राजनीति

राजनीति (6705)

नई दिल्ली,दिल्ली के विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आते-आते राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। नए साल के पहले ही दिन बीजेपी ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए। बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि हाल में दिल्ली में हुई हिंसक घटनाओं के पीछे आप और कांग्रेस पार्टी का हाथ था। उन्होंने दोनों पार्टियों पर लोगों को भड़काने का आरोप लगाया और माफी की मांग की।
दिल्ली के चुनाव प्रभारी (बीजेपी) जावड़ेकर ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में जामिया, सीलमपुर और दरियागंज में हुई हिंसा का जिक्र किया। जावड़ेकर ने यहां के नेताओं (आप और कांग्रेस) का नाम लेकर कहा कि उन्होंने लोगों को भड़काया जिससे हिंसा हुई। जावड़ेकर ने सीलमपुर के कांग्रेस नेता चौधरी मतीन, आप नेता इशराक खान, अब्दुल रहमान, जामिया के अमानतुल्लाह का नाम लिया।
'अमानतुल्लाह खान ने भड़काया'
जावड़ेकर ने आप विधायक अमानतुल्लाह खान पर सीएए के खिलाफ लोगों को भड़काने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, 'अमानतुल्लाह ने भड़काने वाले भाषण दिए, आजान पर रोक होगी, बुर्का बैन होगा...ऐसी-ऐसी बातें कही गईं।'
'दिल्ली जैसे शांत शहर में हिंसा करवाई'
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दोनों पार्टियों ने मिलकर लोगों के मन में कानून (सीएए) के लिए संदेह पैदा किया। जावड़ेकर ने कहा, 'संदह पैदा कर दिल्ली जैसे शांत शहर में हिंसा करवाई।'
जावड़ेकर ने एक बार फिर कहा कि नागरिकता संशोधन कानून किसी की नागरिकता छीनने का नहीं बल्कि नागरिकता देने का कानून है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और आप को भ्रम फैलाने के लिए माफी मांगनी चाहिए। वह बोले, 'यह शरणार्थियों को नागरिकता देनेवाला कानून है, अब लोगों को यह समझ आ गया है इसलिए सब शांत है।'
आप पार्टी पर लगाया क्रेडिट लेने का आरोप
जावड़ेकर ने कहा कि आम आदमी पार्टी किसी और के काम का भी क्रेडिट ले लेती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में डेंगू से मौत इसबार इसलिए नहीं हुई क्योंकि एमसीडी ने अच्छा काम किया। वहीं प्रदूषण इसलिए थोड़ा कंट्रोल हो पाया क्योंकि ईस्टर्न पेरिफेरल वे से ट्रक निकले। उन्होंने कहा कि आप सरकार ने पेरिफेरल वे के अपने हिस्से के पैसे नहीं दिए। इसके साथ भी दिल्ली मेट्रो के फेज 4 की फाइल भी रोककर रखी थी। जावड़ेकर बोले, 'दिल्ली में काम करे कोई, टोपी पहने कोई हो रहा है।

