ईश्वर दुबे
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मुंबई । भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को सुस्त पड़ते विदेश व्यापार की मदद के लिए भारतीय निर्यात-आयात बैंक (एक्जिम बैंक) को 15,000 करोड़ रुपये की ऋण सहायता देने की घोषणा की।आरबीआई ने कहा कि एक्जिम बैंक अपने परिचालन के लिए विदेशी मुद्रा उधारी पर निर्भर है,और कोविड-19 के चलते यह संसाधन जुटाने में सक्षम नहीं है, जिसके चलते यह सुविधा दी गई है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि एक्जिम बैंक को 90 दिन की अवधि के लिए 15,000 करोड़ रुपये का कर्ज सुविधा देने का फैसला किया गया है, ताकि वह विदेशी मुद्रा की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अमेरिकी डॉलर स्वैप कर सके। इस ऋण सुविधा को एक साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण देश का आयात-निर्यात व्यापार प्रभावित हुआ है और मूलभूत वस्तुओं और सेवाओं का आयात घटा है।
नई दिल्ली। वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस का अनुमान है कि वित वर्ष 2020–21 में भारत की अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि यह 4 दशक में पहली बार होगा जब कोविड‑19 के संक्रमण के कारण देश भर में जारी लॉकउाउन से खपत कम होने और कारोबारी गतिविधियां थमने से चुनौतियों का सामना कर रही घरेलू अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी।
मूडीज ने जारी ताजा अनुमान के मुताबिक कोरोना वायरस संकट से पहले भी भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर धीमी पड़ गई थी और यह छह वर्ष की सबसे निचली दर पर पहुंच गई थी। एजेंसी का मानना है कि सरकार ने आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज में जो कदम उठाए हैं वे उम्मीदों के अनुरूप नहीं है, क्योंकि अर्थव्यवस्था की समस्याएं इससे बहुत ज्यादा व्यापक है।
रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अब हमारा अनुमान है कि वित वर्ष 2020–21 में भारतीय अर्थव्यवस्था की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर में वास्तविक गिरावट आएगी। गौरतलब है कि मूडीज ने इससे पहले विकास दर शून्य रहने की संभावना जताई थी। हालांकि, एजेंसी ने वित वर्ष 2021–22 में देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होने की उम्मीद जताई। दरअसल ये उसके पहले के 6.6 फीसदी की वृद्धि दर के अनुमान से भी मजबूत रह सकती है।
रेटिंग एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोविड‑19 और देशव्यापी लॉकडाउन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ने की संभावना है। मूडीज के अनुसार यह सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र को प्रभावित करेगा। उल्लेखनीय है कि देश में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू है जो 31 मई तक रहेगा। मूडीज का कहना है कि लॉकडाउन से देश के असंगठित क्षेत्र के समक्ष संकट खड़ा हुआ है। क्योंकि इस क्षेत्र का जीडीपी में आधे से अधिक योगदान है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज के बारे में मूडीज ने कहा कि सरकार का सीधे तौर पर राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज जीडीपी का एक से दो फीसदी के दायरे में रह सकता है। क्योंकि सरकार की अधिकांश योजनाएं लोन गारंटी या प्रभावित क्षेत्रों की नकदी कीचिंता को दूर करने से संबद्ध है। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि प्रत्यक्ष रूप से वित्तीय खर्च की मात्रा हमारी उम्मीदों से कहीं कम है और इसे वृद्धि को खास गति मिलने की संभावना कम है।
नई दिल्ली। देश के विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों के पलयान कारण व्यापार एवं उद्योग धंधे संकट में पड़ गए हैं। यही नहीं देशभर में उद्योग एंव दुकानें खुलने के बाद भी कारोबार समुचित रूप से नहीं हो पा रहा है। दरअसल मजदूरों का बड़े पैमाने पर पलायन कारोबार के अस्तित्व के लिए एक बड़ा विषय बन गया है। यह बात कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कही है ।
