ईश्वर दुबे
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Bhilai
रायपुर. विधानसभा चुनाव के मझधार में ही कांग्रेस प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया और पीसीसी चीफ भूपेश बघेल के बीच विवाद गरमाया गया है। एक दिन पहले पुनिया भूपेश के घर खाना खाने गए जरूर थे, लेकिन उससे कोई बात न बन सकी। पर्दे के पीछे की जंग अब सतह पर आनी शुरू हो गई है।
टिकट बंटवारे के असंतोष को लेकर दिल्ली में शुरू हुए विवाद का असर अब छत्तीसगढ़ में भी दिखने लगा है। शनिवार को दोनों एक साथ बस्तर दौरे पर जाने वाले थे, लेकिन पुनिया नहीं गए आैर बघेल अकेले रवाना हो गए। पर बीच में ही हेलीकाॅप्टर में खराबी का कारण बताकर आपात लैंडिंग कराई गई। बघेल वापस लौटे, कुछ देर राजीव भवन में रुकने के बाद अपने क्षेत्र के लिए रवाना हाे गए।
इन सीटों को लेकर विवाद : दिल्ली में पुनिया आैर बघेल के बीच टिकट वितरण को लेकर जमकर विवाद हुआ था। जिन सीटों को लेकर विवाद की बात सामने आ रही है उनमें बिलासपुर, कोटा, डोंगरगांव, रायपुर दक्षिण, रायपुर उत्तर, कुरूद, धमतरी, दुर्ग-ग्रामीण जैसी सीटें प्रमुख हैं। इनमें से कुछ सीटों पर पुनिया अपनी पसंद के प्रत्याशी उतारना चाह रहे थे, जिसका बघेल विरोध कर रहे थे। जबकि कुछ सीटों पर बघेल अपनी पसंद के नेताआें को टिकट दिलाना चाह रहे थे जिसका पुनिया विरोध कर रहे थे।
एेसे बढ़ती गई बघेल आैर पुनिया के बीच दूरियां : जब भी पुनिया दिल्ली से रायपुर आते बघेल साथ होते थे। पर टिकट वितरण के बाद दो दिन पहले जब पुनिया दिल्ली से आए तो न तो बघेल ने उनसे मुलाकात की आैर न ही उन्हें लेने गए। यहां तक कि रायपुर होने के बाद भी वे राजनांदगांव दौरे पर निकल गए। शुक्रवार भी कांग्रेस भवन में जब जोगी कांग्रेस के नेताआें का कांग्रेस प्रवेश हुअा तब भी दोनों के बीच तनाव देखा जा सकता था। कांग्रेस ने रविवार को फिर दोनों के साथ दौरे की जानकारी दी है।
दिनभर कांग्रेस नेताआें की बैठक लेते रहे पुनिया : इस बीच प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया राजीव भवन में कांग्रेस नेताआें की बैठक लेते रहे। दिल्ली से आए नेताआें के अलावा राज बब्बर से भी उन्होंने मुलाकात की। इस दौरान चुनाव अभियान समिति के प्रमुख डा.चरणदास महंत भी बैठक में पहुंचे। बताया गया है कि हेलीकाप्टर की आपात लैंडिंग के बाद बघेल भी राजीव भवन पहुंचे। कुछ देर पुनिया आैर महंत के साथ बैठने के बाद वे अपने क्षेत्र के लिए रवाना हो गए।
दो दिन पहले जारी हुआ था दोनों का दौरा कार्यक्रम, अभनपुर के पास आपात लैंडिंग
{ प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने शुक्रवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया था कि प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया आैर प्रदेेश अध्यक्ष भूपेश बघेल दो दिन बस्तर दौरे पर रहेंगे।
{ शनिवार को जब बस्तर जाने की बारी आई तो पुनिया ने बस्तर जाने से मना कर दिया। इसके बाद बघेल हेलीकॉप्टर से अकेले बस्तर के लिए उड़ गए।
{ बघेल बस्तर पहुंचते इसके पहले ही हेलीकाॅप्टर के डगमगाने की खबर आई। और आनन-फानन में उनका हेलीकॉप्टर अभनपुर के पास उतारा गया। फिर सड़क मार्ग से बघेल रायपुर लौट आए। कुछ देर राजीव भवन में रुके और सीधे अपने क्षेत्र के लिए रवाना हो गए।
कांग्रेस की नीयत में खोट है : ^कांग्रेस नेतृत्व की नीयत में ही खोट है। सीडी के माध्यम से जिस तरह की बातें सामने आईं, उससे प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी के बीच जिस तरह के रिश्ते दिख रहे हैं वह स्वाभाविक है। पर कांग्रेस इसे स्वीकार न कर एकता का संदेश देने का प्रयास कर रही है।’ -शिवरतन शर्मा, भाजपा प्रवक्ता
रायपुर . कई दशकों के बाद ऐसा हो रहा है जब पेट्रोल-डीजल की कीमत एक बराबर हो गई। पेट्रोल पंप संचालकों का दावा है कि जब से ये कारोबार शुरू हुआ दोनों की कीमत में बड़ा अंतर रहता था, लेकिन अब दोनों की कीमत एक बराबर हो गई।