नई दिल्ली,दिल्ली विधानसभा चुनावों (Delhi Assembly Elections 2020) के दंगल में इस बार कई दिग्गज नहीं होंगे। असमय मौत और दूसरे कारणों के चलते दिल्ली की सियासत में दखल रखने वालों के बगैर विधानसभा चुनाव होगा। बीते 14 माह में राजधानी ने तीन पूर्व मुख्यमंत्री खोए हैं। साथ ही उम्र और दूसरे कारणों से भी कई बड़े नेता चुनावी समर में नहीं दिखाई देंगे।
विधानसभा चुनावों की घोषणा कभी भी हो सकती है। 22 फरवरी से पहले नई सरकार का गठन होना है। आप, भाजपा और कांग्रेस अपनी-अपनी चुनावी रणनीति में जुट गए हैं। बीते चुनावों में भाजपा और कांग्रेस की कमान संभालने वाले नेता इस चुनाव में नहीं होंगे। 2020 के चुनावों में दोनों पार्टियों का जिम्मा नए कंधों पर होगा।
बगैर पूर्व मुख्यमंत्री के चुनाव : दिल्ली ने अपने तीन पूर्व मुख्यमंत्री बीते 14 महीने में खोए हैं। इस बार बगैर पूर्व मुख्यमंत्री के ही दिल्ली का चुनावी रण होगा। कांग्रेस से शीला दीक्षित तीन बार मुख्यमंत्री रही हैं। 1998 से 2015 तक पांच विधानसभा चुनाव शीला दीक्षित के नेतृत्व में लड़े गए। उधर, दिल्ली में भाजपा की पहचान रहे पूर्व मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना का निधन 27 अक्टूबर 2018 को हो गया। भाजपा को दूसरा झटका सुषमा स्वराज के रूप में लगा। पूर्व मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज का निधन छह अगस्त 2019 को हो गया। सुषमा सीधे तौर पर दिल्ली की सियासत में दखल नहीं देती थीं, लेकिन कई बार समीकरण साधने के लिए उनकी मदद ली जाती थी।
संवैधानिक पद के कारण बेदी और मुखी भी रहेंगे दूर
बीते विधानसभा चुनाव में किरण बेदी को भाजपा ने मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया था। इस समय किरण बेदी पुड्डुचेरी की उपराज्यपाल हैं। संवैधानिक पद के चलते किरण बेदी का इन चुनावों में योगदान नहीं रहेगा। दिल्ली सरकार में मंत्री रहे और भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे जगदीश मुखी भी विधानसभा चुनावों में सक्रिय नहीं रहेंगे। मुखी असम के राज्यपाल हैं। अपनी उम्र के चलते दिल्ली में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार रहे प्रो. विजय मल्होत्रा भी अब सक्रिय नहीं हैं।

पुणे कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को पुणे कांग्रेस भवन में जमकर तोड़फोड़ की. इस घटना का लाइव वीडियो वायरल हुआ है. वीडियो में 40 कार्यकर्ताओं को तोड़फोड़ करते हुए देखा गया है. पार्टी ने इन कार्यकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है.  

महाराष्ट्र में तीन दलों के गठबंधन सरकार का सोमवार को कैबिनेट विस्तार हुआ था. पुणे जिले के भोर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से जीते कांग्रेस विधायक संग्राम थोपटे के समर्थकों ने पुणे शहर कांग्रेस भवन में घुसकर जमकर तोड़फोड़ की. थोपटे के समर्थक अपने नेता को मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज थे.

मंगलवार शाम तकरीबन 6:30 बजे 40 कार्यकर्ता कांग्रेस भवन में घुस आए. इन कार्यकर्ताओं ने जोर-शोर से संग्राम थोपटे के समर्थन में नारेबाजी करते हुए कार्यालय के तीन-चार कमरों में पत्थरबाजी की. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने लाठी डंडों से शीशे तोड़े. कार्यालय में रखे कम्प्यूटर और टीवी स्क्रीन भी तोड़ डाले. यही नहीं, जो चीज उनके सामने आई, उसे नुकसान पहुंचाया.

एक कार्यकर्ता ने मोबाइल कैमरे पर नाराजगी की बात कही. उसने अपने नेता संग्राम थोपटे को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करने पर नाराजगी जताई. जब ये तोड़-फोड़ हो रही थी, उस वक्त कांग्रेस भवन में सिर्फ तीन से चार कर्मचारी मौजूद थे. पार्टी प्रवक्ता रमेश नायर ने बताया कि कार्यकर्ता संग्राम थोपटे के समर्थन में नारेबाजी कर रहे थे.

