ईश्वर दुबे
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Bhilai
नई दिल्ली । गूगल के वोडाफोन आइडिया में पांच प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने पर नजर संबंधी रिपोर्ट के बीच वोडाफोन आइडिया ने शुक्रवार को कहा कि वह निरंतर विभिन्न अवसरों का आकलन करती है। लेकिन उसके निदेशक मंडल के समक्ष अभी ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। वोडाफोन आइडिया ने यह जानकारी बंबई शेयर बाजार को दी है। वोडाफोन आइडिया ने यह स्पष्टीकरण इस रिपोर्ट के एक दिन बाद दिया है कि गूगल की दूरसंचार कंपनी में 5 प्रतिशत हिस्सेदारी पर नजर है। कंपनी ने शुक्रवार को कहा,कॉरपोरेट रणनीति के तहत कंपनी अपने शेयरधारकों के मूल्य को बढ़ने के लिये विभिन्न अवसरों का आकलन करती रहती है। जब भी कंपनी का निदेशक मंडल इस प्रकार के प्रस्ताव पर विचार करेगा, कंपनी इसकी सूचना देकर खुलासा बाध्यताओं का पालन करेगी। वोडाफोन आइडिया ने कहा कि फिलहान ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है, जिस पर निदेशक मंडल विचार कर रहा हो। बयान के अनुसार,हम यह दोहराना चाहते हैं कि कंपनी सेबी सूचीबद्धता नियमों का पालन करेगी और कीमत से जुड़ी सभी संवेदनशील सूचनाएं शेयर बाजारों के साथ साझा करेगी।
नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के यूको बैंक ने रेपो दर पर आधारित कर्ज की ब्याज दर में 0.40 फीसदी की कटौती की है। इस कटौती के साथ ही बैंक का लोन पर ब्याज दर 6.90 फीसदी पर आ गया है। बैंक ने क़ल देर रात इस कटौती की जानकारी दी। बैंक की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ये कटौती रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के हाल ही में रेपो दर में की गई कटौती का लाभ ग्राहकों को पहुंचाने वाला कदम है। इसके साथ ही बैंक ने कहा है कि इस कटौती के फलस्वरूप बैंक का खुदरा और एमएसएमई कर्ज भी 0.40 फीसदी सस्ता होगा। हालांकि, बैंक ने जमा दरों में किसी तरह के बदलाव की जानकारी नहीं दी है। गौरतलब है कि सरकारी चाहती है कि बैंक अपनी ब्याज दरों को कम करें, ताकि कर्ज सस्ता हो और अर्थव्यवस्था में गतिविधियां तेज हों। दरअसल कोविड‑19 की महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था की गति पिछले कुछ महीनों में काफी धीमी पड़ गई। उल्लेखनीय है कि एक मार्च के बाद से बैंकों ने अब तक 6 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को मंजूरी दी है। इसमें से यूको बैंक ने 15 हजार करोड़ रुपये के कर्ज को मंजूरी दी है, जिसमें से 12 हजार करोड़ रुपये का कर्ज बांट दिया गया है। वहीं, बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इससे उसके 1.36 लाख ग्राहकों को फायदा पहुंचा है।
नई दिल्ली । जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी बायोकॉन ने बुधवार को कहा कि उसकी सहायक कंपनी को भारतीय दवा महानियंत्रक (डीसीजीआई) से कोविड-19 के गंभीर रोगियों के इलाज के लिए चिकित्सा उपकरण बनाने की मंजूरी मिली है। बायोकॉन ने कहा कि उसकी सहायक इकाई बायोकॉन बायोलॉजिक्स को रक्त शोधन उपकरण साइटोसॉर्ब के लिए डीसीजीआई की मंजूरी मिली है, जो सघन देखभाल इकाई (आईसीयू) में भर्ती कोविड-19 के मरीजों में प्रो-इंफ्लेमेटरी साइटोकिन्स के स्तर को कम करता है। कंपनी ने बताया कि उसे कोविड-19 के मरीजों के इलाज में साइटोसॉर्ब के इस्तेमाल के लिए जनहित में आपातकालीन लाइसेंस मिला है। इसका इस्तेमाल 18 साल या इससे अधिक के मरीजों पर किया जाएगा। बायोकॉन ने कहा कि यह लाइसेंस कोविड-19 महामारी के काबू में आने तक प्रभावी है।