शुक्रवार को राजधानी में पेट्रोल 77.17 और डीजल 77.05 रुपए में बिका। यानी दोनों की कीमत 77 रुपए हो गई। पंप मालिकों का अनुमान है कि कीमतें लगातार गिरी तो पहली बार ऐसा होगा कि डीजल महंगा और पेट्रोल सस्ता हो जाएगा। पिछले महीने की शुरुआत में लगातार पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ी, लेकिन उसके बाद अभी करीब 12 दिनों से दोनों की कीमतें घट रही हैं।
महीने के दूसरे दिन भी पेट्रोल में 19 और डीजल में 15 पैसे की कमी की गई। अफसरों का दावा है कि केंद्र सरकार की ओर से एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकार की ओर से टैक्स में कमी के बाद छत्तीसगढ़ में भी पेट्रोल और डीजल की कीमत दूसरे राज्यों की अपेक्षा ज्यादा कम हो रही है। डीजल की कीमत कम होने के बाद मालभाड़ा में बढ़ोतरी भी रुक गई है। डीजल 80 रुपए पार होने के बाद भाड़ा 10 फीसदी बढ़ाने पर अड़े ट्रांसपोर्टर अब किसी भी तरह का किराया नहीं बढ़ा रहे हैं। इस वजह से त्योहार में लोगों को बाहर से आने वाली चीजें महंगे दामों में नहीं मिल रही है।
3 साल पहले 16 रुपए का फर्क था : पेट्रोल और डीजल की कीमत में तीन साल पहले तक 2015 में 16.26 रुपए का अंतर था। यह अंतर सबसे ज्यादा था। उस समय डीजल की कीमत 57 रुपए थी और पेट्रोल भी सस्ता था। सितंबर 2018 में यह घटकर 2.49 रुपए हो गया। इसके बाद से पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ती रही और फर्क भी बढ़ता रहा। लेकिन अचानक ही कीमतें कम होने लगी। इसी के असर दोनों की कीमत बराबर हो गई। इसका असर गाड़ियों के बाजार पर भी पड़ रहा है। डीजल वाली गाड़ियों की बुकिंग कम हो रही है। इस दिवाली में अभी तक सबसे ज्यादा बुकिंग पेट्रोल वाली गाड़ियों की ही हो रही है।
कमीशन पर असर नहीं : पेट्रोल-डीजल की कीमत कम होने का असर पेट्रोल पंप संचालकों के कमीशन पर नहीं हो रहा है। कुछ महीने पहले ही बढ़े हुए कमीशन को कीमत कम होने के बाद भी बरकरार रखा गया है। पंप संचालकों को अभी एक लीटर पेट्रोल की बिक्री पर 3.31 और डीजल की बिक्री पर 2.22 रुपए कमीशन मिल रहा है। हालांकि पंप संचालकों ने इस कमीशन को और बढ़ाने की मांग की है। उनका कहना है कि पंप चलाने का खर्चा बढ़ गया है। इसलिए कमीशन भी बढ़ना ही चाहिए।
चुनाव की तारीख सामने आते ही छत्तीसगढ़ की राजनीति में उठापटक शुरू हो गई है। मौजूदा विधायक दोबारा जीत के लिए खूब मेहनत कर रहे हैं। इन्हीं नेताओं में से एक हैं कांग्रेस के बाबा जो अंबिकापुर विधानसभा से विधायक हैं। इन्हें सिर्फ प्यार से टीएस बाबा बुलाया जाता है, असल में ये सरगुजा रियासत के राजा हैं, इनका नाम है- त्रिभुवनेश्वर शरण सिंहदेव।
टी एस सिंहदेव का रुतबा पूरे छत्तीसगढ़ में है। वे इतने लोकप्रिय हैं कि लोग उन्हें राजा जी या राजा साहब बुलाने की बजाय टीएस बाबा कहकर पुकारते हैं। टीएस सिंहदेव राज्य के सबसे अमीर विधायक हैं। 2013 के आंकड़े बताते हैं कि मध्यप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और मिजोरम के सभी विधायकों की संपत्ति को मिला दिया जाए तो उनकी कुल संपत्ति होती है।
2013 में उनकी कुल संपत्ति लगभग 551 करोड़ थी, तो वहीं इस बार उनकी संपत्ति 504 करोड़ के आस-पास है। अंबिकापुर इलाके में कई मकान, सरकारी इमारतें, यात्रियों के लिए बनाए गए सराय, हॉस्पिटल, स्कूल या खेतों पर इन्हीं के परिवार का मालिकाना हक है। इस बार अंबिकापुर सीट से उनके सामने BJP के अनुराग सिंहदेव चुनाव लड़ रहे हैं। टीएस सिंहदेव पिछले दो बार से अंबिकापुर में चुनाव जीतते आए हैं, इस बार उनकी नजर हैट्रिक पर है।
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में सियासी घमासान जारी है। उम्मीदवारों के चयन में सभी दल फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं। छत्तीसगढ़ की कसडोल सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही है और इस बार पार्टी ने महिला उम्मीदवार शकुंतला साहू को भाजपा के दिग्गज नेता और छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल के सामने उतारा है। शकुंतला के पिता एक टेंट हाउस चलाते हैं।
