ईश्वर दुबे
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Bhilai
रायपुर :
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार मंत्री गुरु खुशवंत साहेब के नवा रायपुर स्थित नवीन शासकीय आवास के गृहप्रवेश कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्यमंत्री श्री साय के धर्मगुरु गुरु बालदास साहेब जी को उनके जन्मदिन की बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए उन्हें शॉल व पुष्पगुच्छ भेंट किया।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, खाद्य मंत्री श्री दयालदास बघेल सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे।
रायपुर :
राज्यपाल श्री रमेन डेका कोटा स्थित डॉ. सीवी रमन विश्वविद्यालय के दूसरे दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। उन्होंने 195 विद्यार्थियों को पीएचडी को उपाधि और 189 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल प्रदान किया। उन्होंने इस दौरान विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित दीक्षांत स्मारिका सहित अन्य प्रकाशनों का विमोचन किया। अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में उन्होंने विद्यार्थियों को समर्पण, अनुशासन और निरंतर परिश्रम को जीवन का मूल मंत्र बताते हुए सफलता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
भाषा ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम
श्री डेका ने कहा कि भाषा ज्ञान का माध्यम है, बाधा नहीं। केवल अंग्रेजी जानने से कोई ज्ञानी नहीं बन जाता। भाषा ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम हो सकती है, लेकिन यह बाधा कभी नहीं बन सकती। उन्होंने कहा कि किसी भी भाषा में सच्चा ज्ञान तभी प्राप्त होता है जब हम उसमें मन, मस्तिष्क और व्यवहार से जुड़ते हैं। राज्यपाल ने दीक्षांत को सिर्फ एक समापन नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत करार दिया।
कार्यक्रम में केन्द्रीय आवासन एवं शहरी विकास राज्य मंत्री श्री तोखन साहू, उच्च शिक्षा मंत्री श्री टंकराम वर्मा, बेलतरा विधायक श्री सुशांत शुक्ला, डॉ. सीव्ही रमन विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री संतोष चौबे, कुलपति डॉ. प्रदीप कुमार घोष, कुलसचिव डॉ. अरविन्द कुमार तिवारी, आईआईटी भिलाई के निदेशक प्रोफेसर राजीव प्रकाश, आइसेक्ट समूह के सचिव डॉ. सिद्वार्थ चतुर्वेदी, कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल, एसएसपी श्री रजनेश सिंह सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे।
कड़ी मेहनत और अनुशासन लक्ष्य तक पहुंचने का मार्ग
राज्यपाल श्री डेका ने सफलता के तीन मुख्य स्तंभों दृढ़ता, कड़ी मेहनत और अनुशासन पर जोर देते हुए कहा कि यही वे गुण हैं जो किसी भी व्यक्ति को लक्ष्य तक पहुंचा सकते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को अपने माता-पिता और समाज के प्रति आभार प्रकट करने की सीख दी। जितनी भी सफलता आप जीवन में प्राप्त करें, अपने माता-पिता और मूल्यों को कभी न भूलें। समाज ने हमें बहुत कुछ दिया है अब हमें सोचना है कि हमने समाज को क्या दिया। उन्होंने विद्यार्थियों को समय का प्रभावी प्रबंधन करने का सुझाव देते हुए कहा कि आपके पास आज समय और स्थान दोनों हैं कि इनका सदुपयोग करें, क्योंकि यही आपकी सबसे बड़ी पूंजी हैं।
विद्यार्थी के बीच आपसी संवाद, विश्वास और प्रेरणा का रिश्ता जरूरी
राज्यपाल श्री डेका ने कहा कि शिक्षा केवल डिग्री नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण का माध्यम होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षक और विद्यार्थी के बीच आपसी संवाद, विश्वास और प्रेरणा का रिश्ता होना चाहिए। शिक्षा समावेशी होनी चाहिए और सीखने की प्रक्रिया कभी समाप्त नहीं होती। अपने संबोधन के समापन में राज्यपाल ने सीवी रमन विश्वविद्यालय को भविष्य में एक प्रमुख शैक्षणिक संस्थान बनने की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने आशा जताई कि यह विश्वविद्यालय आने वाले वर्षों में महत्वपूर्ण कीर्तिमान स्थापित करेगा। इस अवसर पर राज्यपाल श्री रमेन डेका ने एक पेड़ मां के नाम पर पौधा रोपण किया।
केंद्रीय आवासन एवं शहरी विकास एवं राज्य मंत्री श्री तोखन साहू ने कहा कि सपनों को हकीकत में बदलने के लिए समर्पण, अनुशासन और समय का सही उपयोग अनिवार्य है। उन्होंने युवाओं से निरंतर सीखते रहने का आह्वान किया। उच्च शिक्षा मंत्री श्री टंकराम वर्मा ने कहा कि दीक्षांत केवल शिक्षा की पूर्णता नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण में आपके सक्रिय शुरूआत का योगदान है। कुलाधिपति श्री संतोष चौबे ने विश्विद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
रायपुर :
आज का दिन केवल बस्तर ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ और देश के लिए ऐतिहासिक है। वर्षों तक हिंसा और भय की छाया में जी रहे 210 माओवादी कैडरों ने आज “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” कार्यक्रम के अंतर्गत बंदूक छोड़कर संविधान को अपनाने का निर्णय लिया है। यह छत्तीसगढ़ में शांति, विश्वास और विकास के नए युग का शुभारंभ है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने आज जगदलपुर में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए यह बात कही।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि जो युवा कभी माओवाद की झूठी विचारधारा के जाल में उलझे हुए थे, वे आज लोकतंत्र की शक्ति, संविधान के आदर्शों और राज्य सरकार की संवेदनशील नीतियों पर विश्वास जताते हुए समाज की मुख्यधारा में लौट रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि कुल 210 आत्मसमर्पित माओवादी कैडरों में एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, चार दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य, एक रीजनल कमेटी सदस्य, 22 डिविजनल कमेटी सदस्य, 61 एरिया कमेटी सदस्य और 98 पार्टी सदस्य शामिल हैं। इन पर कुल 9 करोड़ 18 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