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि कोरोना वायरस से प्रभावित अर्थवस्था को गति देने के लिए बाजार में और नकदी डालने की जरूरत है और राज्य सरकारों को 20 लाख करोड़ रुपये मुहैया कराने चाहिए जबकि और 10 लाख करोड़ रुपये सार्वजनिक-निजी साझेदारी के निवेश से आ सकते हैं। सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं सूक्ष्म-मध्यम-लघु उद्योग एमएसएमई मंत्री ने कहा कि इससे केंद्र सरकार द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ के पैकेज सहित 50 लाख करोड़ रुपये की तरलता बाजार में आएगी जिससे अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 की वजह पड़े विपरीत असर का मुकाबला करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा मौजूदा परिस्थितियां बहुत गंभीर है पूरी दुनिया मुश्किल का सामना कर रही है।' मंत्री ने रेखांकित किया कि संकट से मुकाबले के लिए अमेरिका ने दो ट्रिलियन डॉलर के पैकेज की घोषणा की है जबकि जापान ने अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 12 प्रतिशत के बराबर पैकेज की घोषणा की है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित पैकेज जीडीपी के 10 प्रतिशत के बराबर है। गडकरी ने कहा, 'कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अब और अधिक संसाधन जुटाये जा सकते हैं और राज्य और 20 लाख करोड़ रुपये का बजट मुहैया करा सकते हैं और न्यूनतम 10 लाख करोड़ रुपये सार्वजनिक निजी निवेश से आ सकते हैं।
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि कोरोना वायरस से प्रभावित अर्थवस्था को गति देने के लिए बाजार में और नकदी डालने की जरूरत है और राज्य सरकारों को 20 लाख करोड़ रुपये मुहैया कराने चाहिए जबकि और 10 लाख करोड़ रुपये सार्वजनिक-निजी साझेदारी के निवेश से आ सकते हैं। सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं सूक्ष्म-मध्यम-लघु उद्योग एमएसएमई मंत्री ने कहा कि इससे केंद्र सरकार द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ के पैकेज सहित 50 लाख करोड़ रुपये की तरलता बाजार में आएगी जिससे अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 की वजह पड़े विपरीत असर का मुकाबला करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा मौजूदा परिस्थितियां बहुत गंभीर है पूरी दुनिया मुश्किल का सामना कर रही है।' मंत्री ने रेखांकित किया कि संकट से मुकाबले के लिए अमेरिका ने दो ट्रिलियन डॉलर के पैकेज की घोषणा की है जबकि जापान ने अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 12 प्रतिशत के बराबर पैकेज की घोषणा की है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित पैकेज जीडीपी के 10 प्रतिशत के बराबर है। गडकरी ने कहा, 'कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अब और अधिक संसाधन जुटाये जा सकते हैं और राज्य और 20 लाख करोड़ रुपये का बजट मुहैया करा सकते हैं और न्यूनतम 10 लाख करोड़ रुपये सार्वजनिक निजी निवेश से आ सकते हैं।
नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने असाही इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड प्रोजेक्ट्स लिमिटेड और उसके एक वरिष्ठ अधिकारी पर ग्लोबल डिपॉजटरी रिसीट्स (जीडीआर) में जारी करने में गड़बड़ी के लिए 11 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। लक्ष्मीनारायण राठी कंपनी के प्रबंध निदेशक है। सेबी के अनुसार असाही अप्रैल, 2009 में जीडीआर निर्गम लेकर आई थी। पैन एशिया एडवाइजर्स जीडीआर निर्गम की बुक रनिंग लीड मैनेजर थी। जांच में यह तथ्य सामने आया कि अरुण पंचारिया ने विंटेज एफजेडई द्वारा कंपनी के जीडीआर के लिए ऋण का प्रबंध किया। इस कंपनी में वह प्रबंध निदेशक और 100 प्रतिशत शेयरधारक थे। पंचारिया पैन एशिया के संस्थापक निदेशक और 100 प्रतिशत शेयरधारक थे। असाही ने इसके बदले में पंचारिया को यह राशि जुटाने में मदद की और यूरम बैंक से करार किया और विंटेज द्वारा लिए गए कर्ज के लिए गारंटी उपलब्ध कराई। उसके बाद पंचारिया ने कुछ विदेशी संस्थागत निवेशकों की मदद से जीडीआर को शेयरों में बदला और अपने से जुड़ी इकाइयों की मदद से भारतीय प्रतिभूति बाजारों में बेच दिया। इसके अतिरिक्त कंपनी द्वारा मांगी गई कुछ सूचना उपलब्ध कराने में विफल रही। साथ ही उसने गलत जानकारी उपलब्ध कराई। असाही बीएसई को तिमाही ब्योरे में बकाया जीडीआर का खुलासा करने में विफल रही। बाजार नियमों के विभिन्न उल्लंघनों के लिए सेबी ने कंपनी पर 10.15 करोड़ रुपए और राठी पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है।
नई दिल्ली । निजी क्षेत्र के डीसीबी बैंक का मुनाफा वित्त वर्ष 2019-20 की मार्च तिमाही में 28 प्रतिशत गिरकर 69 करोड़ रुपए पर आ गया। बैंक ने एक बयान में बताया कि आलोच्य तिमाही के दौरान उसकी कुल आय साल भर पहले के 400 करोड़ रुपए से 8.5 प्रतिशत बढ़कर 434 करोड़ रुपए हो गई। पूरे वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान बैंक का कर भुगतान के बाद शुद्ध लाभ चार प्रतिशत बढ़कर 2018-19 के 325 करोड़ रुपए की तुलना में 338 करोड़ रुपए रहा। इस दौरान आय 10.5 प्रतिशत बढ़कर 1,656 करोड़ रुपए हो गई। यह 2018-19 में 1,499 करोड़ रुपए रही थी। बैंक ने कहा कि पूरे वित्त वर्ष 2019-20 और मार्च तिमाही में कोविड-19 को लेकर नियामकीय पैकेज प्रावधान करने से लाभ 63 करोड़ रुपए कम हुआ। बैंक ने दिशानिर्देशों के आधार पर सामान्य स्थिति की तुलना में अधिक प्रावधान किया। इस दौरान बैंक की संपत्ति की गुणवत्ता में भी गिरावट आई। बैंक की एकीकृत गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) साल भर पहले के 1.84 प्रतिशत से बढ़कर 2.46 प्रतिशत हो गई। शुद्ध एनपीए भी 0.65 प्रतिशत से बढ़कर 1.16 प्रतिशत हो गया।
नई दिल्ली । कृषि क्षेत्र से जुड़ी कंपनी बेयर क्रॉपसाइंस लिमिटेड को वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही में 31.5 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ। कंपनी ने शेयर बाजार को बताया कि साल भर पहले की समान तिमाही में उसे 57.1 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। इस दौरान कंपनी की कुल आय साल भर पहले के 252.2 करोड़ रुपए से बढ़कर 458.7 करोड़ रुपए हो गया। व्यय भी एक साल पहले के 356.9 करोड़ रुपए से बढ़कर 422.2 करोड़ रुपए हो गई। पूरे वित्त वर्ष 2019-20 में कंपनी का शुद्ध लाभ 2018-19 के 337.1 करोड़ रुपए से बढ़कर 474.5 करोड़ रुपए हो गया। बायर क्रॉपसाइंस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एवं प्रबंध निदेशक (एमडी) डी. नारायण ने कहा कि 2019 में अच्छे मानसून ने रबी की बुवाई के लिए पर्याप्त जल भंडार सुनिश्चित किया है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही स्थिर कीमतों, अनुकूल जलवायु और मकई तथा बागवानी में मजबूत पोर्टफोलियो के दम पर चौथी तिमाही में मजबूत वृद्धि दर्ज करने में मदद मिली।
दोनों बाइक को 2019 ईआईसीएमए मोटर शो में किया था प्रदर्शित