कैट ने कहा कि मजदूरों के पलायन के लिए केंद्र के साथ‑साथ कई राज्य सरकारें भी जिम्मेदार है। कैट ने कहा कि यदि राज्य सरकारें केंद्र सरकार से बातचीत कर इस मामले की गंभीरता को समझते हुए शुरू से ही इस मामले को संभालती तो मजदूरों का इतने बड़े पैमाने पर पलायन नहीं होता। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा है कि मजदूरों के जाने से कारोबार बिलकुल नहीं हो रहा, जिसकी वजह से केंद्र एवं राज्य सरकारों को राजस्व की बड़ी चपत लगेगी।
खंडेलवाल ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा वर्तमान लॉकडाउन की अवधि में छूट दिए जाने के बाद पिछले दो दिनों से दिल्ली सहित देशभर में व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान खोले हैं, लेकिन कारोबार आंशिक रूप से ही शुरू हो पाया है। उन्होंने कहा कि बड़ी मात्रा में मजदूरों के पलायन के कारण व्यापार एवं उद्योग धंधे को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, कोरोना-19 के संक्रमण के डर के कारण ग्राहक भी बिलकुल बाजार में नहीं आ रहा है। खंडेलवाल ने कहा कि देशभर के व्यापारी अपने व्यापार और कारोबार को लेकर बेहद चिंतित है।
खंडेलवाल ने कहा की दिल्ली में लगभग 30 लाख मजदूर व्यापारियों के यहां काम करते थे और ज्यादातर दिल्ली में प्रवासी मजदूर थे। इन मजदूरों में से लगभग 26 लाख मजदूर अपने गांव को चले गए। वहीं, लगभग 4 लाख मजदूर दिल्ली के स्थानीय निवासी हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में मजदूर व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर काम के लिए नहीं आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि दरअसल दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में ग़ाज़ियाबाद, नोएड,फरीदाबाद,गुडगांव, बल्लबगढ़, सोनीपत रहने वाले लगभग 4 लाख मजदूर प्रतिदिन दिल्ली आते हैं जो वर्तमान में राज्यों के बॉर्डर पर जारी प्रतिबंध की वजह से दिल्ली नहीं आ पा रहे हैं।
खंडेलवाल ने कहा कि मजदूरों की कमी और ग्राहकों के बाजार में न आने के कारण से व्यापारियों का व्यापार बिलकुल न के बराबर चल रहा है। यदि यही हाल रहा तो राजधानी दिल्ली के व्यापार बड़ी गिरावट आएगी, जिसका सीधा असर केंद्र एवं राज्य को जाने वाले जीएसटी के कर संग्रह पर पड़ेगा। खंडेलवाल ने कहा कि लगभग यही स्तिथि देश के हर राज्य में है। कैट महामंत्री ने कहा कि ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार को अविलंब राज्य सरकारों से बातचीत कर मजदूरों को वापस लाने के लिए एक ठोस योजना बनानी चाहिए। यदि मजदूर वापस काम पर नहीं लौटे तो व्यापार एवं उद्योग धंधा कोरोना के बाद एक बड़े दुष्चक्र में फंस जाएगा। (एजेंसी, हि.स.)
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ को देखते हुए खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने ‘स्थानीय से वैश्विक’ का कदम उठाया है। कोविड- 19 वैश्विक महामारी के दौरान फेस मास्क की अत्यधिक मांग को देखते हुए केवीआईसी ने दो स्तरीय और तीन स्तरीय कॉटन के साथ‑साथ सिल्क फेस मास्क को विकसित किया है, जो पुरुषों के लिए दो रंगों में और महिलाओं के लिए कई रंगों में उपलब्ध है।
केवीआईसी को अब तक 8 लाख फेस मास्क की आपूर्ति के ऑर्डर प्राप्त हो चुके हैं और लॉकडाउन अवधि के दौरान 6 लाख से ज्यादा फेस मास्क की आपूर्ति की जा चुकी है। केवीआईसी को राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय, केंद्र सरकार के मंत्रालयों, जम्मू-कश्मीर सरकार से ऑर्डर प्राप्त हुए हैं और आम नागरिकों द्वारा ईमेल के माध्यम से ऑर्डर मिले हैं। फेस मास्क की बिक्री करने के अलावा पूरे देश में खादी संस्थानों द्वारा जिला प्राधिकरणों को 7.5 लाख से ज्यादा खादी के फेस मास्क मुफ्त में बांटे गए हैं।
केवीआईसी की योजना दुबई, अमेरिका, मॉरीशस और कई यूरोपीय और मध्य पूर्व देशों में खादी फेस मास्क की आपूर्ति करने की है, जहां पर पिछले कुछ वर्षों में खादी की लोकप्रियता काफी बढ़ी है। केवीआईसी की योजना इन देशों में भारतीय दूतावासों के माध्यम से खादी फेस मास्क बिक्री करने की है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा सभी प्रकार के गैर‑सर्जिकल मास्क के निर्यात पर प्रतिबंध हटा लेने से केवीआईसी अब विदेशों में खादी कॉटन और रेशम फेस मास्क के निर्यात की संभावनाओं का पता लगा रहा है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की ओर से इस संदर्भ में 16 मई को अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।
