ईश्वर दुबे
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Bhilai
नई दिल्ली । दिल्ली की प्रदेश भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 22 दिसंबर को रामलीला मैदान में होने वाली रैली में आम दिल्लीवालों को बुलाने के लिए डिजिटल रथ भेजे है। भाजपा ने प्रदेश कार्यालय से राजधानी की 1,731 अनाधिकृत कालोनियों के लिए 14 डिजिटल रथों को रवाना किया गया। करीब 40 लाख की आबादी के बीच घूमने वाले रथों पर लगी बड़ी स्क्रीन से लोगों को प्रधानमंत्री के रैली में पहुंचने का आमंत्रण दिया जाएगा। वहीं, स्क्रीन के जरिए नियमित होने पर कच्ची कॉलोनियों में मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी भी लोगों को दी जाएगी। दूसरी तरफ रामलीला मैदान की तैयारियां आखिरी चरण में हैं। मौसम विभाग की माने तो 22 दिसंबर को हल्की बारिश हो सकती है। दिल्ली के हर दिन बदलते मौसम को देखते हुए मैदान में वाटर प्रूफ टेंट लगाया है ताकि अचानक बारिश होने से रैली में खलल न पड़े। वहीं, दर्शक दीर्घा के लिए कुर्सियों का इंतजाम भी पूरा कर लिया गया है।
एतिहासिक होगी रैली
भाजपा सूत्रों के अनुसार रैली एतिहासिक होगी। इसके लिए दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में बड़े-बड़े होर्डिंग लगाए गए हैं। रैली में बड़ी संख्या में कालोनियों को नियमित करने के लिए स्थानीय निवासी प्रधानमंत्री को धन्यवाद देंगे। डिजिटल रथों को रवाना करते हुए दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने बताया कि रथों से लोगों को बुलावा भेजा गया है। दिल्ली की 1731 कालोनियों में पहुंचने वाले रथ बड़ी संख्या में लोगों को जानकारी देगें। इसके साथ ही नियमित होने के बाद की कच्ची कालोनियों की तस्वीर भी दिखाई जाएगी। कच्ची कालोनियों में रह रहे 40 लाख लोगों को हमेशा अपना आशियाना उजड़ने की चिंता सताती रहती थी। लोगों को बताया जाएगा कि 2022 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी को पक्का मकान देने जा रहे हैं। इससे विकास का पूरा खाका लोगों के जेहन में उभरकर आएगा।
झारखंड विधानसभा चुनाव के पांचों चरणों का मतदान हो चुका है, सबकी नजर अब 23 दिसंबर को होने वाली मतगणना और आने वाले चुनाव परिणाम पर है।
चुनाव परिणाम को लेकर भाजपा जहां अभी भी 'अबकी बार 65 पार' के अपने नारे पर कायम है और फिर से सत्ता पर काबिज होने का दावा कर रही है, वहीं आरजेडी, कांग्रेस और जेएमएम के नेता सरकार बदलने और गठबंधन के सत्ता में आने की बात कर रहे हैं। वैसे, भाजपा के लिए ये चुनाव परिणाम न केवल सत्ता में वापसी तय करेंगे, बल्कि पार्टी सांसदों के रिपोर्ट कॉर्ड भी इसी परिणाम से तय होने वाले हैं।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, बीजेपी के एक नेता ने बताया कि पार्टी ने इस चुनाव में अच्छे परिणाम के लिए अपने सभी सांसदों को चुनाव प्रचार में लगाया था और अपने-अपने क्षेत्रों में पाटीर् के पक्ष में वोट प्रतिशत बढ़ाने की जिम्मेदारी दी थी। सूत्रों की मानें तो सांसदों का रिपोर्ट कॉर्ड भी वोट प्रतिशत ही तय करेगा।
भाजपा के एक नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि पार्टी ने इससे पहले लोकसभा चुनाव में भी विधायकों को अपने-अपने क्षेत्र में वोट प्रतिशत बढ़ाने की जिम्मेदारी दी थी, और उसका लाभ भी पार्टी को मिला था। विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने इसी फॉमूर्ले को लागू करने का प्रयास किया है।
कहा तो यह भी जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के परिणाम को देखते हुए उसी पैमाने को लेकर इस विधानसभा में कई विधायकों के टिकट काटे भी गए और टिकट दिए भी गए। बीजेपी नीत गठबंधन ने इस साल हुए लोकसभा चुनाव में राज्य की 14 में से 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