शकुंतला ने उम्मीदवारों की तीसरी सूची में जगह बनाकर सभी को चौंका दिया था। शकुंतला सडोल के सरौटा गांव की निवासी हैं और जिला पंचायत की सदस्य भी हैं। शकुंतला के पिता भी कई सालों से रसौटा गांव के सरपंच हैं। दरअसल कसडोल सीट पर कांग्रेस की तरफ से पूर्व विधायक महंत रामसुंदर दास का नाम आगे चल रहा था, लेकिन आखिरी समय में पार्टी ने शकुंतला साहू का नाम घोषित कर पार्टी नेताओं को चौंका दिया।
इसके पीछे मुख्य वजह है कि कसडोल विधानसभा क्षेत्र में साहू समाज के मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है। ऐसे में कांग्रेस ने इस बार ओबीसी कार्ड खेलकर पिछड़े वर्ग के वोट बैंक को साधने की रणनीति अपनाई है। फिलहाल देखना होगा कि उनका ये दांव कितना कामयाब होता है। 1998 और 2013 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो कसडोल सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। कसडोल सीट से कांग्रेस उम्मीदवार चुने जाने पर शकुंतला साहू ने खुशी जाहिर की है।
कुछ दिनों बाद पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। जैसे-जैसे चुनावों की तारीखें नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे आपस में सीट बंटवारे को लेकर होने वाला झगड़ा खुलकर दिखाई देने लगा है। इसी तरह की एक घटना छत्तीसगढ़ में देखने को मिली। जहां टिकट को लेकर बवाल इतना हुआ कि पार्टी के दफ्तर में तोड़फोड़ की गई।
रायपुर के अलावा बिलासपुर में भी टिकट बंटवारे को लेकर हंगामा हुआ। पार्टी नेता नरेंद्र बोलार ने कहा, 'कार्यकर्ताओं का मानना है कि जिन्होंने पार्टी के लिए लगातार काम किया है उन्हें टिकट मिलना चाहिए। कोई यहां विरोधी नहीं है। हम एक परिवार हैं। हम सभी भाजपा के खिलाफ एकजुट हैं।' इससे पहले मध्यप्रदेश में होने वाले टिकट बंटवारे के लिए दिल्ली में बुलाई गई बैठक में भी कांग्रेस नेता आपस में भिड़ गए थे।
रायपुर शहर की सीट को वीआईपी माना जाता है। यह सीट भाजपा का गढ़ रही है। राज्य के पावरफुल मंत्री बृजमोहन अग्रवाल इसी सीट से विधायक हैं। जहां एक तरफ कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर काफी विरोध देखने को मिल रहा है। वहीं दूसरी तरफ आज भाजपा मध्यप्रदेश में टिकटों का बंटवारा करेगी। हंगामे की आशंका के चलते भोपाल मुख्यालय में काफी सुरक्षा की गई है।
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 30 अक्तूबर को नक्सलियों ने दूरदर्शन की एक टीम पर हमला कर दिया था। इस हमले में दूरदर्शन के कैमरामैन और दो सुरक्षा कर्मियों की मौत हो गई थी। घटना के तीन दिन बाद शुक्रवार को नक्सलियों ने एक बयान जारी किया है। जिसमें उनका कहना है 'डीडी के कैमरामैन अच्युतानंद साहू की मौत एंबुश में फंसने की वजह से हुई। मीडिया को निशाना बनाने का हमारा कोई मकसद नहीं था।'
दूरदर्शन की तीन सदस्यीय टीम राज्य में कवरेज करने के लिए पहुंची थी। तभी वे नीलवाया के जंगल में नक्सलियों के एंबुश में फंस गए। शहीद हुए दो सुरक्षा कर्मियों में एक एएसआई और एक जवान था। इस हमले में एक मीडियाकर्मी सहित अन्य लोग घायल हुए थे। घटना से कुछ दिनों पहले ही माओवादियों ने कहा था कि पत्रकारों को उनसे कोई खतरा नहीं है।
नक्सलियों के बयान पर दंतेवाड़ा के एसपी अभिषेक पल्लव ने सवाल करते हुए पूछा, 'कैमरा क्यों लूटा गया? क्योंकि इसमें शुरुआत के कुछ मिनटों में किस तरह से एंबुश के जरिए मीडिया को निशाना बनाया गया उसके सबूत रिकॉर्ड हो गए थे। शहीद कैमरामैन के शरीर पर गोली के बहुत निशान और खोपड़ी में फ्रैक्चर किसी भी तरह से यह नहीं दर्शाते हैं कि यह गलती से हुआ।'
