ईश्वर दुबे
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Bhilai
राष्ट्रीय गंगा परिषद की पहली बैठक शनिवार को यहां चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय परिसर में सुबह 11.10 बजे से होगी। बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। बैठक में गंगा की निर्मलता और अविरलता पर मंथन किया जाएगा। इस बैठक में दो राज्यों यूपी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, बिहार, यूपी के उप मुख्यमंत्री, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के अलावा गंगा किनारे स्थित सभी पांच राज्यों के कई मंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्र सहित 40 से अधिक प्रमुख लोग मौजूद रहेंगे।
बैठक में पांच राज्यों यूपी, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, पं बंगाल में गंगा की स्थिति को लेकर मंथन किया जाएगा। इन प्रदेशों में गंगा को निर्मल और अविरल बनाने के लिए अभी तक जो भी कार्य हुए हैं, मोदी उनकी समीक्षा करेंगे। इसके बाद आने वाले समय में गंगा को स्वच्छ और उसके किनारों को सुंदर बनाने के लिए क्या-क्या किया जा सकता है, इसकी कार्ययोजना भी तैयार की जाएगी।
शुक्रवार शाम तक बैठक में शामिल होने के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलक, यूपी के जल शक्ति मंत्री डा. महेंद्र सिंह सहित पर्यावरण मंत्रालय, नगर एवं आवास विकास मंत्रालय के अधिकारी यहां पहुंच चुके थे। कई मंत्रियों के सुबह आने की संभावना है।
बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी सभी मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और अधिकारियों के साथ अटल घाट से मोटर बोट के जरिए गंगा का निरीक्षण करेंगे। इस दौरान वे सीसामऊ नाले के पास खड़े होकर सेल्फी लेंगे। सेल्फी लेने की वजह यह है कि लंबे समय से गंगा में गिरने वाले सीसामऊ नाले को मोड़ने में केेंद्र सरकार को सफलता मिली है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ दिल्ली के रामलीला मैदान से आवाज बुलंद करने जा रही है। भारत बचाओ रैली के माध्यम से कांग्रेस केंद्र पर हमला करेगी। वहीं, एक बार फिर राहुल की बतौर पार्टी अध्यक्ष पद पर वापसी के स्वर भी सुनाई दे सकते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी की पहली बड़ी रैली है। रैली के ठीक पहले जिस तरह भाजपा ने राहुल को घेरने की कोशिश की, उससे साफ है कि शनिवार को कांग्रेस नेताओं के साथ राहुल का रुख भी आक्रामक रहेगा। कांग्रेस आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा और किसानों के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरेगी। नागरिकता कानून के खिलाफ पूर्वोत्तर राज्यों में हिंसा के साथ ही पश्चिम बंगाल और केरल में इसे लागू न करने के फैसले से यह मुद्दा भी कांग्रेस के एजेंडे में शामिल हो गया है। शुक्रवार से ही राज्यों से नेता कांग्रेस मुख्यालय पहुंचने लगे थे।
भारतीय दूतावासों के सामने भी होंगे प्रदर्शन
बेरोजगारी, बदहाल अर्थव्यवस्था और किसानों के मुद्दे पर इंडियन ओवरसीज कांग्रेस (आईओसी) ने शनिवार को दुनियाभर में भारतीय दूतावासों और उच्चायोग के बाहर प्रदर्शन करने का फैसला किया है। आईओसी के सचिव वीरेंद्र वशिष्ठ ने कहा, ‘विदेश में रह रहे भारतीय मूल के लोग देश के हालात को लेकर चिंतित हैं।
केंद्र सरकार की गलत नीतियों के चलते देश की अर्थव्यवस्था बुरी स्थिति में पहुंच चुकी है। विदेश में बसे भारतीय मूल के लोग इन सब मुद्दों पर भारतीय दूतावासों के बाहर प्रदर्शन करेंगे।’ वशिष्ठ के मुताबिक, आईओसी के अध्यक्ष सैम पित्रोदा अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जर्मनी, सऊदी अरब और ओमान में भारतीय दूतावासों और उच्चायोग के बाहर होने वाले प्रदर्शन की निगरानी करेंगे।
आज बंद रहेंगे रामलीला मैदान की ओर जाने वाले कई मार्ग