समारोह में 210 माओवादी कैडरों ने कुल 153 हथियार समर्पित किए, जिनमें 19 AK-47, 17 SLR, 23 INSAS राइफलें, एक INSAS LMG, 36 .303 राइफलें, 4 कार्बाइन, 11 BGL लॉन्चर, 41 शॉटगन और एक पिस्तौल शामिल हैं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने इस अवसर को अपने जीवन के सबसे भावनात्मक और संतोषजनक क्षणों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि जिन युवाओं ने बंदूकें नीचे रखकर संविधान को थामा, उन्होंने छत्तीसगढ़ के भविष्य में शांति और एकता के बीज बोए हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि बदलाव नीतियों और विश्वास से आता है, भय और हिंसा से नहीं।
राज्य सरकार की “नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025”, “नियद नेल्ला नार योजना” और “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” जैसी पहल आज न केवल बस्तर, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में बदलाव की ठोस आधारशिला सिद्ध हो रही हैं। इन योजनाओं ने बंदूक और बारूद की जगह संवाद, संवेदना और विकास को स्थापित किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अभूतपूर्व आत्मसमर्पण केंद्र एवं राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है। पुलिस, सुरक्षा बल, स्थानीय प्रशासन, सामाजिक संगठन और नागरिक समाज — सभी ने मिलकर जिस समन्वित और निरंतर प्रयास से यह परिवर्तन संभव किया, वह बस्तर के इतिहास में मील का पत्थर है।
रायपुर :
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज बस्तर में 210 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण को राज्य ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया। उन्होंने कहा कि जो युवा कभी माओवाद के झूठे विचारधारा के जाल में फंसे थे, उन्होंने आज संविधान, लोकतंत्र और विकास की मुख्यधारा में लौटने का संकल्प लिया है।
बस्तर में नक्सल उन्मूलन की दिशा में ऐतिहासिक दिन, बंदूक छोड़ संविधान अपनाने वालों का स्वागत
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि आज का दिन केवल बस्तर ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ और देश के लिए ऐतिहासिक है। जिन युवाओं ने वर्षों तक अंधेरी राहों पर भटककर हिंसा का मार्ग चुना, उन्होंने आज अपने कंधों से बंदूक उतारकर संविधान को थामा है। यह न केवल आत्मसमर्पण का क्षण है, बल्कि विश्वास, परिवर्तन और नये जीवन की शुरुआत है।
153 हथियारों के साथ 210 नक्सलियों का आत्मसमर्पण
153 हथियारों के साथ 210 नक्सलियों का आत्मसमर्पण
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि बस्तर में बंदूकें छोड़कर सुशासन पर विश्वास जताने वाले इन युवाओं से मेरी मुलाकात मेरे जीवन के सबसे भावनात्मक और संतोष देने वाले पलों में से एक रही। यह दृश्य इस बात का प्रमाण है कि बदलाव नीतियों और विश्वास से आता है।
153 हथियारों के साथ 210 नक्सलियों का आत्मसमर्पण
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य शासन की नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025, “नियद नेल्ला नार योजना” और “पूना मारगेम - पुनर्वास से पुनर्जीवन” जैसी योजनाएँ विश्वास और परिवर्तन का आह्वान हैं। इन्हीं नीतियों के प्रभाव से नक्सल प्रभावित इलाकों में बंदूक छोड़कर लोग शासन की विश्वास और विकास की प्रतिज्ञा को स्वीकार कर रहे हैं।
153 हथियारों के साथ 210 नक्सलियों का आत्मसमर्पण
उन्होंने कहा कि आज का यह दृश्य केवल सरकार की सफलता नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के शांतिपूर्ण भविष्य का शिलान्यास है। हमारी सरकार आत्मसमर्पितों के पुनर्वास और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
153 हथियारों के साथ 210 नक्सलियों का आत्मसमर्पण
मुख्यमंत्री ने कहा कि डबल इंजन सरकार की प्रतिज्ञा है कि छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से पूर्णतः मुक्त किया जाए। उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन और केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी के नेतृत्व में यह प्रतिज्ञा पूर्ण हो रही है। छत्तीसगढ़ अब शांति, विश्वास और विकास के नए युग की ओर अग्रसर है।
153 हथियारों के साथ 210 नक्सलियों का आत्मसमर्पण
पूना मारगेम - पुनर्वास से पुनर्जीवन: दण्डकारण्य के 210 माओवादी कैडर लौटे समाज की मुख्यधारा में
राज्य शासन की व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति और शांति, संवाद एवं विकास पर केंद्रित सतत प्रयासों के परिणामस्वरूप बस्तर संभाग में आज नक्सल विरोधी मुहिम को ऐतिहासिक सफलता मिली है। ‘पूना मारगेम दृ पुनर्वास से पुनर्जीवन’ कार्यक्रम के अंतर्गत दण्डकारण्य क्षेत्र के 210 माओवादी कैडरों ने हिंसा का मार्ग त्यागकर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है।
153 हथियारों के साथ 210 नक्सलियों का आत्मसमर्पण