बता दें कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने हमले की कड़े शब्दों में निंदा की थी। डॉक्टर सिंह ने इस हमले में पुलिस के दो जवानों और दूरदर्शन नई दिल्ली के एक कैमरामेन की शहादत पर गहरा दुःख व्यक्त किया था। उन्होंने इस हमले की निंदा करते हुए कहा था कि यह नक्सलियों की कायरतापूर्ण और शर्मनाक हरकत है। शहीद जवान और कैमरामेन निर्वाचन जैसे राष्ट्रीय कार्य के लिए अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे थे। उन पर हमला करके नक्सलियों ने देश के लोकतंत्र पर हमला किया है, जो निंदनीय है।
उन्होंने आगे कहा था, देश, प्रदेश और समाज के सभी लोगों को एक स्वर से उनकी ऐसी हरकतों की कठोर शब्दों में निंदा करनी चाहिए और हिंसा तथा आतंक के खिलाफ सबको एकजुटता का परिचय देना चाहिए। इस नक्सल हमले में पुलिस के उप निरीक्षक श्री रूद्रप्रताप सिंह, सहायक आरक्षक श्री मंगलराम और दूरदर्शन नई दिल्ली के कैमरामेन श्री अच्युतानंद साहू शहीद हुए थे। मुख्यमंत्री ने घायल जवानों के जल्द स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हुए अधिकारियों को उनका बेहतर से बेहतर इलाज करवाने के निर्देश दिए थे।
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नक्सली हमले की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं। शुक्रवार को कांकेर जिले में एक आईईडी ब्लास्ट हुआ है, जिसमें बीएसएफ के दो जवान घायल हो गए हैं। बताया जा रहा है कि मतदान दल के जाने के पहले बीएसएफ के जवान गश्त पर निकले थे।
वहीं, बीजापुर में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में सेना ने एक नक्सली को मार गिराया है। उसके पास से एक राइफल भी बरामद हुआ है। सेना और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ अभी भी जारी है।
बता दें कि इससे पहले 30 अक्तूबर को दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने दूरदर्शन की टीम पर हमला बोल दिया था। इस हमले में एक पत्रकार और दो सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी। शहीद हुए दो सुरक्षा कर्मियों में एक एएसआई और एक जवान थे।
इसके अलावा 27 अक्तूबर को भी नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर हमला किया था। इस हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के चार जवान शहीद हो गए थे, जबकि दो जवान घायल हुए थे।
दरअसल, हाल ही में नक्सलियों ने बस्तर समेत कई इलाकों में पोस्टर लगाकर आगामी चुनावों के बहिष्कार की घोषणा की थी। इन हमलों को नक्सलियों द्वारा चुनावी बहिष्कार के एलान के तौर पर देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि राज्य में 12 नवंबर को नक्सल प्रभावित 18 विधानसभा क्षेत्रों में पहले चरण का मतदान होगा। पहले चरण के तहत नक्सल प्रभावित आठ जिले बस्तर, कांकेर, सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर कोंदगांव और राजनांदगांव में मतदान होना है।
छत्तीसगढ़ में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के लिए भारतीय जनता पार्टी के 72 उम्मीदवारों ने जिला मुख्यालयों में एक साथ पर्चा दाखिल किया।
भारतीय जनता पार्टी ने दूसरे चरण के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि से एक दिन पहले गुरुवार को सभी प्रत्याशियों का एक साथ नामांकन दाखिल कराया। इस मौके पर पार्टी के केंद्रीय और प्रादेशिक नेताओं, पदाधिकारियों और स्टार प्रचारकों की मौजूदगी रही।
छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी पिछले 15 वर्षों से सत्ता में है।
छत्तीसगढ़ के 90 विधानसभा सीटों के लिए दो चरणों में मतदान की घोषणा की गई है। पहले चरण में नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र के सात जिलों और राजनांदगांव जिले के 18 विधानसभा सीटों के लिए इस महीने की 12 तारीख को मतदान होगा। वहीं 20 नवंबर को शेष 72 सीटों को मतदान होगा।
दूसरे चरण के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि दो नवंबर है। वोटों की गिनती 11 दिसंबर को होगी।