पार्टी के रणनीतिकारों ने लोकसभा चुनाव में सफल रहे फॉमूर्ले को विधानसभा चुनाव में भी लागू किया, यानी इस चुनाव में सांसदों को पाटीर् के लिए वोट प्रतिशत बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई थी।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, पाटीर् के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, कार्यकारी अध्यक्ष जे़ पी़ नड्डा समेत अन्य शीर्ष नेतृत्व ने 65 पार का लक्ष्य हासिल करने में सांसदों को महती भूमिका निभाने का निदेर्श दिया था।
सांसदों से कहा गया था कि वे अपने क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं, प्रत्याशी के साथ छोटी-छोटी सभाओं में भी जाएंं। सूत्रों का कहना है कि यह परिणाम पाटीर् सांसदों के पाटीर् में कद और प्रतिष्ठा को बढ़ाएगा और घटाएगा। पार्टी के कई सांसदों को चरणवार मतदान के लिए स्टार प्रचारकों की सूची में भी रखा गया था।
वैसे, एक्जिट पोल में बताई गई संभावनाओं को अगर हकीकत मान लिया जाए तो भाजपा के लिए सत्ता में वापसी आसान नहीं दिख रही है। ऐसे में जिन सांसदों के क्षेत्रों से विधायकों या प्रत्याशियों के वोट प्रतिशत में कमी आएगी, उन पर गाज गिरना तय माना जा रहा है या वैसे सांसदों को नसीहतों का पाठ भी पढ़ाया जा सकता है।
बहरहाल, अब तो लोगों को 23 दिसंबर का इंतजार है, जब झारखंड की सभी 81 विधानसभा सीटों के परिणाम घोषित किए जाएंगे।
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश में हो रही हिंसा को लेकर भाजपा सरकार पर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि भाजपा अर्थव्यवस्था, रोजगार और किसानों के मुद्दे पर पूरी तरह फेल साबित हुई है इसलिए जनता का ध्यान भटकाने के लिए दंगे फैलाए जा रहे हैं। दंगों से भाजपा को फायदा होता है। आज यही लोग सत्ता में हैं इसलिए दंगे भड़काए जा रहे हैं।अखिलेश यादव रविवार को प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून देश के संविधान का उल्लंघन है। इसलिए सपा इसका विरोध कर रही है। हमने शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन किया। हिंसा भाजपा के इशारे पर की जा रही है।
अखिलेश ने एनआरसी का विरोध करते हुए कहा कि गांवों में लोगों के पास दस्तावेज नहीं है। एनआरसी से पूरा देश एक बार फिर लाइन मे लग जाएगा। नोटबंदी लागू होने से जनता को बहुत मुश्किल हुई थी। एक बार फिर से वही माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है। नोटबंदी लागू करते वक्त कहा गया था कि कालाधन खत्म हो जाएगा। आतंकवाद, नक्सलवाद खत्म हो जाएगा लेकिन कुछ नहीं हुआ। जनता परेशान हुई।
अखिलेश ने कहा कि भाजपा के 300 से ज्यादा विधायक सरकार के खिलाफ हैं। ये सभी नया साल आने पर सरकार के साथ टी-20 खेलने जा रहे हैं। सरकार अपनी असफलता से जनता का ध्यान बंटाना चाहती है। इसलिए जानबूझकर हिंसा फैलाई जा रही है।
वहीं, आगामी 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम को लेकर अखिलेश यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री उसी लोकभवन में अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा का अनावरण करने जा रहे हैं जिसे समाजवादियों ने बनवाया। उन्हें अटल जी के गांव में एक विश्वविद्यालय बनवाना चाहिए लेकिन उन्हें तो काम ही करना नहीं आता।
अखिलेश ने कहा कि विपक्ष के लिए तो धारा 144 लगाई जा रही है लेकिन भाजपा के लोगों के लिए कोई कानून नहीं है। धारा लागू होने के बावजूद प्रधानमंत्री के कार्यक्रम का लखनऊ में आयोजन किया जा रहा है।
नई दिल्ली. केंद्र सरकार से नए कानून को वापस लेने का आग्रह करते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने शनिवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के नेताओं में असहमति अब स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है. मायावती ने ट्वीट किया, अब तो नए सीएए व एनआरसी के विरोध में केंद्र सरकार के राजग में भी विरोध के स्वर उठने लगे हैं. अत: बसपा की मांग है कि वे अपनी जिद छोड़कर ये फैसले वापस लें.
