ईश्वर दुबे
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अंबिकापुर । जेएनयू में मारपीट की घटना के बाद आहत छात्रों से मिलने गई फिल्म एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण को लेकर सोशल मीडिया में किए जा रहे अनर्गल पोस्ट के बाद कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव ने दीपिका के समर्थन में शुक्रवार को नगर के एक सिनेमा हॉल में सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ 'छपाक' फिल्म देखने की योजना बनाई है। कल दोपहर 12 बजे कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव के साथ कांग्रेस के बड़े पदाधिकारी और सैकड़ों कार्यकर्ता फिल्म देखने जाएंगे। मंत्री सिंहदेव के इस निर्णय को कांग्रेस पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने स्वागत करते हुए एक साथ फिल्म छपाक देखने की तैयारी की है।
मनेन्द्रगढ़ रोड स्थित सिनेमा हॉल को पहले से बुक भी करा लिया गया है ताकि सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ता फिल्म देखने जाए तो अव्यवस्था की स्थिति निर्मित न हो। गौरतलब है कि दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में पिछले दिनों छात्रों के बीच हुए संघर्ष के बाद जेएनयू के कई छात्र आहत हुए हैं जिनका हाल जानने छपाक फिल्म की अभिनेत्री दीपिका पादुकोण पहुंची तो इसको लेकर सोशल मीडिया में अनर्गल पोस्ट शुरू हो गए।
दीपिका के खिलाफ किए जा रहे पोस्ट को लेकर लोग तीखी तीखी प्रतिक्रियाएं भी देने लगे हैं। इसी बीच छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री सिंहदेव द्वारा सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ फिल्म देखने जाने के निर्णय की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
विधायक विकास उपाध्याय ने भी लोगों में जनजागरूकता लाने का बीड़ा उठाया
दीपिका की फिल्म छपाक को टैक्स फ्री घोषित किए जाने के बाद कांग्रेस के कई नेता लोगों से इस जनजागरूकता भरी फिल्म को देखने की अपील कर रहे हैं। इसी कड़ी में रायपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के विधायक विकास उपाध्याय ने भी लोगों में जनजागरूकता लाने का बीड़ा उठाया है। वे अपने समर्थकों के साथ आज इस फिल्म को देखने आएंगे, साथ ही बूढ़ा तालाब स्थित श्याम टाकिज में ज्यादा से ज्यादा लोगों से इस फिल्म को देखने की अपील करेंगे। उन्होंने कहा कि तेजाब हमले से पीड़ित महिला के व्यथा को प्रदर्शित करती, महिला सशक्तिकरण से ओत-प्रोत दीपिका पादुकोण अभिनीत चर्चित फिल्म 'छपाक" को छत्तीसगढ़ के संवेदनशील मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा टैक्स-फ्री करने का निर्णय सराहनीय है।
लोकलुभावन खर्चों के खिलाफ प्रभावी कानून बनाने का किया आह्वान
हैदराबाद। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने पैसे की बढ़ती ताकत से देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीति की घटती विश्वसनीयता पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए इसे रोकने के लिए संसद में जल्दी प्रभावी कानून बनाने और एक साथ चुनाव कराने का आह्वान किया है। गुरुवार को हैदराबाद में, हैदराबाद विश्वविद्यालय, भारत इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी तथा फाउंडेशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से 'मनी पॉवर इन पॉलीटिक्सÓ विषय पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए नायडू ने मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनीतिक दलों और सरकारों द्वारा पैसे के बेलगाम खर्च के कारणों और परिणामों पर विस्तार से बात की।
उन्होंने कहा कि आज सच्चाई यह है कि कम आमदनी वाले किसी ईमानदार और अधिक योग्य भारतीय नागरिक की कीमत पर किसी लखपति के पास सांसद या विधायक बनने के मौके ज्यादा हैं। उन्होंने इस संदर्भ में मौजूदा लोकसभा के 475 सांसदों की जांच में पायी गयी करोड़ों रूपए की संपत्ति का जिक्र करते हुए कहा कि यह 533 सांसदों की कुल संपत्ति का 88 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक की दो भयावह विकृतियों का समाधान राजनीतिक व्यवस्था द्वारा तत्काल किए जाने की जरूरत है। इसमें पहला चुनाव और राजनीति में बेहिसाब पैसे की ताकत का दुरुपयोग है जो अक्सर अवैध और गैर कानूनी होता है, और दूसरा बुनियादी सुविधाओं, बुनियादी ढांचे, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल, विकास और नौकरी के अवसरों को सुनिश्चित करने के दीर्घकालिक लक्ष्यों का प्रचार कर अल्पकालिक लाभ पाने के लिए सरकारों द्वारा मतदाताओं को लुभाने की बढ़ती कोशिश है।Ó