केवीआईसी के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि खादी फेस मास्क का निर्यात, ‘स्थानीय से वैश्विक’ होने का सबसे बढ़िया उदाहरण है। सक्सेना का कहना है कि प्रधानमंत्री की अपील के बाद हाल के वर्षों में खादी के कपड़े और अन्य उत्पादों की लोकप्रियता पूरी दुनिया में काफी बढ़ी है। खादी फेस मास्क के निर्यात से उत्पादन में गतिशीलता आएगी और अंतत भारत में कारीगरों के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि फेस मास्क कोरोना महामारी से निपटने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपकरणों में से एक है। खादी फैब्रिक से तैयार ये डबल ट्विस्टेड मास्क न केवल गुणवत्ता और मांग के पैमाने पर खरे उतरते हैं बल्कि वे लागत प्रभावी, सांस लेने में उपयुक्त, धोने योग्य, पुन: उपयोग करने योग्य और बायो-डिग्रेडेबल हैं।
इन मास्क के निर्माण में केवीआईसी द्वारा विशेष रूप से डबल ट्विस्टेड खादी कपड़े का उपयोग किया जा रहा है, क्योंकि यह नमी की मात्रा को अंदर तक बनाए रखने में मददगार साबित होता है और हवा को अंदर जाने देने के लिए एक आसान मार्ग प्रदान करता है। इन मास्क को जो बात विशेष रूप से खास बनाती है। वह हाथ से बुने हुए कॉटन और सिल्क के कपड़े हैं। कॉटन एक मैकेनिकल अवरोधक के रूप में जबकि रेशम एक इलेक्ट्रोस्टैटिक अवरोधक के रूप में काम करता है।
नई दिल्ली । रेलवे बोर्ड ने देशभर में स्टेशनों पर स्थित खान‑पान और दवा की दुकानों सहित तमाम स्टॉलों को तत्काल खोलने का निर्णय लिया है। ये कोविड‑19 महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर बंद थे। रेलवे के इस कदम से श्रमिक स्पेशल, वातानुकूलित स्पेशल और जल्द शुरू होने वाली 200 स्पेशल रेलगाड़ियों के यात्रियों को काफी राहत मिलेगी।
रेलवे बोर्ड ने सभी जोनल रेलवे के प्रिंसिपल चीफ कमर्शियल मैनेजर और आईआरसीटीसी के सीएमडी को पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि सभी जोनल रेलवे और आईआरसीटीसी को सलाह दी जाती है कि रेलवे स्टेशनों पर सभी स्टेटिक कैटरिंग और वेंडिंग यूनिट (एमपीएस, बुक स्टॉल, बहुउद्देशीय स्टॉल अथवा केमिस्ट स्टॉल इत्यादि) को तत्काल प्रभाव से खोलने के लिए आवश्यक कार्रवाई करें।
फूड प्लाजा और रिफ्रेशमेंट रूम के मामले में पत्र में कहा गया है कि यहां केवल पका पकाया भोजन ले जाने की सुविधा होगी। वहां बैठकर खाने की व्यवस्था नहीं होगी।
नई दिल्ली । रेल मंत्रालय ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी कामगारों को उनके घरों तक जल्द से जल्द पहुंचाने के लिए चलाई जा रही श्रमिक स्पेशल रेलगाड़ियों को अब राज्यों की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने अपने पुराने वक्तव्य का हवाला देते हुए कहा कि कामगारों के लिये 200 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने का रेलवे ने वादा किया था, उससे आगे बढ़कर यात्रियों की सेवा में हमने रिकार्ड 204 ट्रेन चलाई हैं। भारतीय रेल द्वारा कामगारों को उनके गृह राज्य भेजने के लिये अभी तक 1,773 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया गया है।
रेल मंत्रालय में सूचना एवं प्रचार विभाग के कार्यकारी निदेशक राजेश दत्त बाजपेई ने बताया कि रेलवे ने मंगलवार को रिकॉर्ड 204 ‘श्रमिक विशेष’ ट्रेनें चलाई। उन्होंने कहा कि ‘श्रमिक विशेष’ ट्रेनों को अब राज्यों से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। इससे राज्यों के साथ संपर्क में लगने वाले समय की बचत होगी और निर्णय तेजी से लिया जा सकेगा उन्होंने कहा रेलवे 1 जून से नॉन‑एसी ट्रेनों की 100 जोड़ी अर्थात 200 रेलगाड़ियों का परिचालन शुरू करेगा। इन ट्रेनों के लिए केवल ऑनलाइन टिकट बुकिंग उपलब्ध होगी। जल्द ही इन ट्रेनों की समय सारणी जारी की जाएगी। गैर‑वातानुकूलित द्वितीय श्रेणी की यह ट्रेन सेवा पहले से चल रही श्रमिक स्पेशल और 15 जोड़ी वातानुकूलित ट्रेनों के अलावा होंगी।
उल्लेखनीय है कि रेलवे लॉक डाउन में विभिन्न स्थानों पर फंसे प्रवासियों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने के लिए 1 मई से श्रमिक स्पेशल रेलगाड़ियों और 12 मई से 15 जोड़ी वातानुकूलित स्पेशल रेलगाड़ियों का परिचालन शुरू कर रहा है।