नई दिल्ली । ऑटोमोबाइल क्षेत्र की अग्रणी कंपनी बीएमडब्ल्यू ने भारतीय बाजार में दो नई बाइक पेश कर दी है। ये दोनों बाइक बीएमडब्ल्यू एफ 900 आर और बीएमडब्ल्यू एफ 900 एक्सआर है। बीएमडब्ल्यू ने एफ 900 सीरीज की ये दोनों मोटरसाइकल कल भारत में लॉन्च हो गई। इन बाइक्स को मिलान में हुए 2019 ईआईसीएमए मोटर शो में प्रदर्शित किया था। लॉन्चिंग के तुरंत बाद इनकी बुकिंग शुरू होने की उम्मीद है, जबकि कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते इनकी डिलिवरी शुरू होने में समय लग सकता है। एफ 900 आर कंपनी की नई स्ट्रीट नेकेड मोटरसाइकल है, जबकि एफ 900 एक्सआर अडवेंचर स्पोर्ट्स टूरर बाइक है। दोनों मोटरसाइकल में एक ही चेसिस और एक ही इंजन है। हालांकि, स्टाइलिंग, राइडिंग पोजिशन और सस्पेंशन ट्रैवल समेत कुछ अन्य खूबियों के मामले में दोनों अलग-अलग हैं। बीएमडब्ल्यू की इन दोनों बाइक्स में नया 895सीसी, इनलाइन-ट्विन इंजन दिया गया है। यह इंजन 8,500 आरपीएम पर 105 एचपी की पावर और 6,500आरपीएम पर 92 एनएम टॉर्क जेनरेट करता है। इंजन 6-स्पीड गियरबॉक्स से लैस है। इनकी टॉप स्पीड 200 किलोमीटर प्रति घंटा है। इंटरनैशनल मार्केट में ये बाइक्स दो वेरियंट में उपलब्ध हैं। बेस वेरियंट में दो राइडिंग मोड (रोड और रेन), ट्रैक्शन कंट्रोल, ब्लूटूथ के साथ 6.5-इंच टीएफटी स्क्रीन और एलईडी हेडलाइट्स स्टैंडर्ड दिए गए हैं। टॉप वेरियंट्स में कॉर्नरिंग एबीएस और की-लेस इग्निशन समेत अन्य फीचर्स मिलेंगे। एफ 900 आर की कीमत 9.7-10 लाख रुपये के आसपास हो सकती है। बीएमडब्ल्यू एफ 900 एक्सआर की कीमत 11-12 लाख रुपये होने की उम्मीद है।बीएमडब्ल्यू एफ 900 आर बाइक 3.6 सेकंड में, जबकि एफ 900 एक्सआर मोटरसाइकल 3.7 सेकंड में 0 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ने में सक्षम है।
कीमत है 11,700 रुपये
नई दिल्ली । चीनी कंपनी शाओमी ने 43 इंच वाला एमआई टीवी पेश किया है। शाओमी के इस नए टेलिविजन की कीमत 11,700 रुपये है। इसका मॉडल नंबर ई43के है। शाओमी ने यह टीवी चीन में लॉन्च किया है। ई सीरीज में शाओमी के पास 43 इंच के दूसरे टेलिविजन भी हैं, लेकिन यह नया टीवी काफी सस्ता है। शाओमी के इस नए टीवी में ब्लूटूथ कनेक्टिविटी नहीं है, बल्कि इसमें स्टैंडर्ड इंफ्रारेड रिमोट कंट्रोल का इस्तेमाल किया गया है। वहीं, शाओमी के 43 इंच वाले दूसरे टेलिविजन्स में ब्लूटूथ रिमोट दिया गया है। शाओमी के नए एमआई टीवी ई43के में 43 इंच का फुल-स्क्रीन डिस्प्ले दिया गया है, जिसका रेजॉलूशन 1920×1080 पिक्सल है। शाओमी के इस टेलिविजन में बेजल-लेस डिजाइन दिया गया है, जो कि शानदार व्यूइंग एक्सपीरियंस देता है। शाओमी के एमआई स्मार्ट टीवी में 64 बिट ड्यूल-कोर प्रोसेसर दिया गया है। टेलिविजन में 1जीबी की रैम और 8जीबी का इंटरनल स्टोरेज दिया गया है। शाओमी का यह टीवी वायरलेस प्रोजेक्शन, डीटीएस डीकोडिंग को सपॉर्ट करता है। इस टेलिविजन में बिल्ट-इन पैचवॉल आर्टिफिशल इंटेलीजेंस टीवी सिस्टम दिया गया है। टेलिविजन में दिया गया पैचवॉल सिस्टम न केवल कंटेंट्स के बड़े डेटाबेस तक एक्सेस देता है, बल्कि यूजर्स को स्मार्ट होम डिवाइसेज को व्यू करने की सहूलियत देता है। शाओमी का यह नया टेलिविजन वाई-फाई कनेक्टिविटी और इंफ्रारेड के साथ आया है। ऑडियो के लिए टेलिविजन में डीटीएस 2.0 के साथ 8 डब्ल्यू के दो स्पीकर्स दिए गए हैं। यह टीवी कई प्री-इंस्टॉल्ड ऐप्स के साथ आता है। साथ ही, यूजर्स एमआई ऐप स्टोर का भी एक्सेस कर सकते हैं। शाओमी के इस टीवी को कंप्यूटर्स, गेम कंसोल, एक्सटर्नल ऑडियो इक्विपमेंट से भी कनेक्ट कर सकते हैं। इस टीवी को फिलहाल चीन में लॉन्च किया गया है। शाओमी ने अभी यह नहीं बताया है कि इसे दूसरे मार्केट्स में कब तक लाया जाएगा।स्टैंड के बिना इस टेलिविजन का वजन 6.31 किलोग्राम है, जबकि स्टैंड के साथ टीवी का वजन 6.42 किलोग्राम है। कनेक्टिविटी के लिए शाओमी के इस टेलिविजन में 2 एचडीएमआई पोर्ट्स दी गई हैं, इनमें से एक पोर्ट एचडीएमआई एआरसी को सपॉर्ट करता है।