इसके साथ ही उन्होंने प्रदर्शनकारियों से भी अपील की है कि वे अपना विरोध शांतिपूर्ण ढंग से ही प्रकट करें. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि एनआरसी प्रक्रिया राज्य में लागू नहीं की जाएगी. एनआरसी लागू करने के प्रश्न पर कुमार ने कहा, एनआरसी किस उद्देश्य से लागू की जाएगी? इसे बिल्कुल लागू नहीं किया जाएगा.
कुमार की पार्टी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) ने पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं के विरोध के बावजूद संसद में सीएए का समर्थन किया था. यहां तक कि लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के चिराग पासवान ने भी ट्वीट किया कि उनकी पार्टी ऐसी किसी बात का समर्थन नहीं करेगी, जो लोगों के लिए दिक्कत पैदा करेगी.
चिराग ने ट्वीट किया, लोजपा यह आश्वस्त करना चाहती है कि यह एनआरसी के संबंध में मुस्लिमों, दलितों और समाज के अन्य वंचित समूहों की चिंताओं का पूरा खयाल रखेगी. लोजपा ऐसे किसी कानून का समर्थन नहीं करेगी, जो जनता के हित के लिए नहीं होगी.
लोजपा ने संसद में इस कानून के पक्ष में अपना रुख जताया था. सीएए के मुद्दे पर देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं, जिनमें कई राजनेता, छात्र नेता और कार्यकर्ता सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.
कोलकाता. नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की निगरानी में जनमत संग्रह कराने वाले बयान पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यूटर्न लेती नजर आईं. उन्होंने अपने इस बयान को लेकर कहा कि मैंने स्वतंत्र संस्था के जरिये जनमत कराने की बात कही थी. इसका उदाहरण देते हुए मैंने संयुक्त राष्ट्र का उल्लेख किया था, क्योंकि मैं चाहती हूं कि निरपेक्ष विशेषज्ञों की देखरेख में जनमत हो.
उधर, ममता के बयान पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और प्रकाश जावडेकर ने उन पर हमला बोल दिया है. ईरानी ने बयान को संसद का अपमान करार दिया है तो जावडेकर ने कहा कि ममता को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए. इतना ही नहीं, पश्चिम बंगाल में भाजपा चीफ दिलीप घोष ने कहा है कि ममता पाकिस्तान की भाषा बोल रही हैं.
गौरतलब है कि गुरुवार को सीएए-एनआरसी के खिलाफ तृणमूल की युवा व छात्र इकाई की ओर से कोलकाता में आयोजित सभा के मंच से बोलते हुए ममता बनर्जी ने कहा था कि "पूरे देश में जनमत संग्रह हो. आप (पीएम मोदी) नहीं करेंगे. तृणमूल के भी रहने की जरूरत नहीं है. संयुक्त राष्ट्र करेगा. राष्ट्रीय मानवाधिकार के प्रतिनिधि रहेंगे. उन्हें लेकर कमेटी गठित की जाए. हम भी यह देखना चाहते हैं कि आखिर सीएए-एनआरसी कितने लोगों को मंजूर है. हार गए तो इस्तीफा देना होगा, मंजूर है?"
