ईश्वर दुबे
संपादक - न्यूज़ क्रिएशन
+91 98278-13148
newscreation2017@gmail.com
Shop No f188 first floor akash ganga press complex
Bhilai
औंधी क्षेत्र के कोहकाटोला जंगल में जिला पुलिस बल, डीआरजी, एसटीएफ व आईटीबीपी ने संयुक्त रूप से किया नक्सली कैंप पर हमला
मुठभेड़ में कई नक्सलियों के मारे जाने और घायल होने की संभावना, भारी मात्रा में विस्फोटक और नक्सली सामान बरामद, सर्चिंग जारी
राजनांदगांव. औंधी थाना क्षेत्र के कोहकाटोला जंगल में शुक्रवार सुबह जवानों ने नक्सली कैंप पर हमला बोल दिया। दोनों ओर से हुई मुठभेड़ में जवानों को भारी पड़ता देख नक्सली कैंप छोड़कर भाग निकले। मुठभेड़ में कई नक्सलियों के मारे जाने और घायल होने की संभावना है। जवानों ने मौके से भारी मात्रा में विस्फोटक और नक्सली सामान बरामद किया है। इलाके में जवानों का सर्च ऑपरेशन जारी है।
छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा से लगी पहाड़ी पर नक्सलियों ने बना रखा था कैंप
एएसपी नक्सल ऑपरेशन गोरखनाथ बघेल ने बताया कि सूचना मिली थी कि राजनांदगांव-कांकेर-गढ़चिरौली जिले के सीमा पर स्थित ग्राम कोहकाटोला की पहाड़ी पर नक्सलियों ने कैंप लगा रखा है। बड़ी संख्या में नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिलने पर सुबह जिला पुलिस बल, डीआरजी, एसटीएफ व आईटीबीपी की संयुक्त टीम को मौके पर रवाना किया गया। पहाड़ी पर नक्सली कैंप देख जवानों ने हमला कर दिया।
इस पर नक्सलियों की ओर से भी फायरिंग की गई। दोनों ओर से हुई इस मुठभेड़ में जवान भारी पड़े और नक्सली मौके से भाग निकले। इस मुठभेड़ में कई नक्सलियों के मारे जाने और घायल होने की संभावना है। जवानों ने मौके से 1 नग 303 रायफल, 2 नग 12 बोर, 1 नग भरमार बंदूक, 1 नग एयर गन, वायरलेस सेट, 3 टेंट और भारी मात्रा में दैनिक उपयोग का सामान बरमद किया गया है। इलाके में सर्चिंग जारी है।
रेलवे स्टेशन पर जीआरपी ने रिटायर्ड डीजीपी व महिला वकील के सहयोग से पकड़ा
ओडिशा से महाराष्ट्र लेकर जा रहा था बच्चों को, बरामद बच्चे बिहार व ओडिशा के
राजनांदगांव. छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में ट्रेन के जरिए बच्चों की तस्करी का भंडाफोड़ हुआ है। जीआरपी ने गुरुवार को हावड़ा-मुंबई मेल से 38 बच्चों को बरामद कर तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपी बच्चों को ओडिशा से महाराष्ट्र लेकर जा रहे थे। बरामद बच्चे बिहार और ओडिशा के रहने वाले बताए जा रहे हैं। जीआरपी ने रेलवे स्टेशन पर रिटायर्ड डीजीपी राजीव श्रीवास्तव व महिला वकील के सहयोग से इन बच्चों को बरामद किया है।
उर्दू पढ़ाने और घुमाने की बात कही, पर नहीं दिखा सका कोई दस्तावेज
जानकारी के मुताबिक, रिटायर्ड डीजीपी राजीव श्रीवास्तव को सूचना मिली कि हावड़ा-मुंबई मेल से कुछ लोग बड़ी संख्या में बच्चों को लेकर जा रहे हैं। उन्होंने इसकी जानकारी रायपुर की महिला वकील स्मिता पांडे को बताया। इस पर स्मिता ट्रेन में सवार हुई और एस 2 और एस 4 कोच में सवार बच्चों से पूछताछ की, लेकिन बच्चे काफी डरे हुए थे और ठीक से बात भी नहीं कर पा रहे थे। इसके बाद इसकी सूचना राजनांदगांव पुलिस और जीआरपी को दी गई।
जीआरपी के साथ सिविल पुलिस ने भी रेलवे स्टेशन पर नाकाबंदी की और ट्रेन के आते ही उसमें चढ़ गए। उन्होंने बच्चों को नीचे उतारा और मौके से तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वो बच्चों को उर्दू सिखाने और घुमाने के लिए महाराष्ट्र के नांदेड़ लेकर जा रहे थे। हालांकि वो बच्चों को ले जाने से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं दिखा सके। पकड़े गए आरोपी बिहार के रहने वाले हैं। हालांकि अभी यह पता नहीं चल सका है कि इन बच्चों के साथ क्या किया जाना था।
