राजनीति

राजनीति (6705)

मुंबई,कांग्रेस विधायक नाना पटोले महाराष्ट्र विधानसभा के नए अध्यक्ष बन गए हैं। शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के नए गठबंधन महाविकास आघाड़ी ने उन्हें संयुक्त रूप से स्पीकर पद का उम्मीदवार बनाया था। उनका निर्विरोध निर्वाचन हुआ है। इससे पहले विपक्षी दल बीजेपी ने स्पीकर पोस्ट के अपने उम्मीदवार किशन कथोरे का नाम ऐन वक्त पर वापस ले लिया। बीजेपी नेताओं ने कहा कि सत्ता पक्ष के आग्रह पर उसने कथोरे का नाम वापस ले लिया। बहरहाल, पटोले के निर्वाचन के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि नाना पटोले एक किसान परिवार से आते हैं। उन्होंने कहा, 'मुझे पूरा भरोसा है कि वह सभी के साथ न्याय करेंगे।'
वहीं विपक्षी दल बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा, 'हमने विधानसभा स्पीकर के पद के लिए किशन कठोरे को नामित किया था, लेकिन सर्वदलीय बैठक में अन्य दलों ने हमसे अनुरोध किया और यह परंपरा रही है कि स्पीकर को निर्विरोध नियुक्त किया जाता है तो हमने अपने उम्मीदवार का नाम वापस ले लिया'
राज्य की उद्धव सरकार में कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ एनसीपी नेता छगन भुजबल ने भी कहा था, 'पहले विपक्ष ने भी स्पीकर पद के लिए उम्मीदवार खड़ा किया था, लेकिन हमारे विधायकों की तरफ से किए गए अनुरोध और विधानसभा की शुचिता बनाए रखने के लिए उन्होंने नाम वापस ले लिया है।'
दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा में अध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध करने की भी परंपरा रही है। महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा, 'बीजेपी ने विधानसभा स्पीकर पद के लिए किशन कथोरे को नामित किया था। हालांकि नवनिर्वाचित विधायकों के निवेदन के बाद हमने उनकी उम्मीदवारी वापस लेने का फैसला किया है।'
बीजेपी से कांग्रेस में गए थे नाना पटोले
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गठबंधन महाविकास आघाड़ी की ओर से कांग्रेस विधायक नाना पटोले को स्पीकर पद का उम्मीदवार बनाया गया। नाना पटोले बीजेपी के पूर्व सांसद हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था और बीजेपी छोड़ दी थी। इसके बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
पुराने कांग्रेसी रहे हैं बीजेपी के किशन कथोरे
बीजेपी ने मुरबाड के विधायक किशन कथोरे को विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया था। हालांकि रविवार को समयसीमा (सुबह 10 बजे) खत्म होने से पहले अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी। किशन कथोरे पहले कांग्रेस में थे। वह दो बार कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं। 2014 में वह बीजेपी में शामिल हो गए थे।

