राजनीति

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2014 में भाजपा नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सत्ता में आयी तो 2019 में भी उन्हीं की अगुवाई में सत्ता वापसी में कामयाब रही। लेकिन प्रदेशों में पार्टी के साथ ऐसा कुछ नहीं रहा जो सीएम एक बार पूर्व हो गए हैं उनकी वापसी पर ग्रहण सा लग गया है।

 राजनीति में जो पूर्व होता है वह वर्तमान भी हो जाता है और जो वर्तमान में होता है वह पूर्व भी हो जाता है। कहने का मतलब यह है कि राजनीति में संभावनाओं का द्वार हमेशा खुला रहता है। जो वर्तमान में जिस पद पर है वह पूर्व हो जाता है और जो पूर्व में किसी पद पर रह चुका है वह वर्तमान में वापसी भी कर लेता है। लेकिन भाजपा के साथ ऐसा बहुत कम देखने को मिला है। राष्ट्रीय स्तर पर बात करें तो भले ही भाजपा अपने पूर्व प्रधानमंत्रियों को वापस सत्ता में लाने में कामयाब रही लेकिन वह जब तक जीतते रहें तब तक तो लगातार बने रहें। 13 दिन की सरकार जाने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी के ही नाम पर 1998 में भाजपा ने चुनाव लड़ा था। भाजपा ने चुनाव में जीत दर्ज किया। 1 साल बाद वापस उनके ही नाम पर पार्टी ने चुनाव लड़ा और इस बार भी पार्टी ने जीत दर्ज की। हालांकि 2004 में हारने के बाद वाजपेयी सक्रिय राजनीति से दूर हो चुके थे लेकिन पूर्व उप प्रधानमंत्री होने के नाते लालकृष्ण आडवाणी के प्रधानमंत्री होने की संभावनाएं काफी दिख रही थी। पार्टी ने 2009 का चुनाव उनके नाम पर लड़ा लेकिन जनादेश नहीं मिल सका और आडवाणी पूर्व उप प्रधानमंत्री ही बने रहे।

2014 में भाजपा नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सत्ता में आयी तो 2019 में भी उन्हीं की अगुवाई में सत्ता वापसी में कामयाब रही। लेकिन प्रदेशों में पार्टी के साथ ऐसा कुछ नहीं रहा जो सीएम एक बार पूर्व हो गए हैं उनकी वापसी पर ग्रहण सा लग गया है। यह खास करके वर्तमान समय में देखने को भी मिल रहा है। मध्यप्रदेश में हार के बाद शिवराज सिंह चौहान पूर्व मुख्यमंत्री तो है लेकिन आगे मुख्यमंत्री के बनने की संभावनाएं उनकी कितनी है इस पर एक ग्रहण सा है। पार्टी में कम होते उनके दबदबे का एहसास उन्हें भी है तभी वह मध्यप्रदेश में ही मोर्चा संभाले रखने का दावा करते हैं। राज्य में पार्टी उनके समानांतर कैलाश विजयवर्गीय, नरोत्तम मिश्र और राकेश सिंह को खड़ा कर रही है। छत्तीसगढ़ की बात करें तो बुरी तरीके से परास्त होने के बाद 15 साल से मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह का भी राजनीतिक कॅरियर दांव पर लग गया है। रमन सिंह की राजनीतिक सक्रियता भी कम हो गई है। लोकसभा चुनाव में उन्हें और ना ही उनके पूर्व सांसद बेटे को पार्टी ने टिकट दिया। ऐसा माना जा रहा है कि रमन सिंह की जगह पार्टी छत्तीसगढ़ में किसी नए चेहरे की तलाश में लग गई है।

राजस्थान में भाजपा के कई मौकों पर कमान संभालने वाली वसुंधरा राजे फिलहाल पूर्व मुख्यमंत्री हैं। भैरों सिंह शेखावत के बाद दो बार प्रदेश की कमान संभालने वाली वसुंधरा राजे सक्रिय राजनीति से दूर नजर आती हैं। या यूं कह सकते हैं कि पार्टी ने उन्हें वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य से दूर ही रखने का फैसला लिया है। 'मोदी से बैर नहीं वसुंधरा तेरी खैर नहीं' का नारा पार्टी अध्यक्ष को भी समझ में आने लगा है कि वसुंधरा से पार्टी कार्यकर्ता ही नाराज चल रहे थे। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि वसुंधरा के भी राजनीतिक कॅरियर पर संकट मंडरा रहा है। राजस्थान में उन्हें गजेंद्र सिंह शेखावत और राज्यवर्धन सिंह राठौर के अलावा ओपी माथुर से भी कड़ी चुनौती मिल रही है। यानी कि पार्टी ने इन तीन नेताओं को वसुंधरा के समानांतर खड़ा करने का फैसला लिया है।