गंज थाना परिसर में स्थित ऑफिस में सिर्फ 15 मिनट ही रुके डॉ. पुनीत गुप्ता
हाईकोर्ट जाने की बात कहकर थाने से निकले, पहले ही सैंपल देने से कर चुके थे इनकार
रायपुर. छत्तीसगढ़ अंतागढ़ टेप कांड मामले में आरोपी बनाए गए डॉ. पुनीत गुप्ता गुरुवार को पूछताछ के लिए एसआईटी ऑफिस पहुंचे। हालांकि वो बिना वॉयल सैंपल दिए ही वहां से चले गए। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के दामाद डॉ. गुप्ता महज 15 मिनट ही थाने में रुके। इस दौरान उन्होंने हाईकोर्ट जाने की बात कही और वहां से निकल गए। हालांकि डॉ. गुप्ता ने एक दिन पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वो वॉयस सैंपल नहीं देंगे।
अमित जोगी और मंतूराम पंवार भी बिना सैंपल दिए लौट चुके हैं एसआईटी ऑफिस के बाहर से
एसआईटी की ओर से डॉ. पुनीत गुप्ता को वॉयस सैंपल देने के लिए नोटिस भेजा गया था। जिसके बाद डॉ. गुप्ता गुरुवार सुबह करीब 11 बजे गंज थाना परिसर स्थित एसआईटी ऑफिस पहुंचे। ऑफिस में करीब 15 मिनट तक उन्होंने अधिकारियों से बातचीत की और फिर वहां से निकल गए। बताया जा रहा है कि उन्होंने हाईकोर्ट जाने की बात कही और उसके बाद वहां से निकल गए। ऐसे में डॉ. गुप्ता से पूछताछ भी पूरी तरह से नहीं की जा सकी।
इससे पहले भी केस में आरोपी अमित जोगी और मंतूराम पवार एसआईटी ऑफिस पहुंचे थे। वहां पर उन्होंने एसआईटी की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हुए वॉयस सैंपल दिए बिना ही लौट गए थे। इससे पहले मंतूराम पवार ने कहा कि सैंपल देना है या नहीं ये अभी सोचूंगा। उन्होंने कहा कि अगर एसआईटी के पास कोर्ट की अनुमति होगी, उसके बाद ही वॉयस सैंपल दूंगा। वहीं बुधवार को अमित जोगी थाने के बाहर से ही वापस आ गए। उन्होंने पेन ड्राइव को फर्जी बताने के साथ ही एसआईटी व सरकार पर आरोप लगाए।
बीजापुर मुख्यालय में सीआरपीएफ 170 बटालियन में आरक्षक पद पर तैनात था
खुद की इंसास राइफल से मारी गोली, जवान के आत्महत्या का कारण स्पष्ट नहीं
बीजापुर. छत्तीसगढ़ के बीजापुर में गुरुवार सुबह एक जवान ने सर्विस राइफल से गोली मारकर आत्महत्या कर ली। घटना के कारणों का पता नहीं चल सका है। जवान बीजापुर मुख्यालय में सीआरपीएफ 170 बटालियन में नियुक्त था। जवान के आत्महत्या की जानकारी मिलते ही सीआरपीएफ अधिकारी और पुलिस मौके पर पहुंच गई है। जवान के परिजनों को इस बारे में सूचना भेजी गई है।
उत्तरप्रदेश निवासी दीपक कुमार शाहर बीजापुर मुख्यालय के सीआरपीएफ बटालियन में आरक्षक पद पर तैनात था। उसने गुरुवार सुबह करीब 9.30 बजे इंसास राइफल से खुद को गोली मार ली। गोली चलने की आवाज सुनकर अन्य जवान मौके पर पहुंचे तो देखा कि दीपक खून से लथपथ जमीन पर पड़ा था। कुछ ही समय में जवान की मौत हो गई।
रायपुर। बहुचर्चित अंतागढ़ टेपकांड मामले में आज डॉक्टर पुनीत गुप्ता विशेष जांच समिति के सामने पेश हुए .यहां वे अपने वकील दिवाकर सिन्हा और पिता जीबी गुप्ता के साथ एसआईटी दफ्तर पहुंचे थे. करीब एक घंटे तक एसआईटी दफ्तर में उनसे पूछताछ की गई. पुनीत गुप्ता ने भी वॉइस सैंपल देने से मना कर दिया. एसआईटी ऑफिस से बाहर निकले पुनीत गुप्ता ने हाईकोर्ट में मामला होने का हवाला देकर मीडिया से कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया.
डॉ. पुनीत गुप्ता के वकील दिवाकर सिन्हा ने कहा कि हाईकोर्ट में हमने केस लगाया है जो एसआईटी बनाई गई है उसे चैलेंज किया है.जब एसआईटी को ही चैलेंज किया है तो वॉइस सैंपल देने का सवाल ही नहीं उठता. हमने आज एप्लीकेशन बस दिया है.