घटना के कुछ देर बाद ही पुलिस वहां पहुंच गई और हंगामा मचाने वाले 15-20 कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया. कांग्रेस नेता रमेश बागवे ने 'आजतक' से बातचीत में कहा कि कांग्रेस भवन में तोड़फोड़ करने की जगह कांग्रेस आलाकमान से शिकायत करनी चाहिए थी. बागवे ने कहा कि जिन लोगों ने तोडफोड़ की है उन्हें बक्शा नहीं जाएगा. सीसीटीवी की मदद से उन्हें ढूंढकर पुलिस में इनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा.

पुणे शहर कांग्रेस भवन में यह तीसरा वाकया है जब नाराज कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने यहां तोड़फोड़ की है. इस कांग्रेस भवन की नींव देश की आजादी के पहले रखी गई थी और महात्मा गांधी ने पुणे कांग्रेस भवन के लिए संदेश भी भेजा था.

मुंबई आपने नेताओं के अंधविश्वास की बहुत सी कहानियां सुनी होंगी. उसी तरह की एक नई कहानी है जो अजित पवार से जुड़ी है. खबर है कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री बने अजित पवार मुंबई में मंत्रालय भवन की 6वीं मंजिल पर मुख्यमंत्री कार्यालय के ठीक सामने वाले कमरे में अपना दफ्तर बनाने के इच्छुक नहीं हैं.

यह सुनने में अतार्किक लग सकता है लेकिन सूत्रों का कहना है कि अजित पवार कमरा नंबर 602 को अपना दफ्तर नहीं बनाना चाहते. कथित तौर पर उन्होंने 6वीं मंजिल पर ही एक दूसरे विशेष कमरे में अपना दफ्तर बनाने का फैसला किया है.

कमरा नंबर 602 सीएम के दफ्तर के ठीक सामने है. यह करीब 3000 स्क्वायर फीट में फैला है और केबिन काफी बड़ा है. इसमें एक बड़ा कॉन्फ्रेंस रूम है और साथ में ऑफिस केबिन के लिए भी पर्याप्त जगह है. इसके अलावा मंत्रालय भवन की 6वीं मंजिल पर मुख्यमंत्री कार्यालय है, इसलिए इसे पॉवर सेंटर भी माना जाता है.

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे उसी मंजिल से काम कर रहे हैं. अब अजित पवार के लिए समझदारी तो यही होगी कि वे सीएम कार्यालय के सामने वाले कमरे को अपना लें, क्योंकि अब वे राज्य के डिप्टी सीएम हैं. लेकिन मनहूस कमरे का ऐसा डर है कि अजित पवार उस कमरे में जाने के लिए विचार करने को भी तैयार नहीं हैं.

कहा जा रहा है कि कमरा नंबर 602 की जगह अब अजित पवार मुख्य सचिव के लिए बने उसी मंजिल के एक छोटे से केबिन में जाने को तैयार हैं. इसी मंजिल पर मुख्य सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव का भी केबिन है.

कमरा नंबर 602 की कहानी
कमरा नंबर 602 मनहूस क्यों है इसकी भी अपनी कहानी है. 2014 में बीजेपी नेता एकनाथ खड़से ने कृषि मंत्रालय, रेवेन्यू और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का प्रभार संभाला तो वे इसी कमरे में शिफ्ट हुए थे. पार्टी और कैबिनेट में उनकी वरिष्ठता के आधार पर उन्हें यह विशेष केबिन दिया गया था. लेकिन दो साल बाद ही भाजपा के इस वरिष्ठ नेता को जमीन घोटाले में कथित संलिप्तता के कारण इस्तीफा देना पड़ा.

यही कमरा बीजेपी नेता पांडुरंग फुंदकर को मिला था, जब वे कृषि मंत्री बने थे. मई 2018 में हार्ट अटैक के चलते उनका देहांत हो गया. इस साल कैबिनेट के विस्तार के समय अनिल बोंडे को कृषि मंत्रालय का चार्ज मिला तो उन्हें भी यही कमरा अलॉट हुआ. लेकिन इस चुनाव में वे अपनी विधायकी गंवा बैठे.