लेकिन इस सवाल का जिक्र हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि महाराष्ट्र की 5 साल के सरकार की कमान संभालने के बाद देवेंद्र फडणवीस पूर्व मुख्यमंत्री हो चुके हैं। क्या कभी भाजपा को सत्ता में आने का मौका मिले तो उन्हें फिर से मुख्यमंत्री बनाया जाएगा? इसका जवाब तो पार्टी अध्यक्ष अमित शाह या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही दे सकेंगे। लेकिन उनके लिए आगे का रास्ता चुनौती भरा जरूर हो गया है। कुछ लोग ऐसा भी कह रहे हैं कि महाराष्ट्र में तीन-चार दिनों की राजनीतिक उथल-पुथल में देवेंद्र फडणवीस की हार हुई है क्योंकि उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व को गलत इनपुट दिए हैं। देवेंद्र फडणवीस के पक्ष में एक बात यह जाती है कि वह संघ के करीबी भी हैं और युवा भी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के भी विश्वसनीय माने जाते हैं। ऐसे में उन्हें एक मौका और दिया जा सकता है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि उन्हें केंद्र में लाकर राज्य में किसी और को आगे किया जा सकता है।

हालांकि ऐसा नहीं है कि भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को दोबारा सत्ता नहीं सौंपी है। कर्नाटक में बीएस येदुरप्पा का उदाहरण देख लीजिए। उन्हें वर्तमान समय में ही कर्नाटक की बागडोर अमित शाह और नरेंद्र मोदी ने सौंपी है जबकि वह 75 साल से ऊपर के हैं। ऐसा भी नहीं है कि कर्नाटक में भाजपा के पास कोई दूसरा नेता नहीं है। लेकिन कुछ राजनीतिक मजबूरियों के कारण येदुरप्पा आलाकमान का विश्वास जीतने में कामयाब रहते हैं। गुजरात में देखा जाए तो केशुभाई पटेल को भी दोबारा सीएम की कुर्सी दी गई लेकिन वह ज्यादा दिन तक चल नहीं पाए। पार्टी से ही उन्होंने बगावत कर लिया। यही हाल उत्तर प्रदेश में भी देखने को मिला। कल्याण सिंह दो बार राज्य के मुख्यमंत्री बने लेकिन पार्टी ने जब उन्हें सीएम पद से हटाया तो उन्होंने बगावत कर दूसरी पार्टी बना ली।

राजनीतिक अनिश्चितताओं का खेल है। यहां कब, कौन, किस तरह का पाला बदल ले कहना मुश्किल है। कौन कब किस समय राजनीतिक मजबूरी बन कर उभर जाए इसका भी अनुमान लगाना मुश्किल है। लेकिन वर्तमान परिस्थिति में देखें तो भाजपा नए चेहरों पर दांव लगाने में विश्वास रखती है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, असम, त्रिपुरा या फिर झारखंड जैसे तमाम ऐसे राज्य हैं जहां पार्टी ने नए चेहरों को मौका दिया। अब देखना दिलचस्प होगा कि जिन राज्यों में पूर्व सीएम है जो अभी भी सक्रिय राजनीति में है उनको हटाकर कैसे नये चेहरों को पार्टी आगे बढ़ाती है।
 

महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताने वाले बयान के बाद भाजपा और केंद्र सरकार ने सांसद प्रज्ञा ठाकुर पर कार्रवाई की है। अपने बयानों की वजह से हमेशा विवादों में रहने वालीं भोपाल से सांसद साध्वी को रक्षा मंत्रालय की कमिटी से हटा दिया गया है। साथ ही भाजपा संसदीय दल की बैठक में आने पर भी रोक लगा दी गई है।
भाजपा के कार्यकारी अधियक्ष जेपी नड्डा ने कहा, 'उनका लोकसभा में कल दिया गया बयान निंदनीय है। भाजपा इस तरह के बयान या विचारधारा का समर्थन नहीं करती है। हमने फैसला लिया है कि उन्हें रक्षा सलाहकार समिति से हटाया जाएगा और वह इस सत्र के दौरान पार्टी की संसदीय दल की बैठक में हिस्सा नहीं ले पाएंगी।'

बता दें कि प्रज्ञा ठाकुर ने लोकसभा में बुधवार को नाथूराम गोडसे को 'देशभक्त' करार दिया था। उनके इस बयान पर कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया था। उनके इस बयान पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पलटवार करते हुए कहा था कि मोदी जी और अमित शाह जी को इसके बारे में सोचना चाहिए और ऐसा फैसला लेना चाहिए जो राष्ट्र के हित में हो।