मुंबई,खरीद-फरोख्त के डर से शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने अपने विधायकों को फाइव स्टार होटलों में रख छोड़ा है। रविवार को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होने के बाद उन्हें मुक्त कर दिया जाएगा। हालांकि, विधायकों को उम्मीद थी कि ठाकरे सरकार के बहुमत साबित करने बाद शनिवार को उन्हें मुक्ति मिल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शनिवार को बहुमत साबित करने के बाद विधायकों को फिर होटल भेज दिया गया। रविवार को विधायकों को होटल से फिर विधान भवन लाया जाएगा। रविवार को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव के बाद सभी विधायकों को घर जाने दिया जाएगा।
होटलों में क्या करते थे विधायक
फाइव स्टार होटल और रिसॉर्ट में विधायकों का समय नहीं कटता था। एक विधायक ने बताया कि विधायक ताश खेलकर, टीवी देखकर, मोबाइल के सहारे समय काट रहे हैं। जिम और स्वीमिंग का आनंद ले रहे हैं।
स्पीकर का चुनाव आज
विश्वास मत हासिल करने के बाद ठाकरे सरकार की दूसरी परीक्षा रविवार को होगी, जब विशेष सत्र में विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा। इस पद के लिए महाविकास आघाडी ने कांग्रेस के नाना पाटोले को उतारा है, जबकि बीजेपी ने किशन कथोरे को उम्मीदवार बनाया है। कथोरे की उम्मीदवारी वापस लेने की संभावना है।
 विधान परिषद से उद्धव की एंट्री!
मुख्यमंत्री उद्ध‌व ठाकरे अब तक विधानमंडल के दोनों सदनों में से किसी के भी सदस्य नहीं हैं। उन्हें छह महीने के भीतर दोनों में से किसी एक सदन का सदस्य निर्वाचित होना पड़ेगा। शिवसेना सूत्रों के मुताबिक उद्धव ठाकरे विधानमंडल के ऊपरी सदन यानी विधान परिषद के जरिए एंट्री कर सकते हैं। ठाकरे के मुंबई की माहिम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की भी चर्चा है। इस सीट को शिवसेना का गढ़ कहा जाता है, यहां से शिवसेना के सदा सरवणकर लगातार दूसरी बार चुन कर विधानसभा पहुंचे हैं। इसलिए यहां से चुनाव लड़ने पर उद्धव के सामने ज्यादा मुश्किल नहीं आएगी। वहीं विधानपरिषद सदस्य बनना उनके लिए और आसान होगा।

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का दूसरा कार्यकाल केवल 80 घंटों का रहा। इसके बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से सिर पर ये ताज सजा। ऐसे में विधानसभा में अपने भाषण के दौरान उन्होंने दो लाइन में दोबारा अपनी वापसी का विश्वास दिखाया। उन्होंने कहा- मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना, मैं समंदर हूं लौटकर वापस आऊंगा!  

उधर रविवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि वे बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस को कभी विपक्षी नेता नहीं मानेंगे।  विधानसभा में आज ही फडणवीस को नेता विपक्ष बनाया गया है। 2 दिनों के विशेष विधानसभा सत्र के दूसरे दिन उद्धव ठाकरे ने 3 दशक के गठबंधन के टूटने आरोप लगाते हुए बीजेपी की ओर इशारा किया। उन्होंने देवेंद्र फडणवीस के लिए कहा कि मैं आपको कभी विपक्ष का नेता नहीं मानूंगा बल्कि आपके एक जिम्मेदार नेता कहूंगा। अगर आप हमारे साथ सही करते तो गठबंधन नहीं टूटता। मैंने देवेंद्र फडणवीस से बहुत कुछ सीखा और वे हमेशा मेरे दोस्त रहेंगे। 

ठाकरे ने फडणवीस को अपने बधाई संदेश में कहा, ''मैंने कभी नहीं कहा कि  मैं वापस लौटूंगा, लेकिन मैं इस सदन में आया। उन्होंने कहा, ''मैं सदन और महाराष्ट्र के लोगों को आश्वस्त कर सकता हूं कि मैं कुछ भी आधी रात को नहीं करूंगा। मैं लोगों के हितों के लिए काम करूंगा। ठाकरे के इस कटाक्ष को फडणवीस और राकांपा प्रमुख अजित पवार के तीन नवम्बर की सुबह जल्दबाजी में शपथ लिये जाने के संबंध में देखा जा रहा है। सदन से किसानों की समस्याओं को कम करने की सदन से अपील करते हुए ठाकरे ने कहा, ''इस सरकार का उद्देश्य न केवल किसानों का कर्जा माफ करना है बल्कि हमें उनकी परेशानियों को भी कम करने की जरूरत है।