जब कमरा नंबर 602 छोड़ने और दूसरा छोटा कमरा लेने पर सवाल पूछा गया तो उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा ​कि नया कमरा मुख्यमंत्री कार्यालय के पास है, वहां रहना बेहतर है ताकि सुचारू रूप से संवाद होता रहे.

नई दिल्ली । दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीख करीब आने के साथ ही राजनैतिक दलों की राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। नए साल के पहले ही दिन बीजेपी ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर सीएए कानून को लेकर हुए दिल्ली में विरोध प्रदर्शन को लेकर गंभीर आरोप लगाए। बीजेपी ओर से केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि हाल में दिल्ली में हुई हिंसक घटनाओं के पीछे आप और कांग्रेस पार्टी का हाथ था। उन्होंने दोनों पार्टियों पर लोगों को भड़काने का आरोप लगाकर माफी की मांगने की बात कही। दिल्ली के चुनाव प्रभारी (बीजेपी) जावड़ेकर ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में जामिया, सीलमपुर और दरियागंज में हुई हिंसा का जिक्र किया।
 जावड़ेकर ने नेताओं (आप और कांग्रेस) का नाम लेकर कहा कि उन्होंने लोगों को भड़काया जिससे हिंसा हुई। जावड़ेकर ने सीलमपुर के कांग्रेस नेता चौधरी मतीन,आप नेता इशराक खान,अब्दुल रहमान, जामिया के अमानतुल्लाह का नाम लिया। जावड़ेकर ने आप विधायक अमानतुल्लाह खान पर सीएए के खिलाफ लोगों को भड़काने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, अमानतुल्लाह ने भड़काने वाले भाषण दिए, अमानतुल्लाह ने अपने बयान में लोगों से कहा कि देश में आजान पर रोक होगी, बुर्का बैन होगा...ऐसी-ऐसी बातें कही गईं।'
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दोनों पार्टियों के नेताओं ने मिलकर लोगों के मन में कानून (सीएए) के लिए संदेह पैदा किया। जावड़ेकर ने कहा,संदह पैदा कर दिल्ली जैसे शांत शहर में हिंसा को अंजाम दिया गया। जावड़ेकर ने एक बार फिर कहा कि नागरिकता संशोधन कानून किसी की नागरिकता छीनने का नहीं बल्कि नागरिकता देने का कानून है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और आप को भ्रम फैलाने के लिए माफी मांगनी चाहिए। यह शरणार्थियों को नागरिकता देने वाला कानून है,अब लोगों को यह समझ आ गया है,इसकारण सब शांत है। जावड़ेकर ने कहा कि आम आदमी पार्टी किसी और के काम का भी क्रेडिट ले लेती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में डेंगू से मौत इसबार इसलिए नहीं हुई क्योंकि एमसीडी ने अच्छा काम किया। वहीं प्रदूषण इसलिए थोड़ा कंट्रोल हो पाया क्योंकि ईस्टर्न पेरिफेरल वे से ट्रक निकले। उन्होंने कहा कि आप सरकार ने पेरिफेरल वे के अपने हिस्से के पैसे नहीं दिए। इसके साथ भी दिल्ली मेट्रो के फेज 4 की फाइल भी रोककर रखी थी। जावड़ेकर बोले, 'दिल्ली में काम करे कोई, टोपी पहने कोई हो रहा है।' 

नई दिल्ली,पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने में अभी एक साल का समय बचा है और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। दरअसल बीजेपी 'मिशन 250' के तहत पश्चिम बंगाल में प्रचार करने वाली है। चुनावी रणनीति बनाने में कहीं कोई चूक न रहे और इस मामले में भाषा आड़े न आए, इसके लिए बीजेपी अध्यक्ष बांग्ला भाषा सीख रहे हैं। इसके लिए उन्होंने एक शिक्षक रख लिया है। वास्तव में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ‘मां, माटी और मानुष’ का नारा बुलंद करती रहती हैं और हाल के दिनों में उन्होंने बंगाली अस्मिता को खूब हवा देने की कोशिश की है। ऐसे में ममता को चुनौती देने के लिए यह बीजेपी चीफ की बड़ी कोशिश है।