उन्होंने चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा किये जाने वाला बेहिसाब खर्च पर अफसोस जताते हुए कहा कि यह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है, इससे चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता भी घटती है और शासन की गुणवत्ता को खतरा बना रहता है। उन्होंने राजनीति में ईमानदार तथा ज्यादा योग्य लोगों को आने से रोकने के लिए अमीरों द्वारा खड़ी की जाने वाली बाधाओं का जिक्र करते हुए कहा कि इस समस्या से निबटने के लिए राजनीतिक दलों द्वारा चंदा जुटाने, अपने कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने तथा अपने उम्मीदवारों के लिए चुनावी खर्च जुटाने जैसी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए सख्त आचार संहित बनाई जानी चाहिए।
नायडू ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के राजनीतिक दलों से आग्रह करते हुए कहा कि वे लोकतांत्रिक राजनीति की पारदर्शिता के हित में वित्तीय रूप से जवाबदेह होने से कतराएं नहीं। उन्होंने कहा मेरा सुझाव है कि संसद को राजनीतिक दलों के खातों को सार्वजनिक करने के लिए उचित और कार्रवाई योग्य नियामक उपायों के माध्यम से राजनीति में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक कानून बनाने के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि कई अन्य लोकतांत्रिक देशों में ऐसी व्यवस्थाए जिसके तहत राजनीतिक दलों के खातों की नियमित रूप से लेखा जांच की जाती है।
उन्होंने कहा कि सरकारों द्वारा चुनावी लाभ के लिए अल्पअवधि की जो लोकलुभावनी घोषणाएं की जाती हैं वह दरअसल उनके मुख्य काम काज की कीमत पर की जाती हैं। इससे गरीब और मध्यमवर्ग को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है। उन्होंने अर्थशास्त्रियों, सामाज शास्त्रियों, मीडिया और नागरिक समाज से आग्रह किया कि वे छोटे समय के लिए आमदनी बढ़ाने और दीर्घकालिक विकास और गरीबी उन्मूलन के उद्देश्यों के बीच एक उचित संतुलन खोजने के लिए सक्षम तंत्र विकसित करें।
उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटे पर लगाम लगाने वाले राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम की तर्ज पर उपयुक्त कानून बनाने पर विचार करने का समय आ गया है। यदि ऐसा हो सका तो शायद, सभी राजनीतिक दलों को समान अवसर मिल सकेगा जिससे लोकलुभावन घोषणाओं पर लगाम लगायी जा सकेगी।
वर्ष 1967 के बाद से देश में आमतौर पर बार-बार कराए जाने वाले चुनावों को देखते हुए चुनाव सुधारों के नाम पर सरकार द्वारा चुनावों का खर्च उठाने और एक साथ चुनाव कराए जाने के प्रस्ताव पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने पर गंभीरता से विचार करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दलों को ऐसी आंशका है कि एक साथ चुनाव कराए जाने से ऐसे राजनीतिक दलों को लाभ हो सकता है जिनके पास करिश्माई नेतृत्व और बड़ा जनाधार है। उन्होंने कहा कि ऐसी आशंका निराधार है क्योंकि भारतीय मतदाता अब काफी परिपक्व हो चुका है।
नायडू ने कहा कि सरकार द्वारा चुनाव का खर्च उठाने का प्रस्ताव दोधारी तलवार की तरह है। इसे लागू करने के पहले कई पहलुओं पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।
नायडू ने कहा कि पिछले 70 वर्षों में लोकतंत्र ने देश में गहरी जड़ें जमा ली है, लेकिन इसमें 'गुणवत्ता की कमीÓ देखी जा रही है। इसे दूर करने के लिए चुनाव में पैसे के दुरूपयोग और जाति तथा धर्म के आधार पर मतदान जैसी खराबियों से निपटना होगा। उन्होंने मतदाताओं से पैसे के लालच में आकर मतदान न करने का आह्वान करते हुए कहा कि यह अपने मूल्यों के साथ समझौता करने जैसा है। साथ ही यह चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को खत्म करता है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि 2022 में देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाये जाने के पहले राजनीति में पैसे की ताकत के इस्तेमाल को रोकने के लिए प्रभावी उपाय कर लिये जाएंगे। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे चरित्र, स्वभाव, क्षमता और योग्यता के आधार पर अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करें।