राहुल गांधी ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वह जो कह रही हैं, वही भाजपा और आरएसएस के मन में है। मैं क्या कह सकता हूं? इसे छिपाया नहीं जा सकता। मुझे उस महिला के खिलाफ कार्रवाई की मांग करके अपना समय बर्बाद करने की कोई जरूरत नहीं है।

वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी प्रज्ञा के बयान को लेकर सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने पूछा था कि भाजपा दिल से बता दें कि गोडसे के बारे में उनके क्या विचार हैं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'आज देश की संसद में खड़े होकर भाजपा की एक सांसद ने गोडसे को देशभक्त बोल ही दिया। अब प्रधानमंत्री जी (जिन्होंने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती धूम धाम से मनाई) से अनुरोध है कि दिल से बता दें कि गोडसे के बारे में उनके क्या विचार हैं? महात्मा गांधी अमर हैं।'

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि प्रज्ञा ठाकुर हमेशा गोडसे के पक्ष में बोलती हैं। भाजपा को स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी पार्टी गांधी के साथ हैं या गोडसे के साथ। मुंह में गांधी और दिल में गोडसे नहीं चलेगा।

महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताने वाले प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बयान के बाद संसद से लेकर सड़क तक हंगामा हो रहा है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इसे लेकर भाजपा पर निशाना साधा है।कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट कर प्रज्ञा को आतंकवादी बताया। उन्होंने कहा कि आतंकवादी प्रज्ञा ने आतंकवादी गोडसे को देशभक्त कहा। भारतीय संसदीय इतिहास का आज काला दिन है।

राहुल गांधी ने गुरुवार को कहा कि वह जो कह रही हैं, वही भाजपा और आरएसएस के मन में है। मैं क्या कह सकता हूं? इसे छिपाया नहीं जा सकता। मुझे उस महिला के खिलाफ कार्रवाई की मांग करके अपना समय बर्बाद करने की कोई जरूरत नहीं है।
 

गोडसे को देशभक्त मानने की सोच निंदाजनक : राजनाथ

भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के लोकसभा में दिए विवादित बयान को लेकर गुरुवार को कांग्रेस के हंगामे के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि नाथूराम गोडसे को देशभक्त मानने की सोच की वह और उनकी पार्टी निंदा करते हैं। सदन की कार्यवाही आरंभ होने के बाद सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रज्ञा के विवादित बयान का मुद्दा उठाया और कहा कि यह सदन इस तरह के बयानों की अनुमति कैसे दे सकता है।

इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि टिप्पणी को रिकॉर्ड से हटा दिया गया है और ऐसी स्थिति में इस पर सदन के भीतर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि नाथूराम गोडसे को देशभक्त मानने की सोच की पार्टी पूरी तरह निंदा करती है। उन्होंने यह भी कहा कि महात्मा गांधी पहले भी हमारे मार्गदर्शक थे और आज भी हैं, उनके विचार पहले भी प्रासंगिक थे और आज भी प्रासंगिक हैं।

संसद के बाहर प्रदर्शन करने पहुंचे तहसीन पूनावाला हिरासत में

कांग्रेस समर्थक, राजनीतिक विश्लेषक और बिग बॉस सिलेब्रेटी तहसीन पूनावाला ने भोपाल से भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बयान को लेकर संसद भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।  वह विजय चौक पर प्रदर्शन कर रहे थे जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। 

रक्षा मंत्रालय की कमिटी से दिखाया गया बाहर का रास्ता
नाथूराम गोडसे पर दिए गए बयान के कारण भोपाल से सांसद साध्वी को रक्षा मंत्रालय की कमिटी से हटा दिया गया है। साथ ही भाजपा संसदीय दल की बैठक में आने पर भी रोक लगा दी गई है।

भाजपा के कार्यकारी अधियक्ष जेपी नड्डा ने कहा, 'उनका लोकसभा में कल दिया गया बयान निंदनीय है। भाजपा इस तरह के बयान या विचारधारा का समर्थन नहीं करती है। हमने फैसला लिया है कि उन्हें रक्षा सलाहकार समिति से हटाया जाएगा और वह इस सत्र के दौरान पार्टी की संसदीय दल की बैठक में हिस्सा नहीं ले पाएंगी।'

बता दें कि प्रज्ञा ठाकुर ने लोकसभा में बुधवार को नाथूराम गोडसे को 'देशभक्त' करार दिया था। उनके इस बयान पर कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया था। उनके इस बयान पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पलटवार करते हुए कहा था कि मोदी जी और अमित शाह जी को इसके बारे में सोचना चाहिए और ऐसा फैसला लेना चाहिए जो राष्ट्र के हित में हो।

मुंबई. महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी मिलकर सरकार बना रही है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे कल यानी 28 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. इस बीच खबर है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी नई सरकार के शपथ ग्रहण में शामिल नहीं होंगे.