नई दिल्ली। कोविड‑19 की महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन 4.0 के बीच दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों में ढील दिये जाने से देश के बाजार खुले, लेकिन कोई विशेष कारोबार नहीं होने की खबर है। कारोबारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा कि 55 दिनों बाद मंगलवार को बाजारों में व्यापारियों ने दुकानें खोलीं और साफ़-सफाई की। लेकन, जयदातर बाजारों में कारोबार नहीं के बराबर हुआ। कैट ने बताया कि देशभर में 4.5 करोड़ और दिल्ली में लगभग 5 लाखो दुकानें खुली, लेकिन ग्राहक नहीं के बराबर आए। वहीं, दिल्ली में ऑड-इवन की वजह से परेशानी को देखते हुए अन्य विकल्प पर विचार करने की मांग कैट ने की है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि लगभग सभी बाज़ारों में दुकानों पर काम करने वाले कर्मचारियों की बहुत कमी थी। इसकी वजह ये है कि बड़ी संख्या में कर्मचारी अपने राज्यों में पलायन कर गए हैं। उन्होंने कहा कि एक मोटे अनुमान के मुताबिक दिल्ली में काम करने वाले लगभग 70 फीसदी से ज्यादा कर्मचारी अपने गांव चले गए हैं। इसके अलावा बाजारों में काम करने वाले ठेले वाले मजदूर और दिहाड़ी मजदूर की संख्या भी लगभग नदारद थे।
खंडलवाल ने कहा कि ऐसी परिस्थिति के बावजूद व्यापारियों ने अपनी दुकानों को सैनिटाइज्ड करने का काम शुरू किया है। केंद्र और राज्य सरकारों के निर्देशानुसार व्यापारियों ने मास्क और दस्ताने पहने के साथ दो गज की सामजिक दूरी कायम रखने काम भी शुरू किया है। उन्होंने कहा कि देशभर के विभिन्न राज्यों में करीब 4.5 करोड़ दुकानें खुलीं, जबकि दिल्ली में ऑड-इवन व्यवस्था के कारण लगभग 5 लाख दुकानें ही खुलने की खबर है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि पिछले 55 दिनों में देशभर में जारी लॉकडाउन की वजह से दुकानें पूरी तरह से बंद थीं। इसकी वजह से दुकानें पूरी तरह से धूल और मिट्टी से ढ़की हुईं थी और गदंगी का साम्रज्य बन गया था। उन्होंने कहा कि दुकानों के काउंटर से लेकर स्टॉक तक धूल‑मिट्टी की मोटी परत चढ़ी थी, जिसको साफ़ करना अपने आप में एक चुनौती है। कई दुकानों पर रखा माल ख़राब हुआ है जबकि कपड़े आदि दुकानों में चूहों ने काफी नुकसान पहुंचाया है।
खंडेलवाल का कहना है कि हालांकि, राजधानी दिल्ली के व्यापारियों ने ऑड-इवन व्यवस्था के तहत अपनी दुकानें खोली है, लेकिन दिल्ली के बहुसंख्यक व्यापारियों को ऑडइवन का यह सिस्टम रास नहीं आ रहा है। आड इवन व्यवस्था को लेकर अनेक कठिनाइयां आएंगी। दिल्ली के थोक बाजार और भीड़भाड़ वाले इलाके में है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में एक-एक बिल्डिंग में कई तरह की अनेकों दुकानें मौजूद है। व्यापारियों में भ्रम इस बात को लेकर बना हुआ है कि जिस बिल्डिंग में दुकानें हैं उनके सरकारी नंबर को माना जाए अथवा बिल्डिंग के अंदर जो दुकानें हैं। इसके इतर उन पर जो प्राइवेट नंबर दुकानदारों ने अपनी सुविधा से रखे हैं, उनको नंबर माना जाए। वहीं, दूसरी ओर ग्राहकों के लिए भी बेहद अजीब स्तिथि होगी क्योंकि अलग-अलग दुकानें अलग तरह का व्यापार करती हैं, इस लिहाज से ग्राहक अगर एक दिन बाजार में आएगा तो संभवत: हर प्रकार का सामान नहीं खरीद पाएगा।
कैट ने दिल्ली के उप‑राजयपाल अनिल बैजल और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को इसको देखते हुए एक पत्र भेजकर कहा है कि दिल्ली के सभी भागों के अधिकांश व्यापारी संगठन ऑड-इवन व्यवस्था को दिल्ली के व्यापार के अनुकूल नहीं मानते हैं और उनका मानना है कि इससे दिल्ली का व्यापार पूरे तौर पर खुल नहीं पाएगा। कैट का कहना है कि दिल्ली की मार्केट्स को दस भागों में बांट दिया जाए, जिसमें से पांच भाग सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक खुलें, जबकि बाकी पांच भाग दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक खुलें, यदि चाहें तो एक दिन छोड़कर एक दिन एक भाग को पूरे दिन के लिए खोला जा सकता है। इससे एक भाग का एक मुश्त व्यापार भी खुल सकेगा और भीड़भाड़ भी नहीं होगी।