सम्मेलन में फाउंडेशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म के महासचिव डॉ. जयप्रकाश नारायण, भारत इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी तथा हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों के अलावा कई गणमान्य लोग भी उपस्थित थे।
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कांग्रेस की कुछ राज्यों में सत्ता में वापसी के बावजूद इस वर्ष होने वाले द्विवार्षिक राज्यसभा चुनाव में उसकी स्थिति कमजोर होगी। इस साल कांग्रेस की 17 सीटें खाली हो रही हैं, लेकिन दस सीट भी मिलना मुश्किल हैं। दरअसल, कांग्रेस की खाली होने वाली ज्यादातर सीटें अन्य दलों और भाजपा शासित राज्य हैं। उत्तराखंड, ओडिशा, यूपी, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश से रिटायर हो रहे सदस्यों की वापसी नामुमकिन है। कांग्रेस को छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान से अतिरिक्त सीटें मिलने की उम्मीद है।
मोतीलाल वोरा, दिग्विजय सिंह, बीके हरिप्रसाद, राजबब्बर, राजीव गौड़ा, मधुसूदन मिस्त्री, पीएल पूनिया, कुमारी शैलजा जैसे नेता वापसी की कोशिश करेंगे। जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया, केसी वेणुगोपाल, मल्लिकार्जुन खरगे, प्रमोद तिवारी, राजीव शुक्ला, रणदीप सुरजेवाला जैसे नेता कांग्रेस शासित राज्यों से राज्यसभा पहुंचने की लाइन में हैं। कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में दो-दो सीटें मिलेंगी, वहीं झारखंड में खाली हो रही दो सीटों में एक पर कांग्रेस दावा जरूर कर सकती है।
ये सीटें जाएंगी हाथ से
यूपी से राज्यसभा सांसद पीएल पूनिया नवंबर में रिटायर होंगे। राज्य में कांग्रेस के नौ विधायक हैं, ऐसे में ये सीट खोनी पड़ेगी। उत्तराखंड से राजबब्बर का टर्म भी पूरा हो रहा है। यहां भी कांग्रेस को सीट नहीं मिलेगी। वहीं हिमाचल और ओडिशा में भी सीट गंवानी पड़ेगी। कर्नाटक से भी रिटायर हो रहे दो सदस्यों में जेडीएस के समर्थन के बिना एक भी सीट पर वापसी संभव नहीं है।
राजस्थान में खुलेगा खाता
राजस्थान में अप्रैल में तीन सीट एक साथ खाली होंगी। यहां अभी तक तीनों राज्यसभा सीटें भाजपा की हैं। कांग्रेस को दो सीटें मिल सकती हैं, जबकि तीसरे के लिए भाजपा और कांग्रेस में खींचतान होगी।
नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने भारत और फ्रांस के बीच आवागमन और स्वतंत्र गतिशीलता साझेदारी समझौते के लिए मंज़ूरी दे दी है। इस समझौते पर भारत में फ्रांस के राष्ट्रपति की आधिकारिक यात्रा के दौरान मार्च 2018 में हस्सताक्षर किए गए थे।
समझौते में दोनों देशों के लोगों के बीच सीधा संपर्क बढ़ाना, छात्रों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं एवं कुशल पेशेवरों के आवागमन को प्रोत्साहन देना और अनियमित आवागमन एवं मानव तस्करी के मुद्दे पर सहयोग मजबूत करना शामिल है। यह समझौता फ्रांस के साथ भारत के बहुपक्षीय संबंधों में तेजी से विस्तार लाने का प्रमाण है और दोनों देशों के बीच बढ़ते विश्वास और भरोसे का प्रतीक भी है।
यह समझौता शुरु में 7 साल की अवधि के लिए वैध है। समझौते में स्वत: नवीनीकरण का प्रावधान और एक संयुक्त कार्य समूह के जरिए इस पर निगरानी रखने की व्यस्था है।
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मुंबई ,महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे से मुलाकात की है. दोनों नेताओं की यह मुलाकात मुंबई में हुई है. दोनों की बैठक करीब डेढ़ घंटे तक हुई. इस मुलाकात के बाद अब महाराष्ट्र में नए राजनीतिक समीकरण की चर्चाएं हो रही हैं.
इस वजह से लग रहे हैं कयास
दोनों नेताओं के बीच इतनी लंबी चली बातचीत के बाद अब कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी मनसे से हाथ मिला सकती है. ये कयासबाजी इसलिए भी तेज है क्योंकि शिवसेना अब बीजेपी से अलग हो चुकी है और उसे महाराष्ट्र में गठबंधन के दलों यानी कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी से मुकाबले के लिए मनसे की जरूरत पड़ सकती है.