बीते दिनों जब शिवसेना के साथ कांग्रेस के गठबंधन बनाने की बात चल रही थी तब उस वक्त भी राहुल गांधी दूर थे. इतना ही नहीं कांग्रेस की केरल इकाई ने भी शिवसेना के साथ सरकार बनाने पर आपत्ति जताई थी. ऐसे में वायनाड से सांसद राहुल गांधी के शपथ ग्रहण समारोह से दूर रहने उनकी असहमति की खबर को बल जरूर मिलता है.

गौरतलब है कि शिवसेना की ओर से कहा जा रहा था कि तीनों दलों के बड़े नेताओं को शपथ ग्रहण में बुलाया जाएगा हालांकि अब तक राहुल के महाराष्ट्र जाने का कोई कार्यक्रम नहीं आया है. वहीं दूसरी ओर खबर है कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia gandhi) को शपथ ग्रहण में न्योता देने के लिए खुद शरद पवार जाएंगे.

शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे 28 नवंबर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. खबर है कि वह 28 नवंबर को शाम 6:30 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. ठाकरे राज्य के शीर्ष राजनीतिक पद पर पहुंचने वाले अपने परिवार के पहले सदस्य होंगे.

मुंबई महाराष्ट्र में एक नए राजनीतिक युग की शुरुआत हो रही है. जो ठाकरे परिवार अभी तक पर्दे के पीछे से सत्ता चलाता था, अब वह फ्रंटफुट पर आ गया है. एक महीने से चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम के खत्म होने पर उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री बनना तय हो गया है. गुरुवार देर शाम उद्धव मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. मंगलवार को देवेंद्र फडणवीस-अजित पवार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
देवेंद्र फडणवीस ने ली विधायक पद की शपथ...
महाराष्ट्र विधानसभा का विशेष सत्र शुरू हो गया है. पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधायक पद की शपथ ले ली है, अब सभी विधायकों के शपथ लेने का सिलसिला शुरू हो गया है. फडणवीस के बाद छगन भुजबल, अजित पवार, जयंत पाटिल, बालासाहेब थोराट समेत अन्य विधायकों ने शपथ ली.
सुप्रिया ने गले लगकर किया अजित पवार का स्वागत...
नेताओं का विधानसभा पहुंचना शुरू हो गया है. एनसीपी नेता सुप्रिया सुले विधानसभा में सभी का स्वागत कर रही हैं. उन्होंने आदित्य ठाकरे का गले लगकर स्वागत किया और बधाई दी. इसी दौरान चौंकाने वाली तस्वीर भी आई जब अजित पवार विधानसभा पहुंचे. सुप्रिया सुले ने अजित पवार का भी गले लगकर स्वागत किया था.

नई दिल्ली. आईएनएक्स मनी लॉन्ड्रिंग केस में तिहाड़ जेल में बंद पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम से मिलने के लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी तिहाड़ जेल पहुंचे। तिहाड़ जाकर पूर्व वित्त मंत्री से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मिल चुके हैं। सोनिया और मनमोहन की मुलाकात के 1 महीने बाद आज राहुल और प्रियंका ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता से मुलाकात की।
चिदंबरम के स्वास्थ्य को लेकर कांग्रेस नेताओं ने जाहिर की चिंता
कांग्रेस पार्टी के नेता चिदंबरम के स्वास्थ्य को लेकर लगातार चिंता व्यक्त करते रहे हैं। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि जेल में पूर्व वित्त मंत्री के स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखा जा रहा और उनका वजन 3 महीने में 10 किलो से अधिक कम हो गया है। चिदंबरम पर गिरफ्तारी के साथ ही कांग्रेस पार्टी लगातार उनका बचाव कर रही है। कांग्रेस ने दुर्भावना के साथ जांच एजेंसियों के काम करने का आरोप लगाया है।
21 अगस्त को गिरफ्तार किए गए चिदंबरम
चिदंबरम को सीबीआई ने 21 अगस्त को गिरफ्तार किया और फिर 5 सितंबर को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उन्हें बाद में आईएनएक्स मीडिया मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में अरेस्ट किया गया। हाई कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट से कांग्रेस नेता को राहत की उम्मीद है। कांग्रेस नेता बार-बार राजनीतिक बदले और अपमानित करने का आरो लगाते रहे हैं।
SC में चिदंबरम का आरोप अपमानित करना चाहती है सीबीआई
आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में जेल में बंद पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इससे पहले जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी। चिदंबरम ने कहा कि सीबीआई उन्हें नीचा दिखाने (अपमानित करने) के लिए जेल में रखना चाहती है। चिदंबरम की तरफ से सीनियर वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की है।