मुंबई । भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को सुस्त पड़ते विदेश व्यापार की मदद के लिए भारतीय निर्यात-आयात बैंक (एक्जिम बैंक) को 15,000 करोड़ रुपये की ऋण सहायता देने की घोषणा की।आरबीआई ने कहा कि एक्जिम बैंक अपने परिचालन के लिए विदेशी मुद्रा उधारी पर निर्भर है,और कोविड-19 के चलते यह संसाधन जुटाने में सक्षम नहीं है, जिसके चलते यह सुविधा दी गई है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि एक्जिम बैंक को 90 दिन की अवधि के लिए 15,000 करोड़ रुपये का कर्ज सुविधा देने का फैसला किया गया है, ताकि वह विदेशी मुद्रा की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अमेरिकी डॉलर स्वैप कर सके। इस ऋण सुविधा को एक साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण देश का आयात-निर्यात व्यापार प्रभावित हुआ है और मूलभूत वस्तुओं और सेवाओं का आयात घटा है।
नई दिल्ली। वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस का अनुमान है कि वित वर्ष 2020–21 में भारत की अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि यह 4 दशक में पहली बार होगा जब कोविड‑19 के संक्रमण के कारण देश भर में जारी लॉकउाउन से खपत कम होने और कारोबारी गतिविधियां थमने से चुनौतियों का सामना कर रही घरेलू अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी।
मूडीज ने जारी ताजा अनुमान के मुताबिक कोरोना वायरस संकट से पहले भी भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर धीमी पड़ गई थी और यह छह वर्ष की सबसे निचली दर पर पहुंच गई थी। एजेंसी का मानना है कि सरकार ने आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज में जो कदम उठाए हैं वे उम्मीदों के अनुरूप नहीं है, क्योंकि अर्थव्यवस्था की समस्याएं इससे बहुत ज्यादा व्यापक है।
रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अब हमारा अनुमान है कि वित वर्ष 2020–21 में भारतीय अर्थव्यवस्था की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर में वास्तविक गिरावट आएगी। गौरतलब है कि मूडीज ने इससे पहले विकास दर शून्य रहने की संभावना जताई थी। हालांकि, एजेंसी ने वित वर्ष 2021–22 में देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होने की उम्मीद जताई। दरअसल ये उसके पहले के 6.6 फीसदी की वृद्धि दर के अनुमान से भी मजबूत रह सकती है।
रेटिंग एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोविड‑19 और देशव्यापी लॉकडाउन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ने की संभावना है। मूडीज के अनुसार यह सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र को प्रभावित करेगा। उल्लेखनीय है कि देश में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू है जो 31 मई तक रहेगा। मूडीज का कहना है कि लॉकडाउन से देश के असंगठित क्षेत्र के समक्ष संकट खड़ा हुआ है। क्योंकि इस क्षेत्र का जीडीपी में आधे से अधिक योगदान है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज के बारे में मूडीज ने कहा कि सरकार का सीधे तौर पर राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज जीडीपी का एक से दो फीसदी के दायरे में रह सकता है। क्योंकि सरकार की अधिकांश योजनाएं लोन गारंटी या प्रभावित क्षेत्रों की नकदी कीचिंता को दूर करने से संबद्ध है। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि प्रत्यक्ष रूप से वित्तीय खर्च की मात्रा हमारी उम्मीदों से कहीं कम है और इसे वृद्धि को खास गति मिलने की संभावना कम है।