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 के लिए इस महीने मतदान होंगे। निर्वाचन आयोग ने चुनाव के लिए तैयारियों की बृहस्पतिवार को समीक्षा की और निष्पक्ष तथा शांतिपूर्ण चुनाव के लिए अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने रायपुर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि बृहस्पतिवार को चुनाव आयोग के अधिकारियों और राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों की एक समीक्षा बैठक हुई।
रावत ने बताया कि छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान, आयोग द्वारा राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की गई। आयोग ने सभी जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारियों और एसपी के कार्यों की समीक्षा की।
राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी, गृह सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से विस्तृत चर्चा की गई और विभिन्न प्रवर्तन एजेन्सी जैसे आयकर विभाग, राज्य आबकारी, स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (नार्कोटिक कंट्रोल ब्यूरो) और बैंको के प्रतिनिधियों के साथ रणनीति पर चर्चा भी की गई।
एक सवाल के जवाब में रावत ने कहा कि हाल ही में राज्य के दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले में हुए नक्सली हमले को आयोग ने संज्ञान में लिया है तथा अधिकारियों को शांतिपूर्ण मतदान कराने तथा उम्मीदवारों और मतदाताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।
भिलाई। भाजपा के प्रत्याशी विद्यारतीन भसीन के निवास पर छत्तीसगढ़ सिक्ख पंचायत के पदाधिकारियों ने भेंट कर शुभकामनाएं दी एवं विजयी होने का आशीर्वाद दिया। गुरनाम सिंह कुका, जशबीर सिंह चहल, गुरमीत सिंह सेखी, बलविंदर सिंह कलेर, बलकार सिंह, वीर सिंह, तजेन्द्रर सिंह हुंदल, गुरूनाम सिंह एवं छत्तीसगढ़ सिक्ख पंचायत के समस्त पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित थे।
रायपुर. बच्चों को लेकर स्कूल से लौट रही केंद्रीय विद्यालय की स्कूल बस बुधवार दोपहर सिटी बस से टकरा गई। दुर्घटना में दो छात्राओं और कंडक्टर की मौत हो गई, जबकि सात बच्चे घायल हो गए। सूचना पर पहुंची राखी थाने की टीम ने घायलों को अंबेडकर अस्पताल पहुंचाया। दुर्घटना के बाद बच्चों में चीख-पुकार मच गई।
बुधवार दोपहर करीब साढ़े 12 बजे केंद्रीय विद्यालय नंबर 3 की स्कूल बस बच्चों को लेकर लौट रही थी। अटल नगर में सीवीडी चौक के पास सिटी बस से आमने-सामने टकरा गई। टक्कर में दो छात्राओं समेत बस के कंडक्टर की मौत हो गई। घटना की सूचना मिलते ही बच्चों के परिजन भी मौके पर पहुंच गए हैं।
नक्सलवाद से प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में नक्सली हमले के बाद मुख्यमंत्री रमन सिंह ने बुधवार को अधिकारियों की बैठक की। मुख्यमंत्री रमन सिंह ने रायपुर स्थित अपने निवास कार्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक लेकर नक्सल हिंसा से निपटने के लिए संबंधित इलाकों की सुरक्षा और कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की।
रमन सिंह ने कहा कि दंतेवाड़ा में नक्सली हमले को लेकर चर्चा हुई। हमने सुरक्षा को लेकर रोडमैप बनाया है कि इसे और बेहतर कैसे बनाया जा सकता है। मीडिया और स्थानीय लोगों को और सुरक्षा दी जा सकती है। हमारे पास चुनाव को लेकर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था है।
एक रुपये किलो की चावल योजना चलाकर 'चाउर वाले बाबा' के नाम से विख्यात रमन सिंह 2003 से मुख्यमंत्री पद पर काबिज हैं। रमन सिंह के नाम भाजपा की तरफ से सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री पद (15 साल 10 महीने) पर बने रहने का कीर्तिमान दर्ज है। रमन की नजर अब चौथी बार छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनने पर है। जुलाई 2016 में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस रिकॉर्ड को तोड़ा था, जो उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर बनाया था। आइए नजर डालते हैं रमन सिंह के राजनीतिक सफर पर...