यह आत्मसमर्पण विश्वास, सुरक्षा और विकास की दिशा में बस्तर की नई सुबह का संकेत है। लंबे समय से नक्सली गतिविधियों से प्रभावित अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर क्षेत्र में यह ऐतिहासिक घटनाक्रम नक्सल उन्मूलन अभियान के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ के रूप में दर्ज होगा।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य शासन द्वारा अपनाई गई व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति ने क्षेत्र में स्थायी शांति की मजबूत नींव रखी है। पुलिस, सुरक्षा बलों, स्थानीय प्रशासन, सामाजिक संगठनों और सजग नागरिकों के समन्वित प्रयासों से हिंसा की संस्कृति को संवाद और विकास की संस्कृति में परिवर्तित किया जा सका है।
बस्तर के लिए ऐतिहासिक दिन, 153 अत्याधुनिक हत्यारों के साथ आत्मसमर्पण
यह पहली बार है जब नक्सल विरोधी अभियान के इतिहास में इतनी बड़ी संख्या में वरिष्ठ माओवादी कैडरों ने एक साथ आत्मसमर्पण किया है। आत्मसमर्पण करने वालों में एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, चार डीकेएसजेडसी सदस्य, 21 डिविजनल कमेटी सदस्य सहित अनेक वरिष्ठ माओवादी नेता शामिल हैं। इन कैडरों ने कुल 153 अत्याधुनिक हथियार जिनमें AK/47 SLR, INSA रायफल और LMG शामिल हैं, समर्पित किए हैं। यह केवल हथियारों का समर्पण नहीं, बल्कि हिंसा और भय के युग का प्रतीकात्मक अंत है। एक ऐसी घोषणा, जो बस्तर में शांति और भरोसे के युग की शुरुआत का संकेत देती है।
मुख्यधारा में लौटने वाले प्रमुख माओवादी नेता
मुख्यधारा में लौटने वाले प्रमुख माओवादी नेताओं में सीसीएम रूपेश उर्फ सतीश, डीकेएसजेडसी सदस्य भास्कर उर्फ राजमन मांडवी, रनीता, राजू सलाम, धन्नू वेत्ती उर्फ संतू, आरसीएम रतन एलम सहित कई वांछित और इनामी कैडर शामिल हैं। इन सभी ने संविधान पर आस्था व्यक्त करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था में सम्मानजनक जीवन जीने का संकल्प लिया।
मांझी-चालकी विधि से हुआ स्वागत, वंदे मातरम की गूंज के साथ संविधान के प्रति दिखाई निष्ठा
यह ऐतिहासिक आयोजन जगदलपुर पुलिस लाइन परिसर में हुआ, जहाँ आत्मसमर्पित कैडरों का स्वागत पारंपरिक मांझी-चालकी विधि से किया गया। उन्हें संविधान की प्रति और शांति, प्रेम एवं नए जीवन का प्रतीक लाल गुलाब भेंट कर सम्मानित किया गया। मांझी-चालकी प्रतिनिधियों ने कहा कि बस्तर की परंपरा सदैव प्रेम, सहअस्तित्व और शांति का संदेश देती रही है। जो साथी अब लौटे हैं, वे इस परंपरा को नई शक्ति देंगे और समाज में विश्वास की नींव को और मजबूत करेंगे। कार्यक्रम के अंत में सभी आत्मसमर्पित कैडरों ने संविधान की शपथ लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की। उन्होंने प्रतिज्ञा ली कि वे अब हिंसा के बजाय विकास और राष्ट्रनिर्माण की दिशा में योगदान देंगे। ‘वंदे मातरम’ की गूंज के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। यह क्षण केवल 210 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण का नहीं, बल्कि बस्तर में विश्वास, विकास और शांति के नए युग की शुरुआत का प्रतीक बन गया।
कार्यक्रम के दौरान पुलिस विभाग द्वारा आत्मसमर्पित माओवादियों को पुनर्वास सहायता राशि, आवास और आजीविका योजनाओं की जानकारी दी गई। राज्य शासन इन युवाओं को स्वरोजगार, कौशल विकास और शिक्षा से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि वे आत्मनिर्भर और सम्मानजनक जीवन जी सकें।
Dandakaranya Surrender: Total Cadre Profile
1. CCM 01 cadre
2. DKSZC 04 cadres
3. Regional Committee Member 01 cadre
रायपुर :
राज्य शासन की व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति और शांति, संवाद एवं विकास पर केंद्रित सतत प्रयासों के परिणामस्वरूप बस्तर संभाग में आज नक्सल विरोधी मुहिम को ऐतिहासिक सफलता मिली है। ‘पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन’ कार्यक्रम के अंतर्गत दण्डकारण्य क्षेत्र के 210 माओवादी कैडरों ने हिंसा का मार्ग त्यागकर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है।
यह आत्मसमर्पण विश्वास, सुरक्षा और विकास की दिशा में बस्तर की नई सुबह का संकेत है। लंबे समय से नक्सली गतिविधियों से प्रभावित अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर क्षेत्र में यह ऐतिहासिक घटनाक्रम नक्सल उन्मूलन अभियान के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ के रूप में दर्ज होगा।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य शासन द्वारा अपनाई गई व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति ने क्षेत्र में स्थायी शांति की मजबूत नींव रखी है। पुलिस, सुरक्षा बलों, स्थानीय प्रशासन, सामाजिक संगठनों और सजग नागरिकों के समन्वित प्रयासों से हिंसा की संस्कृति को संवाद और विकास की संस्कृति में परिवर्तित किया जा सका है।
‘पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन’: दण्डकारण्य के 210 माओवादी कैडर लौटे समाज की मुख्यधारा में
यह पहली बार है जब नक्सल विरोधी अभियान के इतिहास में इतनी बड़ी संख्या में वरिष्ठ माओवादी कैडरों ने एक साथ आत्मसमर्पण किया है। आत्मसमर्पण करने वालों में एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, चार डीकेएसजेडसी सदस्य, 21 डिविजनल कमेटी सदस्य सहित अनेक वरिष्ठ माओवादी नेता शामिल हैं। इन कैडरों ने कुल 153 अत्याधुनिक हथियार—जिनमें AK-47, SLR, INSAS रायफल और LMG शामिल हैं—समर्पित किए हैं। यह केवल हथियारों का समर्पण नहीं, बल्कि हिंसा और भय के युग का प्रतीकात्मक अंत है—एक ऐसी घोषणा, जो बस्तर में शांति और भरोसे के युग की शुरुआत का संकेत देती है।
मुख्यधारा में लौटने वाले प्रमुख माओवादी नेताओं में सीसीएम रूपेश उर्फ सतीश, डीकेएसजेडसी सदस्य भास्कर उर्फ राजमन मांडवी, रनीता, राजू सलाम, धन्नू वेत्ती उर्फ संतू, आरसीएम रतन एलम सहित कई वांछित और इनामी कैडर शामिल हैं। इन सभी ने संविधान पर आस्था व्यक्त करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था में सम्मानजनक जीवन जीने का संकल्प लिया।