पहले इस जगह दिखी थी निकटता
महाराष्ट्र के पालघर में होने वाले जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव के दौरान वहां कुछ बैनर लगे थे जिसमें मनसे और बीजेपी की नददीकियां नजर आ रही थीं. आपको बता दें कि पालघर में कुछ बैनर लगे थे जिसमें पीएम मोदी और मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे एक साथ दिखाई दे रहे थे.
शपथ ग्रहण में पहुंचे थे राज ठाकरे
मनसे नेता राज ठाकरे ने आज महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की है. लेकिन आपको बता दें कि राज ठाकरे राज्य में गैर बीजेपी सरकार बनने के बाद उद्धव ठाकरे के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने भी गए थे. हालांकि जब विधानसभा में उद्धव सरकार का बहुमत परीक्षण हो रहा था तो महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के विधायक ने सरकार के पक्ष में वोट नहीं किया था. हालांकि उस वक्त मनसे विधायक राजू पाटिल तटस्थ रहे थे. यहां आपको बता दें कि तटस्थ रहने का मतलब किसी भी पक्ष में वोट नहीं डालना है.
नई दिल्ली । बॉलीवुड की सबसे सुंदर और असाधारण अभिनय करने वाली स्टार अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के जेएनयू जाने को लेकर उठे विवाद के बीच सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को कहा कि सिर्फ कलाकार ही क्यों, कोई भी आम आदमी अपने विचार प्रकट करने के लिए कहीं भी जा सकता है और इसमें कहीं कोई आपत्ति नहीं हो सकती। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जावड़ेकर ने संवाददाताओं के सवाल के जवाब में कहा, ‘यह लोकतांत्रिक देश है। कोई कलाकार ही क्यों, कोई भी सामान्य व्यक्ति कहीं जा सकता है, अपनी राय रख सकता है। इसमें कोई आपत्ति नहीं, कभी किसी ने आपत्ति की भी नहीं।’ इस बारे में कई सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं भाजपा का मंत्री भी हूं और प्रवक्ता भी और मैं यह बात कह रहा हूं।
बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रों पर हुए हमले के बाद अपनी एकजुटता दिखाने के लिए मंगलवार को जेएनयू पहुंची लेकिन उन्होंने वहां मौजूद लोगों को संबोधित नहीं किया। 34 वर्षीय अभिनेत्री दीपिका पादुकोण राष्ट्रीय राजधानी में अपनी आगामी फिल्म ‘छपाक’ के प्रचार के लिए आईं थी। उनके जेएनयू जाने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गई जब एक वर्ग ने इसकी आलोचना की जबकि दूसरे वर्ग ने इसे सराहा। बहरहाल, जावड़ेकर ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि देश के किसी हिस्से में कहीं भी हिंसा हो, तब हम उसकी भर्त्सना करते हैं। हमारा परिपक्व लोकतंत्र है और सभी को अपनी राय रखने का अवसर है। इसलिये हिंसा का देश में कोई स्थान नहीं है।
सूचना प्रसारण मंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय ऐसा स्थान होता है जहां लोग पढ़ने जाते हैं, ऐसे में हिंसा का वहां कोई स्थान नहीं है। जावड़ेकर ने कहा कि जेएनयू में सेमेस्टर का पंजीकरण का कार्य शुरू हुआ था और सभी छात्र यह कर रहे थे। तब कुछ छात्र संघों ने तय किया कि इसे नहीं होने देंगे। सभी ने देखा कि किस तरह से सर्वर को ब्लाक किया गया। यह शिक्षा विरोधी कार्य है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि छात्रों को सेमेस्टर के लिये पंजीकरण कराने से रोकना शिक्षा विरोधी कार्य है। जेएनयू हिंसा के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘हिंसा में कौन शामिल हैं, इसकी पुलिस जांच कर रही है। सभी नकाबपोश, बेनकाब होंगे।
मुंबई। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विरोधी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) चीफ राज ठाकरे से मुलाकात की। दोनों के बीच मंगलवार को करीब दो घंटे तक बैठक चली। दोनों के बीच क्या बातचीत हुई, यह तो स्पष्ट नहीं हैं लेकिन इस मुलाकात से महाराष्ट्र में नए समीकरण की चर्चाएं तेज हो गई हैं। बीजेपी और एमएनएस के बीच संभावित गठबंधन की अटकलों का बाजार गर्म है। सूत्रों के अनुसार, फडणवीस ने मुंबई के प्रभादेवी इलाके में ठाकरे से मुलाकात की। बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एमएनएस चीफ राज ठाकरे के निशाने पर रहे। यही नहीं अपनी बात को साबित करने के लिए राज ठाकरे ने रैलियों में मल्टिमीडिया प्रजेंटेशन का भी इस्तेमाल किया था। ऐसे में इस मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनने के बाद राज ठाकरे ठोस राजनीति की नई जमीन तलाशने में जुटे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि शिवसेना के अलग होने के बाद से ही राज ठाकरे ने बीजेपी से बातचीत शुरू कर दी थी। एमएनएस चीफ बीजेपी के हाथ मिलाकर महाविकास अघाड़ी के जवाब में हिंदुत्व विचारधारा की राजनीति की जमीन तैयार कर सकते हैं।
एबीवीपी को क्लीन चिट?