1939 में कांग्रेस अधिवेशन में प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें कहा गया कि स्वतंत्र देश के संविधान के निर्माण के लिए संविधान सभा ही एकमात्र उपाय है और अंततः 1940 में ब्रिटिश सरकार ने इस मांग को मान लिया कि भारत का संविधान भारत के लोगों द्वारा ही बनाया जाए।

भारत का संविधान 26 नवम्बर 1949 को बनकर तैयार हुआ था और उसी दिन उसे स्वीकृत कर लिया गया था। विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान ‘भारतीय संविधान’ वैसे तो 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था लेकिन इसे 26 नवम्बर 1949 को ही स्वीकृत कर लिया गया था। 29 अगस्त 1947 को संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति की स्थापना की गई थी, जिसके अध्यक्ष थे डॉ. भीमराव अम्बेडकर, जिन्हें भारतीय संविधान का जनक भी कहा जाता है। उनके अथक प्रयासों के कारण ही भारत का संविधान ऐसे रूप में सामने आया, जिसे न केवल भारत में सबने सराहा बल्कि विश्व में कई अन्य देशों ने भी इसे अपनाया। चार साल पहले सन् 2015 में डॉ. अम्बेडकर के 125वें जयंती वर्ष में पहली बार देश में 26 नवम्बर को संविधान दिवस मनाए जाने का निर्णय लिया गया था और इस साल हम 70वां संविधान दिवस मना रहे हैं। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था।
 
भारतीय संविधान से जुड़े रोचक तथ्यों पर नजर डालें तो सर्वप्रथम सन् 1895 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने मांग की थी कि अंग्रेजों के अधीनस्थ भारतवर्ष का संविधान स्वयं भारतीयों द्वारा ही बनाया जाना चाहिए लेकिन तिलक के सहयोगियों द्वारा भारत के लिए स्वराज्य विधेयक के प्रारूप को, जिसमें पहली बार भारत के लिए स्वतंत्र संविधान सभा के गठन की मांग की गई थी, ब्रिटिश सरकार द्वारा ठुकरा दिया गया था। 1922 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने मांग की कि भारत का राजनैतिक भाग्य भारतीय स्वयं बनाएंगे। 1924 में पं. मोतीलाल नेहरू ने संविधान सभा के गठन की फिर मांग की लेकिन अंग्रेजों द्वारा उनकी मांग को भी ठुकरा दिया गया। तब से संविधान सभा के गठन की मांग लगातार उठती रही लेकिन अंग्रेजों द्वारा इसे हर बार ठुकराया जाता रहा। 1939 में कांग्रेस अधिवेशन में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें कहा गया कि स्वतंत्र देश के संविधान के निर्माण के लिए संविधान सभा ही एकमात्र उपाय है और अंततः 1940 में ब्रिटिश सरकार ने इस मांग को मान लिया कि भारत का संविधान भारत के लोगों द्वारा ही बनाया जाए।

1942 में क्रिप्स कमीशन ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें कहा गया कि भारत में निर्वाचित संविधान सभा का गठन किया जाएगा, जो भारत का संविधान तैयार करेगी। पहली बार संविधान सभा सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में 9 दिसम्बर 1946 को समवेत हुई किन्तु लेकिन अलग पाकिस्तान बनाने की मांग को लेकर मुस्लिम लीग द्वारा उस बैठक का बहिष्कार किया गया। उसके दो ही दिन बाद संविधान सभा की बैठक में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया और वे संविधान बनाने का कार्य पूरा होने तक इस पद पर आसीन रहे। 15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजों की दासता से मुक्त हुआ और संविधान सभा द्वारा उसके 14 दिन बाद 29 अगस्त संविधान निर्मात्री समिति का गठन किया गया, जिसका अध्यक्ष सर्वसम्मति से डॉ. अम्बेडकर को बनाया गया। संविधान के निर्माण में कुल 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा और संविधान प्रारूप समिति की बैठकें 114 दिनों तक चलीं। संविधान के निर्माण कार्य पर कुल 63 लाख 96 हजार 729 रुपये का खर्च आया और इसके निर्माण कार्य में कुल 7635 सूचनाओं पर चर्चा की गई।
 