गौर करने वाली बात यह है कि ममता के बांग्ला भाषा में लोगों से संवाद करने के मुकाबले में बीजेपी के पास कोई तगड़ा नेतृत्व नहीं है। इसे देखते हुए शाह बांग्ला सीख रहे हैं। बीजेपी की कोशिश है कि पार्टी चीफ कम से कम बांग्ला भाषा को समझने लगें और पश्चिम बंगाल की सभाओं में अपने भाषणों की शुरुआत बांग्ला में करें, जिससे भाषण प्रभावी लगे।

भाषा न बने बाधा
अपनी सभाओं में ममता बीजेपी अध्यक्ष को बाहरी कह कर संबोधित करती हैं। अमित शाह को चुनावी रणनीति का माहिर माना जाता है और हर चुनाव के लिए शाह अलग-अलग रणनीति बनाते हैं। लेकिन पहले महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में चूकने और झारखंड में पार्टी की हार के बाद अब अमित शाह बंगाल में चुनावी कमान अपने हाथ में रखना चाहते हैं। इसके लिए जरूरी है कायकर्ताओं से संवाद और समन्वय। लिहाजा भाषा कहीं इस रणनीति में आड़े न आए, इसके लिए शाह बांग्ला सीख रहे हैं।

गुजरात में प्रवेश पर लगी रोक तो सीख ली हिंदी!
पश्चिम बंगाल में बीजेपी के एक बड़े नेता के मुताबिक, इसमें कुछ भी नया नहीं है। नेता ने कहा कि बीजेपी अध्यक्ष बांग्ला और तमिल सहित देश के अलग-अलग प्रदेशों में बोली जाने वाली चार भाषाएं सीख रहे हैं। गौरतलब है कि कई लोग आश्चर्य करते हैं कि वर्षों गुजरात में बिताने के बावजूद अमित शाह कैसे अच्छी हिंदी बोल लेते हैं। इस पर सूत्रों का कहना है कि जेल में रहने के दौरान और कोर्ट द्वारा गुजरात में प्रवेश पर दो साल का प्रतिबंध लगाए जाने के दौरान अमित शाह ने हिंदी पर पकड़ बनाई थी।

नई दिल्ली,दिल्ली के विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आते-आते राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। नए साल के पहले ही दिन बीजेपी ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए। बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि हाल में दिल्ली में हुई हिंसक घटनाओं के पीछे आप और कांग्रेस पार्टी का हाथ था। उन्होंने दोनों पार्टियों पर लोगों को भड़काने का आरोप लगाया और माफी की मांग की।

दिल्ली के चुनाव प्रभारी (बीजेपी) जावड़ेकर ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में जामिया, सीलमपुर और दरियागंज में हुई हिंसा का जिक्र किया। जावड़ेकर ने यहां के नेताओं (आप और कांग्रेस) का नाम लेकर कहा कि उन्होंने लोगों को भड़काया जिससे हिंसा हुई। जावड़ेकर ने सीलमपुर के कांग्रेस नेता चौधरी मतीन, आप नेता इशराक खान, अब्दुल रहमान, जामिया के अमानतुल्लाह का नाम लिया।

'अमानतुल्लाह खान ने भड़काया'
जावड़ेकर ने आप विधायक अमानतुल्लाह खान पर सीएए के खिलाफ लोगों को भड़काने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, 'अमानतुल्लाह ने भड़काने वाले भाषण दिए, आजान पर रोक होगी, बुर्का बैन होगा...ऐसी-ऐसी बातें कही गईं।'

'दिल्ली जैसे शांत शहर में हिंसा करवाई'
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दोनों पार्टियों ने मिलकर लोगों के मन में कानून (सीएए) के लिए संदेह पैदा किया। जावड़ेकर ने कहा, 'संदह पैदा कर दिल्ली जैसे शांत शहर में हिंसा करवाई।'