नई दिल्ली। दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में हुई हिंसा की दिल्ली पुलिस अभी जांच ही कर रही है, लेकिन मोदी सरकार में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी का कोई कार्यकर्ता या नेता इस तरह की हिंसा में विश्वास नहीं रखता है।
गौरतलब है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) भाजपा की विचारधारा से जुड़ा संगठन है, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी शांति में विश्वास रखती है, कानून में विश्वास रखती है। भाजपा का कोई नेता इस प्रकार की घटना में शामिल नहीं हो सकता है। ये काम कम्युनिस्ट, कांग्रेस और अरविंद केजरीवाल जैसे लोग करते हैं। केंद्रीय मंत्री के इस बयान को एबीवीपी को दी गई क्लीन चिट के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि सवाल इसपर भी खड़े हो रहे हैं कि जब अभी दिल्ली पुलिस के द्वारा इस मामले की जांच चल ही रही है, तो फिर इस तरह कोई केंद्रीय मंत्री किस किसी भी संगठन को क्लीन चिट कैसे दे सकते हैं। वो भी तब जब अभी तक किसी एक आरोपी की पहचान नहीं हुई है और एबीवीपी शक के घेरे में है।
दिल्ली पुलिस की जांच जारी
दूसरी ओर दिल्ली पुलिस की तरफ से रविवार को हुई जेएनयू हिंसा की जांच शुरू हो गई है। शुरुआती जांच में पुलिस को पता लगा है कि नकाबपोश हमलावरों में एबीवीपी और लेफ्ट के कार्यकर्ता दोनों ही शामिल थे। अभी पुलिस की तरफ से कुछ व्हाट्सएप चौट खंगाले जा रहे हैं, इसके अलावा वीडियो फुटेज के जरिए उन लोगों की भी पहचान की जा रही है जो हिंसा में शामिल थे। मंगलवार को दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की टीम जेएनयू कैंपस में पहुंचीं और जांच टीम की अगुवाई कर रहीं ज्वाइंट सीपी शालिनी सिंह भी जेएनयू परिसर में हालात का जायजा लिया। क्राइम ब्रांच की टीम यहां छात्रों, गार्ड और शिक्षकों का बयान दर्ज करेगी।
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गृहमंत्री ने पीएम मोदी पर केन्द्रित लिखी पुस्तक कर्मयोद्धा ग्रंथ का विमोचन किया
नईदिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नरेंद्र मोदी पर लिखी पुस्तक 'कर्मयोद्धा ग्रंथ का विमोचन करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी संवेदनशील व्यक्ति, कठोर प्रशासक और निडर सेनापति हैं तथा उन्होंने सदैव 'राजा प्रथमो सेवकÓ के मंत्र पर काम किया है। शाह का कहना था कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर पिछले 6 साल में एक भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं है जो कार्यकर्ताओं के लिए गौरव का विषय है। उनका कहना था कि नरेंद्र मोदी ने राज्यों को 10 प्रतिशत ज्यादा बजट देकर उनका अधिकार दिया जो पंडित दीनदयाल के अंत्योदय के संकल्प को चरितार्थ करता है।
अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने 13 करोड़ घरों को गैस चूल्हा देने का काम किया है, अगर यह काम पश्चिम के देशों ने किया होता तो वाह-वाही होती पर मोदी इस बात की परवाह नहीं करते और निस्वार्थ भाव से सिर्फ काम करते हैं। उनका यह भी कहना था कि नरेंद्र मोदी ने घर-घर में बिजली पहुंचाने का काम किया। शाह ने बताया किशौचालय बनवाने का काम पूर्ण हो चुका है, सबको बैंक खाता मिल चुका है और 2022 तक सबको घर मिले इस बात पर काम किया जा रहा है। शाह का कहना था कि आयुष्मान योजना के तहत लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
उन्होंने कहा कि पूर्व में तीन भ्रांतियां थी जिसमें मुख्यतय: उद्योगों के साथ किसान का विकास, शहर के साथ गांव का विकास और चुने हुए सरकार प्रतिनिधि चला रहे हैं या बाबू, यह तीनों मिथक नरेंद्र मोदी ने समाप्त किए और सर्व-स्पर्शी, सर्व-समावेशी विकास का उदाहरण प्रस्तुत किया। शहरी विकास, ग्रामीण-विकास, शिक्षा, आरोग्य आदि सभी क्षेत्रों में काम कियातथाभ्रष्टाचारशून्य शासन कैसा होगा उसकी नींव रखने का काम किया।