मूल संविधान में कुल सात मौलिक अधिकार थे किन्तु 44वें संविधान संशोधन के द्वारा सम्पत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटाकर संविधान के अनुच्छेद 300 (ए) के अंतर्गत कानूनी अधिकार के रूप में रखा गया, जिसके बाद भारतीय नागरिकों को छह मूल अधिकार प्राप्त हैं, जिनमें समता या समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18), स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22), शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24), धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28), संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30) तथा संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 32) शामिल हैं। संविधान के भाग-3 में अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 35 के अंतर्गत मूल अधिकारों का वर्णन है और संविधान में यह व्यवस्था भी की गई है कि इनमें संशोधन भी हो सकता है तथा राष्ट्रीय आपात के दौरान जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को छोड़कर अन्य मौलिक अधिकारों को स्थगित किया जा सकता है।

भारत के संविधान के उद्देश्यों को प्रकट करने हेतु संविधान में पहले एक प्रस्तावना प्रस्तुत की गई है, जिससे भारतीय संविधान का सार, उसकी अपेक्षाएं, उसका उद्देश्य, उसका लक्ष्य तथा दर्शन प्रकट होता है। प्रस्तावना के अनुसार, ‘‘हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ई. को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।’’
 
संविधान की यह प्रस्तावना पूरे संविधान के मुख्य उद्देश्य को प्रदर्शित करती है। भारत का सर्वोच्च न्यायालय प्रस्तावना के उद्देश्य के विपरीत पाए जाने पर संविधान में किसी भी संशोधन को निरस्त कर सकता है, इसलिए संविधान की प्रस्तावना पूरे संविधान का प्रमुख आधार है।
 
-योगेश कुमार गोयल
(लेखक योगेश कुमार गोयल वरिष्ठ पत्रकार हैं तथा तीन दशकों से पत्रकारिता में नियमित सक्रिय हैं)

देश में आज संविधान दिवस मनाया जा रहा है. इस मौके पर संसद के सेंट्रल हाल में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधन करेंगे. हालांकि, कांग्रेस, शिवसेना, लेफ्ट और डीएमके के सांसदों ने संविधान दिवस समारोह के बहिष्कार का फैसला किया. विपक्षी दलों का आरोप है कि बीजेपी ने महाराष्ट्र में लोकतंत्र की हत्या की है. विपक्षी दल संसद परिसर में आंबेडकर प्रतिमा के पास विरोध प्रदर्शन भी करेंगे. महाराष्ट्र में चल रही सियासी उठापटक के कारण आज भी संसद के दोनों सदनों में हंगामे के आसार हैं. कल दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी थी.
देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडु कर रहे हैं संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित.
हमारा संविधान हम भारत के लोग से शुरू होता है. हम ही इसकी ताकत है, हम ही इसकी प्रेरणा है और हम ही इसका उद्देश्य हैं. मैं जो कुछ भी हूं समाज के लिए हूं. देश के लिए हूं यही कर्तव्य भाव हमारी प्रेरणा का स्त्रोत है. आइए अपने गणतंत्र को हम कर्तव्यों से ओतप्रोत नई संस्कृति की तरफ लेकर जाएं. नेक नागरिक बनें. मैं कामना करता हूं कि यह संविधान दिवस हमारे संविधान के आदर्शों को कायम रखे. हमारे संविधान निर्माताओं ने जो सपना देखा तो उसे पूरा करने की शक्ति दे.
रोड पर किसी को तकलीफ हुई आपने मदद की अच्छी बात है लेकिन अगर मैंने ट्रैफिक नियमों का पालन किया और किसी को तकलीफ नहीं हुई तो वह मेरा कर्तव्य है. आप जो कुछ भी कर रहे हो उसके साथ अगर हम एक सवाल जोड़ कर देखें कि क्या इससे मेरा देश मजबूत हो रहा है. नागरिक के नाते हम वो करें जिससे हमारा राष्ट्र सशक्त हो.
अधिकारों और कर्तव्यों के बीच एक अटूट रिश्ता है. इस रिश्ते को महात्मा गांधी ने बखूबी समझाया था. वो कहते थे राइट इज ड्यटी वेल परफॉर्म्ड. उन्होंने लिखा है कि मैंने अपनी अनपढ़ लेकिन समझदार मां से सीखा है कि सभी अधिकार आपके द्वारा सच्ची निष्ठा से निभाए गए अपने कर्तव्यों से ही आते हैं.
हमारा संविधान हमारे लिए सबसे बड़ा और पवित्र ग्रंथ है. संविधान को अगर दो सरल शब्दों और भाषा में कहना है तो कहूंगा डिग्निटी और इंडियन और यूनिटी और इंडिया. इन्हीं दो मंत्रों को हमारे संविधान ने साकार किया है. नागरिक की डिग्निटी को सर्वोच्च रखा है और संपूर्ण भारत की एकता को अच्छुण्ण रखा है.
कुछ दिन और कुछ अवसर ऐसे होते हैं जो हमें अतीक के साथ बेहतर काम करने के लिए प्रेरित करते हैं. यह ऐतिहासिक अवसर है. 70 साल पहले हमने विधिवत रूप से संविधान को अंगीकार किया था. 26 नवंबर साथ-साथ दर्द भी पहुंचाता है जब भारत की महान उच्च परंपराएं, संस्कृति विरासत को मुंबई में आतंकवादियों ने छन्न करने का प्रयास किया. मैं आज उन सभी हुतात्माओं को नमन करता हूं. 7 दशक पहले संविधान पर इसी हॉल में चर्चा हुई. सपनों पर चर्चा हुई, आशाओं पर चर्चा हुई.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि आज ही के दिन इतिहास रचा गया था. उन्होंने आगे कहा कि संविधान ने अगर हमें मौलिक अधिकार दिए हैं तो मौलिक कर्तव्य देकर हमें अनुशासित करने की भी कोशिश की है. देश की संप्रभुता को बनाए रखने का दर्शन दिया है. कर्तव्यों की बात ना कर सिर्फ अधिकार की बात करने से असंतुलन पैदा होता है.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि आज ही के दिन इतिहास रचा गया था. उन्होंने आगे कहा कि संविधान ने अगर हमें मौलिक अधिकार दिए हैं तो मौलिक कर्तव्य देकर हमें अनुशासित करने की भी कोशिश की है. देश की संप्रभुता को बनाए रखने का दर्शन दिया है. कर्तव्यों की बात ना कर सिर्फ अधिकार की बात करने से असंतुलन पैदा होता है.
प्रह्लाद जोशी ने जब किया पीएम मोदी का स्वागत तो जम कर बजी तालियां. जोशी ने कहा कि इस शुभ अवसर पर हमारे विश्वप्रसिद्ध नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्वागत करता हूं.