बीजिंग| एक के बाद एक कई कंपनियों के चीन से निकलकर भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के ऐलान से ड्रैगन बौखला गया है। चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख में कहा है कि लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था प्रभावित होने के बावजूद भारत बड़ा सपना देख रहा है, लेकिन चीन का विकल्प नहीं बन पाएगा। उसने चीन से भारत की तुलना को लेकर वेस्टर्न मीडिया को दलाल तक कह दिया।गौरतलब है कि जर्मनी की जूता कंपनी ने अपना मैन्युफैक्चरिंग यूनिट चीन से आगरा शिफ्ट करने की बात कही है तो ओप्पो और ऐपल जैसी मोबाइल कंपनियों ने भी अब भारत शिफ्ट होने की बात कही है। बताया जा रहा है कि पहले अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर और अब कोरोना वायरस महामारी में सप्लाई चेन प्रभावित होने की वजह से करीब एक हजार कंपनियां चीन से निकलना चाहती है।
भारत का उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश ने चीन से मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शिफ्ट करने की सोच रही कंपनियों को आकर्षित करने के लिए एक इकनॉमिक टास्क फोर्स बनाया है। हालांकि, ऐसे प्रयासों के बावजूद यह यह उम्मीद करना भ्रम है कि कोरोना महामारी के कारण चीन की अर्थव्यवस्था पर जो दबाव है उससे भारत दुनिया के लिए नई फैक्ट्री बन जाएगा।''भारत को चीन का विकल्प बताने वालों को कट्टरपंथी कहते हुए मुखपत्र ने आगे लिखा कि जो कट्टरपंथी कह रहे हैं कि भारत चीन की जगह लेने को सही रास्ते पर हैं वह राष्ट्रवादी डींग है। इतना ही नहीं चीन ने इस मुद्दे को सीमा विवाद से भी जोड़ दिया और कहा कि यह गुमान आर्थिक मुद्दों से सैन्य स्तर तक पहुंच गया है। जिससे उन्होंने गलती से मान लिया है कि वे अब चीन का मुकाबला सीमा विवादों से कर सकते हैं। यह सोच खतरनाक है।
मुंबई | रॉयल एनफील्ड (Royal Enfield) ने अपनी BS6 इंजन के साथ आने वाली 350cc रेंज की कीमत में बदलाव किया है। कंपनी ने Bullet 350 और Himalayan की कीमत बढ़ा दी है। BS6 Royal Enfield Classic 350 की कीमत में भी कंपनी बदलाव किया है। क्लासिक 350 सिंगल चैनल ABS और ड्यूल चैनल ABS के साथ आती है जिनकी कीमत अब क्रमश: 1.59 लाख रुपये और 1.67 लाख रुपये है।
बुलेट 350 की नई कीमत
अब Bullet 350 EFI ब्लैक की कीमत 1,30,505 रुपये है। बुलेट X 350 EFI बुलेट सिल्वर की कीमत 1.24 लाख रुपये है। वहीं अब इस बाइक के टॉप मॉडल की कीमत 1.39 लाख रुपये हो गई है जो पहले 1.37 लाख रुपये थी।
रॉयल एनफील्ड हिमालयन की नई कीमत
अब इस बाइक की शुरुआती कीमत 1.86 लाख रुपये है। बाइक का स्नोवाइट और ग्रेनाइट ब्लैक मॉडल 1.86 लाख रुपये में मिलेगा। स्टील ग्रे और ग्रेवल ग्रो मॉडल की कीमत अब 1.89 लाख रुपये है। बाइक का ड्यूल टोन मॉडल 1.91 लाख रुपये में खरीदा जा सकता है।
क्लासिक 350 की नई कीमत
जैसा कि हमने आपको पहले बताया अब इस बाइक के सिंगल चैनल ABS वेरियंट की कीमत 1.59 लाख रुपये है और ड्यूल चैनल की कीमत 1.67 लाख रुपये है। बाइक के अलग अलग कलर ऑप्शन की कीमत भी अलग अलग है।
नई दिल्ली. मुकेश अंबानी की आरआईएल के रिलायंस जियो प्लेटफॉर्म्स में एक के बाद एक बड़े निवेश हो रहे हैं. फेसबुक, सिल्वर लेक और विस्टा इक्विटी के बाद अब जनरल अटलांटिक ने जियो में एक बड़ा निवेश किया है.
जनरल अटलांटिक ने जियो में 6,598.38 करोड़ रुपये का निवेश किया है. ये जियो में चौथा बड़ा निवेश हैं. इतना ही नहीं इस लॉकडाउन में भी ये चौथा सबसे बड़ा निवेश है जो कि जियो में हुआ है. इससे पहले के तीन बड़े निवेश भी जियो में किए गए हैं.
ये निवेश इसलिए भी बड़ी अहमियत रखता है क्योंकि कोरोना महामारी के बीच निवेशक निवेश करने से डर रहे हैं. उन्हें उनके पैसे डूब जाने का डर सता रहा है. ऐसे में जियो में लगातार बड़े निवेश होना भारत के लिए एक राहत की खबर हैं.
यह चार हफ्तों में जियो प्लेटफॉर्म्स में चौथा बड़ा निवेश है. साथ ही यह एशिया में जनरल अटलांटिक का सबसे बड़ा निवेश भी है. निवेश आरआईएल की 1.34 फीसदी हिस्सेदारी के बराबर है.
यह निवेश जियो प्लेटफॉर्म्स की इक्विटी वैल्यू 4.91 लाख करोड़ रुपये और एंटरप्राइज वैल्यू 5.16 लाख करोड़ के बराबर है. इस संबंध में रिलायंस के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कहा कि में जनरल अटलांटिक का स्वागत करता हूं. मैं इसे कई दशकों से जानता हूं.
जनरल अटलांटिक ने भारत के लिए एक डिजिटल सोसाइटी के अपने दृष्टिकोण को साझा किया और 1.3 अरब भारतीयों के जीवन को समृद्ध बनाने में डिजिटलीकरण की परिवर्तनकारी शक्ति में विश्वास किया.