शाह ने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी ने विदेश नीति में उल्लेखनीय काम किया और सभी राष्ट्रों के साथ समानता के साथ व्यवहार किया है। भारतीय डायस्पोरा को जगाने का काम किया और जहां भी भारतीय मूल के लोग हैं उन्हें भारत के विकास से जोडऩे का काम किया। शाह का कहना था कि नरेंद्र मोदी ने देश की सुरक्षा नीति को मजबूत किया हैतथाउरी और पुलवामा हमलों के बाद सर्जिकल तथा एयर स्ट्राइक कर दुनिया को कड़ा संदेश दिया।
शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने वर्षो से लंबित मुद्दों का समाधान किया जिनमें धारा 370 35ए, राम मंदिर और नागरिकता का मुद्दा इत्यादि शामिल हैं और उन्होंने जनता को यह दिखाया कि चुनाव के दौरान दिए गए घोषणापत्र पर गंभीरता से काम किया जा सकता है।उनका कहना था कि नरेंद्र मोदी ने तुष्टीकरण, जातिवाद और परिवारवाद के नासूर को खत्म कर विकास को आधार बनाकर काम किया है। उनका कहना था कि नरेंद्र मोदी ने दुनिया को हिंदी सुना कर भारत की राजभाषा और मातृभाषा का सम्मान किया है।
उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी को जानने के लिए उनकी पृष्ठभूमि जानना जरूरी है। उन्होंने गरीबी, अभाव, अवहेलना सहन करते हुए राष्ट्रभक्ति से देश की सेवा करने का काम किया है और आज त्याग, समर्पण तथा सेवाभाव के साथ देश के लिए कार्य कर रहे हैं। शाह का कहना था कि नरेंद्र मोदी ने खुद कटुता सहन की है पर उनका प्रयास रहता है कि भारत के किसी बच्चे को कटुता सहन न करनी पड़े।शाह ने बताया कि नरेंद्र मोदी के साथ काम करने का अलग अनुभव है।
उन्होंने कहा कि 2001 से 2014 तक गुजरात की सरकार ने सम-विकास को दर्शाया जिसमें समाज के हर वर्ग का विकास स्पर्श करता था और आज वही माडल देश में काम कर रहा है। लोकतंत्र में लोक-संवाद को चरितार्थ करने का काम मोदी के नेतृत्व में किया गया। उनका कहना था कि लोक तंत्र में सफल शासन का प्रमाण जन-स्वीकृति होती है और बार-बार लोकतांत्रिक जनादेश मोदी को मिल रहा है जो उनकी जन-स्वीकृति का प्रमाण है।
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मुंबई. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंगलवार शाम रतन टाटा और मुकेश अंबानी समेत देश के प्रमुख उद्योगपतियों से मुलाकात की। उन्होंने भरोसा दिया कि महाराष्ट्र से अब कोई इंडस्ट्री शिफ्ट नहीं होगी। कोई प्रोजेक्ट नहीं रुकेगा, बल्कि उन्हें तेजी से लागू किया जाएगा। ठाकरे ने कहा कि सरकार बड़े, मध्यम और छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए हर जरूरी कदम उठाएगी। इससे 2025 तक राज्य को एक ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का रास्ता निकलेगा। बता दें यह आश्वासन इसलिए अहम है क्योंकि महाराष्ट्र सरकार ने पिछले महीने बुलेट ट्रेन जैसे बड़े प्रोजेक्ट की समीक्षा के आदेश दिए थे।
उद्यमियों ने परियोजनाओं में देरी होने पर चिंता जताई
मुख्यमंत्री बनने के बाद उद्धव की उद्योगपतियों के साथ यह पहली बैठक थी। इसमें रतन टाटा और मुकेश अंबानी के साथ ही गौतम सिंघानिया, आदि गोदरेज, दीपक पारेख, आनंद महिंद्रा, सज्जन जिंदल, उदय कोटक, निरंजन हीरानंदानी और बाबा कल्याणी समेत अन्य कारोबारी मौजूद थे। महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने कहा कि मीटिंग में प्रमुख कारोबारियों ने प्रोजेक्ट्स में देरी पर अपनी-अपनी चिंताएं रखीं और सुझाव भी दिए।
उद्धव ठाकरे के साथ मुकेश अंबानी और आनंद महिंद्रा।
रतन टाटा से मिलते हुए उद्धव ठाकरे।
देसाई ने कहा कि इस बैठक के फैसलों पर प्रगति की तीन महीने में समीक्षा की जाएगी। इंडस्ट्री के साथ भविष्य में भी इस तरह की चर्चाएं होती रहेंगी। दूसरी ओर पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे ने मुंबई को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा के विकास की योजनाएं भी इंडस्ट्री की मदद से लागू की जा सकती हैं।