नई दिल्ली। देश के विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों के पलयान कारण व्यापार एवं उद्योग धंधे संकट में पड़ गए हैं। यही नहीं देशभर में उद्योग एंव दुकानें खुलने के बाद भी कारोबार समुचित रूप से नहीं हो पा रहा है। दरअसल मजदूरों का बड़े पैमाने पर पलायन कारोबार के अस्तित्व के लिए एक बड़ा विषय बन गया है। यह बात कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कही है ।
कैट ने कहा कि मजदूरों के पलायन के लिए केंद्र के साथ‑साथ कई राज्य सरकारें भी जिम्मेदार है। कैट ने कहा कि यदि राज्य सरकारें केंद्र सरकार से बातचीत कर इस मामले की गंभीरता को समझते हुए शुरू से ही इस मामले को संभालती तो मजदूरों का इतने बड़े पैमाने पर पलायन नहीं होता। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा है कि मजदूरों के जाने से कारोबार बिलकुल नहीं हो रहा, जिसकी वजह से केंद्र एवं राज्य सरकारों को राजस्व की बड़ी चपत लगेगी।
खंडेलवाल ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा वर्तमान लॉकडाउन की अवधि में छूट दिए जाने के बाद पिछले दो दिनों से दिल्ली सहित देशभर में व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान खोले हैं, लेकिन कारोबार आंशिक रूप से ही शुरू हो पाया है। उन्होंने कहा कि बड़ी मात्रा में मजदूरों के पलायन के कारण व्यापार एवं उद्योग धंधे को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, कोरोना-19 के संक्रमण के डर के कारण ग्राहक भी बिलकुल बाजार में नहीं आ रहा है। खंडेलवाल ने कहा कि देशभर के व्यापारी अपने व्यापार और कारोबार को लेकर बेहद चिंतित है।
खंडेलवाल ने कहा की दिल्ली में लगभग 30 लाख मजदूर व्यापारियों के यहां काम करते थे और ज्यादातर दिल्ली में प्रवासी मजदूर थे। इन मजदूरों में से लगभग 26 लाख मजदूर अपने गांव को चले गए। वहीं, लगभग 4 लाख मजदूर दिल्ली के स्थानीय निवासी हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में मजदूर व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर काम के लिए नहीं आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि दरअसल दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में ग़ाज़ियाबाद, नोएड,फरीदाबाद,गुडगांव, बल्लबगढ़, सोनीपत रहने वाले लगभग 4 लाख मजदूर प्रतिदिन दिल्ली आते हैं जो वर्तमान में राज्यों के बॉर्डर पर जारी प्रतिबंध की वजह से दिल्ली नहीं आ पा रहे हैं।
खंडेलवाल ने कहा कि मजदूरों की कमी और ग्राहकों के बाजार में न आने के कारण से व्यापारियों का व्यापार बिलकुल न के बराबर चल रहा है। यदि यही हाल रहा तो राजधानी दिल्ली के व्यापार बड़ी गिरावट आएगी, जिसका सीधा असर केंद्र एवं राज्य को जाने वाले जीएसटी के कर संग्रह पर पड़ेगा। खंडेलवाल ने कहा कि लगभग यही स्तिथि देश के हर राज्य में है। कैट महामंत्री ने कहा कि ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार को अविलंब राज्य सरकारों से बातचीत कर मजदूरों को वापस लाने के लिए एक ठोस योजना बनानी चाहिए। यदि मजदूर वापस काम पर नहीं लौटे तो व्यापार एवं उद्योग धंधा कोरोना के बाद एक बड़े दुष्चक्र में फंस जाएगा। (एजेंसी, हि.स.)