जिद छोड़ राजधर्म का पालन करें पीएम
ममता बनर्जी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीएए और एनआरसी को वापस लेने और राजधर्म पालन करने की अपील की. उन्होंने कहा कि देशभर में कानून को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर जिद छोड़कर जिम्मेदारी लेनी होगी. पूरा देश जल रहा है. आग को बुझाने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे. इस दौरान उन्होंने कहा कि आज अगर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी होते तो राजधर्म की याद दिलाते.
ममता बनर्जी ने कहा कि अगर नागरिकता संशोधन कानून इतना ही अच्छा है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी आपने इसके लिए संसद में वोट क्यों नहीं डाला? आप (पीएम) दो दिन संसद नहीं आए. जब आपने वोट नहीं डाला तो मुझे लगा कि आप भी इस कानून के पक्ष में नहीं हैं. आप इस कानून को खारिज कर दीजिए.
23 दिसंबर से 01 जनवरी तक आंदोलन की घोषणा
ममता बनर्जी ने राज्यव्यापी जुलूस और सभाएं करने के साथ आंदोलन को और अधिक धारदार बनाने का संकेत दिया है. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के स्थापना दिवस 01 जनवरी को नागरिक दिवस के रूप में मनाने की बात कही है. साथ ही 23 दिसंबर से 01 जनवरी 2020 तक लगातार आंदोलन की घोषणा की है.
यूएन वाले बयान को लेकर केंद्रीय कपड़ा एवं महिला व बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने ममता बनर्जी की निंदा की. उन्होंने कहा कि ममता का यह बयान संसद का अपमान है. स्मृति ईरानी शुक्रवार को कोलकाता एक होटल में आयोजित कार्यक्रम में बतौर अतिथि पहुंची थी.
ममता बनर्जी के बयान पर जाने-माने कवि कुमार विश्वास ने भी पलटवार किया है. उन्होंने सवाल किया कि भारत के आंतरिक मामले में यूएन? विश्वास ने ट्वीट करके कहा कि राजनैतिक विरोध-विद्वेष सब ठीक है दीदी, जमकर करिए, जोरदार तरीके से करिए, सब साथ आएंगे, पर देश के आंतरिक मतभेद में विदेशी पंच बुलाने की बात बेहद घटिया और खेदजनक है. उन्होंने आगे कहा कि यहीं लड़िए, जीतिए, कानून बनाइए, बदलिए, बाकी यूएन या किसी भी विदेशी पंच की ऐसी की तैसी.
नईदिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज कहा कि सच्चाई के पहाड़ को झूठ की झाडिय़ों से नहीं छिपाया जा सकता।
शुक्रवार को नई दिल्ली में मौलाना आज़ाद शिक्षा प्रतिष्ठान और और केंद्रीय वक्फ परिषद की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करते हुए, नकवी ने कहा कि कुछ लोग नागरिकता अधिनियम और एनआरसी के बारे में गलतफहमी फैला कर शांति और सच्चाई का अपहरण करने की साजिश में शामिल हैं।
नकवी ने कहा कि मौलाना आज़ाद शिक्षा प्रतिष्ठान और और केंद्रीय वक्फ परिषद के सदस्य नागरिकता अधिनियम और एनआरसी पर देश भर में जागरूकता अभियान चलाएंगे ताकि कुछ लोगों द्वारा अपने संकीर्ण हितों के लिए किए फैलाई जा रही झूठी जानकारी और मनगढ़ंत प्रचार को समाप्त किया जा सके।
नकवी ने कहा कि जागरूकता अभियान के तहत मौलाना आज़ाद शिक्षा प्रतिष्ठान और और केंद्रीय वक्फ परिषद के सदस्य आम लोगों, धार्मिक प्रतिनिधियों, शैक्षणिक संस्थानों, सामाजिक संगठनों से मिलेंगे और उन्हें नागरिकता अधिनियम और एनआरसी के बारे में जानकारी देंगे।
नकवी ने कहा कि कुछ लोग देश में शांति और सद्भाव को बिगाडऩे की साजिश कर रहे हैं और एनआरसी पर अराजकता इस साजिश का एक बड़ा सबूत है। वास्तविकता यह है कि 1951 में शुरू की गई एनआरसी केवल असम तक ही सीमित है। मुसलमानों की नागरिकता और एनआरसी को जोडऩा सरासर झूठ है। अभी तक असम में एनआरसी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। जिन लोगों को सूची में जगह नहीं मिली है, वे न्यायाधिकरणों और अदालतों में भी अपील कर सकते हैं। सरकार भी ऐसे लोगों की मदद कर रही है।
नकवी ने कहा कि जो लोग अफवाह और गलत सूचना के माध्यम से हमारी शांति का अपहरण करने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें समझना चाहिए कि वे अपनी साजिश में विफल हो जाएंगे। 'सत्यमेव जयतेÓ झूठमेव जयते के राजनीतिक प्रचार को ध्वस्त कर देगा।
नकवी ने कहा कि हमारी एकता और सद्भाव की ताकत ने दुनिया भर में भारत के लिए सम्मान प्राप्त किया है। हमें किसी भी परिस्थिति में एकता और सद्भाव की भावना को कमजोर नहीं करना है।
