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यूनिवर्सिटी में एडमिशन कमेटी की बैटक में पंजीयन शुल्क बढ़ाने का फैसला
दो ऑटोनामस को छोड़ छात्र यूनिवर्सिटी के 5 कॉलेजों के लिए कर सकेंगे आवेदन
बिलासपुर. अटल बिहारी वाजपेयी यूनिवर्सिटी में एडमिशन कमेटी की बैठक मंगलवार को हुई। बैठक में एडमिशन कमेटी के सदस्यों ने पोर्टल में आवेदन के लिए पंजीयन का शुल्क बढ़ाने का फैसला लिया। पहले छात्रों को 5 कॉलेजों में आवेदन के लिए 10 रुपए का शुल्क पटाना पड़ता था। एडमिशन कमेटी और कुलसचिव डॉ. सुधीर शर्मा ने पंजीयन शुल्क 10 की जगह अब 50 रुपए कर दिया है। इसके बाद वे अटल यूनिवर्सिटी से संबद्ध 2 ऑटोनामस कॉलेजों को छोड़कर बाकी सभी कॉलेजों में आवेदन कर सकते हैं।
इसी पंजीयन के आधार पर यूटीडी में भी आवेदन
छात्र इसी पंजीयन के आधार पर यूटीडी में प्रवेश परीक्षा के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। यूटीडी की प्रवेश परीक्षा के लिए यूनिवर्सिटी पहले पोर्टल नहीं खोल पाई है। वहीं यूटीडी के लिए एयू अलग से पोर्टल भी तैयार नहीं कर सकी है। इस कारण कॉलेजों के पोर्टल में ही इसे मर्ज कर दिया है। अब 1 जून से ही यूटीडी में प्रवेश परीक्षा के लिए ही छात्र आवेदन कर पाएंगे। वहीं माध्यमिक शिक्षा मंडल बुधवार को 12वीं के छात्रों का डाटा यूनिवर्सिटी को उपलब्ध कराएगी।
प्रवेश परीक्षा के लिए नहीं देने पड़ेंगे 300 रुपए
एयू के यूटीडी में अभी तक प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन शुरू नहीं किया है। अब ऐसे में यूनिवर्सिटी ने यूटीडी को भी कॉलेजों के आवेदन के पोर्टल में मर्ज कर दिया है। इससे छात्रों को सुविधा होगी, उन्हें प्रवेश परीक्षा फार्म के लिए 300 रुपए देने होते थे, वे अब 50 रुपया ही शुल्क पटा कर यूटीडी और कॉलेजों में ओवदन कर सकते हैं।

सरकार ने किसानों के कर्ज माफी की घोषणा की, लेकिन अभी तक केवल सहकारी व ग्रामीण बैंक को पैसा भेजा है
राष्ट्रीयकृत बैंकों के खाते में रुपए नहीं पहुंचने के कारण उठाया गया कदम, किसानों को वसूली का नोटिस भी जारी
बिलासपुर. प्रदेश में एक ओर भूपेश बघेल सरकार ने अपने गठन के साथ ही किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा की थी। वहीं 21 बैंकों ने बिलासपुर जिले के 16114 किसानों को डिफॉल्टरों की सूची में डाल दिया है। शासन ने राष्ट्रीयकृत बैंकों में अभी तक रुपए नहीं डाले हैं, इसके चलते बैंकों की ओर से यह कदम उठाया गया है। इससे जहां किसानों की साख खराब हो गई है, वहीं आगे कर्ज लेने में परेशानी हो रही है। किसानों को पैसा पटाने नोटिस भी जारी किया जा रहा है। फील्ड ऑफिसर किसानों के घर पहुंच रहे हैं। ऐसे में किसान परेशान हैं।
21 राष्ट्रीयकृत बैंकों से किसनों के ऊपर है 225.99 करोड़ का कर्ज
दरअसल, इन 16114 किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) से 21 राष्ट्रीयकृत बैंक से 225. 99 करोड़ रुपए कर्ज लिया है। इसके अलावा किसानों ने ग्रामीण बैंक से 43.15 करोड़ और सहकारी बैंक से 481.3 करोड़ रुपए कर्ज लिया। प्राइवेट बैंक से भी किसानों ने 70.51 करोड़ रुपए लोन लिया है। राज्य सरकार सरकार की कर्ज माफी की घोषणा के बाद किसानों ने कर्ज पटाना बंद कर दिया है। अब तक शासन ने सहकारी बैंक को किसानों का कर्ज माफ करने 436 करोड़ रुपए दिया है। इसके अलावा ग्रामीण बैंक को लोन का 20 प्रतिशत रुपया ही दिया गया है।