पुनीत गुप्ता के वॉइस सैंपल देने से इनकार के बाद एसआईटी चीफ अभिषेक माहेश्वरी ने कहा कि पुनीत गुप्ता को वॉइस सैंपल के लिए बुलाया गया था उन्होंने वॉइस सैंपल देने से मना कर दिया. हम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे. न्यायालय में आवेदन लगाकर न्यायालय के माध्यम से उनका वॉइस सैंपल लिया जाएगा. कोर्ट ने कहीं भी एसआईटी को विवेचना करने से मना नहीं किया है और यह इन्वेस्टिगेशन का पार्ट है. किसी का भी वॉइस सैंपल लेने से पहले उनकी सहमति होनी होती है अगर सहमति नहीं दी जाती है तो न्यायालय के माध्यम से वॉइस सैंपल लिया जाता है.
बता दें कि सोमवार 24 जून को मंतूराम पवार भी एसआईटी के सामने पेश हुए थे. हालांकि उन्होंने वॉइस सैंपल देने से मना कर दिया था. मंतूराम ने अफसरों को कोर्ट का आदेश दिखाने की बात कही थी और एसआईटी की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए थे. वहीं अंतागढ़ टेपकांड मामले में 25 जून मंगलवार को अमित जोगी को एसआईटी ने वॉइस सैंपल के लिए बुलाया था लेकिन उन्होंने वॉइस सैंपल देने से इंकार करते हुए कार्यकर्ताओं के साथ जमकर नारेबाजी की थी.
गौरतलब है कि अंतागढ़ टेपकांड मामले में किरणमई नायक की शिकायत पर पंडरी थाने में मंतूराम पवार, पूर्व मंत्री राजेश मूणत, जनता कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी, डॉ. पुनीत गुप्ता, पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. IPC 1860 की धारा 406, 420 171-ई, 171-एफ, 120-बी के तहत मामला दर्ज किया गया है. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 9 और 13 के तहत भी मामला दर्ज है.
चिस्दा में ऐसा स्कूल खुला जहां भवन में छत तक नहीं
जैजैपुर बीईओ की सामने आई खुलकर लापरवाही
जांजगीर-चांपा। शिक्षा विभाग के अफसर अपना स्वार्थ सिद्ध करते हुए किस तरह निजी स्कूलों का संचालन रेवड़ी की तरह करा रहे हैं इसकी बानगी चिस्दा में संचालित नवयुग पब्लिक स्कूल में देखी जा सकती है। यह स्कूल किसी भी मापदंड को पूरा नहीं करता, फिर भी बीईओ ने कागज में इस स्कूल को तमाम मापदंड पूरा करना लिख दिया। इस वजह से यहां बीते चार सालों से इस स्कूल का संचालन धड़ल्ले से किया जा रहा है।
आपकों बता दें कि चिस्दा गांव में नवयुग पब्लिक स्कूल संचालित है, जहां हिन्दी व अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई होती है। यहां नर्सरी से कक्षा आठवीं तक स्कूल संचालित है। खास बात यह है कि इस स्कूल का अदब सा भवन तक नहीं है, जबकि बच्चों से टेबल कुर्सी, अलग-अलग कमरे, खेल मैदान, शौचालय की उचित व्यवस्था आदि बहुत दूर है। यहां तक स्कूल भवन में छत तक नहीं है। फिर भी जैजैपुर बीईओ एआर लहरे ने शासन के सभी मापदंडों को पूरा करने रिपोर्ट भेज दी। इसके चलते इस स्कूल का हर साल नवीनीकरण भी हो जा रहा है। इससे समझा जा सकता है कि किस तरह शिक्षा अधिकारी निजी स्कूल संचालकों से मिलीभगत कर उन्हें अपनी दुकानदारी चलाने की खुली छूट दे दे रहे हैं।
दे दिया क्लीन चिट
चिस्दा स्थित नवयुग पब्लिक स्कूल की जांच की गई थी। तब स्कूल संचालक ने शासन के तमाम मापदंड को पूरा कर देने का दावा किया। इस आधार पर उन्हें क्लीन चिट दे दिया गया है।
-एआर लहरे, बीईओ जैजैपुर
------------
डूमरपारा के शुभ मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड में लापरवाही चरम पर
श्रमिकों को तय सुविधाओं से रखा गया वंचित, 8 के बयाय ले रहे 12 घंटे काम
जांजगीर-चांपा। बाराद्वार क्षेत्र के ग्राम डूमरपारा में संचालित शुभ मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड ने लापरवाही की सारी हदें पार कर दी है। यहां काम करने वाले श्रमिकों का जमकर शोषण किया जा रहा है तो वहीं श्रमिकों को मिलने वाली सुविधा से भी उन्हें वंचित रखा जा रहा है। इसके अलावा उनसे 8 के बजाय 12 घंटे काम लिया जा रहा है। खास बात यह है कि क्रशर का संचालन दो सालों से हो रहा है, जबकि अब तक यहां काम करने वाले श्रमिकों का पंजीयन नहीं हुआ है।