जावड़ेकर ने एक बार फिर कहा कि नागरिकता संशोधन कानून किसी की नागरिकता छीनने का नहीं बल्कि नागरिकता देने का कानून है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और आप को भ्रम फैलाने के लिए माफी मांगनी चाहिए। वह बोले, 'यह शरणार्थियों को नागरिकता देनेवाला कानून है, अब लोगों को यह समझ आ गया है इसलिए सब शांत है।'

आप पार्टी पर लगाया क्रेडिट लेने का आरोप
जावड़ेकर ने कहा कि आम आदमी पार्टी किसी और के काम का भी क्रेडिट ले लेती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में डेंगू से मौत इसबार इसलिए नहीं हुई क्योंकि एमसीडी ने अच्छा काम किया। वहीं प्रदूषण इसलिए थोड़ा कंट्रोल हो पाया क्योंकि ईस्टर्न पेरिफेरल वे से ट्रक निकले। उन्होंने कहा कि आप सरकार ने पेरिफेरल वे के अपने हिस्से के पैसे नहीं दिए। इसके साथ भी दिल्ली मेट्रो के फेज 4 की फाइल भी रोककर रखी थी। जावड़ेकर बोले, 'दिल्ली में काम करे कोई, टोपी पहने कोई हो रहा है।'

नई दिल्ली,दिल्ली विधानसभा चुनावों (Delhi Assembly Elections 2020) के दंगल में इस बार कई दिग्गज नहीं होंगे। असमय मौत और दूसरे कारणों के चलते दिल्ली की सियासत में दखल रखने वालों के बगैर विधानसभा चुनाव होगा। बीते 14 माह में राजधानी ने तीन पूर्व मुख्यमंत्री खोए हैं। साथ ही उम्र और दूसरे कारणों से भी कई बड़े नेता चुनावी समर में नहीं दिखाई देंगे।
विधानसभा चुनावों की घोषणा कभी भी हो सकती है। 22 फरवरी से पहले नई सरकार का गठन होना है। आप, भाजपा और कांग्रेस अपनी-अपनी चुनावी रणनीति में जुट गए हैं। बीते चुनावों में भाजपा और कांग्रेस की कमान संभालने वाले नेता इस चुनाव में नहीं होंगे। 2020 के चुनावों में दोनों पार्टियों का जिम्मा नए कंधों पर होगा।

बगैर पूर्व मुख्यमंत्री के चुनाव : दिल्ली ने अपने तीन पूर्व मुख्यमंत्री बीते 14 महीने में खोए हैं। इस बार बगैर पूर्व मुख्यमंत्री के ही दिल्ली का चुनावी रण होगा। कांग्रेस से शीला दीक्षित तीन बार मुख्यमंत्री रही हैं। 1998 से 2015 तक पांच विधानसभा चुनाव शीला दीक्षित के नेतृत्व में लड़े गए। उधर, दिल्ली में भाजपा की पहचान रहे पूर्व मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना का निधन 27 अक्टूबर 2018 को हो गया। भाजपा को दूसरा झटका सुषमा स्वराज के रूप में लगा। पूर्व मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज का निधन छह अगस्त 2019 को हो गया। सुषमा सीधे तौर पर दिल्ली की सियासत में दखल नहीं देती थीं, लेकिन कई बार समीकरण साधने के लिए उनकी मदद ली जाती थी।
संवैधानिक पद के कारण बेदी और मुखी भी रहेंगे दूर
बीते विधानसभा चुनाव में किरण बेदी को भाजपा ने मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया था। इस समय किरण बेदी पुड्डुचेरी की उपराज्यपाल हैं। संवैधानिक पद के चलते किरण बेदी का इन चुनावों में योगदान नहीं रहेगा। दिल्ली सरकार में मंत्री रहे और भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे जगदीश मुखी भी विधानसभा चुनावों में सक्रिय नहीं रहेंगे। मुखी असम के राज्यपाल हैं। अपनी उम्र के चलते दिल्ली में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार रहे प्रो. विजय मल्होत्रा भी अब सक्रिय नहीं हैं।

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भगवा वस्त्र पर टिप्पणी करने वाली कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पर पलटवार करते हुए कहा है कि राजनीति के लिए धर्मों की लड़ाई न शुरू की जाये.