ग्रामीण बैंक : 43 करोड़ का कर्ज, 20% पैसे दिए
ग्रामीण बैंक से जिले के 6 हजार 678 किसानों ने 43 करोड़ 15 लाख रुपए कर्ज लिया है। 30 नवंबर तक का कर्ज किसानों का माफ होना है। अब ऐसे में अभी तक सरकार द्वारा पूरे राज्य के ग्रामीण बैंकों के लिए 38 करोड़ 26 लाख रुपया ही दिया गया है। जबकि राज्य के ग्रामीण बैंकों से किसानों ने 185 करोड़ 3 लाख रुपए का ऋण लिया है। लेकिन शासन से सभी ब्रांच को किसानों का कर्ज माफ करने केवल 20 प्रतिशत पैसा ही भेजा गया है।
किसानों को पैसा पटाने कह रहे
एसबीआई के रीजनल मैनेजर एमएन परिदा ने कहा कि अभी किसी भी किसान को नोटिस जारी नहीं किया है। फील्ड ऑफिसर किसानों को बता रहे हैं कि वे पैसा पटाते हैं तो डिफाल्टर लिस्ट से बाहर हो जाएंगे। उन्हें अभी कर्ज भी मिल जाएगा। किसान चाहे तो वो पैसा जमाकर उसी दिन निकाल सकता है। इससे वह एनपीए में भी नहीं रहेगा।
प्राइवेट बैंक के 70 करोड़ कर्ज माफी पर संशय
प्राइवेट बैंक से 3 हजार 824 किसानों ने 70 करोड़ 51 लाख रुपया कर्ज लिया है। शासन ने इनके कर्ज माफी के लिए अभी तक कोई निर्देश नहीं दिया है। किसान संशय की स्थिति में हैं।
सहकारी बैंकों का 45 करोड़ बाकी
किसानों ने सहकारी बैंकों से सबसे ज्यादा कर्ज लिया है। 1 लाख 48 हजार किसानों ने सहकारी बैंक से 481 करोड़ 3 लाख रुपए कर्ज लिया है। शासन ने सहकारी बैंक को 436 करोड़ रुपए दिया है। 45 करोड़ 3 लाख रुपए देना बाकी है।

सिविल लाइंस क्षेत्र में सुबह 6 बजे हुआ हादसा, बंगले के पीछे पत्नी के साथ मॉनिंग वॉक कर रहे गृहमंत्री भी हड़बड़ाए
सुरक्षा बल के जवानों के साथ ही डायल 112 की टीम भी मौके पर पहुंची, आग पर पाया गया काबू
रायपुर. राजधानी का पॉश इलाका सिविल लाइंस मंगलवार सुबह तेज धमाके से गूंज उठा। सर्किट हाउस के किचन में रखे डीप फ्रीजर का कंप्रेसर फटने से धमाका इतनी तेज था कि उसकी आवाज गृहमंत्री के बंगले तक सुनाई दी। उस समय गृहमंत्री अपनी पत्नी के साथ मॉर्निंग वॉक पर निकले थे। आवाज सुनते ही सुरक्षा में लगे जवान बाहर की ओर दौड़ पड़े। मौके पर डायल 112 की टीम भी पहुंची। इसके बाद जवानों और टीम ने किचन में लगी आग पर काबू पाया।
परिसर में स्थित कॉफी हाउस आज बंद
सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में सर्किट हाउस है। उससे कुछ दूरी पर ही गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू का बंगला है। सुबह करीब 6 बजे गृहमंत्री अपनी पत्नी के साथ बंगले के पिछले हिस्से में मॉर्निंग वॉक कर रहे थे। इसी दौरान तेज धमाके की आवाज सुनाई दी। आवाज इतनी तेज थी कि सुरक्षाकर्मी सहित सभी लोग हड़बड़ा गए। आनन-फानन में सुरक्षा में तैनात जवानों ने बाहर की ओर दौड़ लगा दी। इस दौरान बाहर की ओर तैनात डायल 112 की टीम भी मौके पर पहुंच गई।