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ को देखते हुए खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने ‘स्थानीय से वैश्विक’ का कदम उठाया है। कोविड- 19 वैश्विक महामारी के दौरान फेस मास्क की अत्यधिक मांग को देखते हुए केवीआईसी ने दो स्तरीय और तीन स्तरीय कॉटन के साथ‑साथ सिल्क फेस मास्क को विकसित किया है, जो पुरुषों के लिए दो रंगों में और महिलाओं के लिए कई रंगों में उपलब्ध है।
केवीआईसी को अब तक 8 लाख फेस मास्क की आपूर्ति के ऑर्डर प्राप्त हो चुके हैं और लॉकडाउन अवधि के दौरान 6 लाख से ज्यादा फेस मास्क की आपूर्ति की जा चुकी है। केवीआईसी को राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय, केंद्र सरकार के मंत्रालयों, जम्मू-कश्मीर सरकार से ऑर्डर प्राप्त हुए हैं और आम नागरिकों द्वारा ईमेल के माध्यम से ऑर्डर मिले हैं। फेस मास्क की बिक्री करने के अलावा पूरे देश में खादी संस्थानों द्वारा जिला प्राधिकरणों को 7.5 लाख से ज्यादा खादी के फेस मास्क मुफ्त में बांटे गए हैं।
केवीआईसी की योजना दुबई, अमेरिका, मॉरीशस और कई यूरोपीय और मध्य पूर्व देशों में खादी फेस मास्क की आपूर्ति करने की है, जहां पर पिछले कुछ वर्षों में खादी की लोकप्रियता काफी बढ़ी है। केवीआईसी की योजना इन देशों में भारतीय दूतावासों के माध्यम से खादी फेस मास्क बिक्री करने की है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा सभी प्रकार के गैर‑सर्जिकल मास्क के निर्यात पर प्रतिबंध हटा लेने से केवीआईसी अब विदेशों में खादी कॉटन और रेशम फेस मास्क के निर्यात की संभावनाओं का पता लगा रहा है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की ओर से इस संदर्भ में 16 मई को अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।
केवीआईसी के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि खादी फेस मास्क का निर्यात, ‘स्थानीय से वैश्विक’ होने का सबसे बढ़िया उदाहरण है। सक्सेना का कहना है कि प्रधानमंत्री की अपील के बाद हाल के वर्षों में खादी के कपड़े और अन्य उत्पादों की लोकप्रियता पूरी दुनिया में काफी बढ़ी है। खादी फेस मास्क के निर्यात से उत्पादन में गतिशीलता आएगी और अंतत भारत में कारीगरों के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि फेस मास्क कोरोना महामारी से निपटने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपकरणों में से एक है। खादी फैब्रिक से तैयार ये डबल ट्विस्टेड मास्क न केवल गुणवत्ता और मांग के पैमाने पर खरे उतरते हैं बल्कि वे लागत प्रभावी, सांस लेने में उपयुक्त, धोने योग्य, पुन: उपयोग करने योग्य और बायो-डिग्रेडेबल हैं।
इन मास्क के निर्माण में केवीआईसी द्वारा विशेष रूप से डबल ट्विस्टेड खादी कपड़े का उपयोग किया जा रहा है, क्योंकि यह नमी की मात्रा को अंदर तक बनाए रखने में मददगार साबित होता है और हवा को अंदर जाने देने के लिए एक आसान मार्ग प्रदान करता है। इन मास्क को जो बात विशेष रूप से खास बनाती है। वह हाथ से बुने हुए कॉटन और सिल्क के कपड़े हैं। कॉटन एक मैकेनिकल अवरोधक के रूप में जबकि रेशम एक इलेक्ट्रोस्टैटिक अवरोधक के रूप में काम करता है।