमत 6.94 लाख रुपये से शुरू होती है। कंपनी ने इसके एलएक्स और जेडएक्स दो मॉडल पेश किए हैं। इनमें 12 एंबुलेंस के पहले बैच को विशेष तौर पर महाराष्ट्र सरकार के लिए विनिर्मित किया गया है। महिंद्रा एंड महिंद्रा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (वाहन विभाग) विजय नाकरा ने कहा कि वेंटिलेटर, फेस शील्ड, सैनिटाइजर विनिर्माण में उतरने के बाद यह कंपनी की ओर से कोविड-19 से निपटने की दिशा में एक और कदम है। सुप्रो की पेशकश स्वास्थ्य कर्मियों और मरीजों को मदद करेगी। सुप्रो में पहले से सभी अनिवार्य चिकित्सा उपकरण लगे हैं और यह एक एंबुलेंस के सभी मानकों को पूरा करती है। कंपनी इस पर दो साल या 60,000 किलोमीटर तक की वारंटी दे रही है।
नई दिल्ली। जानदार और शानदार बाइक निर्माता बुलेट की भारतीय कंपनी रॉयल एनफील्ड ने पहली बार महिलाओं के लिए राइडिंग गियर्स और कपड़ों की नई रेंज लॉन्च की है। यह कलेक्शन रॉयल एनफील्ड के ऑनलाइन और ऑफलाइन स्टोर पर 15 जून से मिल रहे हैं। इनकी कीमत सिर्फ 700 रुपये से लेकर 14,000 रुपये तक है। इस कलेक्शन में राइडिंग जैकेट, ट्राउजर, ग्लव्स, हेलमेट, टी-शर्ट, शर्ट और जीन्स शामिल हैं। महिलाओं के लिए यह राइडिंग गियर स्टोरडॉटरॉयलअनफील्डडॉटकाम और दिल्ली, बेंगलुरू, अहमदाबाद और कोलकत्ता के कुछ चुनिंदा स्टोर पर उपलब्ध कराया जा रहा है। इन कपड़ों को मौसम को देखते हुए और देशभर में महिलाओं की पसंद के हिसाब से तैयार किया गया है। रॉयल एनफील्ड ने आने वाले समय में महिलाओं के लिहाज से बुलेट लाने का प्लान बनाया है, जिसकी पहली कड़ी में उनके लिए राइडिंग गियर और गारमेंट पेश किये हैं।
टी-शर्ट- 700-1100 रुपये, शर्ट- 2300-2500 रुपये, शॉर्ट्स- 1500-1600 रुपये, जीन्स/ट्राउजर- 2400-2600 रुपये, गर्मियों के लिए राइडिंग ग्लव्स- 2500 रुपये, ओपन फेस हेलमेट- 2700 रुपये है, लैदर राइडिंग ग्लव्स- 3300 रुपये, फुल फेस हेलमेट- 3700 रुपये है कंपनी बुलेट350, क्लासिक 350 जैसी मोटरसाइकिल बनाने के लिए जानी जाती है। कंपनी जल्द ही मीटोर 350 को मार्केट में लॉन्च करने वाली है। इस बाइक की लॉन्च से पहले ही इसकी तस्वीरें लीक हो गई थी। उसके बाद से कस्टमर में इसको लेकर काफी उत्साह बना हुआ है।