रामलीला मैदान में शनिवार को कांग्रेस की रैली की वजह से पुरानी दिल्ली के कई रास्ते बंद रहेंगे। यातायात पुलिस ने वाहन चालकों से रामलीला मैदान की ओर जाने वाले रास्ते से बचकर चलने की अपील की है और उन्हें वैकल्पिक रास्तों का इस्तेमाल करने की सलाह दी है।
ट्रैफिक के संयुक्त आयुक्त एनएस बुंदेला ने बताया कि रैली में काफी संख्या में लोगों के आने की संभावना है। इसको देखते हुए पुरानी दिल्ली व रामलीला मैदान के आसपास की कुछ सड़कों को बंद कर दिया जाएगा। कुछ मार्गों पर भारी वाहनों के परिचालन पर प्रतिबंध रहेगा।
इन रास्तों पर वाहनों की आवाजाही रहेगी बंद
-रंजीत सिंह फ्लाईओवर बाराखंभा से गुरुनानक चौक तक।
-विवेकानंद मार्ग (आने-जाने वाले दोनों रास्ते)।
-जवाहरलाल नेहरू मार्ग (राजघाट से दिल्ली गेट तक)।
-कमला मार्केट गोलचक्कर से गुरुनानक चौक।
-चमनलाल मार्ग नजदीक वीआईपी गेट।
-पहाड़गंज चौक से अजमेरी गेट की तरफ।
इन रास्तों पर कामर्शियल वाहनों को जाने की अनुमति नहीं
-जवाहरलाल नेहरू मार्ग से दिल्ली गेट और राजघाट तक।
-गुरुनानक चौक से अजमेरी गेट।
-कमला मार्केट गोल चक्कर से हमदर्द तक।
-डीडीयू मार्ग, मिंटो रोड लालबत्ती से कमला मार्केट की तरफ।
-अजमेरी गेट से हमदर्द चौक तक।
-मीरदर्द से तुर्कमान गेट तक।
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ दिल्ली के रामलीला मैदान से अपनी आवाज बुलंद करने वाली है। भारत बचाओ रैली के जरिए कांग्रेस केंद्र पर हमला करेगी। वहीं ऐसी अटकलें है कि राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर वापसी कर सकते हैं। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद सोनिया गांधी की यह पहली बड़ी रैली है। इसमें प्रियंका गांधी वाड्रा भी शामिल होंगी।
इसी बीच राहुल गांधी का कहना है कि भाजपा सरकार की तानाशाी के विरोध में वह आज जनसभा को संबोधित करेंगे। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, 'आज दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में कांग्रेस पार्टी की ओर से आयोजित भाजपा सरकार की तानाशाही, आईसीयू में पहुंचा दी गई अर्थव्यवस्था और लोकतंत्र की हत्या के विरोध मे जनसभा को संबोधित करूंगा।'
नई दिल्ली. देशभर में बढ़ रही रेप (Rape) की घटनाओं को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल रांधी (Rahul Gandhis) ने पीएम मोदी और बीजेपी पर तीखा हमला किया है. उन्होंने कहा है कि 'मेक इन इंडिया' का प्रोजेक्ट अब 'रेप इन इंडिया बन गया है'. उन्होंने ये बातें गुरुवार के झारखंड में एक चुनावी रैली में कही. उनके इस बयान के बाद लोकसभा में हंगामा मच गया और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी से मांफी मांगने को कहा.
राहुल का पूरा बयान
इस पूरे घटनाक्रम पर भारतीय जनता पार्टी की ने एक वीडियो ट्वीट किया है. इस वीडियो में राहुल गांधी कह रहे हैं - 'देखिये जहां भी आप देखो, देश में नरेंद्र मोदी ने कहा था मेक इन इंडिया... कहा था ना... आप जहां भी देखो.. मेक इन इंडिया नहीं भईया... रेप इन इंडिया... रेप इन इंडिया जहां भी देखों..'
पहले भी उड़ाया है मज़ाक
ये पहला मौका नहीं है जब राहुल गांधी ने मेक इन इंडिया का मज़ाक उड़ाया है. इससे पहले साल 2016 में लोकसभा में भी राहुल ने मेक इन इंडिया के सहारे बीजेपी सरकार और पीएम मोदी पर तंज कसा था. जिसके बाद पीएम मोदी ने नाराज़गी जताई थी. इसके अलावा वो कई बार चुनावी रैलीयों में भी ‘मेक इन इंडिया’ नारे का मजाक उड़ा चुके हैं.
'माफी मांगे राहुल'
स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी से मांफी मांगने को कहा है. उन्होंने कहा कि राहुल ने देश की महिलाओं का अपमान किया. स्पीकर ओम बिरला की मौजूदगी में स्मृति ने कहा- 'इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई नेता यह कह रहा है कि भारतीय महिलाओं के साथ बलात्कार किया जाना चाहिए. क्या यह राहुल गांधी का देश के लोगों के लिए संदेश है?'