‘पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन’: दण्डकारण्य के 210 माओवादी कैडर लौटे समाज की मुख्यधारा में
यह ऐतिहासिक आयोजन जगदलपुर पुलिस लाइन परिसर में हुआ, जहाँ आत्मसमर्पित कैडरों का स्वागत पारंपरिक मांझी-चालकी विधि से किया गया। उन्हें संविधान की प्रति और शांति, प्रेम एवं नए जीवन का प्रतीक लाल गुलाब भेंट कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) श्री अरुण देव गौतम ने कहा कि “पूना मारगेम केवल नक्सलवाद से दूरी बनाने का प्रयास नहीं, बल्कि जीवन को नई दिशा देने का अवसर है। जो आज लौटे हैं, वे बस्तर में शांति, विकास और विश्वास के दूत बनेंगे।” उन्होंने आत्मसमर्पित कैडरों से समाज निर्माण में अपनी ऊर्जा लगाने का आह्वान किया।
इस अवसर पर एडीजी (नक्सल ऑपरेशन्स) श्री विवेकानंद सिन्हा, सीआरपीएफ बस्तर रेंज प्रभारी, कमिश्नर श्री डोमन सिंह, बस्तर रेंज आईजी श्री सुंदरराज पी., कलेक्टर श्री हरिस एस., बस्तर संभाग के सभी पुलिस अधीक्षक, वरिष्ठ अधिकारी और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
कार्यक्रम के दौरान पुलिस विभाग द्वारा आत्मसमर्पित माओवादियों को पुनर्वास सहायता राशि, आवास और आजीविका योजनाओं की जानकारी दी गई। राज्य शासन इन युवाओं को स्वरोजगार, कौशल विकास और शिक्षा से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि वे आत्मनिर्भर और सम्मानजनक जीवन जी सकें।
मांझी-चालकी प्रतिनिधियों ने कहा कि बस्तर की परंपरा सदैव प्रेम, सहअस्तित्व और शांति का संदेश देती रही है। जो साथी अब लौटे हैं, वे इस परंपरा को नई शक्ति देंगे और समाज में विश्वास की नींव को और मजबूत करेंगे।
कार्यक्रम के अंत में सभी आत्मसमर्पित कैडरों ने संविधान की शपथ लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की। उन्होंने प्रतिज्ञा ली कि वे अब हिंसा के बजाय विकास और राष्ट्रनिर्माण की दिशा में योगदान देंगे।
‘वंदे मातरम्’ की गूंज के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। यह क्षण केवल 210 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण का नहीं, बल्कि बस्तर में विश्वास, विकास और शांति के नए युग की शुरुआत का प्रतीक बन गया।
रायपुर :
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय आज कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर में आयोजित सर्व पिछड़ा वर्ग समाज के 13वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने 90 करोड़ रुपये की लागत से 26 निर्माण कार्यों का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया।
मुख्यमंत्री श्री साय ने जिले के प्रत्येक विकासखंड में 50-50 लाख रुपये की लागत से एक-एक सामुदायिक भवन के निर्माण तथा पोस्ट मैट्रिक छात्रावासों में ओबीसी विद्यार्थियों की सीटों में वृद्धि करने की घोषणा की। कार्यक्रम में प्रदेश के उप मुख्यमंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री श्री अरुण साव तथा वित्त मंत्री श्री ओ. पी. चौधरी भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रदेश सरकार पिछड़ा वर्ग के विकास और हितों को लेकर पूरी तरह संवेदनशील और प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग को संवैधानिक अधिकार प्रदान किए गए हैं, जिसके लिए पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन भी किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन केवल प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि बस्तर के विकास में सबसे बड़ी बाधा नक्सलवाद अब समाप्ति की ओर अग्रसर है। उन्होंने बताया कि शासन की नीतियों और रीति-नीति से प्रभावित होकर जगदलपुर में आज 210 भटके हुए लोग मुख्यधारा में लौटे हैं तथा उन्होंने 153 हथियार भी जमा किए हैं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि मोदी की गारंटी को पूर्ण करने के लिए प्रदेश सरकार पिछले 22 महीनों से समर्पण के साथ कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने वायदे के अनुरूप तेंदूपत्ता खरीदी की कीमत में वृद्धि की, 3100 रुपये प्रति क्विंटल के मान से धान खरीदा, रामलला दर्शन योजना लागू की तथा मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा योजना को पुनः प्रारंभ किया। इसके अतिरिक्त भी अनेक जनहितकारी और महत्वाकांक्षी योजनाएँ संचालित की जा रही हैं।
मुख्यमंत्री ने सर्व पिछड़ा वर्ग समाज के स्थापना दिवस की बधाई देते हुए समाजजनों से शासन की योजनाओं से जुड़कर विकास में सहभागी बनने की अपील की।
इससे पूर्व उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने समाजजनों को बधाई देते हुए समाज में अपनी भूमिका को और सशक्त करने का आह्वान किया। वित्त मंत्री श्री ओ. पी. चौधरी ने कहा कि पिछड़ा वर्ग समाज मेहनतकश और कर्मठ है। उन्होंने आने वाली पीढ़ी को बेहतर ढंग से शिक्षित करने और अपने अधिकारों के प्रति सजग एवं जागरूक रहने की अपील की। उन्होंने जिले में संचालित ‘मावा मोदोल कोचिंग संस्थान’ की सराहना करते हुए अधिक से अधिक युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए प्रोत्साहित करने की बात कही।
मुख्यमंत्री श्री साय ने सर्व पिछड़ा वर्ग सम्मेलन के दौरान कुल 90 करोड़ 06 लाख 88 हजार रुपये के विकास कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास किया। इनमें 56 करोड़ 51 लाख 40 हजार रुपये की लागत से 14 विकास कार्यों का शिलान्यास तथा 33 करोड़ 55 लाख 48 हजार रुपये की लागत से 12 निर्माण कार्यों का लोकार्पण सम्मिलित है।कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री ने ओबीसी वर्ग के तीन मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित किया।