वहां जाकर देखा तो सर्किट हाउस के किचन के पास चारों ओर कांच बिखरा हुआ था और आग लग गई थी। जवानों ने आग पर काबू पाया और जांच की तो पता चला कि डीप फ्रीजर का कंप्रेसर फट गया था। उसके धमक से किचन में लगी खिड़कियों के शीशे तक टूट कर बिखर गए थे। वहीं छत और दीवार के प्लास्टर कई जगह से निकल गया था। गनीमत रही कि उस दौरान किचन में कोई नहीं था। वहीं एहतिया के तौर पर सर्किट हाउस परिसर स्थित कॉफी हाउस में सभी के आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। साथ ही उसे पूरे दिन के लिए बंद कर दिया गया है।

धुर नक्सल प्रभावित एरिया गोगुंडा में सर्चिंग के लिए निकले थे जवान
जवानों को रेस्क्यू कराने का प्रयास जारी, एयरलिफ्ट कर लाया जाएगा रायपुर
सुकमा. यहां के धुर नक्सल प्रभावित एरिया गोगुंडा में मंगलवार सुबह नक्सियों ने आईईडी ब्लास्ट किया। इसकी चपेट में आकर डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व ग्रुप) के दो जवान घायल हो गए। जवान सुबह सर्चिंग पर निकले थे। एयरलिफ्ट कर दोनों जवानों को रायपुर में हॉस्पिटल भेजा गया है।
डीआरजी के जवान मंगलवार सुबह सर्चिंग पर निकले थे। इस दौरान गोगुंडा में घात लगाए नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट कर दिया। गोगुंडा का इलाका नक्सलियों का सेफ जोन कहा जाता है। एएसपी शलभ सिन्हा ने आईईडी ब्लास्ट की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि दोनों जवानों को उपचार के लिए रायपुर लाए जाने की तैयारी है। जिससे की उन्हें बेहतर उपचार मिल सके।

भिलाई स्टील प्लांट ने तैयार किया एक नया प्रोडक्ट, महाराष्ट्र में सिंचाई परियोजना के लिए किया जा रहा इस्तेमाल
बढ़ेगा मुनाफा : 3762 टन का आर्डर, 2862 टन की सप्लाई, आम प्लेट्स की औसत आयु 40, विशेष प्लेट्स की 80 साल
भिलाई.  अब तक युद्ध, इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में स्पेशल प्लेट्स की सप्लाई कर इस्पात उत्पादकों में अपनी धाक जमाने के बाद (भिलाई स्टील प्लांट) बीएसपी को एक और उपलब्धि हासिल हुई है। पहली बार उसकी प्लेट्स का इस्तेमाल महाराष्ट्र में सिंचाई परियोजना में किया जा रहा है। यह बीएसपी का नया प्रोडक्ट है। जिसके चलते उसका मुनाफा भी बढ़ेगा। खास बात कि जहां आम प्लेट्स की औसत आयु 40 साल होती है, वहीं इस विशेष प्लेट्स की 80 साल होगी।
बीएसपी कर रही है माइल्ड प्लेट्स का उत्पादन
बीएसपी खास तौर पर माइल्ड प्लेट्स का उत्पादन कर रही है जो जंगरोधी होने के साथ टिकाऊपन अन्य प्लेट्स से दोगुना और कीमत भी करीब-करीब आधी होगी। आमतौर पर जहां अन्य प्लेट्स की आयु लगभग 40 वर्ष होती है, वहीं माइल्ड प्लेट्स लगभग 60 से 80 वर्ष तक टिकेगा। पाइप बिछाने के काम में देश की जेएमसी प्रोजेक्ट इंडिया लिमिटेड को महारत हासिल है। पावर सेक्टर,आइल कंपनियों के लिए देशभर में पाइप लाइन बिछाने के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर सफलतापूर्वक काम कर चुकी है।
12 एमएम का है प्लेट, मजबूती में अब तक का सबसे बेहतर