भाजपा के कई अन्य मंत्रियों और सदस्यों ने भी राहुल गांधी से माफी की मांग की. कांग्रेस सदस्य भी नारेबाजी कर रहे थे और पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी यह शिकायत करते नजर आए कि उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। ममता ने गुरुवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने निवेश के लिए प्रतिकूल माहौल बना दिया है। ममता ने कहा कि भारतीय उद्योगपति नियमित टैक्स के साथ-साथ सीबीआई टैक्स चुकाने को लेकर भी चिंता में रहते हैं। यहां सीबीआई टैक्स से सीएम ममता का आशय केंद्रीय जांच एजेंसी से क्लीयरेंस पाना था। ममता ने यह बात 'बंगाल बिजनेस कॉन्क्लेव' के आखिरी सत्र में कही। सीएम ने कहा कि मेरी उद्योगपतियों से अपील है कि वह पश्चिम बंगाल में निवेश करें। ममता उद्योगपतियों को आश्वासन देते हुए कहा कि यहां आपको किसी तरह का कोई मानसिक दबाव नहीं झेलना पड़ेगा।
टैक्स के कारण हर व्यापारी डरा हुआ है: ममता
ममता ने कॉन्क्लेव में कहा कि उद्योग जगत के कुछ दोस्तों ने उन्हें बताया है कि उन्हें व्यापार करने के दौरान कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कई तरह के टैक्स चुकाने पड़ते हैं। इनकम टैक्स, कस्टम, सीबीआई टैक्स। उन्होंने बताया कि ऐसे में हर कोई व्यापार करने से डरा हुआ है। कई मानसिक परेशानियां हैं। यदि यह सब ऐसे ही चलता रहा तो फिर वे व्यापार कैसे करेंगे।
ममता ने कहा कि आप बंगाल में बिना किसी चिंता के आराम से व्यापार कर सकते हैं। बंगाल में किसी भी बात को लेकर डरने की जरूरत नहीं है। बंगाल की सरकार पूरी तरह से आपका सहयोग करेगी। उन्होंने कहा कि बंगला में हम आपको सुनिश्चित कर सकते हैं कि हमारी सुविधाएं, हमारा व्यवहार और मानवता आपको हर कदम पर सहयोग करेगी।
बंगाल की सीएम ने कहा कि यदि हर कोई आपके दरवाजे पर आकर कहेगा कि आप अपना व्यापार बंद कीजिए तो फिर कोई कैसे व्यापार कर पाएगा? उन्होंने कहा कि बंगाल में ऐसा बिल्कुल नहीं होगा। मैं चाहती हूं कि किसान, उद्योगपति और स्थानीय लोग शांतिपूर्ण ढंग से रहें।
20 देशों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की
पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य के पूर्वी मिदनापुर जिले के दीघा में दो दिवसीय 'बंगाल बिजनेस कॉन्क्लेव' का आयोजन किया। राज्य सरकार इसके माध्यम से पश्चिम बंगाल में निवेश को आकर्षित करना चाहती है। बंगाल बिजनेस कॉन्क्लेव में 20 देशों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की थी।
हालांकि, राज्य सरकार ने इस बात की जानकारी नहीं दी है कि कंपनियों ने कितने निवेश की घोषणा की है। समिट में शामिल होने वाले देशों में इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, रूस, जर्मनी, जापान, एस्टोनिया, चीन, अर्जेंटीना, अमेरिका और पौलेंड के प्रतिनिधि शामिल थे।
मोदी सरकार कैब के माध्यम से जो कर रही है वह कार्य स्वतंत्रता के तुरंत बाद नेहरू सरकार को करना चाहिए था। नेहरू सरकार ने इसके विपरीत कार्य किया, उन्होंने पाकिस्तान में छूटे हुये हिंदुओं को अनाथ समझकर अनदेखा किया और भारत में छूटे मुस्लिमों का तुष्टिकरण किया।
तो अंततः देश विभाजन के तुरंत बाद किया जाने वाला बहु-प्रतीक्षित व प्राकृतिक न्याय वाला कार्य अब पूर्ण हुआ और संसद ने नागरिकता संशोधन बिल पारित कर दिया। चाणक्य ने कहा था कि ऋण, शत्रु और रोग को समय रहते ही समाप्त कर देना चाहिए। जब तक शरीर स्वस्थ और आपके नियंत्रण में है, उस समय आत्म-साक्षात्कार के लिए उपाय अवश्य ही कर लेना चाहिए, क्योंकि मृत्यु के पश्चात कोई कुछ भी नहीं कर सकता। चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु और विश्व के नीतिशास्त्र व अर्थशास्त्र के प्रणेता कौटिल्य को यदि आज के संदर्भों मे पढ़ें तो राज्य का रोग तुष्टिकरण की राजनीति ही होता है। यदि राजनीति सही चली होती या रोगपूर्ण न होती तो धर्म के आधार पर भारत का विभाजन न हुआ होता और आज नरेंद्र मोदी सरकार को नागरिकता संशोधन बिल लाने की आवश्यकता न पड़ती। देश विभाजन के समय से लेकर आज तक हिंदुओं के साथ हो रहे सामाजिक, राजनैतिक अत्याचारों को रेखांकित करते हुये अमित शाह ने इस विधेयक के पारित होने के दौरान लोकसभा में कहा कि 1947 में पाकिस्तान में 23 फीसदी हिंदू थे लेकिन वहीं साल 2011 में ये आंकड़ा 1.4 प्रतिशत रह गया है। पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को देखते हुए भारत मूकदर्शक नहीं बना रह सकता। जहां इन पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यकों की संख्या चिंतनीय स्तर पर कम हुई है वहीं, भारत में मुस्लिम आबादी के प्रतिशत में असामान्य बढ़ोतरी हुई है।