शर्मा ने मुख्यमंत्री पर भगवा चोला धारण करने के बावजूद हिंसक बदला लेने का आरोप लगाने वाली गांधी की प्रेस कांफ्रेंस के बाद आनन-फानन में बुलाये गये संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कांग्रेस महासचिव ने मुख्यमंत्री के साथ-साथ भगवा को भी आरोपित कर दिया है. उन्होंने कहा, योगी जी ने धर्म को धारण किया है. हिंदू धर्म किसी का अहित करना नहीं सिखाता.

हिंदू धर्म में किसी अन्य धर्म के अपमान की बात ही नहीं है. इतना विशाल हिंदू धर्म है. यह, उसको आप कह रहे हैं कि धारण करने वाला व्यक्ति ऐसा काम कर रहा है. उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आप अपनी राजनीति में आकर धर्मों की लड़ाई को प्रारंभ कर रही हैं. कृपया ऐसा न करें. यह हिंदू और मुसलमान का प्रश्न नहीं है. यह भारत के भविष्य और राष्ट्रीय एकता का सवाल है.

उन्होंने कहा, आप भगवा को गाली देंगी, मगर आप से कोई खुश होने वाला नहीं है और न ही भगवा को छोड़ने वाला है. आप जितनी गाली देंगी, उतना ही हमारा आत्मबल बढ़ता जायेगा. गांधी ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा था कि बदला लेने की बात करने वाले योगी ने उस हिंदू धर्म के चिह्न यानी भगवा को धारण किया है जिसमें हिंसा और बदले की भावना की कोई जगह नहीं है.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के बदला लेने के बयान पर पुलिस प्रशासन कायम है. इस देश के इतिहास में शायद पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने ऐसा बयान दिया. शर्मा ने एक सवाल पर कहा कि मुख्यमंत्री ने बदले में शब्द का प्रयोग किया था, मगर उनका मतलब हिंसा में तोड़ी गयी सरकारी संपत्ति के बदले में उसके दोषियों की संपत्ति बेचकर भरपाई करने से था.

मुंबई: फेसबुक पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ कमेंट करना एक शख्स को भारी पड़ गया. शिवसेना की महिला कार्यकर्ताओं ने इस शख्स के मुंह को स्याही से रंग दिया. फेंक दी और उसके मुंह को काला लगा दिया. घटना बीड़ पंचायत समिति के ऑफिस की बताई जा रही है.
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ कमेंट करने वाला ये शख्स सुनील कुलकर्णी आम आदमी नहीं है. सुनील बीड़ पंचायत समिति में विस्तार अधिकारी के पद पर कार्यरत है. सुनील ने सोशल मीडिया पर सीएम उद्धव ठाकरे के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करते हुए कमेंट किया था जो शिवसेना के कार्यकर्ताओं को नागवार गुजरा.
इस कमेंट को देखने के बाद शिवसेना महिला जिला प्रमुख एडवोकेट संगीता चौहान ने कुलकर्णी के दफ्तर में जाकर उनका अपमान किया. इतना ही नहीं सुनील के ऊपर स्याही फेंक दी. उसके बाद उसके मुंह पर कालिख पोत दी. साथ ही संगीता ने धमकी भी दी. उन्होंने कहा, 'फिर ऐसी कोई कमेंट की तो याद रखना'. वहीं मामले को बढ़ता देख मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई और पूरे बीड़ में ये घटना चर्चा का विषय बन गई.

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