बीएसपी में मुख्य रूप से तीन ग्रेड की प्लेट्स का उत्पादन होता है। इनमें माइल्ड प्लेट्स के साथ-साथ बायलर और हाई टेंसेल प्लेट्स भी शामिल है। लिफ्ट इरीगेशन प्रोजेक्ट में माइल्ड स्टील प्लेट्स का उपयोग किया जा रहा है। यह प्लेट्स 12 एमएम के है। यह जंगरोधी होने के साथ-साथ मजबूती में भी प्लेट्स के अन्य उत्पाद से बेहतर बने, इसके लिए प्रबंधन ने आईएस 2062 ई250 बीआर ग्रेड तैयार किया है।
बंगलुरू में पानी की सप्लाई में इसी ग्रेड की प्लेट्स का सफल इस्तेमाल हो चुका
पानी सप्लाई के पाइप लाइन में बीएसपी की प्लेट्स का इस्तेमाल पूर्व में भी हो चुका है। हालांकि उस वक्त पाइप का इस्तेमाल सिंचाई परियोजना के लिए न होकर पेयजल सप्लाई लाइन के लिए किया गया था। मामला बंगलुरू महानगर पालिका से जुड़ा है। जहां कर्नाटक की प्रमुख नदी से बंगलुरू तक पानी पहुंचाने के लिए बिछाई गई पाइप लाइन में बीएसपी में बनी 70 हजार टन प्लेट का उपयोग किया गया है।
पानी पहुंचाने 1600 करोड़ से बिछ रही पाइप लाइन
2650 करोड़ के लिफ्ट इरीगेशन प्रोजेक्ट में से जेएमसी प्रोजेक्ट को 1600 करोड़ का काम दिया है जो नर्मदा से महाराष्ट्र के धार इलाके तक पानी पहुंचाने के लिए पाइप लाइन बिछा रही है। इसके लिए कंपनी ने 3762 टन माइल्ड प्लेट्स का आर्डर बीएसपी को दिया है। जिसमें से बीएसपी इस वर्ष के अप्रैल तक 2862 टन प्लेट्स की सप्लाई भी कर चुकी। शेष 900 टन सप्लाई की तैयारी है।
इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में बढ़ रही बीएसपी की मांग
रक्षा क्षेत्र में सेटेलाइट व्हीकल के लांचिंग पैड, युद्ध पोतों के निर्माण में लगने वाली स्पेशल प्लेट्स की सप्लाई में बीएसपी दबदबा बनाने में कामयाब रही। इसका असर अब निर्माण के बाकी क्षेत्रों पर भी पड़ रहा है। जम्मू कश्मीर के पहाड़ी इलाके में ऊंचे ब्रिज का निर्माण की बात हो या गंगा व असम में बने ब्रिज का निर्माण, ऐसे देश के सभी महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में से ज्यादातर में बीएसपी की प्लेट्स की ही डिमांड सामने आ रही है।
सैटेलाइट प्रोजेक्ट के लिए इसरो की डिमांड भी बढ़ी
प्लेट्स उत्पादन के क्षेत्र में बीएसपी का कितना महत्व है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसरो के सेटेलाइट से जुड़े ज्यादातर प्रोजेक्ट में उसकी प्लेट का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसरो की टीम लगातार बीएसपी का दौरा कर आर्डर के मुताबिक डिमांड को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए दबाव बनाए हुए हैं। बीएसपी प्रबंधन इसे जल्द पूरा करने की बात कह रहा है।

जवान बालोद जिले का रहने वाला है, रामानुजगंज में थी पोस्टिंग  
बलरामपुर. रामानुजगंज में टोली नंबर में पांच में पदस्थ सीआरपीएफ के जवान को सोमवार सुबह 7 बजे जब जवानों ने जगाया तो उसने रिस्पॉन्स नहीं दिया। उसके मुंह से झाग निकल रहा था। उसे आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी मौत हो गई। प्रथम दृष्टया जवान की मौत जहर खाने के चलते हुई प्रतीत होती है। हालांकि शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।

बालोद जिले का रहने वाला सीआरपीएफ का जवान कोमेश कुमार रामानुजगंज में पदस्थ था। वो हाल ही में छुटि्टयां बिताकर लौटा था। उसने ये स्टेप क्यों उठाया ये अभी अज्ञात है। मामले की जांच चल रही है।