बारह करोड़ की आबादी वाले महाराष्ट्र का देश की अर्थव्यवस्था में अहम स्थान है। यह देश की जीडीपी में सबसे ज्यादा योगदान वाले राज्यों में शामिल है। महाराष्ट्र में लगभग सभी सेक्टर की इंडस्ट्री हैं। ठाकरे की बैठक में शामिल प्रमुख उद्योगपतियों के साथ सोमवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मुलाकात की थी। मोदी ने जीडीपी ग्रोथ और रोजगार बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की थी।
मुंबई: मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया पर जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) कैंपस के भीतर रविवार को हुई हिंसा को लेकर विरोध कर रहे छात्रों के बीच एक पोस्टर ऐसा दिखा, जिसके बाद राजनैतिक गलियारे में विवाद उठ गया है. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे की सरकार पर सवाल उठाया है. इस मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर न्यूज एजेंसी एएनआई का वीडियो शेयर करते हुए सवाल उठाया है.
देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे कार्यालय के ट्विटर अकाउंट को टैग करते हुए लिखा, ''विरोध वास्तव में क्या है? 'फ्री कश्मीर' के नारे क्यों? हम मुंबई में ऐसे अलगाववादी तत्वों को कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं? मुख्यमंत्री कार्यालय से सिर्फ 2 किमी दूर पर आज़ादी गैंग द्वारा 'फ्री कश्मीर' के नारे? उद्धव जी क्या आप इस 'फ्री कश्मीर विरोधी भारत अभियान' को अपनी नाक के नीचे बर्दाश्त करेंगे?''
बता दें कि हिंसा के विरोध में रविवार रात से मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया पर आंदोलन कर रहे छात्रों को पुलिस ने मंगलवार की सुबह जबरन हटाया है. इन छात्रों को जबरदस्ती उठा उठाकर पुलिस की गाड़ी में डाला गया. प्रदर्शन कर रहे लोगों को पुलिस ने आज़ाद मैदान शिफ्ट कर दिया है. पुलिस की दलील है कि गेटवे ऑफ इंडिया में प्रदर्शन के चलते ट्रैफिक की समस्या आ रही थी. आपको बता दें कि JNU में हिंसा के विरोध में रविवार रात से ही गेटवे ऑफ इंडिया पर लोग प्रदर्शन कर रहे थे, जिसमें छात्र, फिल्म जगत से जुड़े लोग भी शामिल थे.
नई दिल्ली । दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले एबीपी न्यूज-सी वोटर के ऑपिनियन पोल में दिल्ली में एक बार फिर आम आदमी पार्टी की जबरदस्त जीत की भविष्यवाणी की गई है।
एबीपी न्यूज-सी वोटर के सर्वे के मुताबिक 70 विधानसभा सीटों वाली दिल्ली में आम आदमी पार्टी पिछली बार की ही तरह एकतरफा जीत हासिल कर सकती है। आप को 70 में से 59 सीटें मिल सकती हैं जो पिछली बार की 67 सीटों के मुकाबले 8 कम है। पिछली बार 3 सीट जीतने वाली बीजेपी के इस बार भी दहाई का आंकड़ा नहीं छूने का अनुमान है। उसे 8 सीटें मिल सकती हैं जो पिछली बार से 5 ज्यादा है। पिछली बार खाता तक नहीं खोल पाने वाली कांग्रेस के इस बार भी निराशाजनक प्रदर्शन का अनुमान है। सर्वे के मुताबिक कांग्रेस इस बार खाता खोलते हुए 3 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है। 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में बहुमत के लिए 36 सीटों की जरूरत है।
बात अगर वोट शेयर की करें तो सर्वे के मुताबिक आम आदमी पार्टी को दिल्ली में पड़ने वाले कुल वोटों में अकेले आधे से ज्यादा वोट मिलेंगे। आप को 53.3 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान जताया गया है। 2019 लोकसभा चुनाव में दिल्ली में जबरदस्त प्रदर्शन करने वाली बीजेपी को वोट शेयर के मामले में जबरदस्त नुकसान झेलना पड़ सकता है। उसे 25.9 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है। सर्वे के मुताबिक कांग्रेस सिर्फ 4.7 प्रतिशत वोट ही जुटा पाएगी।