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अयोध्या मामले को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अयोध्या मामले में पुनर्विचार याचिका की बात करने वाले लोग बिखराव और टकराव का माहौल पैदा करने की कोशिश में हैं लेकिन समाज इसे स्वीकार नहीं करेगा।उन्होंने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद अयोध्या का मुद्दा अब खत्म हो गया है और इसे अब उलझाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए क्योंकि देश की शीर्ष अदालत ने सर्वसम्मति के फैसले में इस मामले को हल कर दिया है।
नकवी ने देश के इन दो प्रमुख मुस्लिम संगठनों पर उस वक्त निशाना साधा है जब इन दोनों ने उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ अगले कुछ दिनों के भीतर पुनर्विचार याचिका दायर करने की घोषणा की है।
नकवी ने कहा कि मुस्लिम समाज के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा सिर्फ बाबरी नहीं, बराबरी (शिक्षा एवं सामाजिक सशक्तीकरण में) भी है। पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कुछ अलग-थलग पड़ी आवाजें हैं जो पूरे समाज की नहीं हैं। सभी वर्गों की भावना यही है कि अदालत से मामला हल हो गया है और हम आगे बढ़ना चाहिए। हमें इसमें उलझना नहीं चाहिए।
नकवी ने सवाल किया कि अगर वे (पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत) इतने ही गम्भीर थे तो फिर पहले ही अदालत के कहने पर समझौते के लिए सहमत क्यों नहीं हुए? उन्होंने यह भी कहा कि ये लोग बिखराव और टकराव का माहौल बनाने की कोशिश में हैं, लेकिन कोई भी समाज इसे स्वीकार नहीं करेगा।
नकवी ने कहा कि आदर्श स्थिति यह होगी कि ऐसे दशकों पुराने मामले को उलझाने की कोशिश नहीं हो जिसका समाधान न्यायालय ने सर्वसम्मति के फैसले से कर दिया है। समाज के सभी वर्गों ने फैसले का सम्मान किया। लेकिन अगर कुछ लोगों को इस फैसले के बाद देश में दिखी एकता हजम नहीं हो रही है तो दुखद है।
यह पूछे जाने पर कि पुनर्विचार याचिका अयोध्या मामले में नया अध्याय खोलने की कोशिश है तो नकवी ने कहा कि देश यह स्वीकार नहीं करेगा और लोगों के लिए यह मामला अब खत्म हो गया है।

कांग्रेस नेता नाना पटोले निर्विरोध महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष बन गए हैं। अब तक की राज्य विधानसभा की परंपरा के मुताबिक उन्हें निर्विरोध चुना गया है। कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के गठबंधन महाविकास आघाड़ी ने उन्हें संयुक्त रूप से स्पीकर पद का उम्मीदवार बनाया था। इससे पहले भाजपा ने उनके खिलाफ किशन कठोरे को उम्मीदवार के तौर पर उतारा था। हालांकि चुनाव से पहले भाजपा ने उनके नाम को वापस ले लिया। पटोले विदर्भ में साकोली विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं जबकि कथोरे ठाणे में मुरबाड से विधायक हैं। यह दोनों का विधायक के तौर पर चौथा कार्यकाल है।

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और कुछ वरिष्ठ विधायक पटोले (57) को अध्यक्ष की पीठ तक ले गए। ठाकरे और भाजपा विधायक दल के नेता देवेंद्र फडणवीस ने विधायक और किसान नेता के तौर पर पटोले के काम की तारीफ की।
देवेंद्र फडणवीस बने विधानसभा में विपक्ष के नेता
पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष का नेता बनाया गया है। विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले ने फडणवीस को सदन में विपक्ष का नया नेता घोषित किया। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस के मंत्रियों ने विधानसभा में फडणवीस को बधाई दी।
 
दूसरी पार्टियों के अनुरोध पर वापस लिया नाम
भाजपा नेता देवेंद फडणवीस ने विधानसभा में कहा, 'हमने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए किसान कथोरे को मनोनीत किया था वेकिन सर्वदलीय बैठक में दूसरी पार्टियों ने हमसे अनुरोध किया और यह परंपरा रही है कि विधानसभा अध्यक्ष निर्विरोध चुना जाता है। इसलिए हमने उनके अनुरोध को माना और अपने उम्मीदवार का नाम वापस ले लिया।'
ठाकरे ने पटोले को बताया किसान
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने नाना पटोले के विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद कहा, 'नाना पटोले भी किसान परिवार से आते हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि वह हर किसी के साथ न्याय करेंगे।'
निर्विरोध चुने गए नाना पटोले
कांग्रेस उम्मीदवार नाना पटोले निर्विरोध विधानसभा अध्यक्ष  चुने गए हैं।
विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा निर्विरोध
एनसीपी के नेता छगन भुजबल ने विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर कहा, 'पहले विपक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष के पद के लिए फॉर्म भरा था लेकिन अन्य विधायकों के अनुरोध और विधानसभा की गरिमा को बनाए रखने के लिए उन्होंने अपने उम्मीदवार का नाम वापस लिया। अब विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध होगा।' बता दें कि कांग्रेस के नाना पटोले को महा विकास अघाड़ी के विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चुना गया है।
 