बांग्लादेश, अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदाय हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। इस बहुप्रतीक्षित कानून के बाद घोषित रूप से इस्लामिक देशों में अत्याचार सह रहे हिंदुओं के भारत आने व यहां की वैध नागरिकता प्राप्त करने का स्वप्न साकार हो सकेगा। तथाकथित तौर पर कई राष्ट्रवादी नेताओं के मत की अनदेखी करके नेहरू ने लियाकत अली खान के साथ जो समझौता किया था वह प्रारंभ से ही दरक गया था। इस समझौते के अनुसार कभी भी हिंदुओं को पाकिस्तान में किसी भी प्रकार की सुरक्षा या संरक्षण नहीं मिला और सबसे बड़ी बात विगत सत्तर वर्षों में भारतीय सरकारों ने कभी भी इन देशों में छूट गए हिंदुओं की चिंता नहीं की। यहां छूट गए हिंदू अत्याचार सहते सहते या तो धर्मांतरण को मजबूर हुये या भगोड़े बनकर दूसरे देशों में अवैध नागरिक कहलाने लगे। वस्तुतः देश का विभाजन ही गलत वातावरण में किया गया था। गांधीजी कई कई बार बोलते थे कि “देश विभाजन मेरी लाश पर होगा”। उसी समय जिन्ना मुस्लिम समुदाय को विश्वास दिलाते थे कि मुस्लिमों का पाकिस्तान बनकर रहेगा। देश भर के हिंदुओं में गांधीजी की विश्वसनीयता के कारण व उनकी राजनैतिक शक्तियों के कारण हिंदू समाज आश्वस्त था कि विभाजन नहीं होगा, अतः वर्तमान पाकिस्तान में बसा हिंदू समाज लापरवाह था। उसने अपनी सम्पत्तियों, व्यवसाय, रिश्तेदारों के प्रति इस आश्वस्ति के कारण कोई व्यवस्था नहीं बनाई जबकि वर्तमान भारत में बसे मुस्लिम समुदाय ने अपनी संपत्ति, व्यवसाय व रिश्तेदारियों को व्यवस्थित व सावधानीपूर्वक स्थानांतरित करने की पूरी योजना बना रखी थी। इस प्रकार विभाजन में सबसे बड़ी हानि हिंदुओं की हुई।
यह भी उल्लेखनीय है कि वर्तमान पाकिस्तान में उस समय की अधिकांश संपत्तियों, व्यवसाय व संसाधनों पर हिंदुओं का ही स्वामित्व होता था वहीं मुस्लिमों की स्थिति निर्धनता की थी, अतः इस दृष्टि से भी विभाजन हिंदुओं हेतु के लिए अति पीड़ादायक व हानिकारक रहा, वहीं मुस्लिमों को कई बनी बनाई संपत्तियां, व्यवसाय आदि कब्जा करने को मिल गए थे। सर्वविदित व अकाट्य तथ्य है कि स्वतंत्रता के बाद जो हिंदू पाकिस्तान या बांग्लादेश में बच गए थे वे प्रताड़ित होते रहे व उनके संसाधन छीने गए, जबकि भारत में अल्पसंख्यक समुदाय की स्थिति व संख्या सुदृढ़ होती गई। वस्तुतः नागरिकता संशोधन विधेयक विलंब से लाया गया विधिक मार्ग है जिससे विभाजन के समय के दीन-हीन हिंदुओं व अन्य समुदायों को पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के नारकीय जीवन से बाहर निकलने का सम्मानपूर्ण मार्ग निकल सकेगा। विभाजन धार्मिक आधार पर हुआ था व तब बड़ी संख्या में इस आधार पर ही जनसंख्या की अदला बदली भी हुई थी किंतु बड़ी संख्या में मुस्लिम भारत में छूट गए थे जो सम्मानपूर्वक नागरिक जीवन जीते रहे व असामान्य जनसंख्या वृद्धि करते रहे जबकि पाकिस्तान में छूटे हुये 23% हिंदू पाशविक अत्याचारों व बलपूर्वक धर्मांतरण का शिकार हुये व आज 1.4% की दयनीय दशा में आ गए हैं। आज मोदी सरकार कैब के माध्यम से जो कर रही है वह कार्य स्वतंत्रता के तुरंत बाद नेहरू सरकार को करना चाहिए था। नेहरू सरकार ने इसके विपरीत कार्य किया, उन्होंने पाकिस्तान में छूटे हुये हिंदुओं को अनाथ समझकर अनदेखा किया और भारत में छूट गए मुस्लिमों को तुष्टिकरण की राजनीति के माध्यम से अपना वोट बैंक बनाया व उन्हें अपने सर माथे बैठाते रहे।
हो यह रहा था कि पाकिस्तान में मुस्लिमों के अत्याचारों से तंग होकर जो हिंदू बंधु भारत को अपनी भूमि समझकर यहां आकर रह रहे थे उन्हें अवैध माना जा रहा था व उन्हें नागरिक नहीं माना जा रहा था। हिंदू अपनी ही जन्मभूमि में पराया व अपमानित जीवन जीने को अभिशप्त था। इस अधिनियम के माध्यम से यह स्थिति समाप्त होगी। अब इस प्रकार के उपेक्षित हिंदू बंधुओं को भारत में सम्मान पूर्ण जीवन मिलेगा। नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुसार पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान में अत्याचारों से तंग होकर बिना किसी दस्तावेज़ के भारत में प्रवेश कर चुके हिंदू अवैध अप्रवासी माने जाते थे। अवैध प्रवासियों को या तो जेल में रखा जा सकता है या फिर विदेशी अधिनियम, 1946 और पासपोर्ट अधिनियम, 1920 के तहत वापस उनके देश भेजा जा सकता है। मोदी सरकार ने इस संवेदनशील विषय में अपने पहले कार्यकाल में कार्य प्रारंभ कर दिया था और 2015 और 2016 में उपरोक्त 1946 और 1920 के कानूनों में संशोधन करके अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई को छूट दे दी थी। इसका मतलब यह हुआ कि इन धर्मों से संबंध रखने वाले लोग अगर भारत में वैध दस्तावेजों के बगैर भी रहते हैं तो उनको न तो जेल में डाला जा सकता है और न उनको निर्वासित किया जा सकता है। यह छूट उपरोक्त धार्मिक समूह के उन लोगों को प्राप्त है जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत पहुंचे हैं। इन्हीं धार्मिक समूहों से संबंध रखने वाले लोगों को भारत की नागरिकता का पात्र बनाने के लिए नागरिकता कानून-1955 में संशोधन के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक-2016 संसद में पेश किया गया था किंतु तब यह लोकसभा में पारित होकर राज्यसभा में विफल हो गया था व हिंदू चिंता का एक प्रमुख विषय कुत्सित व तुष्टिकरण राजनीति की भेंट चढ़ गया था।
-प्रवीण गुगनानी
लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के भारी हंगामे और विरोध के बीच नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो गया है। राज्यसभा में बिल के पक्ष में 125 और विपक्ष में 105 वोट पड़े। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के सांसदों ने सदन में इसपर तीखी बहस की। जिसका गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया। अब कांग्रेस इसे अदालत में चुनौती देने की तैयारी कर रही है जिसके संकेत पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने बुधवार को ही दे दिए थे। नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान पी चिदंबरम ने कहा कि यह विधेयक अदालत में गिर जाएगा। उन्होंने कहा, 'मुझे पूरा यकीन है कि ये बिल अदालत में नहीं टिकेगा। मेरे सवाल हैं कि आपने तीन देशों को ही क्यों चुना, बाकी को क्यों छोड़ा? आपने छह धर्मों को ही क्यों चुना? सिर्फ ईसाई को क्यों शामिल किया भूटान के ईसाई, श्रीलंका के हिंदुओं को क्यों बाहर रखा?'
जिसके जवाब में गृह मंत्री ने कहा कि संसद को मत डराइये कि इसके दायरे में कोई कोर्ट घुस जाएगा। उन्होंने कहा, 'संसद को मत डराइये कि इसके दायरे में कोई कोर्ट घुस जाएगा भला। हमारा काम अपनी विवेक, बुद्धि से कानून बनाना है और जो हमने किया है और मुझे यकीन है कि यह कानून अदालत में भी सही पाया जाएगा।' उन्होंने विरोधियों को बंद कमरे में आत्मा से सवाल पूछने की नसीहत दी।
अदालत जाने की तैयारी में कांग्रेस
कांग्रेस इस विधेयक के विरोध में अदालत जाने की तैयारी कर रही है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्यसभा में विधेयक का भारी विरोध करने वाले कपिल सिब्बल से जब पूछा गया कि क्या वह इसे अदालत में चुनौती देंगे तो उन्होंने कहा कि देखेंगे। वहीं अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि विधेयक को अदालत में चुनौती देने की संभावना है। पी चिंदबरम ने भी ट्वीट करके विधेयक को अदालत में चुनौती देने के संकेत दिए हैं।
नागरिकता विधेयक को लेकर भाजपा की सहयोगी पार्टी जनता दल यूनाइटेड के अंदर दो हिस्से हो गए हैं। सबसे पहले पार्टी के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने इसपर सवाल खड़े किए। इसके बाद पवन वर्मा ने भी विरोध के सुर अलापे। जिसके बाद पार्टी ने दोनों को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि पार्टी लाइन से हटकर बोलने वालों के विचार उनके निजी हो सकते हैं। ऐसे लोगों को इधर-उधर बोलने की बजाए पार्टी फोरम में अपनी बात रखनी चाहिए। हालांकि गुरुवार को फिर प्रशांत किशोर ने विधेयक के विरोध में ट्वीट किया है। उनका कहना है कि यह धर्म के आधार पर प्रताड़ित करने का आधार बनेगा।
किशोर ने ट्वीट कर कहा, 'हमें बताया गया था कि नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 नागरिकता प्रधान करने के लिए और यह किसी से भी उसकी नागरिकता को वापस नहीं लेगा। लेकिन सच यह है कि यह नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस के साथ मिलकर सरकार के हाथ में एक हथियार दे देगा। जिससे वह धर्म के धार पर लोगों के साथ भेदभाव कर और यहां तक कि उनपर मुकदमा चला सकती है।'
बुधवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि जो भी नेता अनावश्यक बयान दे रहे हैं उससे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है। चाहे कोई भी हो उसे नीतीश कुमार के व्यवक्तित्व, नेतृत्व और फैसले पर सवाल उठाने की किसी को इजाजत नहीं है।
नई दिल्ली. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के राज्यसभा में पेश होने से पहले केंद्र की मोदी सरकार पर पूर्वोत्तर के जनजीवन पर आपराधिक हमला करने का आरोप लगाया. राहुल ने मंगलवार को ट्वीट किया, नागरिकता संशोधन विधेयक पूर्वोत्तर, उनके जीवन के तौर-तरीके और भारत के विचार पर आपराधिक हमला है.