ऑपिनियन पोल के मुताबिक दिल्ली में मुख्यमंत्री पद के लिए अरविंद केजरीवाल बड़े अंतर से जनता की पहली पसंद हैं। दिल्ली की सभी 70 सीटों पर हुए सर्वे के मुताबिक सीएम पद के लिए केजरीवाल 70 प्रतिशत लोगों की पसंद हैं। सर्वे में हिस्सा लेने वाले 11 प्रतिशत लोगों ने सीएम पद के लिए केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता हर्षवर्धन, 7 प्रतिशत ने कांग्रेस नेता अजय माकन और 1 प्रतिशत ने दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी को अपनी पहली पसंद बताया। सर्वे के नतीजों को माने तो साफ है कि केजरीवाल को दूर-दूर तक कोई टक्कर नहीं मिल रही है।
गुवाहाटी. वरिष्ठ कांग्रेस नेता और असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने पीएम मोदी को हिंदू जिन्ना करार दिया है. गोगोई ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी भी भारत का धर्म के आधार पर विभाजन करने वाले मोहम्मद अली जिन्ना की टू नेशन थिअरी को फॉलो कर रहे हैं.
गोगोई ने नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई हिंसा की निंदा की. उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री आरोप लगाते हैं कि हम (कांग्रेस) पाकिस्तान की भाषा बोलते हैं, मगर उन्होंने खुद को ही पड़ोसी देश के स्तर तक गिरा लिया है. वह जिन्ना के दो राष्ट्र सिद्धांत की तरफ बढ़ रहे हैं और भारत के हिंदू जिन्ना के रूप में उभरे हैं.
उन्होंने कहा कि जिस तरह नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए हैं, वह दिखाता है कि लोगों ने बीजेपी और उसके सहयोगी संगठनों के हिंदुत्व के विचार को खारिज किया है. गोगोई ने कहा, हम हिंदू हैं, मगर अपने देश को हिंदू राष्ट्र बनते नहीं देखना चाहते हैं. विरोध करने वाले लोगों में ज्यादातर हिंदू हैं, जो बीजेपी और आरएसएस के हिंदुत्व को ठुकरा चुके हैं.
नईदिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव कार्यक्रम के एलान का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) चुनाव शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली,पानी और कच्ची कालोनियों में उनकी सरकार के किए गए विकास कार्यों पर लड़ेगी। चुनाव आयोग के दिल्ली विधानसभा कार्यक्रम की सोमवार को घोषणा के बाद केजरीवाल ने मीडिया से बातचीत में कहा, 70 साल में ये पहला चुनाव होगा जो स्कूल और अस्पताल के नाम पर होगा। दिल्ली का चुनाव शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क , बिजली, पानी और कच्ची कालोनियों में किए विकास कार्यों पर होगा।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान आठ फरवरी को होगा और वोटों की गिनती 11 फरवरी को की जाएगी। आप के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा, 70 साल में किसी मुख्यमंत्री ने नहीं कहा होगा लेकिन आज मैं कहना चाहता हूं- अगर हमने काम किया है तो हमें वोट देना, वरना मत देना। उन्होंने कहा कि आप सकारात्मक सोच के साथ चुनाव लड़ेगी। दिल्ली के लोगों के लिए आप सरकार ने जो काम किया है, उसके आधार पर वोट मांगे जायेंगे और उम्मीद है कि राजधानी के लोग उसी आधार पर वोट देंगे। पार्टी का पूरा चुनाव अभियान सकारात्मक होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा, हम गाली-गलौच की राजनीति नहीं करेंगे। हम काम के आधार पर सकारात्मक तरीके से मतदाताओं से वोट मांगें। हम मिलकर दिल्ली को अच्छा बनाना चाहते हैं, इसके लिए हमें दिल्ली के लोगों का सहयोग चाहिए। उन्होंने कहा, मैं दिल्ली के लोगों से अपील करता हूं कि अगर हमने काम किया तो हमें वोट देना। अगर हमने काम किया है तो हम दोबारा सरकार बनाने के हकदार हैं। हम भाजपा वालों से वोट मांगेंगे, हम कांग्रेस के लोगों से वोट मांगेंगे।
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