इस अवसर पर सांसद श्री भोजराज नाग, अंतागढ़ विधायक श्री विक्रम उसेंडी, भानुप्रतापपुर विधायक श्रीमती सावित्री मंडावी, कांकेर विधायक श्री आशाराम नेताम, पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष श्री नेहरू निषाद, प्रदेश मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष श्री भरत मटियारा सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।
*मुख्यधारा में लौटे माओवादी कैडर — बस्तर में शांति, विश्वास और विकास की नई सुबह : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय*
रायपुर 17 अक्टूबर 2025/आज का दिन केवल बस्तर ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ और देश के लिए ऐतिहासिक है। वर्षों तक हिंसा और भय की छाया में जी रहे 210 माओवादी कैडरों ने आज “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” कार्यक्रम के अंतर्गत बंदूक छोड़कर संविधान को अपनाने का निर्णय लिया है। यह छत्तीसगढ़ में शांति, विश्वास और विकास के नए युग का शुभारंभ है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने आज जगदलपुर में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए यह बात कही।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि जो युवा कभी माओवाद की झूठी विचारधारा के जाल में उलझे हुए थे, वे आज लोकतंत्र की शक्ति, संविधान के आदर्शों और राज्य सरकार की संवेदनशील नीतियों पर विश्वास जताते हुए समाज की मुख्यधारा में लौट रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि कुल 210 आत्मसमर्पित माओवादी कैडरों में एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, चार दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य, एक रीजनल कमेटी सदस्य, 22 डिविजनल कमेटी सदस्य, 61 एरिया कमेटी सदस्य और 98 पार्टी सदस्य शामिल हैं। इन पर कुल 9 करोड़ 18 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
समारोह में 210 माओवादी कैडरों ने कुल 153 हथियार समर्पित किए, जिनमें 19 AK-47, 17 SLR, 23 INSAS राइफलें, एक INSAS LMG, 36 .303 राइफलें, 4 कार्बाइन, 11 BGL लॉन्चर, 41 शॉटगन और एक पिस्तौल शामिल हैं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने इस अवसर को अपने जीवन के सबसे भावनात्मक और संतोषजनक क्षणों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि जिन युवाओं ने बंदूकें नीचे रखकर संविधान को थामा, उन्होंने छत्तीसगढ़ के भविष्य में शांति और एकता के बीज बोए हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि बदलाव नीतियों और विश्वास से आता है, भय और हिंसा से नहीं।
राज्य सरकार की “नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025”, “नियद नेल्ला नार योजना” और “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” जैसी पहल आज न केवल बस्तर, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में बदलाव की ठोस आधारशिला सिद्ध हो रही हैं। इन योजनाओं ने बंदूक और बारूद की जगह संवाद, संवेदना और विकास को स्थापित किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अभूतपूर्व आत्मसमर्पण केंद्र एवं राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है। पुलिस, सुरक्षा बल, स्थानीय प्रशासन, सामाजिक संगठन और नागरिक समाज — सभी ने मिलकर जिस समन्वित और निरंतर प्रयास से यह परिवर्तन संभव किया, वह बस्तर के इतिहास में मील का पत्थर है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह दृश्य न केवल बस्तर बल्कि पूरे भारत के लिए प्रेरणा है — कि यदि नीयत साफ हो और नीतियाँ जनसंबंधी हों, तो हिंसा का अंत और शांति की शुरुआत संभव है।मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सामूहिक आत्मसमर्पण बस्तर में नक्सल उन्मूलन अभियान के इतिहास की सबसे बड़ी सफलता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आत्मसमर्पण हिंसा की जड़ को समाप्त करने की दिशा में निर्णायक कदम है। “अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर, जहाँ कभी भय का शासन था, वहाँ आज विश्वास का शासन है। जो कल जंगलों में छिपे थे, आज वे समाज के निर्माण में सहभागी बन रहे हैं,”।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि डबल इंजन सरकार की यह दृढ़ प्रतिज्ञा है कि छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से पूर्णतः मुक्त किया जाए। उन्होंने कहा — “प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन और केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी के नेतृत्व में हम इस लक्ष्य की ओर तेज़ी से बढ़ रहे हैं। बस्तर का यह परिवर्तन उसी संकल्प का प्रमाण है।”
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आत्मसमर्पित कैडरों के पुनर्वास और पुनर्स्थापन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। प्रत्येक व्यक्ति को स्वरोजगार, प्रशिक्षण, आवास, शिक्षा और आजीविका के अवसर प्रदान किए जाएंगे ताकि वे सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें और समाज के विकास में सक्रिय भूमिका निभा सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आत्मसमर्पण “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” के उस मूल भाव का विस्तार है, जो यह संदेश देता है कि परिवर्तन का मार्ग हिंसा नहीं, बल्कि विश्वास है। यह कार्यक्रम अब पूरे बस्तर क्षेत्र में पुनर्वास, शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका सुधार की दिशा में नई ऊर्जा लेकर आएगा।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह ऐतिहासिक घटना यह सिद्ध करती है कि जब सरकार की नीतियाँ संवेदनशील और जनकेंद्रित होती हैं, तब सबसे कठिन समस्याएँ भी सुलझाई जा सकती हैं। उन्होंने कहा — “हमारा लक्ष्य केवल नक्सलवाद का अंत नहीं, बल्कि एक नए बस्तर का निर्माण है — जहाँ हर घर में विश्वास और हर मन में विकास का उजाला हो।”