नकवी ने कहा ने कहा कि नागरिकता अधिनियम के कारण किसी मुसलमान या किसी अन्य नागरिग की नागरिकता को कोई खतरा नहीं है। नागरिकता संशोधन अधिनियम नागरिकता प्रदान करना है। किसी व्यक्ति की नागरिकता नहीं छीनता है। भारत में अल्पसंख्यक विकास प्रक्रिया में समान भागीदार हैं।
नकवी ने कहा कि हमें उन लोगों की भ्रम पैदा करने की साजिश को हराना है जो नागरिकता अधिनियम और एनआरसी का आपस में मिश्रण कर रहे हैं। हमें गलत सूचना की बुराइयों से सावधान रहना होगा।
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नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में शुक्रवार को भी देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन होते रहे. देश की राजधानी दिल्ली में जहां पुरानी दिल्ली के दरियागंज, जामा मस्जिद के इलाकों में उग्र प्रदर्शन हुए. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के संभल, लखनऊ, मुरादाबाद, गाजीपुर आदि जिलों में उग्र प्रदर्शन हुए. उधर, दिल्ली के जामिया विश्वविद्यालय के बाहर शुक्रवार को उमड़ी हजारों लोगों की भीड़ में जगह-जगह हिंदू-मुस्लिम एकता के नारे लगे.
'हिंदू मुस्लिम भाईचारा हिंदुस्तान है हमारा' लिखे बैनर व पोस्टर पूरे जामिया में कई जगह लगाए गए थे. जामिया में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में शुक्रवार को छोटी बच्चियां भी शामिल हुई.
कर्नाटक के मंत्री सीटी रवि एक वीडियो सामने आने के बाद वो विवादों में आ गए हैं। उस वीडियो में वे यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि अगर बहुसंख्यक समुदाय धैर्य खोता है तो गोधरा जैसी स्थिति पैदा हो जाएगी। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए इसे ‘उत्तेजक’ करार दिया है।
कांग्रेस पार्टी की मांग है कि पुलिस इस मामले में मंत्री के खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें हिरासत में ले।
“सीटी रवि की तरफ से सबसे ज्यादा डरानेवाली धमकी। पुलिस की उनके खिलाफ अवश्य केस दर्ज कर उन्हें प्रिवेंटिव कस्टडी में लेना चाहिए। संवैधानिक पद पर रहते हुए, उन्हें इस तरह की बात नहीं करनी चाहिए।”
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ राष्ट्रपति से मिलने वाले विपक्षी पार्टियों के प्रतिनिधिमंडल से अलग रहने वाली उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवेसना ने अपनी सफाई दी है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने नागरिकता कानून पर विपक्षी दलों के समूह से अलग रहने को लेकर कहा कि पार्टी के प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने का कोई कारण नहीं था। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि हमें विपक्षी नेताओं के साथ क्यों जाना चाहिए था। यह एक तरह का बेकार सा सवाल था। 58 वर्षीय संजय राउत ने एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा कि भले ही शिवसेना का महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन हुआ है, मगर दिल्ली में अब भी इसकी अपनी पहचान है। गौरतलब है कि नागरिकता कानून के खिलाफ विपक्षी दलों का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिल चुका है, जिसमें शिवसेना शामिल नहीं थी। शिवसेना नेता और मुखपत्र सामना के एडिटर संजय राउत ने रेखांकित किया कि शिवसेना कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा कि हम यूपीए के साथ नहीं है। हम एनडीए से बाहर जरूर हैं, मगर यूपीए के साथ नहीं। संसद में हमारी अपनी पहचान है।
नई दिल्ली. देश में नागरिकता संशोधन कानून राष्ट्रपति की अनुमति मिलने के बाद लागू हो गया है, जिसे लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. विपक्षी पार्टियों के प्रतिनिधिमंडल से अलग रहने वाली शिवसेना ने अपनी सफाई दी है. उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने नागरिकता कानून पर विपक्षी दलों के समूह से अलग रहने को लेकर कहा कि पार्टी के प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने का कोई कारण नहीं था. शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि हमें विपक्षी नेताओं के साथ क्यों जाना चाहिए था. यह एक तरह का बेकार सा सवाल था.