नई दिल्ली । भारतीय रेलवे ने ‘मिशन घर वापसी’ के तहत सुरक्षित और जल्द से जल्द तमाम प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने के लिए रेल से जुड़े सभी जिलों से ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेन चलाने की घोषणा की है।
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने देश के जिला कलेक्टरों से उनके यहां फंसे विभिन्न राज्यों के मजदूरों और गंतव्य की सूची तैयार करने और उसे राज्य नोडल अधिकारी के माध्यम से रेलवे को सूचित करने को कहा है। रेलवे मौजूदा समय में अपनी आधे से भी कम क्षमता का उपयोग कर रहा है बावजूद इसके वह एक दिन में लगभग 300 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने की क्षमता रखता है। रेलवे जिलों की वास्तविक जरूरतों के अनुसार श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों को चलाने के लिए तैयार है।
रेल मंत्रालय ने श्रमिक स्पेशल रेलगाड़ियों के लिए की गई नई व्यवस्था के संबंध में 28 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों में रेलवे के नोडल अधिकारियों की भी सूची जारी की है।
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को बड़ी राहत पहुंचाने के उद्देश्य से भारतीय रेलवे देश के किसी भी जिले से ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेन चलाने को तैयार है। इसके लिये जिला कलैक्टर को फंसे हुए श्रमिकों के नाम, व उनके गंतव्य स्टेशन की लिस्ट तैयार कर राज्य के नोडल ऑफिसर के माध्यम से रेलवे को आवेदन करना होगा। उन्होंने कहा इसी के साथ डिस्ट्रिक्ट कलैक्टर एक सूची और गंतव्य स्टेशन, रेलवे के स्टेट नोडल ऑफिसर को भी दे दें।
रेलवे के प्रवक्ता ने बताया कि रेलवे अभी तक 1150 श्रमिक स्पेशल रेलगाड़ियों से 15 लाख से अधिक प्रवासियों को उनके गृह राज्य तक पहुंचा चुका है। पिछले तीन दिनों के दौरान प्रति दिन दो लाख से अधिक लोगों को ले जाया जा रहा है। आने वाले दिनों में, यह प्रति दिन तीन लाख यात्रियों तक बढ़ाया जा सकता है। पिछले कुछ दिनों से रेल मंत्री पीयूष गोयल बार‑बार राज्य सरकारों से प्रवासियों के लिए और अधिक गाड़ियों को मंजूरी देने की अपील कर रहे हैं। इस मामले में झारखंड, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की तरफ से सकारात्मक उत्तर नहीं मिलने पर गोयल काफी निराशा भी व्यक्त कर चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि रेल मंत्रालय द्वारा चलाए जा रही श्रमिक स्पेशल रेलगाड़ियों में यात्रा के लिए यात्रियों को किराए का भुगतान नहीं करना होता बल्कि इसका 85 प्रतिशत रेलवे और शेष 15 प्रतिशत का किराया राज्य सरकारों या अन्य एजेंसियों द्वारा वहन किया जाता है। यात्रा के दौरान रेलवे यात्रियों को मुफ्त भोजन और पानी भी मुहैया करा रहा है।
नई दिल्ली | कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को गति देने के उद्देश्य से सरकार ने 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है। आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आर्थिक पैकेज की पांचवीं किस्त या आखिरी चरण की घोषणाएं कर रही हैं। 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पांचवीं और आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा था कि आपदा को अवसर में बदलने की जरूरत है। सरकार गरीबों को तुरंत आर्थिक मदद पहुंचा रही हैं, खाना पहुंचा रही है। उन्होंने कहा कि संकट का दौर नए अवसर खोलता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर कैश का किया गया। इसके तहत 8.19 करोड़ किसानों के खाते में 2-2 हजार रुपये दिए गए हैं। इसके अलावा, देश के 20 करोड़ जन-धन खातों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए 500-500 रुपये भेजे गए हैं। इस तरह कुल 20 करोड़ जनधन खातों में 10,225 करोड़ रुपये डाले गए हैं। साथ ही उज्ज्वला योजना के तहत 6.81 करोड़ रसोई गैस धारकों को मुफ्त सिलेंडर दिया गया। वहीं,8.91 किसानों के खाते में 2-2 हजार रुपये भेजे गए हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि मजदूरों को ट्रेनों से ले जाने का 85 खर्च केंद्र सरकार ने वहन किया है। 15 फीसदी खर्च राज्य सरकारों ने किया है। ट्रेनों में उन्हें खाना भी उपलब्ध कराया गया। कोविड-19 के बाद के दौर के लिए उन्हें हर तरह की मदद देनी है। कोरोना के बाद व्यापार को लेकर तनावग्रस्त स्थिति होगी। इसलिए हमने कई ऐलान किए हैं।
इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन आर्थिक पैकेज की चौथी किस्त की शनिवार को घोषणा की। पैकेज की चौथी किस्त में कोयला, रक्षा विनिर्माण, विमानन, अंतरिक्ष, बिजली वितरण आदि क्षेत्रों में नीतिगत सुधारों पर जोर रहा।
आर्थिक पैकेज की चौथी किस्त की मुख्य बातें इस प्रकार हैं...
रक्षा क्षेत्र:
रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में स्वत: मंजूरी मार्ग से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 49 से बढ़ाकर 74 प्रतिशत की जायेगी।
ऐसे हथियारों और प्लेटफॉर्म की सूची जारी की जायेगी, जिनका आयात प्रतिबंधित होगा। इन्हें भारत में ही खरीदा जा सकेगा।
आयातित कल-पुर्जों के स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिये रक्षा आयात का बिल कम करने पर ध्यान दिया जायेगा।
बड़े घरेलू खरीद के लिये अलग बजट प्रावधान किये जायेंगे। आयुध निर्माण बोर्ड का निगमीकरण किया जायेगा।
नागर विमानन क्षेत्र
यात्री उड़ानों के लिये भारतीय वायु क्षेत्रों पर लगी पाबंदियों में ढील दी जायेगी, इससे ईंधन और समय की बचत होगी।
पाबंदियों में ढील से विमानन क्षेत्र को एक साल में एक हजार करोड़ रुपये का लाभ होगा।
छह और हवाईअड्डों में निजी कंपनियों की भागीदारी के लिये नीलामी की जायेगी
12 हवाई अड्डों में निजी कंपनियों से 13 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश मिलेगा।
भारत विमानों के रख-रखाव, मरम्मत और जीर्णोद्धार का केंद्र बनेगा, इसके लिये करों को युक्तिसंगत बनाया जा चुका है।
कोयला एवं खनिज
कोयला क्षेत्र में निजी कंपनियों को वाणिज्यिक खनन का अधिकार मिलेगा। सरकार का एकाधिकार समाप्त होगा।
क्षेत्र में उतरने के प्रावधान सरल किये जायेंगे, तत्काल नीलामी के लिये करीब 50 ब्लाक पेश किये जायेंगे।
कोयला के गैसीकरण और द्रवीकरण को राजस्व साझा करने की दर में छूट के जरिये प्रोत्साहित किया जायेगा।
कोयला क्षेत्र में बुनियादी संरचना विकास के लिये 50 हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था की जायेगी।
कोल इंडिया के खदानों के लिये कोयला बेड मीथेन निकालने के अधिकारों की नीलामी होगी।
खनिज क्षेत्र में खोज-खनन-उत्पादन एक समग्र अनुमति की व्यवस्था की शुरुआत की जाएगी। 500 ब्लॉकों की नीलामी होगी।
बॉक्साइट और कोयला के खदानों की संयुक्त नीलाती होगी।
खनन के पट्टे देते समय भुगतान किये जाने वाले स्टाम्प शुल्क को तर्गसंगत बनाया जायेगा।
बिजली वितरण
केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) का निजीकरण किया जायेगा।
बिजली की दर की नीति में सुधार किया जायेगा।
सामाजिक बुनियादी संरचना...