मुख्यमंत्री ने क्षेत्र की जनता, जनप्रतिनिधियों, मीडिया, सुरक्षा बलों और नागरिक समाज को इस परिवर्तन के सहयोगी बनने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि शांति, विकास और समृद्धि की यह यात्रा तभी स्थायी होगी जब समाज का प्रत्येक वर्ग इस परिवर्तन की भावना को आत्मसात करेगा।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बस्तर को नए उद्योग, बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और कनेक्टिविटी के माध्यम से आत्मनिर्भर क्षेत्र में परिवर्तित करेगी। जंगलों की हरियाली के साथ यहाँ के युवाओं के जीवन में भी उजाला फैलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर के इतिहास में यह वह क्षण है, जब “बंदूक की गूंज” की जगह “विकास की गूंज” सुनाई दे रही है। यह उस बस्तर का पुनर्जन्म है, जहाँ अब भय नहीं, विश्वास और बंधुत्व का शासन होगा।
अंत में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा — “यह केवल आत्मसमर्पण नहीं, बल्कि आत्मजागरण की यात्रा है। यह छत्तीसगढ़ की नई पहचान है — शांति, विश्वास और विकास की। आने वाले समय में बस्तर न केवल नक्सल मुक्त होगा, बल्कि देश के लिए शांति और परिवर्तन का मॉडल बनेगा।
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्रीद्वय श्री अरुण साव और श्री विजय शर्मा, सांसद श्री महेश कश्यप, जगदलपुर विधायक श्री किरण सिंह देव, पुलिस महानिदेशक श्री अरुणदेव गौतम, एडीजी सीआरपीएफ श्री अमित कुमार, एडीजी बीएसएफ श्री नामग्याल, एडीजी (एएनओ) श्री विवेकानंद झा, बस्तर रेंज के आईजी श्री सुंदरराज पी, बस्तर के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक तथा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
रायपुर :
राजस्व मंत्री श्री टंक राम वर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) के प्रभावी क्रियान्वयन विषय आयेाजित कार्यशाला केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि नए छत्तीसगढ़ के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विजन 2047 के अनुरूप भारत को विकसित एवं समृद्ध राष्ट्र बनाने में नई शिक्षा नीति की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। छत्तीसगढ़ शासन के तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री खुशवंत साहेब ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य केवल सैद्धांतिक ज्ञान तक सीमित न रहकर विद्यार्थियों को व्यावहारिक, कौशल आधारित एवं रोजगारोन्मुखी शिक्षा प्रदान करना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति से छत्तीसगढ़ राज्य में तकनीकी शिक्षा को नई ऊँचाइयाँ मिले
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) के प्रभावी क्रियान्वयन एवं इस विषय पर मार्गदर्शन के उद्देश्य से आज रायपुर स्थित न्यू सर्किट हाउस में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला तकनीकी शिक्षा विभाग एवं स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय, भिलाई के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुई।
अनुसंधान और नवाचार को विशेष प्राथमिकता
मंत्री श्री वर्मा ने कहा कि नई शिक्षा नीति भारत की शिक्षा व्यवस्था को 21 वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप ढालने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है। उन्होंने बताया कि राज्य में अब तकनीकी शिक्षा संचालनालय के अधीनस्थ तथा स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी शासकीय एवं निजी महाविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि एनईपी-2020 से तकनीकी शिक्षा को नई दिशा मिली है, जिसमें कौशल विकास, व्यावसायिक शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार को विशेष प्राथमिकता दी गई है। मल्टीपल एंट्री-एग्जिट सिस्टम, एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट और इंडस्ट्री लिंक्ड करिकुलम जैसी व्यवस्थाएं शिक्षा को अधिक लचीला और उपयोगी बना रही हैं। श्री वर्मा ने कहा कि कोई भी नीति या योजना तभी सफल होती है जब हम सब मिलकर उस पर कार्य करें। उन्होंने शिक्षकों को परिवर्तन के वास्तविक वाहक बताते हुए कहा कि उनकी सक्रिय भागीदारी से ही नीति के उद्देश्यों की पूर्ति संभव है।
रायपुर :
दामिनी (Damini) भारत सरकार द्वारा बनाया गया एक मोबाइल ऐप है जो लोगों को आकाशीय बिजली गिरने से पहले सचेत करता है, जिससे जान-माल की हानि को कम किया जा सके। यह ऐप मौसम विभाग के उपकरणों जैसे इसरो सैटेलाइट और रडार सेंसर का उपयोग करता है और उपयोगकर्ता के स्थान के 20-40 किलोमीटर के दायरे में बिजली गिरने से पहले अलर्ट भेजता है। इसी प्रकार मेघदूत ऐप एक मोबाइल एप्लिकेशन है जो किसानों को मौसम-आधारित कृषि सलाह देता है। यह ऐप किसानों को स्थानीय मौसम पूर्वानुमान, तापमान, वर्षा और आर्द्रता जैसी जानकारी के साथ-साथ फसल की सुरक्षा के लिए वैज्ञानिक सलाह प्रदान करता है।
भारत सरकार के दामिनी एप एवं मेघदूत एप के संबंध में व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश में आए दिन आकाशीय बिजली की घटना घटित होने के कारण अधिक संख्या में जन एवं पशु हानि की सूचना प्राप्त होती है। दामिनी एप के माध्यम से आकाशीय बिजली का पूर्वानुमान में आवश्यक तैयारी, उपाय आदि की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसी तरह मेघदूत एप मुख्य रूप से मौसम पूर्वानुमान (तापमान, वर्षा की स्थिति, हवा की गति एवं दिशा इत्यादि)से संबंधित है, जिससे किसान अपने क्षेत्र की मौसम से संबंधित पूर्वानुमान की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