अनुरोध के बाद वापस लिया नाम
महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा, 'भाजपा ने कल किसान कठोरे को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के पद के लिए नामित किया था। लेकिन कई बार अनुरोध किए जाने के बाद हमने कथोरे की उम्मीदवारी वापस लेने का फैसला किया है।

मुंबई महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अपने घर 'मातोश्री' से ही प्रदेश की सत्ता चलाएंगे। ठाकरे परिवार का पांच दशक से ज्यादा पुराना घर सत्ता का केंद्र रहेगा। उद्धव अपने परिवार और सामान के साथ मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास मालाबार हिल्स स्थित 'वर्षा' नहीं शिफ्ट होंगे। हालांकि वह प्रमुख मीटिंग्स के लिए वहां आते-जाते रहेंगे।

60 के दशक में शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे अपने परिवार के साथ बांद्रा ईस्ट के कालानगर स्थित एक प्लॉट में शिफ्ट हुए थे। शिवसेना का जन्म 1966 में ठाकरे के दादर स्थित घर पर हुआ था, मगर बाद में बांद्रा स्थित यही प्लॉट आने वाले सालों में ताकत का केंद्र साबित हुआ।

बता दें कि 60 के दशक में कांग्रेस के मुख्यमंत्री वीपी नाईक ने अपने कार्यकाल के दौरान मीठी नदी के किनारे बांद्रा ईस्ट में कलाकारों और लेखकों की एक कॉलोनी बसाई थी। बाल ठाकरे को भी इस कॉलोनी में मार्मिक वीकली के संपादक के तौर पर एक प्लॉट मिला था। बाद में यहां तैयार हुए बंगले को बाल ठाकरे ने मातोश्री नाम दिया। शुरुआत में यह बंगला सिर्फ एक मंजिला था, बाद में इसमें दो मंजिलें और बनीं।

उद्धव ने औपचारिक तौर पर संभाला मुख्यमंत्री का कार्यभार
बता दें कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को औपचारिक रूप से अपना कार्यभार संभाल लिया है। शिवसेना अध्यक्ष ठाकरे ने गुरुवार की शाम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उन्होंने रात में पहली कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता की। ठाकरे शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन ‘महा विकास आघाड़ी’ की सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। ठाकरे के अलावा छह अन्य मंत्रियों ने भी शपथ ली, जिनमें शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के दो-दो नेता शामिल हैं।