राहुल ने कहा- नागरिकता संशोधन विधेयक मोदी-शाह सरकार की पूर्वोत्तर के जातीय सफाये की कोशिश है. उन्होंने नागरिकता विधेयक के खिलाफ प्रदर्शनों पर कहा, मैं पूर्वोत्तर के लोगों के साथ खड़ा हूं और मैं उनकी सेवा में हाजिर हूं. इससे पहले मंगलवार को लोकसभा में पारित विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ छात्र संघों और वाम-लोकतांत्रिक संगठनों ने मंगलवार को पूर्वोत्तर के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किया.
इस दौरान सड़क अवरुद्ध होने के कारण अस्पताल ले जाते समय दो महीने के एक बीमार बच्चे की मौत हो गई. राज्यसभा में इस विधेयक को पेश किये जाने से एक दिन पहले असम में इस विधेयक के खिलाफ दो छात्र संगठनों के राज्यव्यापी बंद के आह्वान के बाद ब्रह्मपुत्र घाटी में जनजीवन ठप रहा.
ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू), नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन, वामपंथी संगठनों-एसएफआई, डीवाईएफआई, एडवा, एआईएसएफ और आइसा ने अलग से एक बंद आहूत किया. गुवाहाटी के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर जुलूस निकाले गये और प्रदर्शनकारियों ने इस विधेयक के खिलाफ नारेबाजी की.
नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन विधेयक को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सलाह पर लाया गया एक कदम बताते हुए भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने विपक्ष को राजनीतिक हितों के बजाय राष्ट्र के हित साधने की नसीहत दी और दावा किया कि तथा इससे पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक पहचान को कोई खतरा नहीं पहुंचेगा.
नड्डा ने राज्यसभा में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 18 दिसंबर 2003 में दिये गए एक बयान का हवाला दिया. उस समय सिंह ने तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को सलाह देते हुए कहा कि ऐसे प्रताडि़त शरणार्थियों को नागरिकता देने के मामले में सरकार को अपने रवैये को उदार बनाना चाहिए और नागरिकता कानून में बदलाव करने चाहिए. नड्डा ने दावा किया कि मनमोहन सिंह की बात को पूरा करते हुए हमारी सरकार इस विधेयक का लेकर आई है.
पूर्वोत्तर की चर्चा करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि पूर्वोत्तर में यह भ्रम फैलाया गया है कि इस क्षेत्र की सांस्कृति पहचान खत्म हो जाएगी. वहां लोगों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा. उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह इस बात का पहले ही स्पष्ट आश्वासन दे चुके हैं कि इस विधेयक के कानून बनने के बाद भी इनर परमिट व्यवस्था जारी रहेगी. पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक पहचान बरकार रहेगी. उनके अस्तित्व को कोई खतरा नहीं हुआ है.
उन्होंने कांग्रेस नेता आनंद शर्मा पर आरोप लगाया कि उन्होंने इस विधेयक के विरोध में कई ऐसे तर्क दिये हैं, जिनका मूल से संबंध नहीं है. इस विधेयक का एक ही आधार है कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में जिन लोगों की धार्मिक आधार पर प्रताडऩा हुई हैं, उन्हें भारत में शरण लेने पर नागरिकता दी जाएगी. इससे पूर्व विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस नेता शर्मा ने इस विधेयक को संविधान की मूल भावना और समानता के अधिकार के विरूद्ध बताया था. उन्होंने कहा कि राजनीति के हित में कुछ और होता है और देश के हित में कुछ और. उन्होंने विपक्ष को सलाह दी कि वे राजनीति का हित छोड़कर देश के हित को देखें.