अंबिकापुर-वाराणसी मार्ग पर घाट पेंडारी में हादसा, पांच लोग गंभीर घायल
सूरजपुर स्थित देवी धाम कुदरगढ़ में माता के दर्शन के लिए जा रहे थे दो परिवार
अंबिकापुर. छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में रविवार देर रात हुए हादसे में 15 वर्षीया किशोरी, एक महिला सहित 6 लोगों की मौत हो गई। जबकि पांच लोग घायल हैं। घायलों की हालत गंभीर है, उन्हें अंबिकापुर रेफर किया गया है। हादसा अंबिकापुर- वाराणसी मार्ग पर घाट पेंडारी में के पास हुआ। बोलेरो सवार सभी लोग सूरजपुर स्थित देवी धाम कुदरगढ़ में माता के दर्शन करने के लिए जा रहे थे।
एक ही गांव के दो परिवारों के लोग थे बोलेरो में, ट्रक चालक की भी मौत
जानकारी के मुताबिक, बलरापुर जिले में विजयनगर के भाले गांव से दो परिवारों के 11 लोग एक बोलेरो में कुदरगढ़ में माता के दर्शन के लिए जा रहे थे। देर रात करीब एक बजे घाट पेंडारी के पास विपरीत दिशा से आ रही तेज रफ्तार ट्रक ने बोलेरो को टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि बोलेरो सवार चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि एक महिला ने इलाज के दौरान प्रतापपुर में दम तोड़ दिया।
हादसे के बाद ट्रक भी पलट गया। इसके नीचे दबने से चालक शंहशाह की भी मौत हो गई। उसका शव अभी तक निकाला नहीं जा सका है। मृतकों में बोलेरो सवार 15 वर्षीय रश्मी, ध्यानचंद, अनदुलवा, रितु और बोलेरो चालक पन्नालाल शामिल हैं।

रायपुर. एम्स में एक्सपायरी दवा देने से फेफड़े की बीमारी से ग्रसित व्यक्ति की हालत बिगड़ना नई बात नहीं है। एम्स में पिछले साल अप्रैल में मोतियाबिंद सर्जरी के बाद पांच लोगों की आंखों में संक्रमण हो गया था। आनन-फानन में सभी को एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था। लैब की जांच में सर्जरी में उपयोग होने वाली आई ड्राप में बैक्टीरिया की पुष्टि हुई थी। यह ड्राप अमृत स्टोर से खरीदी गई थी।
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जोधपुर, पटना, भोपाल व रायपुर एम्स में भर्ती परीक्षा स्थगित, नई तिथि बाद में की जाएगी घोषित
 
एम्स प्रशासन ने एक्सपायरी दवा देने के मामले की जांच कर रिपोर्ट डायरेक्टर को सौंप दिया है। रिपोर्ट के बाद एम्स प्रशासन ने एक्सपायरी दवा लगाने वाले दो नर्सों को नोटिस देकर जवाब मांगा है। उनके जवाब आने के बाद कार्रवाई तय की जाएगी। वहीं अमृत केंद्र सरकार से संचालित है। इसलिए इस पर कार्रवाई के लिए केंद्र को पत्र लिखा गया है। एम्स में लापरवाही का यह पहला मामला नहीं है। पिछले साल मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद पांच मरीजों की आखों में संक्रमण की जांच के लिए बनी कमेटी ने नेत्र सर्जन डॉ. लिपि चक्रवर्ती को जिम्मेदार ठहराया था।
डायरेक्टर डॉ. नितिन एम. नागरकर ने कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से नेत्र सर्जन पर कार्रवाई की अनुशंसा भी कर दी थी। हालांकि केंद्रीय मंत्रालय की कार्रवाई संबंधी आदेश आने के पहले डॉ. लिपि ने एम्स की नौकरी छोड़ दी थी। डॉ. नागरकर का कहना था कि ऑपरेशन के दौरान सर्जन ने तय प्रोटोकाल का पालन नहीं किया, इसलिए लोगों की आंखों में संक्रमण फैला। ओटी में कोई बैक्टीरिया नहीं मिला। हालांकि दवा में कुछ बैक्टीरिया मिला था।
डॉ. लिपि के ऑपरेशन करने पर भी रोक लगा दी गई थी। डॉ. लिपि ने आरोप लगाया था कि ऑपरेशन थियेटर में कई खामियां हैं। इससे ऑपरेशन के दौरान संक्रमण की आशंका बनी रहती है। उन्होंने एचओडी से लेकर यूनिट हेड को इस बारे में जानकारी दे दी थी। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर ओटी सही है तो अभी तक सील क्यों किया गया है? उन्होंने कहा जूनियर होने के कारण उन पर कार्रवाई की गई।

नगर आयुक्त ने कंपनी के खिलाफ कार्रवाई का रिकमंडेशन लेटर भेजा, ब्लैकलिस्टेड करने की अनुशंसा
भिलाई. डस्टबिन सप्लाई में बड़ी धांधली सामने आ रही है। नगर निगम भिलाई को जो डस्टबिन सप्लाई की गई है, उसकी क्वॉलिटी घटिया है। शहर में बांटे गए हर दूसरे डस्टबिन के ढक्कन कभी लगे नहीं। डस्टबिन मुड़ गए हैं या फिर टूट रहे हैं। घटिया क्वालिटी के डस्टबिन सप्लाई होने की वजह से नगर निगम भिलाई ने कंपनी को ब्लैकलिस्टेड करने की अनुशंसा की है। घटिया डस्टबिन सप्लाई कर खुलासा भी भिलाई निगम ने किया। जब निगम आयुक्त एसके सुंदरानी ने नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के डायरेक्टर को कंपनी के खिलाफ कार्रवाई के लिए रिकमंडेशन लेटर भेजा। निगम ने एजेंसी का भुगतान रोक दिया है।
डस्टबिन सप्लाई में धांधली कैसे, उसे आप ऐसे समझें
डस्टबिन में ढक्कन ही नहीं लगे: निगम ने जो रिपोर्ट नगरीय प्रशासन एवं विकास के डायरेक्टर को भेजी है। उसमें इस बात का उल्लेख है कि हर दूसरे डस्टबिन का ढक्कन लग ही नहीं रहा है। क्योंकि ढक्कन और डस्टबिन की साइज अलग-अलग है।
सप्लाई में भी देरी: डस्टबिन की सप्लाई जनवरी 2018 से शुरू हुई। जो मार्च-अप्रैल तक होती रही। यहां तक कई खेप तो अगस्त-सितंबर तक हुई। इसे लेकर भी निगम की आपत्ति है।
डस्टबिन की क्वालिटी पर सवाल: डस्टबिन की क्वालिटी पर सवाल शुरू से ही उठ रहे थे। एक-एक घर में गीले और सूखे कचरे काे इकट्ठा करने के लिए दो-दो डस्टबिन बांटे गए। तभी से लोगों ने इसकी क्वालिटी को लेकर सवाल खड़े करने शुरू किए।
एक नजर शहर में सप्लाई हुई डस्टबिन पर
2.78 लाख डस्टबिन का वितरण निगम क्षेत्र में किया गया।
29 हजार घर टाउनशिप में है, जहां डस्टबिन दिया गया।
04 करोड़ रु. से निगम ने डस्टबिन की खरीदी की है।
66 लाख रु. टाउनशिप में बांटे गए डस्टबिन पर खर्च हुए।
70% घरों में बांटे गए डस्टबिन की क्वालिटी घटिया।
खुलासा कैसे: हरेक जोन से आयुक्त ने मांगी रिपोर्ट तो सबमें मिली गड़बड़ी
सालभर पहले भिलाई निगम क्षेत्र में डस्टबिन वितरण किया गया था। इसके बाद लोगों ने निगम में इसकी कंप्लेन की। इस कंप्लेन के बाद निगम आयुक्त ने सभी छह जोन के स्वच्छता निरीक्षकों से मामले की जांच करवाई। सभी जोन में घटिया डस्टबिन सप्लाई सामने आई।
काम में क्वालिटी से समझौता बिल्कुल नहीं