अस्पतालों समेत सामाजिक बुनियादी संरचना के विकास में वीजीएफ में सरकार की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत, इससे 8,100 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
अंतरिक्ष
उपग्रहों, प्रक्षेपणों और अंतरिक्ष-आधारित सेवाओं समेत भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में निजी कंपनियों को भगीदारी के अवसर मिलेंगे।
निजी कंपनियों को अपनी क्षमता बेहतर बनाने के लिये इसरो की सुविधाओं, अन्य प्रासंगिक संपत्तियों के इस्तेमाल की इजाजत मिलेगी।
परमाणु ऊर्जा
कैंसर एवं अन्य बीमारियों के किफायती उपचार के लिये पीपीपी आधार पर अनुसंधान नाभिकीय संयंत्र बनाये जायेंगे।
कृषि सुधारों को बढ़ाने तथा किसानों की मदद करने के लिये खाद्य प्रसंस्करण में विकिरण प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने वाले संयंत्र पीपीपी आधार पर बनाये जायेंगे।
नई दिल्ली। आत्मनिर्भर भारत और कोरोना वायरस लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था के लिए पीएम मोदी की ओर से घोषित 20 लाख करोड़ के पैकेज के तीसरे हिस्से का वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ऐलान किया। इससे पहले बुधवार और गुरुवार को उन्होंने एमएसएमई, नौकरी पेशा, टैक्सपेयर्स, किसानों, छोटे व्यापारियों, फेरीवालों और प्रवासी मजदूरों के लिए राहत का ऐलान कर चुकी हैं। कोरोना वायरस संकट को अवसर में बदलने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान करते हुए देश के सामने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के महत्वाकांक्षी मिशन का ऐलान किया था। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगातार दो दिन पैकेज का ब्योरा देश के सामने रखा है। आज 11 कदमों का ऐलान कर रही हैं। पहला पैकेज करीब 6 लाख करोड़ और दूसरा पैकेज करीब 3.16 लाख करोड़ रुपये का था। पुरानी घोषणाओं और रिजर्व बैंक की तरफ से उठाए गए कदमों को मिलकर अब तक कुल 16.45 लाख करोड़ की घोषणा हो चुकी है। महापैकेज में अब 3.55 लाख करोड़ रुपये बकाया है। वित्त मंत्री ने कहा कि तीसरे पैकेज में कृषि, फिशरीज, डेयरी, फूड प्रोसेसिंग और कृषि संबंधी अन्य कामकाज को राहत मिलेगा। इस संबंध में 11 प्रमुख बिंदुओं पर हमारा फोकस है। इनमें से आठ बिंदुओं के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक मजबूत करने की कोशिश की गई है और तीन उपाय गवर्नेंस और एडमिनिस्ट्रेटिव सुधार से जुड़े हैं।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि दाल उत्पादन में हम दुनिया में तीसरे नंबर और गन्ना उत्पादन में हम दूसरे नंबर पर हैं। लॉकडाउन के दौरान भी किसान काम करते रहे, छोटे और मंझोले किसानों के पास 85 फीसदी खेती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान किसानों के लिए कई कदम उठाए गए। एएसपी के रूप में उन्हें 74 हजार 300 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं तो पीएम किसान के जरिए उन्हें 18 हजार 700 करोड़ रुपए दिए गए हैं। पीएम फसल बीमा योजना के तहत 6400 करोड़ रुपए का मुआवाजा दिया गया है। लॉकडाउन के दौरान दूध की डिमांड 20–25 पर्सेंट घट गई थी इसलिए उनका 11 करोड़ लीटर अतिरिक्त दूध की खरीद की गई है। इस पर 4100 करोड़ रुपए खर्च किए गए।लॉकडाउन के दौरान 5000 करोड़ की अतिरिक्त लिक्विडिटी का लाभ किसानों को हुआ है।
किसान देश का पेट भरने के साथ निर्यात भी करता है। अनाज भंडारण, कोल्ड चेन और अन्य कृषि आधारित इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 1 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। कृषि उत्पादक संघ, कृषि स्टार्टअप आदि का भी इसका लाभ होगा।
माइक्रो फूड इंटरप्राइज के लिए 10,000 करोड़ क स्कीम लाई गई है। बिहार में मखाना के क्लस्टर, केरल में रागी, कश्मीर में केसर, आंध्र प्रदेश में मिर्च, यूपी में आम से जुड़े क्लस्टर बनाए जा सकते हैं। ऐसे ही क्लस्टर अन्य प्रदेशों में भी बनाए जा सकते हैं। यह योजना पीएम के ‘वोकल फॉर लोकल’ मुहिम को बल देगा।
पीएम मत्स्य संपदा योजना में 20,000 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसमें समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य पालन के लिए और 9,000 करोड़ रुपये इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के विकास में लगाया जाएगा। पीएम मत्स्य संपदा योजना के लिए 20 हजार करोड़ रुपए रखे गए हैं। इसके वैल्यू चेन में मौजूद खामियों को दूर किया जाएगा। 11 हजार करोड़ रुपए समुद्री मत्स्य पालन और 9 हजार करोड़ रुपए इसके लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए खर्च किए जाएंगे।इससे अगले 5 साल में मतस्य उत्पादन 70 लाख टन बढ़ेगा। इससे 55 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा और निर्यात दोगुना होकर 1 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा।