नई दिल्ली : आज राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill 2019) के पेश होने से पहले दिल्ली में सुबह 9.30 बजेे बीजेपी संसदीय दल की बैठक शुरू हुई. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही बीजेपी के सभी वरिष्ठ नेतागण मौजूद रहे. बैठक में नागरिकता संशोधन बिल को लेकर चर्चा हुई और राज्यसभा में इसे पास कराने की रणनीति भी तय की गई.
बैठक करीब सवा 10 बजे खत्म हो गई.
दरअसल, नागरिकता संशोधन बिल 2019 (CAB) लोकसभा से पारित होने के बाद आज राज्यसभा में दोपहर 12 बजे पेश किया जाएगा. इस बिल की बहस के लिए 6 घंटे का वक्त सभापति की तरफ से रखा गया है. उधर, विपक्ष ने इस बिल का विरोध तेज कर दिया है. कांग्रेस ने अपनी सभी जिला इकाइयों को देशभर में प्रदर्शन करने को कहा है तो वहीं सरकार राज्यसभा में इस बिल को पास कराने के लिए प्रतिबद्ध दिख रही है. सरकार की तरफ से राज्यसभा के लिए पूरा होमवर्क किया गया है और तमाम पार्टियों से समर्थन लेकर संख्या बल जुटाने की कोशिश हो रही है.
सरकार को दूसरे दलों से समर्थन की उम्मीद
राज्यसभा में NDA के पास 106 का आंकड़ा है और दूसरे सहयोगी पार्टी के सहारे बहुमत का आकड़ा जुटाने का भरोसा है. किस पार्टी का सरकार को समर्थन मिलता है और कौन विरोध करती है इसकी तस्वीर बुधवार को साफ होगी लेकिन मोदी सरकार को पूरा भरोसा है लोकसभा की तरह ही राज्यसभा में बहुमत से इस बिल को पास कराने लेगी.
शिवसेना के बदले सुर, AIADMK ने किया सपोर्ट
लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करने वाली शिवसेना के सुर अब बदलते दिख रहे हैं. विधेयक के राज्यसभा में पेश होने से पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि इसपर पर्याप्त चर्चा होनी चाहिए. हालांकि AIADMK ने घोषणा की है कि वह नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करेगी.
यूएस की संस्था ने किया बिल का विरोध
लोकसभा में पास हुए इस बिल का अमेरिका (यूएस) के इंटरनेशनल कमीशन ऑन रिलीजन फ्रीडम ने भी विरोध किया है. कमीशन ने तो यहां तक कहा है कि लोकसभा के बाद यदि सरकार इस को राज्यसभा में पास कराती है तो यूएस को इस मामले में विरोध करना चाहिए. इसको नागरिकता अधिकारों का उल्लंघन बताया है, लेकिन यूएस के इस कमीशन की तरफ से की गई टिप्पणी को भारतीय विदेश मंत्रालय ने सिरे से खारिज कर दिया है.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ कहा है की यूएस के इंटरनेशनल कमीशन ऑन रिलीजन फ्रीडम की यह टिप्पणी गैर जिम्मेदाराना और अस्वीकार्य है कमीशन का नजरिया भारत को लेकर खास मानसिकता से ग्रसित है. भारत सरकार ने कहा कि आतंरिक मामलों में कोई दखल ना दे भारत ने यह बिल अपने देश में जो दूसरे देश से पीड़ित लोग पलायन करके आये हैं, उनको नागरिकता देने के लिए भारत सरकार लाई है एक तरह से इस बिल का स्वागत किया जाना चाहिए, लेकिन यूएस कमीशन विरोध कर रहा है.
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने नागरकिता विधेयक 2019 (Citizenship Amendment Bill 2019) पर मचे विवाद के बीच टिप्पणी की है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) की एक बैठक में पीएम मोदी ने कहा है कि नागरिकता विधेयक स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा.बीजेपी की बैठक में पीएम मोदी ने कहा, 'नागरिकता विधेयक को सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा, जो धार्मिक उत्पीड़न से भागे लोगों को स्थायी राहत देगा.'
पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि प्रधानमंत्री ने कहा, 'CAB पर विपक्ष पाकिस्तान की भाषा बोल रहा है.' बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 बुधवार को राज्यसभा में पेश होगा. इससे पहले विपक्ष के कड़े विरोध के बीच यह विधेयक सोमवार को लोकसभा में पास हुआ. लोकसभा में विधेयक के पक्ष में 311 और विरोध में 80 सदस्यों ने मतदान किया.
राहुल गांधी ने साधा निशाना
वहीं बुधवार को ही राहुल गांधी (Rahul Gandhi)ने बीजेपी पर बड़ा हमला बोला. कांग्रेस (Congress) के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को आरोप लगाया कि 'मोदी-शाह सरकार' नागरिकता संशोधन विधेयक के माध्यम से पूर्वोत्तर के नस्लीय सफाये का प्रयास कर रही है. उन्होंने विधेयक के खिलाफ पूर्वोत्तर में प्रदर्शन होने से जुड़ी खबर का हवाला देते हुए यह भी कहा कि वह पूर्वोत्तर की जनता के साथ मजबूती से खड़े हैं.