जिले में जिस तरह नियम-कायदे को ताक पर रखकर क्रशरों का संचालन किया जा रहा है उससे खासकर वहां काम करने वाले श्रमिकों का जमकर शोषण हो रहा है। बताया जाता है शुभ मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड यहां दो सालों से संचालित है, लेकिन अब तक यहां कार्यरत किसी भी श्रमिक का पंजीयन नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति में काम के दौरान यदि कोई श्रमिक की मौत हो जाए तो उसे आसानी से ठिकाना लगाया जा सकता है। कहा यह भी जाता है कि इस क्रशर में 6 दर्जन से अधिक श्रमिक कार्यरत है, लेकिन सिर्फ 50 श्रमिकों का पंजीयन कराने संबंधित विभाग में आवेदन किया गया है। खास बात यह है कि यहां कार्यरत श्रमिकों से हाड़तोड़ मेहनत कराया जा रहा है। सरकार ने भले ही काम के लिए आठ घंटा तय किया है, लेकिन यहां श्रमिकांे से 12 घंटे तक काम लिया जा रहा है। मजदूरी में भी कटौती की जा रही है। अकुशल श्रमिकों के लिए सरकार ने मजदूरी तय की है लेकिन यहां सरकार के इस फरमान की धज्जियां उड़ाते हुए श्रमिकों को मात्र रुपए के हिसाब से मेहनताना दिया जा रहा है। इसके बावजूद इस क्रशर की सुध लेने वाला कोई नहीं है।
सेफ्टी से नहीं सरोकार
खास बात यह है इस क्रशर में सेफ्टी नाम की कोई चीज नहीं है। यहां कार्यरत श्रमिकों को सुरक्षा के नाम पर सिर्फ हेल्मेट दिया जाता है जबकि ग्लब्स, जूता, मास्क आदि से उन्हें वंचित रखा जा रहा है। असुरक्षित वातावरण में काम करने के दौरान श्रमिकों में हमेशा अप्रिय स्थिति का खतरा मंडराते रहता है। लेकिन इन सब बातों से क्रशर संचालक को कोई सरोकार नहीं है। उन्हें तो सिर्फ अपनी कमाई से ही मतलब है।
सिलिकोसिस की संभावना
डूमरपारा गांव में दिन रात क्रशर के चलने से पूरा क्षेत्र धूल से सराबोर है। क्रशर परिसर में स्प्रिंकलर भी नहीं है, जिसके चलते वहां काम करने वाले श्रमिकों को हमेशा धूल भरे वातावरण में काम करने की मजबूरी है। यहां कार्यरत किसी भी श्रमिक का स्वास्थ्य परीक्षण भी नहीं कराया जाता। लगातार धूल में काम करने के कारण वहां कार्यरत अधिकांश श्रमिकों में सिलिकोसिस की भरपूर संभावना है।
मिलीभगत का आरोप
शुभ मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड में जिस तरह श्रमिकों के जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है उसके बावजूद श्रम और सेफ्टी विभाग के स्थानीय अफसर चुप्पी साधे हुए। इससे समझा जा सकता है कि ये अफसर क्रशर संचालक पर कितने मेहरबार है। यही वजह है कि इन अफसरों पर हमेशा मिलीभगत का आरोप लगता रहा है। अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन उचित तरीके से नहीं करने के चलते श्रमिक असमय काल के गाल में समाने मजबूर हैं।
12 घंटे काम
शुभ मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड में कार्यरत श्रमिकों का पंजीयन कराने आवेदन दिया गया है। क्रशरों में श्रमिकों से 12 घंटे काम लिया जाता है। अकुशल श्रमिक को आठ घंटे काम के बदले 200 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी दी जाती है।
-राजीव मिश्रा, मैनेजर
शुभ मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड डूमरपारा
गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को ज्ञापन सौंप जिले में पंजीकृत वाहनों को टोल मुक्त करने की रखी मांग
भिलाई। नेहरू नगर अंजोरा बाइपास पर बने दुर्ग शिवनाथ एक्सप्रेस वे प्रा.लि. (बाफना टोल प्लाजा) को स्थानीय निवासियों व दुर्ग से पंजीकृत दो पहिया व चार पहिया वाहनों को टोलमुक्त करने टोल पे हल्ला बोल अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए जिले के पत्रकार लामबंद हो रहे हैं। इस संबंध में आज पत्रकारों का एक प्रतिनिधि मंडल प्रदेश के गृह, जेल, लोक निर्माण, पर्यटन, धर्मस्व व संस्कृति मंत्री ताम्रध्वज साहू से मिला और उन्हें ज्ञापन सौंपकर इस पर उचित कार्रवाई करने की मांग रखी। पत्रकारां की मांग पर गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने उचित कार्रवाई का आश्वासन भी दिया।