पिछले तीन दिनों से महाराष्ट्र की राजनीति ऐसे मोड़ ले रही जिसके बारे में किसी ने सोचा नहीं था। जोड़-तोड़ के बाद यहां कई ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं। भाजपा जहां दावा कर रही है कि उसके पास बहुमत है। वहीं शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी उनपर सदन में बहुमत परीक्षण कराने की मांग कर रही है। इसके अलावा उनकी कोशिश अपने विधायकों को टूटने से बचाने की भी है। इसे लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में डेढ़ घंटे तक सुनवाई हुई, फैसला मंगलवार को सुनाया जाएगा। इसी बीच शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं ने सोमवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पास एक पत्र भेजा जिसमें उन्होंने दावा किया है कि राज्य में सरकार गठन के लिए आवश्यक आंकड़ा उनके पास है।
वहीं, शिवसेना विधायक अब्दुल सत्तार ने कहा कि आज हमारे साथ 162 विधायक हैं, अगर भाजपा के पास है तो उन्हें बताना चाहिए। तो तोड़फोड़ का प्रयास करेगा हम उसकी मुंडी उसकी तोड़ देंगे।
समाजवादी पार्टी नेता अबू आजमी ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर मैंने शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन को समर्थन का पत्र सौंप दिया है।
हम भी तोड़फोड़ कर सकते हैं : नवाब मलिक
एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने भाजपा को नसीहत देते हुए कहा है कि अभी भी उनके पास सम्मान बचाने का मौका है। उन्होंने कहा, 'अगर भाजपा तोड़फोड़ पर उतर आती है तो हम भी उसका जवाब देंगे। अजित पवार अभी भी पार्टी का हिस्सा हैं। वह पवार परिवार का हिस्सा हैं। हम कोशिश कर रहे हैं कि वह अपनी गलती स्वीकार कर वापस आ जाए।
परेड कराकर विधायकों का अपमान किया : भाजपा
भाजपा के आशीष शेलार ने एनसीपी, कांग्रेस और शिव सेना परेड को विधायकों का अपमान बताया है। उन्होंने कहा कि शिनाख्त परेड तो आरोपियों की जाती है, न कि चुने गए विधायकों की। यह विधायकों और उन्हें चुनने वालों का अपमान है।
सभी विधायकों ने ली शपथ
 शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी विधायकों ने होटल हयात के हॉल में शपथ ली। कहा- मैं शपथ लेता हूं कि शरद पवार, उद्धव ठाकरे और सोनिया गांथी के नेतृत्व में, मैं पार्टी के लिए ईमानदार बना रहूंगा। मैं किसी लालच में नहीं आऊंगा। मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगा जिससे भाजपा को फायदा पहुंचे।
अजित पवार पर करेंगे कार्रवाई: शरद पवार
बैठक में  शरद पवार ने कहा- अजित पवार ने सबको गुमराह किया। उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। वह अब कोई फैसला नहीं ले सकते। अब तीनों पार्टियां मिलकर फैसला लेंगी। बहुमत से ज्यादा सीटें हमारे पास हैं। ये गोवा, मणिपुर नहीं महाराष्ट्र है।
उद्धव ठाकरे ने दी चुनौती
25-30 साल तक आपको (भाजपा) कुछ समझ नहीं आया। अब हम बताएंगे कि शिवसेना क्या चीज है। हमारा ये गठबंधन लंबे समय तक चलेगा। हमारी लड़ाई सत्ता के लिए नहीं सत्यमेव जयते के लिए है। आप हमें जितना तोड़ने की कोशिश करोगे, हम उतना ही मजबूत होंगे।
उद्धव सहित कई बड़े नेता होटल पहुंचे
होटल के हॉल में गूंजे महाविकास अघाड़ी जिंदाबाद के नारे। यहां कांग्रेस-शिवसेना-एनसीपी के विधायक जुटे हुए हैं। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और अशोक चव्हाण भी पहुंचे। चव्हाण ने कहा- हम 162 से ज्यादा हैं। हम सभी एक सरकार का हिस्सा होंगे। मैं सोनिया गांधी का धन्यवाद करता हूं जिन्होंने भाजपा को रोकने के लिए इस गठबंधन को मंजूरी दी। उम्मीद है कि हमें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
होटल ग्रांड हयात में विधायकों के पहुंचने से पहले की तैयारी। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी पहुंचे।