आपदा के समय नागरिकों को तत्काल सहायता पहुँचाने हेतु जारी टोल फ्री आपदा सहायता नंबर 1070 के प्रचार-प्रसार के निर्देश दिए गए हैं। एप के उपयोग के संबंध में जिला, तहसील तथा ग्रामों में निवासरत पटवारी, सरपंच, सचिव, शासकीय शिक्षक, आशा कार्यकर्ता के माध्यम से वृहद स्तर पर प्रचार-प्रसार तथा कोटवार के द्वारा मुनादी करवाकर मोबाइल फोन पर डाउनलोड करवाने के लिए जनसामान्य को जागरूक किया जाएगा।
किसानों की फसलों का कवच बन रहा हैं मेघदूत एप
मौसम विभाग में मेघदूत नाम का एक ऐप विकसित किया गया है जो किसान की फसलों का सुरक्षा कवच साबित हो रहा है। मेघदूत ऐप डिजिटल इंडिया के तहत किसानों को तकनीक से जोडने के लिए भारत सरकार द्वारा लांच किया गया है। इसका उपयोग बेहद सरल है, इसके माध्यम से मौसम की जानकारी के आधार पर किसानों को फसल जोखिम प्रबंधन से संबंधित सलाह मिलती है। इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर से किसानों को डाउनलोड करना होगा और फिर अपने मोबाइल नंबर से पंजीकरण करके मौसम की जानकारी का अलर्ट पा सकते हैं।
आकाशीय बिजली से किसानों को दामिनी एप से मिलेगी सुरक्षा
दामिनी एपके माध्यम से किसानों को आकाशीय बिजली से बचाव के तरीकों के संबंध में आधे घंटे पहले ही सूचना उपलब्ध हो जाएगी। इस एप पर रजिस्ट्रेशन करने के उपरांत किसान की लोकेशन के अनुसार उस स्थान से 40 किलोमीटर के दायरे में आकाशीय बिजली गिरने की चेतावनी के बारे में ऑडियो संदेश एवं एसएमएस के माध्यम से अलर्ट मिलेगा।
रायपुर :
उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा के सतत प्रयासों एवं किसान हितैषी दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना कवर्धा द्वारा जिले के गन्ना उत्पादक किसानों को दीपावली पर्व के अवसर पर बड़ा आर्थिक लाभ प्रदान किया गया है। कारखाना प्रबंधन द्वारा पिछले पेराई सत्र में गन्ना विक्रय करने वाले किसानों को शासन की ओर से 11.09 करोड़ रुपये का बोनस भुगतान किया गया है। यह बोनस भुगतान उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा के विशेष पहल एवं प्रयासों से संभव हुआ है। उनके नेतृत्व में किसानों के हितों को सर्वाेच्च प्राथमिकता देते हुए समयबद्ध भुगतान और बोनस वितरण सुनिश्चित किया गया है।
भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना कवर्धा ने पेराई सत्र 2024-25 के दौरान किसानों से खरीदे गए गन्ने का 115.44 करोड़ रुपये का संपूर्ण भुगतान कर प्रदेश की सभी शुगर मिलों में अग्रणी स्थान प्राप्त किया है। यह उपलब्धि कारखाने की पारदर्शी कार्यप्रणाली, कुशल प्रबंधन एवं सहकारिता की सुदृढ़ भावना का परिचायक है। दीपावली से पूर्व किसानों को बोनस भुगतान प्राप्त होने से पूरे जिले के कृषक समुदाय में हर्ष एवं उत्साह का वातावरण व्याप्त है। बोनस राशि के भुगतान न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाएगी, बल्कि किसानों का विश्वास को और अधिक मजबूत करेगी।
रायपुर :
प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना से हर घर बन रहा ऊर्जा घरभारत को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर करने हेतु प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना एक क्रांतिकारी पहल सिद्ध हो रही है। यह योजना देश के प्रत्येक नागरिक को स्वच्छ एवं सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
योजना के अंतर्गत घरों की छतों पर सौर पैनल स्थापित कर निःशुल्क बिजली प्राप्त की जा रही है। केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी, पारदर्शी आवेदन प्रक्रिया तथा सरल तकनीकी व्यवस्था के कारण यह योजना आम नागरिकों के लिए अत्यंत सुलभ बन गई है। इस योजना से न केवल बिजली बिल में बचत हो रही है, बल्कि हरित ऊर्जा के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में भी उल्लेखनीय कमी आई है।
राज्य में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में यह योजना जनआंदोलन का रूप ले चुकी है। कोरबा जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिक इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। जिले के श्री शंकर पुरी एवं श्री टेकराम मरावी जैसे लाभार्थियों ने अपने घरों की छतों पर सौर पैनल स्थापित कर न केवल बिजली बिल को शून्य किया है, बल्कि ऊर्जा उत्पादक बनकर आत्मनिर्भरता की दिशा में उदाहरण प्रस्तुत किया है। प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना अब केवल एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि हर भारतीय की भागीदारी से संचालित हरित क्रांति बन चुकी है।
रायपुर :
बेमेतरा में घर-घर पहुँच रहा नल से जलकभी पानी के लिए कतारें और हैंडपंपों पर भीड़ बेमेतरा की पहचान हुआ करती थी, परंतु अब तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। राज्य सरकार के सतत प्रयासों और योजनाबद्ध कार्यान्वयन से जिले ने “हर घर नल, हर घर जल” के सपने को साकार कर दिखाया है।
वर्ष 2000 में बेमेतरा जिले में मात्र 3,857 हैंडपंप थे, जबकि 2025 तक इनकी संख्या बढ़कर 7,139 हो गई है। नलजल योजनाओं की संख्या भी 32 से बढ़कर 127 तक पहुँच चुकी है, जिनसे 32,278 परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन मिले हैं। वहीं, विद्युत विहीन ग्रामों में 142 सोलर ड्यूल पंपों की स्थापना से सौर ऊर्जा आधारित जल आपूर्ति संभव हुई है।