गांधी ने ट्वीट कर आरोप लगाया, 'नागरिकता विधेयक मोदी-शाह सरकार की ओर से पूर्वोत्तर के नस्लीय सफाये का प्रयास है. यह पूर्वोत्तर के लोगों, उनकी जीवन पद्धति और भारत के विचार पर हमला है.' उन्होंने कहा, 'मैं पूर्वोत्तर के लोगों के साथ खड़ा हूं और उनकी सेवा के लिए हाजिर हूं.'
लोकसभा में पास हो चुका है विधेयक
इससे पहले लोकसभा में पारित नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ छात्र संघों और वाम-लोकतांत्रिक संगठनों ने मंगलवार को पूर्वोत्तर के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान सड़क जाम होने के कारण अस्पताल ले जाते समय दो महीने के एक बीमार बच्चे की मौत हो गई. ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू), नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन, वामपंथी संगठनों-एसएफआई, डीवाईएफआई, एडवा, एआईएसएफ और आइसा ने अलग से एक बंद आहूत किया. गुवाहाटी के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर जुलूस निकाले गये और प्रदर्शनकारियों ने इस विधेयक के खिलाफ नारेबाजी की.
लोकसभा में भारी शोर-शराबे के बीच नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 पारित हो गया। इस विधेयक में तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक प्रताड़ना के शिकार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई धर्मावलंबियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। विधेयक के विरोध में 80 तो पक्ष में 311 वोट पड़े। सरकार की असली परीक्षा राज्यसभा में होगी।माना जा रहा है कि नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद के ऊपरी सदन में आज पेश किया जाएगा। यहां सत्ताधारी एनडीए के पास बहुमत नहीं है। मगर जिस तरह से अल्पमत में होने के बावजूद सरकार ने तीन तलाक और अनुच्छेद 370 को हटाने वाले विधेयक को पास करवा लिया था ठीक उसी तरह वह इसे भी पास करवा ही लेगी। आपको बताते हैं राज्यसभा में क्या है पूरा गणित।
राज्यसभा में सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के अपने 83 सांसद हैं। वहीं जनता दल (यूनाइटेड) के छह सांसद हैं। जेडीयू ने लोकसभा में बिल का समर्थन किया है। इसके अलावा एनडीए के पास शिरोमणी अकाली दल के तीन, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के एक और अन्य दलों के 13 सदस्यों का समर्थन है। इस तरह एनडीए गठबंधन के पास कुल 106 सांसदों का समर्थन है।
यूपीए गठबंधन में कांग्रेस के पास सबसे ज्यादा 48 सांसद हैं। वहीं लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल और शरद पवार की राष्ट्रवाती कांग्रेस पार्टी के पास चार-चार सांसद हैं। इसके अलावा डीएमके के पास पांच सासंद हैं और अन्य यूपीए सहयोगियों के तीन सांसद हैं। इस तरह यूपीए को कुल 62 सांसदों का समर्थन प्राप्त है।
कई पार्टियां ऐसी हैं जो न एनडीए में और न ही यूपीए में शामिल हैं। हालांकि विचारधारा के स्तर पर इन पार्टियों का रुख समय-समय पर बदल जाता है। ऐसी पार्टियों में सबसे बड़ी ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस है जिसके पास 13 सांसद हैं। इसके बाद अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के पास नौ, तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव की तेलंगाना राष्ट्र समिति के पास छह, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पास पांच, मायावती की बहुजन समाज पार्टी के पास चार, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के पास तीन, महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के पास दो, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पास एक और एचडी कुमारस्वामी की जनता दल (सेक्युलर) के पास एक सांसद है। इन्हें मिलाकर यह आंकड़ा 44 सांसदों का होता है।
कुछ पार्टियां ऐसी हैं जो एनडीए और यूपीए का हिस्सा नहीं हैं लेकिन उन्होंने नागरिकता संशोधन विधेयक के पक्ष में होने के संकेत दिए हैं। जिसमें तमिलनाडु एआईएडीएमके के 11, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बीजू जनता दल के सात, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस के दो, चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के दो सांसद हैं।
हाल में भाजपा का साथ छोड़कर एनसीपी और कांगेस के समर्थन से महाराष्ट्र में सरकार बनाने वाली शिवसेना ने लोकसभा में नागरिकता विधेयक के पक्ष में मतदान किया। राज्यसभा में उसके तीन सांसद हैं। माना जा रहा है कि वह ऊपरी सदन में विधेयक का समर्थन करेगी। तीन और सासंद भाजपा का समर्थन कर सकते हैं। इस तरह यह आंकड़ा 28 सांसदों को होता है।