नई ‎दिल्ली । श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके द्वीपीय देश आने का न्योता दिया और कहा कि भारत उनके देश का बहुत पुराना मित्र है। मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्हें राजपक्षे ने राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के बाद श्रीलंका आने का न्योता दिया है। श्रीलंका के राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के साथ उनके देश का संबंध बहुआयामी है, जिसमें सुरक्षा संबंधी मुद्दों को प्राथमिकता दी जाती है। जबकि अन्य देशों के साथ पहल और सहयोग की प्रकृति सामान्यत: आर्थिक एवं वाणिज्यिक हैं। प्रधानमंत्री मोदी के साथ यहां हुई बातचीत के बाद संयुक्त बयान में राजपक्षे ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र शांति का क्षेत्र बना रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए हम भारत के साथ काम करते रहेंगे। उन्होंने भारत को श्रीलंका का एक बहुत पुराना मित्र बताया। राजपक्षे ने कहा कि श्रीलंका का राष्ट्रपति चुने जाने के बाद सरकार का प्रथम मुखिया होने के नाते मैं प्रधानमंत्री मोदी को अपने देश की यात्रा के लिए आमंत्रित करना चाहुंगा।
राजपक्षे को उनकी जीत के लिए बधाई देते हुए मोदी ने कहा कि यह सम्मान की बात है कि उन्होंने द्वीपीय देश में राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के बाद भारत को अपनी विदेश यात्रा के लिए चुना। यह भारत और श्रीलंका के बीच मैत्री संबंधों की मजबूती और गतिशीलता का प्रतीक है। यह इस बात का भी संकेत है कि दोनों देश इन संबंधों को कितनी अहमियत देते हैं। दोनों नेताओं ने मछुआरों के मुद्दे पर भी चर्चा की जो दोनों देशों के बीच एक संवेदनशील मुद्दा है। श्रीलंका के राष्ट्रपति ने कहा कि हमने मछुआरों के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की और हम अपने कब्जे में मौजूद भारत से संबद्ध नौकाओं को छोड़ने के लिए कदम उठाएंगे। सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग के अलावा मोदी और उन्होंने यह भी चर्चा की कि आर्थिक मामलों के संबंध में दोनों देश कैसे एकसाथ मिलकर काम कर सकते हैं। यह भी चर्चा की कि भारत दोनों देशों के बीच कारोबार में कैसे मदद कर सकता है। राजपक्षे देश के पूर्व रक्षा मंत्री रहे हैं, जिन्हें श्रीलंका में गृहयुद्ध खत्म करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने बेहद करीबी मुकाबले में राष्ट्रपति चुनाव जीतने के अगले दिन 18 नवंबर को शपथ ली।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पुणे में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के 137वें कोर्स की पासिंग आउट परेड कार्यक्रम के दौरान कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के सहारे भारत से छद्म युद्ध में लिप्त है, लेकिन आज मैं यह पूरी जिम्मेदारी के साथ कहता हूं कि वह इस युद्ध में कभी भी जीत नहीं सकता।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से आतंकवाद के मुद्दे पर वैश्विक जगत में पाकिस्तान का पर्दाफाश हुआ है और पूरी दुनिया में0 अलग-थलग किया गया है, इसका बड़ा श्रेय हमारे प्रधानमंत्री की कुशल कूटनीति को जाता है।

नागपुर पुलिस ने एक स्थानीय अदालत द्वारा महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नाम जारी समन की गुरुवार को तामील की। फडणवीस द्वारा चुनावी हलफनामे में अपने खिलाफ दो आपराधिक मुकदमों के बारे में सूचनाएं छिपाने के आरोप से जुड़ा मामला है। इसी मामले में समन की तामील हुई है।सदर थाने के एक अधिकारी ने बताया कि फडणवीस के घर पर समन की तामील की गई। यह घटनाक्रम ऐसे वक्त हुआ है, जब महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन ने सरकार बनाई है। फडणवीस नागपुर से विधायक हैं।

मजिस्ट्रेटी अदालत ने एक नवंबर को एक याचिका पर फिर से सुनवाई शुरू की थी, जिसमें भाजपा नेता के खिलाफ कथित तौर पर सूचनाएं छिपाने के लिए आपराधिक कार्रवाई की मांग की गई थी। शहर के वकील सतीश उके ने अदालत में एक याचिका दायर कर फडणवीस के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने की मांग की थी ।

बंबई उच्च न्यायालय ने उके की याचिका खारिज करने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था। लेकिन, उच्चतम न्यायालय ने एक अक्तूबर को मजिस्ट्रेटी अदालत को उके द्वारा दी गई याचिका पर सुनवाई के लिए आगे बढ़ने का निर्देश दिया था।

फडणवीस के खिलाफ 1996 और 1998 में जालसाजी और धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए गए थे लेकिन दोनों मामले में आरोप नहीं तय किए गए थे। उके ने आरोप लगाया था कि फडणवीस ने अपने चुनावी हलफनामे में इस सूचना का खुलासा नहीं किया।