58 वर्षीय संजय राउत ने एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा कि भले ही शिवसेना का महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन हुआ है, मगर दिल्ली में अब भी इसकी अपनी पहचान है. गौरतलब है कि नागरिकता कानून के खिलाफ विपक्षी दलों का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिल चुका है, जिसमें शिवसेना शामिल नहीं थी. शिवसेना नेता और मुखपत्र सामना के एडिटर संजय राउत ने रेखांकित किया कि शिवसेना कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का हिस्सा नहीं है. उन्होंने कहा कि हम यूपीए के साथ नहीं है. हम एनडीए से बाहर जरूर हैं, मगर यूपीए के साथ नहीं. संसद में हमारी अपनी पहचान है.
गौरतलब है कि लोकसभा में शिवसेना ने नागरिकता संशोधन बिल के पक्ष में अपना समर्थन दिया था. जबकि कांग्रेस ने इसका विरोध तब से किया है, जब चार साल पहले यानी 2015 में मोदी सरकार संसद में इसका प्रस्ताव लेकर आई थी. हालांकि, नागरिकता संशोधन बिल पर राज्यसभा में वोटिंग के दौरान शिवसेना ने वॉकआउट किया था.
बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल चुकी है और अब यह कानून बन चुका है, जिसके खिलाफ में देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हो रहे हैं. कानून बन जाने से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रताड़ित माइग्रेंट्स को भारत की नागरिकता मिल सकती है. कांग्रेस की अगुआई में विपक्षी दलों का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिलकर इस कानून को वापस लेने की गुहार लगा चुका है. इस प्रतिनिधिमंडल में शिवसेना शामिल नहीं हुई थी.