नयी दिल्ली। महाराष्ट्र में सरकार गठन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट की न्यायिक समीक्षा के दायरे में आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलाने के महाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन की याचिका पर मंगलवार को सुबह साढ़े दस बजे अपना आदेश पारित करेगा। न्यायमूर्ति एन वी रमन, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ विश्वास मत कराने पर आदेश पारित कर सकती है।दोनों पक्ष ने अपनी दलीले पेश की और अदालत ने साफ शब्दों में कह दिया कि मंगलवार सुबह साढ़े बजे ही फैसला आएगा। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह स्पीकर के चुनाव पर ज़ोर क्यो दे रहे हैं? ताकि अजीत पवार व्हिप जारी कर सकें। अयोग्यता की कार्रवाई हो सके। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी दलील में कहा कि आपके अनुसार हम फ्लोर टेस्ट हारने को तैयार हैं। तो फ्लोर टेस्ट तय समय पर होने दें। इसी बीच अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत को आदेश सुझाया और कहा कि विशेष सत्र बुलाएं, जिसमें सिर्फ बहुमत परीक्षण हो। जिसके बाद अदालत ने कहा हम सुनवाई कर रहे हैं। हम तय करेंगे कि क्या करना है।   तुषार मेहता ने अपनी दलील में कहा कि ये जो नई चिट्ठी दे रहे हैं, उसमें भी कई विधायकों के नाम नहीं हैं। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वरिष्ठतम विधायक को प्रोटेम स्पीकर बनाकर तुरंत फ्लोर टेस्ट होना चाहिए। न्यायमूर्ति फिर फ़ाइल को पढ़ रहे हैं। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आपका कहना सही है। मगर अंतरात्मा को धक्का पहुंचता है ,जब कोई अदालत में खड़ा होकर कहता है कि मैं एनसीपी हूं। अदालत ने कहा अपनी दलीलों को याचिका की मांगों तक सीमित रखिए। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मैं इन बातों पर जोर नहीं देना चाहता, मगर ये बातें अपने आप मे आधार हैं। फ्लोर टेस्ट आज ही हो जाना चाहिए। इसी बीच अदालत में रोहतगी और सिंघवी में तीखी बहस हुई। इस पर न्यायमूर्ति रमन ने दोनों को शांत रहने को कहा। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि दोनों पक्ष फ्लोर टेस्ट को सही कह रहे हैं तो फिर इसमें देर क्यों।

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