बता दें कि नेहरू नगर अंजोरा बाइपास पर बने दुर्ग शिवनाथ एक्सप्रेस वे प्रा.लि. (बाफना टोल प्लाजा) में पत्रकारों सहित आम लोगों के साथ लगातार बदसलुकी की जा रही है। अधिमान्य पत्रकारों से लेकर शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमजीवी पत्रकारों के साथ आए दिन बदसलुकी की जाती है। ताजा मामले में दो दिन पूर्व राजनांदगांव जा रहे पत्रकारों के एक ग्रुप का वाहन रोक कर टोल के नाम पर उनके साथ बदसलुकी की गई। इसके बाद बुधवार को दुर्ग सर्किट हाउस में पत्रकारों की बैठक हुई जिसमें उक्त टोल प्लाजा में स्थानीय निवासियों व दुर्ग से पंजीकृत दो पहिया व चार पहिया वाहनों को टोल फ्री कराने का निर्णय लिया गया। इसके लिए पत्रकारों ने पहले बातचीत का रास्ता अख्तियार किया जिसकी शुरुआत गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को ज्ञापन सौंप कर किया गया। बैठक में छत्तीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष बीडी निजामी, सुबोध तिवारी, अनिल गुप्ता, कमल शर्मा, रमेश गुप्ता, प्रीती सरु, हरप्रीत सिंह भाटिया, आकाश मदने, चंद्रकांत देवांगन, वीणा दुबे, संतोष शर्मा्र्र्र्र, अमित, राजेश अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।
नांदगांव टोल प्लाजा में भी हुई थी ऐसी घटना
बता दें कि नांदगांव टोलप्लाजा में भी अधिमान्य व स्थानीय पत्रकारों को छूट नहीं मिल रही थी। इसे लेकर टोल प्रबंधन के साथ कई बार विवाद की स्थितियां बन रही थी। यहां के पत्रकारों ने कुछ साल पहले टोल प्लाजा का घेराव किया। इस दौरान नांदगांव गुंडरदेही, गंडई, कवर्धा, दुर्ग भिलाई के सैकड़ों पत्रकारों ने अपनी आवाज बुलंद की थी। इसके बाद यहां की परिस्थितियां बदली और अब नांदगांव टोल प्लाजा में अधिमान्य पत्रकारों व स्थानीय पत्रकारों को टोल में छूट दी जाती है। यही नहीं राजनांदगांव के टोल में स्थानीय नागरिकों को आधार कार्ड दिखाने पर भी आवाजाही में टोल की छूट दी जाती है।
कोसानाला टोल प्लाजा में थी छूट
भिलाई फोरलेन पर कोसानाला टोल प्लाजा में भी निर्माणी एजेंसी द्वारा सभी प्रकार के वाहनों से टोल लिया जाता था। बाद में तात्कालीन केबिनेट मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय की पहल पर यहां दुर्ग से पंजीकृत चार पहिया वाहनों को टोल मुक्त कर दिया गया था। जब तक टोल प्लाजा बंद नहीं हुआ तब तक यह व्यवस्था लागू थी। दुर्ग शिवनाथ एक्सप्रेस वे प्रा.लि. (बाफना टोल प्लाजा) भी दुर्ग भिलाई शहर की परिधि में है लेकिन यहां पर दो पहिया वाहनों से भी टोल टैक्स लिया जाता है। राजनांदगांव व भिलाई कोसानाला टोल प्लाजा की तर्ज पर यहां पर भी स्थानीय वाहनों व दुर्ग से पंजीकृत दोपहिया व चार पहिया वाहनों को टोल मुक्त किया जाना चाहिए।
तो करेंगे टोल पर हल्लाबोल
छत्तीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार कल्याण संघ के प्रदेश अघ्यक्ष बीडी निजामी ने बताया कि दुर्ग शिवनाथ एक्सप्रेस वे प्रा.लि. (बाफना टोल प्लाजा) में स्थानीय निवासियों को टोल मुक्त करने हमने गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को ज्ञापन सौंपा है। हमारे पड़ोसी जिले राजनांदगांव की तर्ज पर यहां भी स्थानीय निवासियों को टोल शुल्क से मुक्ति मिलनी चाहिए। जबकि कई सालों से उक्त टोल प्लाजा में लोगों से इस प्रकार की बेजा वसूली की जा रही है। यहां दो पहिया वाहनों से भी टोल टैक्स वसूला जा रहा है जो कि निंदनीय है। हमने गृहमंत्री से निवेदन किया है कि इस संबंध में उचित निर्णय ले। श्री निजामी ने कहा कि जल्द ही इस पर सकारात्मक कार्रवाई नहीं होती तो स्थानीय निवासियों के साथ टोल पर हल्ला बोल अभियान शुरू किया जाएगा।
गृहमंत्री ने दिया उचित कार्रवाई का आश्वासन