शिवसेना नेता और पहली बार विधायक बने आदित्य ठाकरे ने भाजपा पर परोक्ष रूप से हमला बोलते हुए बुधवार को कहा कि उन्होंने देखा है कि सत्ता के लालच में कैसे मित्रों को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
उन्होंने यह भी कहा कि चाहे कितना भी कीचड़ फैलाया गया लेकिन कमल (भाजपा का चुनाव चिह्न) को कहीं भी खिलने नहीं दिया जाएगा। वर्ली से विधायक ठाकरे नवंबर में राज्य विधानसभा के संयुक्त सत्र में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के संबोधन पर विधानसभा में बोल रहे थे।
इस बीच, विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस बुधवार शाम मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा दिए गए रात्रिभोज में शामिल हुए। ठाकरे ने राज्य के सभी विधायकों को रात्रिभोज के लिए आमंत्रित किया था। अधिकारियों ने बताया कि पिछले कई दशकों में यह संभवत: पहली बार है जब किसी मुख्यमंत्री ने इस तरह का रात्रिभोज दिया हो।
जेनेवा. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र की पहली ग्लोबल रिफ्यूजी फोरम में भारत के नागरिकता कानून में संशोधन का मुद्दा उठाया। इस दौरान उन्होंने शरणार्थी संकट को लेकर भारत के साथ टकराव और परणाणु युद्ध की धमकी भी दी। उन्होंने एक बार फिर यूएन के मंच पर कश्मीर का राग अलापा। इसके बाद भारत ने गुरुवार को रिफ्यूजी फोरम में इमरान के बयान को अनुचित बताते हुए खारिज कर दिया। भारत ने कहा कि अपने देश में अल्पसंख्यकों पर उत्पीड़न करने वाला पाकिस्तान खुद को मानवाधिकारों के मामले में चैम्पियन घोषित कर रहा है।
यूएन में भारत के स्थाई प्रतिनिधि राजीव चंदर ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की टिप्पणियां अनुचित हैं। हम साफतौर पर इन्हें खारिज करते हैं। उनके बयान सिर्फ भारत के खिलाफ आतंक और बुरी नीयत के पूर्वाग्रह को दर्शाता है। अपने देश में अल्पसंख्यकों की संख्या कम होने के बावजूद पाकिस्तान खुद को मानवाधिकारों के मामले में चैम्पियन घोषित कर रहा है। 1947 में वहां 23% अल्पसंख्यक थे, लेकिन दोषपूर्ण निंदा कानूनों, उत्पीड़न और धर्मांतरण की वजह से अब घटकर 3% रह गए हैं।
भारतीय नागरिक नहीं चाहते कि कोई उनकी तरफ से कुछ बोले। जिन्होंने आतंकवाद की इंडस्ट्री खड़ी कर ली हो और उनकी विचारधारा घृणा पर टिकी हो। प्रधानमंत्री इमरान खान अपने देश पर ध्यान केंद्रित रखेंगे तो यह उनके देश और नागरिकों के लिए बेहतर होगा।
शरणार्थियों के मुद्दे पर 2 परमाणु संपन्न देशों में टकराव होगा: इमरान
भारत सरकार ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए कानून में संशोधन किया है। इसका विरोध कर चुके इमरान ने मंगलवार को रिफ्यूजी फोरम में भी इस पर बयान दिया। उन्होंने कहा- ''मैं सबसे बड़े रिफ्यूजी संकट (दक्षिण एशिया में) की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। पाकिस्तान में हम शरणार्थियों को लेकर चिंतित नहीं हैं। लेकिन चिंता इस बात की है कि इस मुद्दे पर दो परमाणु संपन्न देशों के बीच टकराव पैदा हो सकता है। एक देश जो अपने पड़ोसी से 7 गुना छोटा हो, क्या करेगा। सरेंडर करेगा या आजादी के लिए लड़ेगा। जंग में कुछ भी हो सकता है।''
इमरान ने कहा- दुनिया को कश्मीर के हालात पर ध्यान देना चाहिए
उन्होंने यूएन के मंच पर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का मुद्दा भी उठाया। इमरान खान ने कहा कि अब वक्त है कि दुनिया को कश्मीर के हालत पर ध्यान देना चाहिए। कश्मीर में कई दिनों से कफ्यू लगा हुआ है। वहां हालात सुधरें और मुस्लिम आजादी से रह सकें, इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत पर दबाव बनाना चाहिए। इससे पहले इमरान संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने पहले भाषण में भी कश्मीर का राग अलाप चुके हैं।