नेशनल एनिमल डिजीजी कंट्रोल प्रोग्राम के तहत मुंह पका-खुर पका बीमारी से बचाने के लिए जानवरों को वैक्सीन लगाया जाएगा। इस पर 13,343 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इस योजना के तहत 53 करोड़ पशुओं को टीका लगाया जाएगा। अभी तक 1.5 करोड़ गाय और भैसों को टीका लगाया गया है। इससे दूध उत्पादन में वृद्धि होगी और उत्पादकों की गुणवत्ता बेहतर होगी।
पशुपालन में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए 15 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इससे अधिक दूध उत्पादन होगा और प्रोसेसिंग यूनिट आदि लगाए जाएंगे।
हर्बल खेती के लिए 4 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। 10 लाख हेक्टेएयर में यह खेती होगी। इससे किसानों को 5 हजार करोड़ रुपए की आमदनी होगी। इनमें से 800 हेक्टेयर की खेती गंगा के दोनों किनारों पर की जाएगी।गंगा के किनारे 800 हेक्टेयर भूमि पर हर्बल प्रॉडक्ट्स के लिए कॉरिडोर बनाया जाएगा।
मधुमक्खी पालन के लिए 5,00 करोड़ की स्कीम लाई जाएगी, इससे मधुमक्खी पालन के लिए आधारभूत संरचना का निर्माण किया जाएगा।
ऑपरेशन ग्रीन का विस्तार टमाटर, प्याज और आलू के अलावा बाकी सभी फल और सब्जियों के लिए भी किया जाएगा। इस योजना के तहत 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। पहले यह टमाटर, आलू और प्याज के लिए था लेकिन अब अन्य सभी फल और सब्जियों के लिए लागू किया जाएगा। जो खाद्य पदार्थ नष्ट हो जाते थे और दबाव में कम मूल्य में बेचना पड़ता है। इस योजना के तहत सभी फल सब्जियों को लाने से 50 फीसदी सब्सिडी मालभाड़े और 50 फीसदी स्टोरेज, कोल्ड स्टोरेज के लिए दी जाएगी।
कृषि क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और निवेश बढ़ाने के लिए 1955 के आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव किया जाएगा। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। किसानों को कम दाम पर उत्पाद बेचना पड़ता था। तिलहन, दलहन, प्याज, आलू को अनियमित किया जाएगा ताकि किसानों को लाभ मिल सके।
किसान को एपीएमसी लाइसेंस धारकों को ही अपना उत्पाद बेचना पड़ता है। किसानों को अपने उत्पाद की सही कीमत मिले और दूसरे राज्यों में जाकर भी उत्पाद बेच सकें उसके लिए कानूनी में बदलाव किया जाएगा। एक केंद्रीय कानून के तहत उन्हें किसी भी राज्य में अपना उत्पाद ले जाकर बेचने की छूट होगी।
नई दिल्ली । वर्ल्ड बैंक ने कोरोना वायरस महामारी के संकट को देखते हुए गरीब और कमजोर परिवारों को सामाजिक सहायता देने के भारत के प्रयासों में मदद के लिए एक अरब डॉलर की सहायता को मंजूरी दी। ये सहायता भारतीय कोविड-19 सामाजिक संरक्षण प्रतिक्रिया कार्यक्रम को प्रोत्साहन के रूप में दी जाएगी। इसके साथ ही विश्व बैंक ने कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने के लिए भारत को अब तक कुल दो अरब डॉलर देने की प्रतिबद्धता जताई है। पिछले महीने भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र की मदद के लिए एक अरब अमरीकी डालर की सहायता देने की घोषणा की गई थी। भारत में वर्ल्ड बैंक के कंट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद ने कहा कि कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने के लिए दुनिया भर में सरकारों को अभूतपूर्व तरीके से लॉकडाउन और सामाजिक दूरी को लागू करना पड़ा है। हालांकि, वायरस के प्रसार को रोकने के लिए किए गए इन उपायों से अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हुई है और खासतौर से अनौपचारिक क्षेत्र में नौकरियां प्रभावित हुई हैं। उन्होंने कहा कि भारत इसका अपवाद नहीं है। एक अरब डॉलर की इस सहायता में 55 करोड़ डॉलर का वित्त पोषण विश्व बैंक की रियायती ऋण शाखा अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (आईडीए) के द्वारा किया जाएगा, जबकि 20 करोड़ डॉलर ऋण के रूप में अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (आईबीआरडी) द्वारा दिए जाएंगे। शेष 25 करोड़ रुपए 30 जून के बाद दिए जाएंगे।