मामले में प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। आज उन्होंने पत्रकारों के प्रतिनिधि मंडल से बात करते हुए कहा कि इस संबंध में विभागीय अधिकारियों से चर्चा की जाएगी। अधिकारियों से चर्चा के बाद दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को टोल शुल्क मुक्त किए जाने की मांग उचित है और इस मांग के क्रियान्वयन के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।
पाटन के मर्रा स्थित अपने स्कूल से शाला प्रवेशोत्सव की मुख्यमंत्री ने की शुरुआत
बच्चों को लगाया तिलक, उनके साथ मैदान में खेले, बच्चों के ही साथ खाएंगे मिड डे मील
दुर्ग. जिले के पाटन में मर्रा स्थित स्कूल का नजारा बुधवार को बदला-बदला था। स्कूल के मैदान की पिच पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर अनिल कुंबले बॉलिंग कर रहे थे और बैटिंग पर थे प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अनिल कुंबले की बॉलिंग पर जमकर शॉट लगाए। कुछ शॉट काफी शानदार रहे, जिसकी लोगों ने भी खूब तारीफ की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने स्कूल के बच्चों के साथ भी खेला और वहीं परिसर में ताइक्वांडो के खिलाड़ियों से भी मुलाकात की। वे स्कूल में ही बच्चों के साथ मध्याह्न भोजन भी करेंगे।
सहपाठियों से घुले मिले मुख्यमंत्री, पुरानी यादें ताजा कीं
दरअसल, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मर्रा स्थित स्कूल से प्रदेश में शाला प्रवेशोत्सव की शुरुआत करने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने बच्चों को तिलक लगाकर इसका शुभारंभ किया। इस दौरान क्रिकेटर अनिल कुंबले भी मुख्यमंत्री के साथ पहुंचे स्कूल में पहुंचे थे। इस दौरान शासकीय स्कूल परिसर में नेट प्रैक्टिस के लिए बने पिच पर मुख्यमंत्री बघेल ने बैटिंग की। इस दौरान मुख्यमंत्री के साथ अनिल कुंबले ने भी मंच भी साझा किया। खेल को बढ़ावा देने दोनों ने कार्यक्रम से पहले बच्चों के साथ स्कूल मैदान में क्रिकेट भी खेला।
मर्रा गांव पाटन विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है और मुख्यमंत्री का क्षेत्र है। मुख्यमंत्री बघेल ने इसी स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की थी। यहां मुख्यमंत्री अपने सहपाठियों से घुलमिल गए। उनसे बातचीत कर न केवल बीते दिनों की पुरानी याद ताजा की बल्कि उनके साथ फोटो भी खिचवाई। मुख्यमंत्री स्कूल में बच्चों को पुस्तक और यूनिफार्म वितरण करेंगे। साथ ही स्कूल में एक कंप्यूटर लैब, आईसीटी कक्ष का उद्घाटन करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम ने की।
चार साल इसी स्कूल से पढ़ाई की है मुख्यमंत्री भूपेश ने
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 1967 से 1971 तक प्राइमरी की पढ़ाई अपने गृह ग्राम बेलौदी में की थी। इसके बाद उन्होंने छठवीं से मैट्रिक तक की पढ़ाई के लिए मर्रा स्कूल में प्रवेश लिया। भूपेश बघेल सुबह-सुबह चार किमी तक कभी साइकिल से आते और कभी बरसात की वजह से पैदल आते क्योंकि पगडंडी रास्ता था और काफी खराब हो जाता था। फिर बेलौदी लौटते और फिर साढ़े दस बजे स्कूल के समय में पहुंच जाते। इस प्रकार सोलह किमी रोज उन्हें साइकिल से या पैदल तय करना होता था।
ट्रेनिंग के दौरान हादसा, मशीन के भीतर थीं तब किसी ने ऑन कर दिया बटन
अफसर अब छिपाने में लगे, चार दिन बाद मुख्यमंत्री इसी सेंटर का उद्घाटन करने आएंगे
बिलासपुर. गनियारी के मल्टी स्किल सेंटर में फ्लाइ एश ब्रिक्स की मिक्सर मशीन के भीतर महिला सफाई कर रही थी, इसी बीच हाइड्रोलिक मशीन का स्विच चालू करने गई महिला से मिक्चर मशीन का बटन दब गया। भीतर काम कर रही महिला गंभीर रूप से घायल हो गई। उसे अपोलो में भर्ती कराया है। जिला प्रशासन मामले को दबाने में जुटा है। खास बात यह है कि मुख्यमंत्री चार दिन बाद इसी सेंटर का उद्घाटन करने वाले हैं।