पेशे से आयुर्वेदिक डॉक्टर रहे रमन सिंह ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत पार्षद का चुनाव लड़कर की थी। 1984 में उन्होंने कवर्धा नगर पालिका से पार्षद का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। तब कवर्धा मध्यप्रदेश का भाग हुआ करता था। इसके बाद 1990 में रमन सिंह कांग्रेस के जगदीश चंद्रवंशी को हराकर कवर्धा विधानसभा सीट से विधायक बने।
1993 में वो एक बार फिर विधायक बने। 1998 में उनके राजनीतिक करियर को खत्म माना जाने लगा जब वो विधानसभा का चुनाव हार गए, लेकिन 1999 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन पर भरोसा जताते हुए राजनांदगांव से लोकसभा चुनाव में उतारा और कांग्रेस के दिग्गज नेता मोतीलाल वोरा को हराकर रमन सिंह अटल सरकार में वाणिज्य-उद्योग राज्य मंत्री बने।
छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने के बाद 2002 में रमन सिंह को भाजपा ने प्रदेशाध्यक्ष बनाया। 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के पास रमन के अलावा कोई बड़ा चेहरा नहीं था और उनके नेतृत्व में ही भाजपा ने कांग्रेस को पछाड़कर सत्ता पर कब्जा किया।
रमन सिंह को पहली बार छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनाया गया। तब से लेकर वह लगातार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हुए हैं। वह 2008 से लगातार राजनांदगांव से विधायक है। इस बार भी रमन सिंह ने राजनांदगांव से नामांकन दाखिल किया है। हालांकि इस बार कांग्रेस ने उनके खिलाफ करूणा शुक्ला को उम्मीदवार बनाया है।
छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस( सीजेसी) के सुप्रीमो और राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी आगामी विधानसभा चुनाव अपनी परंपरागत सीट मरवाही से ही लड़ेंगे। सीजेसी यह विधानसभा चुनाव बसपा के साथ मिलकर लड़ रही है। माना जा रहा है कि एससी-एसटी के प्रभाव वाली सीटों पर यह गठबंधन असर डाल सकता है।
मंगलवार को इस गठबंधन ने 26 उम्मीदवारों की घोषणा की थी। वर्तमान में मरवाही सीट से अजीत जोगी के बेटे विधायक हैं। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री जोगी ने कहा था कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे और सभी 90 सीटों पर गठबंधन के प्रत्याशियों का प्रचार करेंगे। सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए सीजेसी कोर कमिटी ने यह फैसला भी लिया है कि अजित जोगी के बेटे अमित जोगी यह विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि यहां की जनता ने अजीत जोगी से चुनाव लड़ने की प्रार्थना करते हुए कहा था कि मरवाही में उनकी जीत पक्की है और उन्हें चुनाव प्रचार की जरूरत नहीं। वह बेफिक्र होकर बाकी सीटों पर प्रचार करें। मरवाही के अलावा पार्टी ने मनेंद्रगढ़ और रायपुर उत्तर सीट के लिए भी उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है। मनेंद्रगढ़ से लखन श्रीवास्तव और रायपुर उत्तर से अमर गिडवानी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे।
छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव होने हैं। दक्षिणी छत्तीसगढ़ में पहले चरण में विधानसभा की 18 सीटों के लिए 12 नवंबर को जबकि उत्तरी छत्तीसगढ़ की 72 सीटों के लिए 20 नवंबर को चुनाव होने हैं। बसपा-सीजेसी गठबंधन ने इस बार कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं जो पिछले 15 साल से सत्ता वापसी की बाट जोह रही है।