फडणवीस ने मुख्यमंत्री का बंगला खाली करना शुरू किया, नए आवास की तलाश

वहीं देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को दक्षिण मुंबई में मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास को खाली करना शुरू कर दिया। पैकर्स एंड मूवर्स कंपनी का एक वाहन दोपहर में फडणवीस के सामानों को दूसरी जगह पहुंचाने के लिए मालाबार हिल इलाके में स्थित मुख्यमंत्री के आधिकारिक बंगला ‘वर्षा’ पहुंचा। वहां पर तैनात एक पुलिस अधिकारी ने इस बारे में बताया।

सूत्रों के मुताबिक, नागपुर के रहने वाले फडणवीस ने मुंबई में नए आवास की तलाश शुरू कर दी है क्योंकि वह और उनके परिवार के लोग महानगर में ही रहेंगे। फडणवीस की पत्नी अमृता एक्सिस बैंक में बड़े पद पर कार्यरत हैं और उनकी दोनों बेटियां यहां पढ़ाई करती हैं। अक्तूबर 2014 में फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने के बाद वे सभी मुंबई में रहने लगे।

 

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन चुके हैं, लेकिन अगर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए मान जाता तो आज महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन की दोबारा सरकार बन चुकी होती क्योंकि शिवसेना देवेंद्र फडणवीस की जगह गडकरी को मुख्यमंत्री बनाने और ढाई साल के लिए अपना मुख्यमंत्री बनाने की शर्त छोड़ने के लिए मान गई थी। शिवसेना ने यह प्रस्ताव भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा को दिया था, लेकिन भाजपा शीर्ष नेतृत्व इसके लिए राजी नहीं हुआ जबकि फडणवीस की जगह गडकरी के नाम पर संघ की भी सहमति थी।

यह जानकारी देने वाले भाजपा और शिवसेना के करीबी सूत्रों ने बताया कि विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद जब शिवसेना सत्ता के बराबर बंटवारे और ढाई साल के लिए शिवसेना का मुख्यमंत्री बनाने की अपनी जिद पर अड़ी तो भाजपा के रणनीतिकारों ने उद्धव ठाकरे को मनाने की जिम्मेदारी नितिन गडकरी को सौंपी। 

गडकरी ने मुंबई आकर ठाकरे से बात की और यह सहमति बनी कि अगर भाजपा गडकरी को मुख्यमंत्री बनाती है तो शिवसेना आदित्य ठाकरे को उप मुख्यमंत्री बनाकर अपनी शर्त छोड़ देगी। इसके बाद गडकरी नागपुर गए और उन्होंने वहां सर संघचालक मोहन भागवत से इसकी चर्चा की तो वह भी इस बदलाव के लिए राजी हो गए। 

बताया जाता है कि उन्होंने कहा कि देवेंद्र और नितिन दोनों ही उनके प्रिय और संघ के स्वयंसेवक हैं। इसलिए अगर पहले पांच साल देवेंद्र फडणवीस को मौका मिला तो अब अगर नितिन गडकरी बनते हैं तो संघ को कोई एतराज नहीं होगा।

यह जानकारी देने वाले भाजपा के एक नेता ने बताया कि संघ की सहमति के बाद गडकरी ने यह जानकारी उद्धव ठाकरे को दे दी। तब शिवसेना की ओर से यह प्रस्ताव जेपी नड्डा को दिया गया। नड्डा ने इस पर अपनी सहमति देते हुए इसे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के सामने रखा। फिर शाह और प्रधानमंत्री मोदी की बात हुई और तय किया गया कि शिवसेना के किसी भी दबाव के आगे झुकना ठीक नहीं है। 

मुख्यमंत्री बदलने का मतलब शिवसेना के दबाव को मानना होगा, जिसका राजनीतिक संदेश ठीक नहीं जाएगा, क्योंकि विधानसभा चुनाव देवेंद्र फडणवीस को दोबारा मुख्यमंत्री बनाने के नाम पर लड़ा गया और प्रधानमंत्री ने खुद अपने भाषण में दिल्ली में नरेंद्र और मुंबई में देवेंद्र जैसा लोकप्रिय नारा दिया था। इसलिए मुख्यमंत्री के नाम पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। 

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