महिलाओं को दी जा रही है फ्लाइ एश से ईंट बनाने की ट्रेनिंग
कोटा क्षेत्र के ग्राम गनियारी में मल्टी स्किल सेंटर है। जिला पंचायत यहां महिलाओं को स्वरोजगार स्थापित करने के लिए प्रशिक्षण देता है। वर्तमान में यहां ईंट बनाने का प्रशिक्षण चल रहा है। अन्य महिलाओं के साथ राजेश्वरी वस्त्रकार भी यहां आई थीं। शनिवार को सभी की ट्रेनिंग चल रहा थी। शाम 6 बजे राजेश्वरी और संतोषी केंवट फ्लाइ एश की मिक्सर मशीन में मसाला साफ कर रही थी। इसी दौरान वहां काम कर रहे लोगों को हाइड्रोलिक मशीन चालू करने की जरूरत पड़ी।
एक महिला उसका स्विच ऑन करने गई। गलती से वह मिक्चर मशीन का बटन दबा दिया। मिक्चर मशीन के साथ दोनों भीतर घूमने लगे और राजेश्वरी व संतोषी को चोंटें आई। मौजूद महिलाओं ने देखा तो दौड़कर स्विच ऑफ किया और दोनों को बाहर निकला। संताषी तो इस हादसे में सुरक्षित बच गई, लेकिन राजेश्वरी की हालत गंभीर थी, इसलिए उसे अस्पताल भेज दिया गया। अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। फिलहाल अधिकारी इस बारे में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।
महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल
सेंटर में महिला स्व सहायता समूहों को फ्लाइ एश ब्रिक्स, पेवर ब्लॉक, चेन फेसिंग के अलावा सीमेंट पोल, अगरबत्ती, लेदर बैग, सिलाई व एलईडी बल्ब बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। 11 समूह की 110 महिलाएं हैं। जिस वक्त घटना हुई उस वक्त वहां ऑपरेटर मौजूद नहीं था।
राज्य का एकमात्र यूनिट
सरकार ने 3.50 करोड़ की राशि की जिस योजनाओं से महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का सपना देखा है उनके अफसर उसी को पलीता लगा रहे हैं। यह अब तक राज्य का एकमात्र यूनिट हैं। घटना को जिला पंचायत के अफसरों ने दबाने की पूरी कोशिश की।
पुलिस को नहीं दी गई सूचना
प्रशासन इस मामले को दबाने में जुटी हुई है। अभी तक किसी को जानकारी नहीं दी गई है। दुर्घटना होने के बाद भी कोटा पुलिस को इस संबंध में सूचना नहीं दी गई है।
मशीन साफ करते वक्त गलती
बटन मशीन साफ करते हुए किसी महिला का हाथ गलती से मिक्सर मशीन बटन पर चला गया जिसकी वजह से यह हादसा हुआ। महिला का अपोलो हास्पिटल में इलाज चल रहा है। उसकी स्थिति अब ठीक है।
रितेश अग्रवाल, सीईओ, जिला पंचायत
मुझे नहीं थी जानकारी
घटना के वक्त मुझे जानकारी नहीं मिल पाई थी। उत्पादन के दौरान मॉनिटरिंग की जाती है। महिलाओं की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है।
बीआर वर्मा, परियोजना अधिकारी, जिपं
बच्ची के पिता केंद्रीय कारागार में सजायाफ्ता कैदी, पिछले दिनों कलेक्टर ने जेल में बच्ची से मुलाकात की थी
बच्ची ने पढ़ाई की इच्छा जताई, तो कलेक्टर जेल से लेकर स्कूल पहुंचे
कलेक्टर की पहल पर जेल में रह रहे 17 अन्य बच्चों की भी स्कूल एडमिशन प्रक्रिया शुरू
बिलासपुर. केंद्रीय जेल में सजायाफ्ता कैदी की बेटी खुशी (बदला नाम) अब सलाखों के पीछे नहीं रहेगी। उसे रहने के लिए हॉस्टल और एक बेहतर माहौल मिलेगा। जहां वह अपने सपनों का भविष्य तैयार करेगी। स्कूल खुलने के पहले दिन कलेक्टर डॉ. संजय अलंग खुद सेंट्रल जेल से खुशी का एडमिशन कराने स्कूल लेकर पहुंचे। स्कूल जाने के लिए खुशी सुबह से ही तैयार हो गई थी। अब वह जैन इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ाई करेगी।
जेल में इच्छा पूछी तो बोली- स्कूल में पढ़ाई करना चाहती हूं
केंद्रीय जेल में बंद एक सजायाफ्ता कैदी की 6 साल की बेटी खुशी (बदला हुआ नाम) की शिक्षा शहर के जैन इंटरनेशनल स्कूल में होगी । स्कूल जाने के लिए पहले दिन जब वह केंद्रीय जेल से स्कूल के लिए रवाना हुई तब उसके पिता की आंखें नम थीं, लेकिन खुशी स्कूल जाने के लिए खुश थी। इसकी शुरूआत तब हुई जब कलेक्टर डॉ. संजय अलंग एक दिन केंद्रीय जेल का निरीक्षण करने पहुंचे थे।