लोगों की मांग पर डस्टबिन की क्वालिटी की जांच करवाई थी। सभी जोन से इसकी रिपोर्ट मंगवाई तो क्वालिटी ठीक नहीं आई। हमने कंपनी को ब्लैकलिस्टेड करने के लिए सरकार को पत्र भेजा है। कंपनी का 10% भुगातन रोक दिए हैं। किसी भी काम में क्वालिटी से समझौता नहीं होगा।
एसके सुंदरानी, आयुक्त, नगर निगम भिलाई

दो सड़कों पर काम जारी, 22 वार्ड एरिया बेस्ड डेवलपमेंट में शामिल, 1041 एकड़ होगा विकसित, 3966 करोड़ के कार्य
बिलासपुर. स्मार्ट सिटी के नाम पर बिलासपुर को अब तक 108 करोड़ रुपए मिल चुके हैं। केंद्रीय अनुदान के लिए आयोजित तीसरे राउंड की स्पर्धा में अपना शहर तीसरी बार में जून 2017 में पास हुआ। दो साल में प्रोजेक्ट का नाम 'बने बिलासपुर सिटी स्मार्ट' बदल कर 'हमर बिलासपुर' कर दिया गया, पर इस बीच शहर को एक अदद रोड की सहूलियत भी नहीं मिल सकी है।
30 करोड़ की लागत से बन रही हैं दोनों स्मार्ट सड़क
भक्त कंवरराम नगर द्वार से गणेश चौक, नेहरू नगर जिसे मिट्टी तेल गली के नाम से जाना जाता है, को स्मार्ट रोड के रूप में विकसित किया जाना है। इस पर काम चलते हुए दो साल से भी अधिक का  समय बीत चुका है। दो हिस्सों में पूर्व में बनी कांक्रीट और डामरीकृत सड़क निर्माण के नाम पर अब गड्ढे और धूल के गुबार में डूब चुकी है। कुछ ऐसी ही हालत व्यापार विहार रोड की है। दोनों स्मार्ट रोड की लागत 30 करोड़ है।
वर्क आर्डर में निर्धारित अवधि बीत गई
मिट्टी तेल गली की लंबाई 770 मीटर है। लागत 770 मीटर है। सड़क के दोनों ओर डक्ट, डिवाइडर, सोलर लाइट, सीसी कैमरे, लैंड स्केपिंग कई तरह की सहूलियतों के साथ इसे स्मार्ट रोड का नाम दिया गया है। ईई सुरेश बरुआ का दावा कि बारिश के पहले पूरी रोड का डामरीकरण कर दिया जाएगा। हालत यह है कि एक भी दोपहिया वाहन गुजर जाए तो धूल उड़ने लगती है। रहवासियों को श्वास रोग की शिकायत शुरू हो गई है।
किन कार्यों के लिए अभी और कितना इंतजार
25 करोड़ की लागत वाले व्यापार विहार रोड के पहले चरण का काम तारबाहर से महिमा चौक तक शुरू, कांक्रीटीकरण में छह महीने और लगेंगे।
6.72 करोड़ की लागत से व्यापार विहार में निर्माणाधीन प्लेनेटोरियम का काम डोम की ढलाई तक पहुंचा। इसी साल पूरा होने नोडल अधिकारी का दावा।
 20 करोड़ की आईटीएमएस बिल्डिंग का नक्शा संयुक्त संचालक टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, रायपुर से पारित होने की स्थिति में। पूरी तरह ग्रीन बिल्डिंग। अगले छह महीने में टेंडर व निर्माण शुरू कराने का दावा।
 चीफ ऑपरेशन मैनेजर, जीएम, लीगल एडवाइजर, रिसेप्शनिस्ट, कंप्यूटर ऑपरेटर, प्यून, सिक्योरिटी गार्ड सहित 25 पदों की भर्ती के लिए टेंडर महीने भर के अंदर खुलेगा। कंसल्टेंट के माध्यम से होगी भर्ती।
देरी पर नोडल अफसर ने सफाई दी
नोडल अफसर पीके पंचायती के मुताबिक 73 कार्यों के लिए प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट की नियुक्ति के लिए तीन बार टेंडर कराने पड़े। प्राइस वाटर हाउस कूपर और ट्रेक्टाबेल के ज्वाइंट वेंचर को 6 अक्टूबर 2018 को 4 वर्षों के लिए नियुक्त किया गया। 46 कार्यों के लिए कंपनी से सुझाव मिल चुके हैं कि किस तरह विश्वस्तरीय सहूलियतें उपलब्ध कराई जाना है।

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