जल जीवन मिशन के अंतर्गत 719 योजनाएँ स्वीकृत की गईं, जिनमें से 378 योजनाएँ पूर्ण होकर 1,34,010 घरों में नल कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं। साथ ही 251 ग्रामों को ‘हर घर जल रिपोर्टेड’ और 206 ग्रामों को ‘हर घर जल प्रमाणित’ घोषित किया गया है।
इसके अतिरिक्त, समूह जल प्रदाय योजनाओं के माध्यम से 372 ग्रामों में सामूहिक जल आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। अब तक जिले में कुल 1,54,836 ग्रामीण परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं।
रायपुर :
जांजगीर चांपा जिले के जनपद पंचायत बम्हनीडीह के बिर्रा गांव की महिला श्रीमती रश्मि कहरा ने यह साबित कर दिखाया है कि अगर हौसला बुलंद हो और अवसर मिले, तो गांव की मिट्टी से भी सफलता की कहानी लिखी जा सकती है। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण सहित गांव के अन्य निर्माण कार्यों में सेंटरिंग प्लेट की आपूर्ति कर आज वह हर महीने 20 हजार रुपये की आमदनी अर्जित कर रही हैं। यह सफलता उन्हें बिहान योजना और स्व-सहायता समूह के माध्यम से मिली जिसने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी।
श्रीमती रश्मि कहरा ने बताया कि पहले परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। बच्चों की पढ़ाई और घर खर्च दोनों ही मुश्किल में थे। तब उन्होंने हिम्मत जुटाकर रानी लक्ष्मीबाई स्व सहायता समूह से जुड़ने का निर्णय लिया। समूह के सहयोग और बिहान के मार्गदर्शन से उन्हें आत्मनिर्भरता की राह मिली। उन्होंने ग्राम संगठन की सहायता से समुदायिक निवेश कोष से 25 हजार रुपये का ऋण लिया। इस राशि से उन्होंने 1000 वर्गफीट का सेटरिंग प्लेट तैयार कराया, जिसे प्रधानमंत्री आवास योजना सहित अन्य निर्माण कार्यों में किराये पर दिया जा रहा है। इसी से आज उनकी नियमित आय 20,000 रुपये मासिक हो गई है। वे कहती हैं पहले जीवन बहुत कठिन था, लेकिन बिहान समूह से जुड़ने के बाद आत्मविश्वास बढ़ा। अब मैं खुद कमा रही हूँ, बच्चों की पढ़ाई कराती हूँ और दूसरों को भी प्रेरित कर रही हूँ। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आभार व्यक्त किया।
गांव की साथी महिलाओं के अनुसार, रश्मि की सफलता से अब कई अन्य महिलाएं भी समूहों से जुड़कर प्रधानमंत्री आवास योजना और अन्य आजीविका गतिविधियों में सक्रिय हो रही हैं। बिहान के जिला अधिकारी का कहना है कि रश्मि की उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि अगर महिला को अवसर, प्रशिक्षण और सहयोग मिले तो वह न केवल अपने परिवार, बल्कि समाज की भी आर्थिक रीढ़ बन सकती है। आज बिर्रा गांव में रश्मि का नाम गर्व से लिया जाता है कभी जो परिवार आर्थिक तंगी में था, वही अब दूसरों की प्रेरणा बन चुका है। सच में, यह है बिहान से निकली उड़ान की मिसाल है जिसने गांव की एक साधारण महिला को आत्मनिर्भरता की पहचान दिलाई।
रायपुर :
धान उपार्जन की प्रक्रिया को अधिक कृषक उन्मुख, दक्ष और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से खाद्य विभाग द्वारा संभागवार जिला स्तरीय अधिकारियों की कार्यशाला सह-प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यशाला 15 अक्टूबर से 17 अक्टूबर 2025 तक नागरिक आपूर्ति निगम के सभाकक्ष में आयोजित की जा रही है।
सचिव, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग, प्रबंध संचालक, विपणन संघ तथा संचालक, खाद्य विभाग के मार्गदर्शन में रायपुर एवं बिलासपुर संभागों के जिला स्तरीय अधिकारियों को 15 अक्टूबर 2025 को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इस प्रशिक्षण में जिलों से नोडल अधिकारी के रूप में अपर कलेक्टर एवं डिप्टी कलेक्टर सम्मिलित हुए, साथ ही जिला विपणन अधिकारी, जिला खाद्य अधिकारी, उप-पंजीयक / सहायक पंजीयक सहकारिता, संग्रहण केंद्र प्रभारी, उपार्जन केंद्र प्रभारी और डाटा एंट्री ऑपरेटर आदि भी प्रशिक्षणार्थी के रूप में उपस्थित थे।
कंट्रोल एंड कमांड सेंटर से होगी धान उपार्जन की सतत निगरानी
उल्लेखनीय है कि शासन द्वारा धान उपार्जन एवं निराकरण प्रक्रिया में संभावित अनियमितताओं को नियंत्रित करने के उद्देश्य से विपणन संघ मुख्यालय स्तर पर ‘इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर’ की स्थापना का निर्णय लिया गया है।
इसके क्रियान्वयन हेतु जिला स्तर पर भी कंट्रोल एंड कमांड सेंटर स्थापित किये जा रहे हैं। इस संदर्भ में मोबाइल एप के माध्यम से विभिन्न प्रकार के अलर्ट के निराकरण की प्रक्रिया पर संबंधित अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है। इस हेतु पर्याप्त मानव संसाधन एवं तकनीकी अधोसंरचना की उपलब्धता के संबंध में आवश्यक मार्गदर्शन जिला अधिकारियों को प्रदान किया गया है, जिसे निर्धारित समय-सीमा के भीतर पूर्ण करना अनिवार्य किया गया है।
किसानों की सुविधा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु विशेष प्रशिक्षण
उपार्जन केंद्रों में धान के उचित रखरखाव एवं किसानों की सुविधाओं के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने हेतु उपार्जन केंद्र प्रभारियों और सहकारिता विभाग के अधिकारियों को भी प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
गौरतलब है कि सरकार द्वारा किसानों से एक-एक दाना धान खरीदे जाने की प्रतिबद्धता को पूर्ण करने के लिए समिति एवं जिला स्तर के अधिकारियों की संवेदनशीलता और तत्परता अपेक्षित है। इसी अनुक्रम में, धान उपार्जन से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े सभी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि किसानों को किसी भी प्रकार की असुविधा या समस्या का तत्काल निराकरण किया जाए।