उन्होंने महिला बैरक में महिला कैदियों के साथ छोटी सी बच्ची को भी देखा । बच्ची से पूछने पर उसने बताया कि जेल से बाहर स्कूल में पढ़ाई करना चाहती है। कलेक्टर ने बच्ची से स्कूल में पढ़ाने का वादा किया और शहर के स्कूल संचालकों से बात की । इसके बाद जैन इंटरनेशनल स्कूल के संचालक खुशी को एडमिशन देने को तैयार हो गए। आमतौर पर स्कूल जाने के पहले दिन बच्चे रोते हैं। लेकिन खुशी आज बेहद खुश थी।
स्कूल जाने की ललक से उसकी खुशी दोगुनी हो रही थी। अब वह सलाखों की जगह स्कूल के हॉस्टल में रहेगी। खुशी के लिए विशेष केयर टेकर का भी इंतजाम किया गया है। स्कूल संचालक अशोक अग्रवाल ने कहा है कि खुशी की पढ़ाई और हॉस्टल का खर्चा स्कूल प्रबंधन ही उठाएगा। खुशी को स्कूल छोड़ने जेल अधीक्षक एसएस तिग्गा भी गए। कलेक्टर की पहल पर जेल में रह रहे 17 अन्य बच्चों को भी जेल से बाहर स्कूल में एडमिशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
महिला कैदियों के साथ रह रही थी खुशी
खुशी के पिता केंद्रीय जेल बिलासपुर में एक अपराध में सजायाफ्ता कैदी हैं। खुशी के पिता ने पांच साल की सजा काट ली है और उसे पांच साल और जेल में रहना है। खुशी जब पंद्रह दिन की थी तभी उसकी मां की मौत पीलिया से हो गई थी। पालन पोषण के लिए घर में कोई नहीं था। इसलिए उसे जेल में ही पिता के पास रहना पड़ रहा था। जब वह बड़ी होने लगी तो उसकी परवरिश का जिम्मा महिला कैदियों को दे दिया गया। वह जेल के अंदर संचालित प्ले स्कूल में पढ़ रही थी।
माध्यमिक शिक्षा मंडल ने स्कूलों में भेजी नियमावली
स्कूल संचालकों व प्राचार्यों को प्रवेश संबंधी नियम बताए गए
भिलाई. स्थानांतरण प्रकरण को छोड़कर 10वीं और 12वीं कक्षा में बिना औपचारिकताएं पूरी किए 10 फीसदी से अधिक बच्चों को प्रवेश नहीं दिया जा सकेगा। ऐसा करते हैं तो स्कूल संचालक को स्टॉफ और फर्नीचर की अतिरिक्त व्यवस्था करनी होगी और इसके बाद माध्यमिक शिक्षा मंडल से विशेष अनुमति लेनी होगी। औपचारिकताएं पूरा नहीं करेंगे को छात्रों का प्रवेश अमान्य हो जाएगा। इसकी सारी जिम्मेदारी स्कूल के संचालकों और प्राचार्यों की होगी। इस मामले में पालकों को भी अलर्ट रहने की जरूरत है। गड़बड़ी होने पर नतीजा बच्चे भुगतेंगे।
इस तरह किया जाएगा 10 फीसदी का आकलन
उदाहरण स्वरूप किसी स्कूल में कक्षा 9वीं में पास छात्रों की संख्या 100 हैं और कक्षा में 10वीं में अनुत्तीर्ण छात्र 20 और श्रेणी सुधार के 10 छात्र हैं। इस तरह कक्षा में 130 छात्र होंगे। इसका 10 फीसदी 13 होता है। अर्थात अधिक से अधिक 13 छात्रों को वहां सीधे प्रवेश दिया जा सकेगा। इससे अधिक होने पर संस्था को माशिमं से जारी सारी औपचारिकताओं को पूरा करना होगा। तभी प्रवेश को पूरा माना जाएगा।
ऐसे स्कूल जहां 10वीं और 12वीं में छात्रों की संख्या 45 से कम है, तो ऐसी परिस्थिति में दोनों कक्षाओं में छात्रों की संख्या 45 होते तक 10 फीसदी वाले नियम को शिथिल किया जा सकता है। प्राचार्य या संस्था के संचालक छात्रों की संख्या 45 होने तक अपनी संस्था में छात्र-छात्राओं को प्रवेश दे सकेंगे। उन्हें विशेष अनुमति की जरूरत नहीं पड़ेगी।
10 फीसदी से अधिक छात्र-छात्राओं को बोर्ड कक्षा में प्रवेश देने की अनुमति मांगने पर माध्यमिक शिक्षा मंडल की एक समिति संस्था की जांच करेगी। वहां पाए जाने वाले संसाधनों की एक रिपोर्ट बनाएगी। इससे पहले संस्था के संचालक को एक विशेष प्रोफार्मा में आवेदन देना होगा। संबंधित अनुविभागीय अधिकारी से अभिप्रमाणित भी कराना होगा। इसकी पूर्ति के बाद मान्यता दी जा सकेगी।
पूरक और क्रेडिट योजना के अंतर्गत उत्तीर्ण होने वाले छात्र-छात्राओं को बोर्ड कक्षा में प्रवेश के लिए परिणाम जारी होने के 15 दिन के भीतर अगली कक्षा में प्रवेश लेना होगा। इसके बाद विशेष परिस्थितियों में ही उन्हें प्रवेश दिया जा सकेगा। उन्हें प्रवेश के दौरान होने वाली सारी परेशानियों के लिए छात्र-छात्राएं या उनके अभिभावक ही जिम्मेदार होंगे।