नई दिल्ली । सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सड़क हादसे न रोक पाने को अपने मंत्रालय की विफलता बताया है, साथ ही देश में नई सड़क परिवहन योजनाओं के बारे में विस्तार से चर्चा की। गडकरी यहां एक आयोजन में शिरकत करने आए जहां उन्होंने कहा कि दिल्ली से मुंबई तक अब 12 घंटे के भीतर पहुंचा जा सकेगा और हाईवे पर तेजी से काम चल रहा है। नितिन गडकरी ने कहा कि मेरे विभाग ने सभी क्षेत्रों में सफलता के साथ काम किया है लेकिन पांच साल में सड़क हादसे कम नहीं कर पाया और इसे मैं अपनी विफलता मानता हूं। उन्होंने कहा कि हर साल पांच लाख हादसे होते हैं और डेढ़ लाख मौतें होती हैं, मरने वालों में 18-35 की उम्र वाले 65 फीसदी लोग हैं। उन्होंने कहा कि नया मोटर व्हीकल एक्ट एक साल तक राज्यसभा में अटका रहा जो अब जाकर पास हुआ है।
गडकरी ने कहा कि देश में 30 फीसदी बोगल लाइसेंस हैं, लाइसेंस देने की प्रक्रिया में पारदर्शिता होती चाहिए, एक आदमी तीन शहरों में अलग-अलग लाइसेंस रखता है। उन्होंने कहा कि बस ड्राइवर की ट्रेनिंग क्या ठीक से नहीं होनी चाहिए जो 50 लोगों को बैठाकर बस चलाता है, इसलिए हम ट्रेनिंग स्कूल खोलने जा रहे हैं। साथ ही ट्रैफिक नियम तोड़ने पर जुर्माना इसलिए बढ़ाया गया ताकि लोगों में डर रहे और वे सड़क पर चलते वक्त नियमों का पालन करें। गडकरी ने पांच करोड़ नौकरियां पैदा करने के सवाल पर कहा कि हमने 40 किलोमीटर सड़क प्रतिदिन बनाने का लक्ष्य रखा था, अब वह 32 हो गया है, इस साल तक शायद 40 भी हो जाए। ठीक ऐसे ही 5 करोड़ नौकरियां पैदा करने का लक्ष्य भी रखा गया है। गडकरी ने कहा कि एमएसएमई सेक्टर में नई-नई योजनाओं से रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे, स्थिति चुनौतीपूर्ण हैं लेकिन हम रास्ता निकालने के लिए काम कर रहे हैं, हालांकि इसमें वक्त लग सकता है।
नागरिकता संशोधन कानून पर मचे बवाल को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने भी केंद्र का रुख स्पष्ट किया है। जामिया के बाद सीलमपुर में शुरू हुई हिंसा के बीच अमित शाह ने कहा कि पूरा विपक्ष देश की जनता को गुमराह कर रहा है। दिल्ली में एक कार्यक्रम में अमित शाह ने कहा कि जिसे भी रानजीतिक विरोध करना है वो करो, लेकिन मोदी सरकार विरोध से नहीं झुकेगी वह नागरिकता कानून पर अडिग है। उन्होंने कहा कि शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी। शरणार्थी भारत के नागरिक बनेंगे और सम्मान के साथ दुनिया में रहेंगे।
गृह मंत्री ने कहा, 'मैं फिर से कहना चाहता हूं कि किसी भी अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति की नागरिकता नहीं छिनने वाली है। विधेयक में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।' अमित शाह ने आगे कहा, 'मैं कांग्रेस पार्टी से कहना चाहता हूं कि यह नेहरू-लियाकत समझौते का हिस्सा है। लेकिन 70 साल से इसे लागू नहीं किया गया क्योंकि आप अपना वोट बैंक तैयार करना चाहते थे। हमारी सरकार ने इस समझौते को लागू किया है और लाखों, करोड़ों लोगों को नागरिकता दी है।'
इससे पहले गृह मंत्रालय के सूत्रों ने भी कहा कि नागरिकता संशोधन कानून का किसी विदेशी को बाहर भेजे जाने से कोई नाता नहीं है। किसी भी विदेशी को वापस भेजने के लिए पहले से तय प्रक्रिया को ही लागू किया जाएगा। यह कानून किसी भारतीय पर लागू नहीं होता।
जामिया विवाद की रिपोर्ट मानव संसाधन मंत्रालय को मिली
मानव संसाधन मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि 15 दिसंबर को जामिया में हुई हिंसा की रिपोर्ट उन्हें मिली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्वविद्यालय की कार्यकारी समिति ने प्रस्ताव पास किया, जिसमें न्यायिक जांच की मांग की गई है। हालांकि हमें अभी तक औपचारिक निवेदन नहीं मिला है।